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देशी जमा

III. अग्रिम

हां : बैंक निम्नलिखित ऋणों के मामले में आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ के बगैर ब्याज दर का निर्धारण कर सकते हैं चाहे ऋण की राशि कितनी भी क्यों न हों :

(i) क. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद के लिए ऋण
ख. शेयरों और डिबेंचरों / बांडों की जमानत पर व्यक्तियों को ऋण
ग. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र से इतर अन्य वैयक्तिक ऋण
घ. बैंक के पास रखी देशी / अनिवासी /विदेशी मुद्रा अनिवासी रुपया (बैंक) जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम / ओवर ड्राफ्ट, बशर्ते उक्त जमाराशि (याँ) या तो उधारकर्ता / उधारकर्ताओं के अपने नाम (मों) पर हो /हों अथवा अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से उधारकर्ता के नामों पर हो /हों।
ड मध्यवर्ती एजेन्सियों (आवास संबंधी एजेन्सियों को छोड़कर)को दिया गया वित्त जो आगे अंतिम लाभार्थियों तथा निविष्टि आधार प्रदान करने वाली एजेन्सियों को उधार देती हैं।
च. अंतिम लाभार्थी को उधार देने के लिए आवास वित्त मध्यवर्ती एजेन्सियों को दिया गया वित्त

छ. बिलों की बट्टे पर भुनाई
ज. चयनात्मक ऋण नियंत्रण के अधीन पण्यों की जमानत पर ऋण /अग्रिम /नकदी ऋण/ ओवर ड्राफ्ट

(ii)

मीयादी उधार देनेवाली संस्थाओं की ब्याज पुनर्वित्त पोषण योजनाओं में सहभागिता के अंतर्गत आनेवाले ऋण

बैंक आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ के बगैर पुनर्वित्त पोषण करनेवाली एजेन्सियों की शर्तों के अनुसार दरें लगाने के लिए स्वंतत्र हैं।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

जमा राशि की निकासी पर रोक, ग्रहणाधिकार अंकित (मार्क) खाते आदि।

पेटीएम पेमेंट्स बैंक के किसी ग्राहक के खाते/वॉलेट पर किसी भी कानून प्रवर्तन या न्यायिक अधिकारियों के निर्देशों के अनुसार अंकित कोई भी ग्रहणाधिकार या जमा राशि के निकासी पर कोई रोक (पूर्ण या आंशिक) ऐसे अधिकारियों द्वारा ग्रहणाधिकार अंकित (मार्क) करने या निकासी पर रोक लगाने के लिए पारित आदेशों द्वारा शासित होता रहेगा।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

28.1.

सहकारी बैंकों के लिए "परिपक्वता तक धारणीय" के तहत वर्गीकृत निवेशों के बाजार मूल्यों को बही में अंकित करना आवश्यक नहीं है और उन्हें अधिग्रहण लागत पर अग्रेषित करना चाहिए जब तक कि यह अंकित मूल्य से अधिक न हो यदि ऐसा है तो प्रीमियम को परिपक्वता की शेष समयावधि के लिए परिशोधित करना चाहिए । सहकारी बैंकों की बहियों में "बिक्री के लिए उपलब्ध" श्रेणी में व्यक्तिगत क्रिप के बाजार मूल्यों को वर्ष के अंत में या और कम अंतरालों पर अंकित करना चाहिए । "व्यापार के लिए धारणीय" श्रेणी में उपलब्ध व्यक्तिगत क्रिप के बाजार मूल्यों को माह के अंत में या और कम अंतरालों पर बहियों में अंकित करना चाहिए । "बिक्री के लिए उपलब्ध" और "व्यापार के लिए उपलब्ध" श्रेणियों में व्यक्तिगत प्रतिभूतियों को बाजार मूल्यों पर बही में अंकित करने के बाद उनके बही मूल्यों के कोई परिवर्तन नहीं होगा ।

28.2 केंद्रीय सरकार की प्रतिभूतियों की कीमतों का निर्धारण निर्धारित आय मुद्रा बाजार और डेरिवेटिव्ज संघ (फमिडा) और भारतीय प्राथमिक व्यापारी संघ द्वारा संयुक्त रूप से फमिडा की वेबसाइट पर दी गई कीमतों/प्रतिफलों को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए । केंद्रीय सरकारी की सभी प्रतिभूतियों की कीमत प्रतिदिन दी जाती है जबकि मूल्यांकन के लिए कीमतों और प्रतिफलों का वक्र प्रत्येक माह के अंत में दिया जाता है । उदाहरण के लिए केंद्रीय सरकार की एक प्रतिभूति 7.46% 2007 का फमिडा मूल्यांकन 31 मार्च 2009 को 101.69 रु. था । यदि कोई सहकारी बैंक इसी प्रतिभूति को "बिक्री के लिए उपलब्ध" या "व्यापार के लिए उपलब्ध" श्रेणी के तहत 102 रु. के बही मूल्य पर रख रहा था तो बैंक के लिए यह अपेक्षित होगा कि प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य के लिए 0.31 रु. का बही में मूल्यहास नोट करे । यदि कुल धारिता 1 करोड़ रु. की थी तो अंकित किया जाने वाला मुल मूल्यहास 31,000/- रु. होगा ।

28.3 राज्य सरकार और अन्य प्रतिभूतियों का मूल्यांन केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति की तदनुरूपी शेष परिपक्वता समयावधि के प्रतिफल पर कीमत-लागत अंतर को जोड़कर करना चाहिए । इस समय राज्य सरकार की प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करते समय 25 आधार अंकों (0.25%) का कीमत-लागत अंतर जोड़ा जाता है । जबकि विशेष प्रतिभूतियों (तेल बाण्ड, उर्वरक बाण्ड, एसबीआई बाण्डों आदि) के कार्पोरेट बाण्डों के लिए फमिडा द्वारा दिया गया कीमत-लागत अंतर जोड़ा जाता है । राज्य सरकार के एक बाण्ड को ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन का एक उदाहरण नीचे बॉक्स V में दिया गया है ।

बॉक्स V

प्रतिभूतियों का मूल्यांकन

राज्य सरकार के बाण्डों के लिए मूल्याकन

प्रतिभूति - 7.32% एपीएसडीएल 2014

जारी करने की तारीख - 10 दिसंबर 2004

परिपक्वता तिथि - 14 दिसंबर 2014

कूपन - 7.32%

मूल्यांकन की तारीख - 31 मार्च 2008

प्रक्रिया

उक्त बाण्ड के मूल्यांकन में निम्नलिखित स्तर शामिल हैं -

(1) मूल्यांकित बाण्ड की शेष परिपक्वता का पता लगाना

(2) उक्त शेष परिपक्वता के लिए केंद्रीय सरकार प्रतिभूति के प्रतिफल का पता लगाना

(3) प्रतिभूति के प्रतिफल का पता लगाने के लिए उक्त प्रतिफल में उचित कीमत-लागत अंतर जोड़ना

(4) उपर्युक्त प्राप्त प्रतिफल का प्रयोग करते हुए प्रतिभूति की कीमत की गणना करना

स्तर - 1

चूंकि मूल्यांकन 31 मार्च 2008 को किया जा रहा है अत: हमें इस तारीख से प्रतिभूति की परिपक्वता का तारीख अर्थात् 10 दिसंबर 2014 तक के बीच के वर्षों की संख्या का पता लगाना है ताकि प्रतिभूति की शेष परिपक्वता का पता लगाया जा सके । इसे मानवीय रूप से वर्ष, महीने और दिन की गणना कर निकाला जा सकता है । तथापि, इसके लिए का आसान तरीका एमएस एक्सेल में "इअरप्रैक" ("Yearfrac") प्रणाली से निकाला जा सकता है जिसमें दो तारीखे और आधार प्रदान करना होता है (अधिक जानकारी के लिए एक्सल फंक्शन पर अनुबंध 4 का संदर्भ लें) । इस प्रतिभूति के लिए, यह 6.69 वर्षों की अवशेष परिपक्वता देता है ।

स्तर - 2

6.69 वर्षों के लिए केंद्रीय सरकारी प्रतिभूति प्रतिफल का पता लगाने के लिए हम 6 वर्ष और 7 वर्ष के बीच के प्रतिफलों को आपस में संबद्ध करेंगे, ये प्रतिफल फ्मिडा द्वारा दिए गये हैं । 31 मार्च 2008 की स्थिति के अनुसार, 6 और 7 वर्षों के लिए फ्मिडा द्वारा दिए गये प्रतिफल क्रमश: 7.73% और 7.77% हैं । निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करते हुए 6.69 वर्षों के लिए प्रतिफल निकाला गया है ।

0.0773+ड (6.69-6)X(0.0777-0.0773)   =  0.077577=7.7577% या 7.76%
        (7-6)

यहा हम 0.69 वर्षों के लिए प्रतिफल के अंतर का पता लगाकर और उसे 6 वर्षों के लिए लागू प्रतिफल में जोडते हैं ताकि 6.69 वर्षों के लिए प्रतिफल का पता लगाया जा सकें । यह भी नोट करना हैं कि प्रतिफल का उपयोग दशमलव रूप में करना है (उदाहरण के लिए 7.73 प्रतिशत, 7.73/100 के बराबर है जिसका अर्थ है 0.0773)

स्तर - 3

विशिष्ठ अवशेष परिपक्वता के लिए केंद्रीय सरकार प्रतिफल का पता लगाने के बाद हमें उचित स्प्रेड को लोड करना है ताकि मूल्यांकन की जाने वाली प्रतिभूति के लिए प्रतिफल प्राप्त किया जा सके । चूंकि प्रतिभूति राज्य सरकार की प्रतिभूति है अत: लागू स्प्रेड 25 आधार बिंदु है (0.25 प्रतिशत) ।  अत: प्रतिफल 7.76%+0.25%=8.01% होगा ।

स्तर - 4

प्रतिभूति की कीमत गणना एमएस एक्सेल "कीमत" ("PRICE") का उपयोग करके की जाएगी (विवरण के लिए कृपया अनुबंध 4 देखें) ।  यहां हम मूल्यांकन की तारीख 31 मार्च 2008 डालेंगे, परिपक्वता की तारीख 10 दिसंबर 2014 है, दर 7.32% है जो की कूपन दर है, प्रतिफल के रूप में 8.01% है और परिपक्वता के रूप में 100 जो की अंकित मूल्य है, कूपन भुगतान की फ्रीक्वेन्सी के रूप में 2 और आधार के रूप में 4 उपयोग करेंगे (कृपया अनुबंध 4 में दिया गया उदाहरण 3 देखें) । सूत्र के द्वारा हमें 96.47 रुपये की कीमत प्राप्त होती है जो प्रतिभूति की कीमत है ।

यदि बैंक अपने पोर्टफाटलियों में 10 करोड रुपये की इस प्रकार की प्रतिभूति भारीत करता है तो कुल कीमत 10*(96.47/100)=9.647 करोड रुपये होगी ।

28.4. कार्पोरेट बाण्डों के मामले में, मूल्यांकन की प्रक्रिया उपर्युक्त बॉक्स 5 में दिए गए उदाहरण के समान ही है । इसमें केवल केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति पर आने वाले तदनुरूपी प्रतिफल में जोड़े जाने वाले स्प्रेड का भेद राज्य सरकार की प्रतिभूतियों के लिए निश्चित 25 आधार अंको के बजाय है जो समय-समय पर फमिडा द्वारा प्रकाशित स्प्रेड से अधिक होगी । फमिडा विभिन्न प्रकार की रेटिंग वाले कार्पोरेट बाण्डों के लिए स्प्रेड पर सूचना देता रहता है । बाण्ड का मूल्यांकन करते समय केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति के तदनुरूपी प्रतिफल में उचित स्प्रेड जोड़ी जानी चाहिए और बाण्ड का मूल्यांकन मानक "कीमत" सूत्र का प्रयोग करते हुए करना चाहिए ।

उदाहरण के लिए, यह मानते हुए कि "एएए" रेटिंग के किसी कार्पोरेट बाण्ड की परिपक्वता उतनी ही है जितनी कि बॉक्स 5 में दिए गए राज्य सरकार के बाण्ड की, इस स्थिति में मूल्यांकन के लिए लागू प्रतिफल 7.73+2.09% (फमिडा द्वारा दिया गया स्प्रेड) होगा जो 9.82% है । बॉक्स 5 में दिए गए मानदंडों को ही लागू करते हुए बाण्ड की कीमत 87.92 रु. बैठती है ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जी. अंतिम उपयोग

उत्तर: ईसीबी के प्रयोजन के लिए आगे-उधार देने के कारोबार में लिप्त उधारकर्ताओं के लिए आगे-उधार देने को कार्यशील पूंजी नहीं समझा जाता है। इसके अतिरिक्त उधारकर्ताओं को इस संबंध में संबंधित क्षेत्र विशेष अथवा विवेकपूर्ण विनियामक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

आईआरएफ को एकल आस्ति/देयता अथवा आस्तियों/देयताओं के समूह से संबद्ध ब्याज दर जोखिम को हेज करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। अत: एनबीएफसी को ब्याज दर जोखिम के प्रबंधन के लिए अवधि आधारित हेजिंग का उपयोग करने की अनुमति है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: भुगतान की प्रत्येक शृंखला की प्राप्ति पर एडी बैंक में फॉर्म एफ़सी-टीआरएस भरना है। रिपोर्टिंग का दायित्व निवासी अंतरंकर्ता/ अंतरिती का होगा।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

आंशिक दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा नोट की पहचान करने को सुगम बनाने के लिए महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंकनोटों को चटक एवं सुस्‍पष्‍ट (शार्प कलर कॉन्‍ट्रास्‍ट स्‍कीम) बनाया गया है । दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लाभ के लिए ₹100 से अधिक मूल्यवर्ग में कोणीय ब्लीड रेखाएँ( ₹100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, ₹200 में बीच में 2 वृत्‍तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ , ₹500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, ₹2000 में 7 रेखाएँ) तथा पहचान चिन्ह हैं । प्रत्येक नोट के अग्रभाग में एक पहचान चिह्न होता है, जिसका मुद्रण उभारदार (इंटेग्लियो) होता है तथा यह अलग-अलग मूल्यवर्ग में अलग-अलग आकार का होता है । उदाहरण के लिए ₹2000 के लिए क्षैतिज आयात, ₹500 के लिए वृत्‍त, ₹200 के लिए उभरा हुआ एच (H) का पहचान चिह्न, ₹100 के लिए त्रिभुज । इसके अतिरिक्त, इन मूल्यवर्गों में अंकों को नोट के मध्य भाग में उभारदार मुद्रण प्रमुखता से किया गया है ।

*₹2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट अभी भी वैध मुद्रा हैं। अधिक विवरण के लिए 01 सितंबर 2023 के प्रेस विज्ञप्ति 2023-2024/851 का संदर्भ लें

(https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/withdrawal-of-%E2%82%B92000-denomination-banknotes-status-56301)

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: नहीं, चूंकि कंपनी एनबीएफसी के मुख्य व्यवसाय मानदंड (आस्ति-आय पैटर्न) को पूरा नहीं कर रही है, यानी इसकी कुल आस्ति का 50% से अधिक वित्तीय आस्ति होना चाहिए और इन आस्तियों से प्राप्त आय 50% से अधिक होनी चाहिए। सकल आय, आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45 आईए के तहत एक एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, जैसे ही यह एनबीएफसी के पात्रता मानदंडों को पूरा करता है और एनबीएफसी मानदंडों का अनुपालन करता है, वैसे ही इसे खुद को एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत करना चाहिए।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

No. If any NBFC has not obtained the minimum prescribed Credit Rating, it is not entitled to raise public deposits

देशी जमा

III. अग्रिम

नहीं। चूंकि सभी उधार दरें मीयादी प्रीमियमों और/अथवा जोखिम प्रीमियमों को ध्यान में रखते हुए आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ में निर्धारित की जा सकती हैं, अत: बहुविध आधारभूत मूल उधार दरों की आवश्यकता नहीं है। ये प्रीमियम संबंधित आधारभूत मूल उधार दर से अधिक अथवा कम के अंतर (स्प्रेड) के रूप में रखे जा सकते हैं।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: एफएलए रिटर्न के तहत गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए इक्विटी पूंजी के बाजार मूल्य की गणना किसी देश के सीडीआईएस डेटा के संकलन के तहत आईएमएफ के दिशानिर्देशों के अनुसार बुक वैल्यू पर ओन फंड्स (ओएफवीबी) पद्धति का उपयोग करके की जाती है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है:

चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए ओएफवीबी में अनिवासी द्वारा धारित इक्विटी पूंजी का बाजार मूल्य

= (चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए कंपनी का निवल मूल्य) * (चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए अनिवासी इक्विटी होल्डिंग %)

जहां, कंपनी की कुल संपत्ति

= (कंपनी की चुकता इक्विटी और सहभागी वरीयता शेयर पूंजी + आरक्षित और अधिशेष - संचित हानि)

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

क्र.सं. सरकारी प्रतिभूति न्यूनतम निवेश राशि/मात्रा (12 नवंबर 2021 को)
1 सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) 10,000
2 सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) 10,000
3 राज्य विकास ऋण (एसडीएल) 10,000
4 राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) एक ग्राम स्वर्ण

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

जमा राशि की निकासी पर रोक, ग्रहणाधिकार अंकित (मार्क) खाते आदि।

बैंक को निदेश दिया गया है कि वह ग्राहक के खाते/वॉलेट में उपलब्ध शेष राशि तक निकासी या किसी अन्य बैंक खाते में ट्रान्सफर की अनुमति दे।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

सामान्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों को जोखिम रहित लिखतें माना जाता है क्योंकि सरकार से अपने भुगतान में चूक अपेक्षित नहीं हैं । तथापि, जैसा कि किसी भी वित्तीय लिखत के मामले में होता है वैसा ही जोखिम सरकारी प्रतिभूतियों के साथ भी होता है । अत: इस प्रकार के जोखिमों की पहचान करना और उन्हें समझना और उनको दूर करने के लिए उचित उपाय करना आवश्यक है । सरकारी प्रतिभूतियों की धारिता के साथ निम्नलिखित प्रमुख जोखिम जुड़े होते हैं -29.1. बाजार जोखिम - ब्याज दरों में परिवर्तन होने के कारण किसी निवेशक द्वारा धारित प्रतिभूतियों के मूल्यों में विपरीत परिचालन होने से बाजार जोखिम उत्पन्न होता है । इसके परिणाम स्वरूप बाजार मूल्यों पर इसे बही में अंकित करने पर हानि उठानी पड़ेगी या प्रतिभूतियों को विपरीत मूल्या पर बेचने से घाटा उठाना पड़ सकता है । कुछ हद तक छोटे निवेशक बाण्ड की परिपक्वता तक उसे धारण कर बाजार जोखिम को कम कर सकते हैं ताकि वे वह प्रतिफल प्राप्त कर सकें जिस पर उन्होनें प्रतिभूतियां वास्तव में खरीदी थी ।29.2. पुनर्निवेश जोखिम - सरकारी प्रतिभूति के नकदी-प्रवाह में प्रत्येक छमाही में मीयादी कूपन और परिपक्वता पर मूलधन की वापसी शामिल होती है । इन नकदी प्रवाहों को नकद प्राप्ति के पश्चात पुनर्निवेश करना होता है । अत: यह जोखिम होता है ब्याज दर परिदृश्यों में बदलाव के कारण निवेशक इन प्राप्त राशियों को लाभकारी दरों पर पुनर्निवेश न कर पाए ।29.3. चलनिधि जोखिम : चलनिधि जोखिम का आशय होता है कि जब निवेशक किसी प्रतिभूति के लिए खरीददार की अनुपलब्धता के कारण अपनी प्रतिभूति को बेच नहीं पाता है, अर्थात् उस विशेष प्रतिभूति में किसी भी प्रकार की खरीद बिक्री का न होना । सामान्यत:, जब नियत परिपक्वता का अर्थसुलभ बांड खरीदा जाता है, तो समय के साथ इसके परिपक्वता की अवधि में कमी आती है । उदाहरण के लिए, 10 वर्षीय एक प्रतिभूति 2 वर्षो के बाद 8 वर्ष क ा प्रतिभूति रह जाती है जिसके कारण उसे उस समय विशेष पर तरलता में कमी हो सकती है । उस समय विशेष पर तरलता में कमी के कारण, निवेशक को निधियों की तत्काल आवश्यकता होने पर कम मूल्य पर प्रतिभूतियों बेचना पड़ सकता है । हालांकि, ऐसे मामलों में, पात्र निवेशक बाजार रेपो में भाग ले सकता है और प्रतिभूतियों को संपार्श्विक के रूप में रखकर नकदी उधार ले सकता है ।29.4. जोखिम कम करना : परिपक्वता तक प्रतिभूति को नहीं बेचना एक रणनीति हो सकती है जिसके द्वारा बाज़ार जोखिम से बचा जा सकता है । जब प्रतिभूतियां अल्पावधि हो जाती हैं तो उन्हें बेच कर और दीर्घावधि की नई प्रतिभूतियां खरीद कर पोर्टफोलियो जोखिम को कम करने के लिए पोर्टफोलियो को पुन:प्रबंधित कर सकते हैं । हालांकि पुन:प्रबंधन में लेन-देन से संबंधित तथा अन्य लागत शामिल होती हैं अत: विवेकपूर्ण ढंग से इसका प्रयोग किया जाना चाहिए। बाज़ार जोखिम और पुनर्निवेश जोखिम को नकदी प्रवाहों के साथ देयताओं का मिलान कर परिसंपत्ति और देयता प्रबंधन (एएलएम) के माध्यम से कम किया जा सकता है । एएलएम को नकदी प्रवाह के अंतराल का मिलान कर भी किया जा सकता है ।उन्नत जोखिम प्रबंधन तकनीकों में ब्याज दर स्वॉप (आइआरएस) जैसे व्युत्पन्नियों का प्रयोग शामिल है जहाँ नकदी प्रवाह की प्रकृति में बदलाव किया जा सकता है । हालांकि, ये जटिल साधन हैं जिसे समझने के लिए उच्च स्तर की विशेषज्ञता की आवश्यकता पड़ती है । अत: व्युत्पन्नी लेन-देन के वक्त पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए और ऐसे लेन-देन इससे संबंधित जोखिमों और जटिलताओं की पूरी जानकारी के बाद ही किया जाना चाहिए ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जी. अंतिम उपयोग

उत्तर: हां।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार 1,000 करोड़ रुपये तथा उससे अधिक राशि की आस्तियों वाले एनबीएफसी को आईआरएफ में ट्रेडिंग सदस्य के रूप में सहभागी होने की अनुमति है। जहां स्टॉक एक्सचेंजेस के ट्रेडिंग सदस्यों को उनके अपने खाते तथा उनके ग्राहकों के खातों पर क्रय-विक्रय निष्पादित करने की अनुमति दी गई है, वहीं बैंकों तथा प्रायमरी डीलर्स को हेजिंग तथा क्रय-विक्रय, दोनों के लिए केवल अपने खाते पर आईआरएफ में लेन-देन करने के लिए अनुमति दी गई है। उन्हें ग्राहक के खाते से ऐसा करने की अनुमति नहीं है। उसी तरह एनबीएफसी को ट्रेडिंग सदस्य के रूप में केवल अपने स्वामित्व वाले व्यापार को निष्पादित करने की अनुमति है। वे अपने ग्राहकों की ओर से ऐसे लेन-देन नहीं कर सकते।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: डाउन स्ट्रीम निवेश का अर्थ है किसी भारतीय कंपनी जिसमें पूर्ण विदेशी निवेश है अथवा किसी निवेश माध्यम द्वारा किसी अन्य भारतीय संस्था के पूंजीगत लिखतों अथवा पूंजी, जैसी स्थिति हो में किया गया निवेश।

यदि निवेशक कंपनी में कुल विदेशी निवेश है तथा निवासी भारतीय नागरिकों के पास जिसका स्वामित्व तथा नियंत्रण नहीं है अथवा उसका स्वामित्व तथा नियंत्रण भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों के पास है तो, निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के लिए ऐसे निवेश “अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश” होंगे।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफ़ायर (मणि) भारतीय बैंकनोट्स के मूल्यवर्ग की पहचान करने में दृष्टिबाधित व्यक्तियों की सहायता हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किया गया एक मोबाइल एप्लीकेशन है । इस नि:शुल्क एप्लीकेशन को एक बार इंस्टॉल करने के बाद इन्‍टरनेट की आवश्यकता नहीं होती है । यह एप्‍लीकेशन नोट के अग्र अथवा पश्च - भाग/हिस्से की जांच करके महात्मा गांधी शृंखला तथा महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंक नोटों के मूल्यवर्ग की पहचान करने में सक्षम है । इससे प्रकाश की विभिन्‍न परिस्थितियों (सामान्य प्रकाश/दिन का प्रकाश/कम प्रकाश आदि) के अंतर्गत अलग-अलग कोणों से पकड़े गए आधे मुड़े हुए नोटों की पहचान भी की जा सकती है ।

नोट: यह मोबाइल एप्लीकेशन किसी नोट के असली अथवा जाली होने को प्रमाणित नहीं करता है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: कंपनी को एक वर्ष की निर्धारित समयावधि के भीतर एक व्यवसाय योजना देते हुए आरबीआई को सीओआर के लिए आवेदन करना होगा जिसमें वह सीआईसी-एनडी-एसआई का दर्जा हासिल करेगी। यदि कंपनी ऐसा करने में असमर्थ है, तो छूट लागू नहीं होगी और कंपनी को एनबीएफसी पूंजी पर्याप्तता और एक्सपोजर मानदंडों का पालन करना होगा।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

An NBFC that has been rated by two agencies, is free to use the rating beneficial to it. In case of wide variation between the two Ratings, RBI can take up the matter with both the Credit Rating Agencies to review and rationalise their opinion about the company’s Rating.

देशी जमा

III. अग्रिम

बैंकों को यह स्वतंत्रता है कि वे सभी ऋण निर्धारित अथवा अस्थायी दरों पर दें बशर्ते वे परिसंपत्ति देयता प्रबंधन (एएलएम) दिशानिर्देशों के अनुरूप हों।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: यदि भारतीय रिपोर्टिंग इकाई सूचीबद्ध है, तो संदर्भ अवधि अर्थात पिछले और चालू वर्ष के मार्च अंत में उनके समापन शेयर मूल्य का उपयोग अनिवासी इक्विटी निवेश के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल हेतु – निम्न सीमाएं लागू होती है यदि आपने प्राथमिक नीलामियों के माध्यम से इन प्रतिभूतियों को खरीदा है:

क्र.सं. सरकारी प्रतिभूति अधिकतम निवेश राशि/मात्र (12 नवंबर 2021 को)
1 सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) सभी गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों का कुल आवंटन भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिसूचित राशि के अंतर्गत निर्गम की कुल नाममात्र राशि के अधिकतम 5% या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी अन्य प्रतिशत तक सीमित होगा।
2 सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) 2 करोड़ (अंकित मूल्य) प्रति प्रतिभूति प्रति नीलामी
3 राज्य विकास ऋण (एसडीएल) प्रति नीलामी में अधिसूचित राशि (अंकित मूल्य) का 1%

राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) के लिए - एक व्यक्ति प्रति वित्तीय वर्ष 4 किलोग्राम से अधिक एसजीबी की सदस्यता नहीं ले सकता है। वार्षिक सीमा में सरकार द्वारा प्रारंभिक निर्गम दौरान विभिन्न किस्तों के तहत सब्सक्राइब किए गए बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे गए बांड शामिल होंगे।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

नए ग्राहकों को जोड़ना

11 मार्च, 2022 का व्यावसायिक प्रतिबंध, जो पेटीएम पेमेंट्स बैंक को अपनी किसी भी सेवा के लिए किसी भी नए ग्राहक को शामिल करने से रोकता है, लागू रहेगा। इसलिए, पेटीएम पेमेंट्स बैंक 11 मार्च, 2022 के बाद किसी भी नए ग्राहक को अपने साथ नहीं जोड़ सकता है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

30.1. यद्यपि सरकारी प्रतिभूति बाज़ार सामान्यत: दीर्घावधि निवेश करनेवाले निवेशकों के लिए है, परन्तु मुद्रा बाज़ार अल्पावधि के लिए निवेश का विकल्प उपलब्ध करता है । मुद्रा बाज़ार लेन-देन सामान्यत: सरकारी प्रतिभूति बाज़ार और अल्पावधि चलनिधि असंतुलन को ठीक करने सहित अन्य बाजारों में लेन-देनों के निधीयन के लिए प्रयुक्त होता है । परिभाषा के अनुसार, मुद्रा बाज़ार अधिकतम एक वर्ष की अवधि के लिए होता है । एक वर्ष के भीतर अवधि के आधार पर मुद्रा बाज़ार को निम्नलिखित रुप से वर्गीकृत किया जा सकता है ।(i) एक दिवसीय बाज़ार : लेन-देन की अवधि एक कार्य-दिवस होता है ।(ii) नोटिस मुद्रा बाज़ार: लेन-देन की अवधि 2 दिन से 14 दिन तक होती है ।(iii) मीयादी मुद्रा बाज़ार - लेन-देन की अवधि 15 दिन से एक वर्ष तक होती है ।विभिन्न मुद्रा बाज़ार लिखत कौन-कौन से हैं ?30.2. मुद्रा बाज़ार लिखतों में, मांग-मुद्रा, रेपो, खजाना बिल, वाणिज्यिक पत्र, जमा-प्रमाणपत्र और संपार्श्विकृत उधार और ऋणदायी बाध्यत (सीबीएलओ) शामिल है ।मांग-मुद्रा बाज़ार : 30.3. मांग-मुद्रा बाज़ार निधियों के असंपार्श्विकृत उधार देने और उधार लेने के लिए बाज़ार है । यह बाज़ार मुख्यत: एक दिवसीय होता है ओर इसमें केवल अनुसूचित बैंक और प्राथमिक व्यापारी भाग लेते हैं ।रेपो या तैयार वायदा संविदा :30.4. रेपो, निधियों की प्राप्ति के लिए प्रतिभूतियों को इस करार के साथ बेचने के लिए एक प्रकार का लिखत है, जिसमें उक्त प्रतिभूतियों को आपस में सहमत तारीख और मूल्य पर पुनर्खरीद करनी पड़ती है जिसमें उधार ली गई निधियों पर ब्याज शामिल है ।30.5. रेपो (पुन: खरीद) लेनदेन का विपरीत लेनदेन ‘रिवर्ज़ रेपो’ (प्रति पुनर्खरीद) कहलाता है जिसमें प्रतिभूतियों की खरीदारी करके उधार दिया जाता है, जिसके लिए तय मूल्य पर पारस्परिक रूप से निर्धारित भावी तारीख को उक्त प्रतिभूतियों की पुन:बेचने का करार किया जाता है ।30.6.उक्त परिभाषा से यह मालूम पड़ता है कि रेपो/रिवर्ज़ रेपो के एक ही लेनदेन में दो चरण होते हैं । दोनों चरणों के बीच की अवधि को ‘रेपो अवधि’ कही जाती है । मोटे तौर पर रेपो को ओवर नाइट आधार पर अंजाम दिया जाता है अर्थात् एक दिवसीय आधार पर। रेपो लेनदेनों का निपटान सरकारी प्रतिभूतियों में एकमुश्त सौदा के साथ किया जाता है ।30.7. प्रतिभूति के विक्रेता द्वारा उधार ली गई राशि रेपो लेनदेनों के पहले चरण में प्रतिफल राशि होती है । तयशुदा ‘रेपो दर’ पर ब्याज का परिकलन किया जाता है तथा उधारकर्ता द्वारा प्रतिभूति वापस खरीदते समय उसे लेनदेन के दूसरे चरण की प्रतिफल राशि के साथ-साथ लौटाया जाता है । रेपो लेनदेन की समग्र परिणति सरकारी प्रतिभूतियों के समर्थन में उधारस्वरूप प्राप्त निधि में होती है ।30.8. मुद्रा बाज़ार को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है । मुद्रा बाज़ार संबंधी उपर्युक्त लेनदेनों की रिपोर्ट इलक्ट्रॉनिक व्यवस्था, जिसे तयशुदा लेनदेन प्रणाली (एनडीएस) के नाम से जाना जाता है, के माध्यम से भेजनी चाहिए ।संपार्श्वीकृत उधार और ऋणदायी बाध्यता (सीबीएलओ)30.9. सीबीएलओ ऐसी संस्थाओं के लाभार्थ भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) द्वारा संचालित एक अन्य मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिनकी अंतर बैंक-मांग-मुद्रा-बाज़ार तक कोई पहुंच नहीं हो या जिनकी पहुंच मांग उधार लेने और देने से संबंधित लेनदेनों पर उच्चतम सीमा के चलते अवरुद्ध हुई हो । सीबीएलओ इलक्ट्रॉनिक बही प्रविष्टि रूप में उपलब्ध एक बट्टागत लिखत है जिसकी परिपक्वता अवधि एक दिन से नब्बे दिनों (रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार एक वर्ष तक) तक होती है । बाज़ार के सहभागियों को निधि के उधार लेने और देने में सक्षम बनाने की दृष्टि से सीसीआईएल भारतीय वित्तीय नेटवर्क (आईएनएफआईएनईटी), जोकि सीमित उपयोगकर्ता समूह है, के माध्यम से रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता रखने वाले तयशुदा लेनदेन प्रणाली (एनडीएस) के सदस्यों को तयशुदा प्रणाली उपलब्ध कराता है जबकि जिन सदस्यों का रिज़र्व बैंक के पास चालू खाता न हो उन्हें इंटरनेट के माध्यम से उक्त प्रणाली मुहैया कराता है ।30.10. रिज़र्व बैंक-एनडीएस सदस्यों, यथा- राष्ट्रीयकृत बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंडों, प्राथमिक व्यापारियों आदि को सीबीएलओ खंड की सदस्यता उपलब्ध कराई जाती है । जो संस्थाएं रिज़र्व बैंक-एनडीएस की सदस्य नहीं हैं, यथा- सहकारी बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, एनबीएफसी, कार्पोरेट, भविष्य/पेंशन निधि आदि, उन्हें सीबीएलओ खंड की सह-सदस्यता उपलब्ध कराई जाती है । 30.11. सीसीआईएल सदस्य सीबीएलओ बाज़ार में शामिल होकर पात्र प्रतिभूतियों की संपार्श्विकता पर निधि उधारस्वरूप ले सकते हैं या दे सकते हैं । पात्र प्रतिभूतियों के अंतर्गत खज़ाना बिल सहित केंद्र सरकारी प्रतिभूतियां तथा समय-समय पर सीसीआईएल द्वारा विनिर्दिष्ट अन्य प्रतिभूतियां शामिल हैं । सीबीएलओ में उधारकर्ताओं को सीसीआईएल के पास पात्र प्रतिभूतियों की अपेक्षित राशि जमा करनी होती है जिसके आधार पर सीसीआईएल उधार की सीमा का निर्धारण करता है । सीसीआईएल सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले उधार देने व लेने के आदेशों का मिलान करता है और उन्हें अधिसूचित करता है । संपार्श्विक रूप से धारित प्रतिभूतियों को सीसीआईएल की अभिरक्षा में रखा जाता है तथा प्रतिभूतियों पर उधार देने वाले के लाभकारी हित की मान्यता समुचित प्रलेखन के माध्यम से दी जाती है ।वाणिज्यिक पत्र (सीपी)30.12. वाणिज्यिक पत्र (सीपी) एक प्रतिभूति-रहित मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिसे प्रामिसरी नोट के रूप में जारी किया जाता है । भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अंब्रेला सीमा के अंतर्गत अल्पावधिक संसाधनों को जुटाने हेतु अनुमति प्राप्त कार्पोरेट, प्राथमिक व्यापार (पीडी) तथा अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं (एफआई) वाणिज्यिक पत्र जारी करने की पात्रता रखती हैं । वाणिज्यिक पत्रों को उसकी निर्गम-तारीख से न्यूनतम 7 दिनों से अधिकतम एक वर्ष तक की अवधि के लिए जारी किया जा सकता है ।जमा प्रमाण-पत्र30.13. जमा प्रमाण-पत्र (सीडी) एक परक्राम्य मुद्रा बाज़ार की लिखत है जिसे किसी बैंक में या अन्य पात्र वित्तीय संस्था में जमा की गई निधियों के लिए इलेक्ट्रानिक रूप में या मीयादी वचन-पत्र के रूप में निश्चित अवधि के लिए जारी किया जाता है । बैंक 7 दिनों से एक वर्ष की परिपक्वता अवधि के लिए जमा प्रमाण-पत्र जारी कर सकते हैं, जबकि पात्र वित्तीय संस्थाएं 1 वर्ष से 3 वर्ष की परिपक्वता अवधि के लिए इसे जारी कर सकती हैं ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

एच. ईसीबी का पुनर्वित्त

उत्तर: हां, बशर्ते उधारकर्ता का विद्यमान ईसीबी ढांचे के अंतर्गत ईसीबी जुटाने के लिए पात्र होना जारी रहता है, समग्र लागत विद्यमान ईसीबी की समग्र लागत से कम है, अवशिष्ट परिपक्वता को घटाया नहीं गया है, तथा नई ईसीबी विद्यमान ईसीबी ढांचे का भी अनुपालन करती है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)

अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी एनबीएफसी की एक श्रेणी है जो एक कंपनी है तथा इसका 'प्रमुख व्यवसाय' किसी भी योजना, व्यवस्था या किसी अन्य तरीके से जमा राशियाँ प्राप्त करना है तथा ये कंपनियाँ निवेश, आस्ति वित्तपोषण या ऋण देने का कार्य नहीं करती। इन कंपनियों को भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशानुसार, तरल आस्तियों के अलावा निवेश को बनाये रखने की आवश्यकता होती है। निदेशों के अनुसार जमाराशियों के संग्रहण की पद्धति और जमाकर्ताओं की निधि के विनियोजन के मामले में इन कंपनियों की कार्य प्रणाली एनबीएफसी से भिन्न है। इसके अलावा, इन कंपनियों पर भी विवेकपूर्ण मानदंड निदेश लागू होते है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: नहीं।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

भारतीय बैंकनोटों के उत्पादन के लिए अपनाई गई प्रक्रियाएँ तथा प्रणालियाँ वैश्विक स्तर पर अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं । इसी के अनुरूप, बैंकनोट की गुणवत्ता को आकार, रूपरेखा (डिजाइन) के निर्धारण, मुद्रण विशेषताओं आदि के लिए मानदंडों की छूट सीमा के भीतर रखा जाता है । इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति इस लिंक से देखी जा सकती है:

https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/rbi-clarifies-on-quality-control-measures-in-currency-note-printing-41364

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: सीआईसी जिनके पास (क) की आस्ति का आकार 100 करोड़ रुपये से कम है, भले ही वे सार्वजनिक धन का उपयोग कर रहे हों या नहीं और (ख) जिनकी आस्ति का आकार दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.पीडी.221/सीजीएम(यूएस) 2011 के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45आईए के तहत रु 100 करोड़ और उससे अधिक है और सार्वजनिक निधि का उपयोग नहीं कर रहे हैं, को बैंक के साथ पंजीकरण से छूट दी गई है। इस प्रकार, उन्हें बैंक के साथ पंजीकरण करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। चूंकि यह आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45एनसी के तहत दी गई छूट है, इसलिए उन्हें बैंक से संपर्क करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

The Rating Agencies have incorporated a clause in their agreements with the NBFCs that they can disclose the Rating to the regulatory authorities viz. RBI. The RBI has started getting the information from the Agencies.

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: एक संबंधित पार्टी एक व्यक्ति या इकाई है जो उस इकाई से संबंधित है जो अपने वित्तीय विवरण तैयार कर रही है (जिसे 'रिपोर्टिंग इकाई' कहा जाता है)।

एक व्यक्ति या उस व्यक्ति के परिवार का कोई करीबी सदस्य रिपोर्टिंग इकाई से संबंधित है यदि उस व्यक्ति का :

(i) रिपोर्टिंग इकाई पर नियंत्रण या संयुक्त नियंत्रण है।

(ii) रिपोर्टिंग इकाई पर महत्वपूर्ण प्रभाव है; या

(iii) रिपोर्टिंग इकाई या मूल रिपोर्टिंग इकाई के प्रमुख प्रबंधन कर्मियों का सदस्य है।

एक संबंधित पार्टी की परिभाषा में एक सहयोगी में सहयोगी की सहायक कंपनियां शामिल होती हैं और एक संयुक्त उद्यम में संयुक्त उद्यम की सहायक कंपनियां शामिल होती हैं। अतः उदाहरण के लिए एक सहयोगी की सहायक कंपनी और सहयोगी पर महत्वपूर्ण प्रभाव रखने वाले निवेशक एक दूसरे से संबंधित हैं।

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने के दो तरीके हैं:

i. दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल (केवल गैर-प्रतिस्पर्धी खंड, यानी, केवल प्रतिभूतियों की वांछित राशि में प्रवेश करके, कीमत दर्ज किए बिना) की प्राथमिक नीलामियों में बोली लगाकर। राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) के लिए, आप आरबीआई द्वारा अपनी वेबसाइट पर घोषित सदस्यता विंडो के दौरान बोली लगा सकते हैं। नीलामी में बोली लगाने पर प्रत्येक विवरण के लिए, आप रिटेल डायरेक्ट पोर्टल पर उपयोगकर्ता मैनुअल का संदर्भ ले सकते हैं।

ii. माध्यमिक बाजार पोर्टल में एक खरीद उद्धरण लगाकर।

देशी जमा

III. अग्रिम

हां ? बैंकों से अनुरोध है कि वे मीयादी ऋणों सहित सभी अग्रिमों के मामले में संबंधित ऋण करारों में निम्नलिखित परंतुक अनिवार्यत: शामिल करें ताकि बैंक, निर्धारित दर वाले ऋणों के मामले को छोड़कर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अनरूप लागू ब्याज दर लगा सकें।"बशर्ते उधारकर्ता द्वारा दिया जानेवाला ब्याज, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में समय-समय पर किए गए परिवर्तनों के अधीन होगा।"

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

31.1. द फिक्स्ड इन्कम मनी मार्किट एंड डेरिवेटिव्ज़ असोसिएशन ऑफ इंडिया (फमिडा), जोकि अधिसूचित वाणिज्य बैंकों, सार्वजनिक वित्तीय संस्थाओं, प्राथमिक व्यापारियों और बीमा कंपनियों का एक संघ है, को 3 जून 1998 को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत एक कंपनी के रूप में निगमित किया गया । फमिडा बांड, मुद्रा और डेरिवेटिव बाज़ारों का एक स्वैच्छिक बाज़ार निकाय है । फमिडा के ऐसे सदस्य हैं, जो बाज़ार के समूचे प्रमुख संस्थागत खंडों का प्रतिनिधित्व करते हैं । इसकी सदस्यता के अंतर्गत राष्ट्रीयकृत बैंक जैसे भारतीय स्टेट बैंक, उसके सहयोगी बैंक और अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक; निजी क्षेत्र के बैंक जैसे आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईडीबीआई बैंक; विदेशी बैंक जैसे बैंक ऑफ अमेरिका, एबीएन एम्रो, सिटी बैंक; वित्तीय संस्थाएं जैसे आईडीएफसी, एक्ज़िम बैंक, नाबार्ड; बीमा कंपनियां जैसे भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल लाइफ इन्श्यूरेंस कंपनी, बिड़ला सन लाइफ इन्श्यूरेंस कंपनी और अन्य सभी प्राथमिक व्यापारी शामिल हैं ।31.2. फमिडा बाज़ार के सहभागियों का प्रतिनिधित्व करता है तथा बांड, मुद्रा और डेरिवेटिव बाज़ारों के विकासार्थ सहायता प्रदान करता है । यह इन बाज़ारों के कार्य-संचालन को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों के संबंध में विनियामकों के साथ विचारों का आदान-प्रदान कराके एक सेतु का कार्य करता है । विकास की दिशा में भी यह कई कार्य करता है, जैसे बेंचमार्क दरों और नई डेरिवेटिव लिखतों आदि की पहल करना । फमिडा मूल्यांकन की दृष्टि से बाज़ार के सहभागियों द्वारा प्रयुक्त विभिन्न सरकारी प्रतिभूतियों की दरें जारी करता है । फमिडा अपने सदस्यों के लिए सर्वोत्तम बाज़ार प्रथा के विकास में भी एक सकारात्मक भूमिका अदा करता है ताकि बाज़ार का संचालन पूर्णत: पारदर्शी रूप से हो, साथ ही साथ प्रभावशाली हो ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

एच. ईसीबी का पुनर्वित्त

उत्तर: हां।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)

यह सच है कि आरएनबीसी द्वारा जमाराशियाँ जुटाने की कोई उच्चतम सीमा नहीं है। फिर भी, प्रत्येक आरएनबीसी को यह सुनिश्चित करना है कि उसके पास जमा की गई राशियों का निवेश पूरी तरह से अनुमोदित निवेशों में किया जाए। दूसरे शब्दों में, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए, ऐसी कंपनियों से यह अपेक्षित है कि वे अपनी जमा देयता का 100 प्रतिशत अत्यधिक तरल और सुरक्षित लिखतों उदाहरणार्थ केंद्रीय/राज्य सरकार की प्रतिभूतियों, अनुसूचित वाणिज्यक बैंकों (SCB) की सावधि जमाओं, अनुसूचित वाणिज्यक बैंकों/वित्तीय संस्थानों के जमा प्रमाणपत्रों, म्युचुअल फण्ड की यूनिटों इत्यादि में निवेश करें।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: 13 फरवरी 2009 से पूर्व विद्यमान दिशानिर्देशों के अनुसार किए गए डाउन स्ट्रीम निवेश को इन विनियमों के अनुसार होने के लिए कोई आशोधन आवश्यक नहीं होगा। उक्त तारीख के बाद किए गए सभी अन्य निवेश फेमा 20(आर) की परिधि में आएंगे। 13 फरवरी 2009 तथा 21 जून 2013 के बीच किए गए डाउनस्ट्रीम निवेश जो इन विनियमों का अनुपालन नहीं करते हैं, को ऐसे मामलों को इन विनियमों के अनुसार समझने के लिए रिज़र्व बैंक को 3 अक्तूबर 2013 तक रिपोर्ट किए जाने चाहिए थे।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

(i) “गंदे नोट” का तात्पर्य उन नोटों से है जो अधिक उपयोग से गंदा हो गया हो, कटा फटा हो या एक साथ चिपका हुआ दो टुकड़ों का पूरा नोट हो, जिसमें प्रस्तुत किए गए दोनों टुकड़े एक ही नोट के हैं तथा इसमें सभी सुरक्षा विशेषताएँ मौजूद हों ।

(ii)“कटा-फटा बैंकनोट” वह बैंकनोट होता है जिसका एक हिस्‍सा गायब हो अथवा जिसे दो से अधिक टुकड़ों से मिलाकर बनाया गया है ।

(iii)“अपूर्ण बैंकनोट” का तात्‍पर्य किसी ऐसे बैंकनोट से है जो पूर्ण अथवा आंशिक रूप से विरूपित, सिकुड़ा हुआ, धो दिया गया, परिवर्तित अथवा अपाठ्य है, लेकिन इसमें कटा-फटा बैंकनोट शामिल नहीं होता है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: नहीं, यह छूट विशेष रूप से केवल सीआईसी को ही दी जाती है। सीआईसी के अलावा अन्य एनबीएफसी इस या सीआईसी निर्देशों के किसी अन्य पहलू से आच्छादित नहीं हैं और उन्हें बैंक के साथ पंजीकरण करना होगा और समय-समय पर जारी बैंक के सभी लागू निर्देशों का पालन करना होगा।

भारतीय मुद्रा

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

भारतीय रिज़र्व बैंक आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले बैंकनोट उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है । भारतीय रिज़र्व बैंक तथा बैंकिंग प्रणाली के इस उद्देश्य को पूरा करने में मदद हेतु आम जनता से निम्‍नलिखित व्यवहारों को अंगीकार करने का अनुरोध किया जाता है :

  • बैंकनोटों को नत्थी न करें ।

  • बैंकनोटों पर कुछ लिखें नहीं / कोई रबर स्टैम्प अथवा अन्य कोई निशान न लगाएँ।

  • बैंकनोटों का उपयोग माला/खिलौने बनाने, पंडाल तथा पूजास्थल को सजाने के लिए अथवा सामाजिक आयोजनों में व्यक्तियों पर बरसाने आदि के लिए न करें ।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 मार्च, 2008 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता से अपील की है कि वे माला बनाने, पंडालों और पूजा स्थलों को सजाने या सामाजिक समारोहों में हस्तियों पर नोट बरसाने आदि के लिए बैंक नोटों का उपयोग न करें। इस संबंध में जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है
अपने बैंक नोटों का सम्मान करें : भारतीय रिज़र्व बैंक की आम जनता से अपील - आरबीआई

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

If Rating of an NBFC is downgraded, it has to bring down deposits to the level to which it is entitled to as per the new Credit Rating within a period of one year.

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)

नहीं, अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनी जमाकर्ताओं द्वारा जमा की गई कोई राशि या कोई ब्याज, प्रीमियम, बोनस या उस पर अर्जित किसी भी लाभ को ज़ब्त नहीं कर सकती।

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

आप माध्यमिक बाजार पोर्टल में एक प्रस्ताव (बिक्री) आदेश लगाकर प्रतिभूतियों को बेच सकते हैं। उस प्रतिभूति को बेचने से पहले आपके खाते में प्रतिभूति होनी चाहिए।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: किसी भी घरेलू देनदारी या संपत्ति (भले ही वह विदेशी मुद्रा में हो) को एफ़एलए रिटर्न में रिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए।

देशी जमा

III. अग्रिम

जी हां। फिलहाल, 2 लाख रुपये तक के ऋण आधारभूत मूल उधार दर से अनधिक की शर्त के अधीन हैं और 2 लाख रुपये से अधिक के ऋणों के मामले में बैंक आधारभूत मूल उधार दर और लगाई गई दर के बीच के अंतर संबंधी दिशानिर्देशों के तहत ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रथा को ध्यान में रखते हुए और वाणिज्य बैंकों को अपनी उधार दर निर्धारित करने में परिचालनगत लचीलापन प्रदान करने हेतु बैंक निर्यातकों अथवा अन्य अच्छी साख वाले उधारकर्ताओं, जिनमें सार्वजनिक उद्यम शामिल हैं, को संबंधित बोर्डों द्वारा अनुमोदित पारदर्शी एवं वस्तुनिष्ठ नीति के आधार पर आधारभूत मूल उधार दर से कम दर पर ऋण दे सकते हैं।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

32.1. भारतीय रिज़र्व बैंक वित्तीय बाज़ार निगरानी - http://www.rbi.org.in/Scripts/ financialmarketswatch.aspx

इस साइट में एनडीएस (ओटीसी बाज़ार) में सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्य, एनडीएस-ओएम, मुद्रा बाज़ार संबंधी कई लिंक और सरकारी प्रतिभूतियों से संबंधित अन्य जानकारी जैसे अशोधित स्टाक आदि, उपलब्ध कराई गई है ।

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32.2. एनडीएस-ओएम बाज़ार निगरानी http://www.ccilindia.com/OMHome.aspx

इस साइट में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त का मूल्य और साथ ही निर्दिष्ट मूल्य के संबंध में तात्कालिक जानकारी उपलब्ध कराई जाती है ।  इसके अलावा, यदा जारी (डब्ल्यूआई) (जब भी सौदा होता हो) वाला खंड भी मुहैया कराया जाता है ।

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32.3. एनडीएस बाज़ार निगरानी - http://www.rbi.org.in/Scripts/NdsUserXsl.aspx

इस साइट में ओटीसी बाज़ार में सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्यों संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है । इसमें निश्चित तारीखों के बीच की अवधि में विशिष्टि प्रतिभूतियों के मूल्यों की खोज करने की भी सुविधा है ।

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32.4. फमिडा - http://www.fimmda.org/

इस साइट में सरकारी प्रतिभूतियों सहित सभी नियत आय वाली प्रतिभूतियों संबंधी बाज़ार प्रथा की ढेर सारी जानकारी मुहैया कराई जाती है । इस साइट में फमिडा द्वारा अंगीकृत विभिन्न मूल्य-निर्धारण मॉडलों के ब्योरे दिए जाते हैं । साथ ही, इस साइट के माध्यम से फमिडा सरकारी प्रतिभूतियों, कार्पोरेट बांड स्प्रेडों आद के दैनिक, मासिक और वार्षिक के बंद भाव के ब्योरे मुहैया कराता है । इस साइट में प्रवेश करके जानकारी प्राप्त करने के लिए वैध लॉग-इन और पासवर्ड ज़रूरी है, जिन्हें फमिडा पात्र संस्थाओं को उपलब्ध कराता है ।

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बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

एच. ईसीबी का पुनर्वित्त

उत्तर: हां। तथापि ईसीबी के नए उधारदाताओं को भी ईसीबी ढांचे में परिभाषित किए गए अनुसार विदेशी इक्विटि धारक होना चाहिए तथा यह पुनर्वित्त पोषण संबंधी यथालागू दिशानिर्देशों के अधीन होना चाहिए।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: नहीं

श्रेणी पहलू

केटेगरी

कस्टम पहलू

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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