अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: प्रत्यक्ष निवेश के अन्य पूंजी घटक (प्राप्तियां और देय, इक्विटी और सहभागी वरीयता शेयरों के निवेश को छोड़कर) प्रत्यक्ष निवेशकों और डीआईई के बीच और दो डीआईई के बीच जो समान प्रत्यक्ष निवेशक साझा करते हैं, में उधार लेने और उधार देने, ऋण प्रतिभूतियों में निवेश, व्यापार क्रेडिट, वित्तीय पट्टे, शेयर आवेदन शुल्क आदि के कारण उत्पन्न होने वाली बकाया देनदारियों या दावों को शामिल किया गया है । प्रत्यक्ष निवेशक के स्वामित्व वाले गैर-भाग लेने वाले वरीयता शेयरों को ऋण प्रतिभूतियों के रूप में माना जाता है और उन्हें 'अन्य पूंजी' में शामिल किया जाना चाहिए।
देशी जमा
II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ
रिटेल डायरेक्ट योजना
नामांकन से संबंधित प्रश्न
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस)
हाँ। आप अपने खाते में उपलब्ध शेष राशि तक, एईपीएस प्रमाणीकरण का उपयोग करके आहरण जारी रख सकते हैं।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: नहीं। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष (सुनाम की खरीद के माध्यम से) रूप में इक्विटि निवेश अनुमत नहीं है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: निम्नलिखित व्यक्ति स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखत अर्जित कर सकते हैं:
ए. सेबी में पंजीकृत एफ़पीआई।
बी. अनिवासी भारतीय
सी. उपर्युक्त (ए) तथा (बी) को छोड़कर , भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखत इस शर्त के अधीन अर्जित कर सकता है कि उक्त निवेशक ने पहले ही सेबी (शेयरों का पर्याप्त अर्जन और अधिग्रहण) विनियमावली, 2011 के अनुसार ऐसी कंपनी का नियंत्रण हासिल कर लिया है और ऐसे नियंत्रण को बनाए रखा है; ऐसा करना भारत में विदेशी निवेश पर मास्टर निदेश के अनुबंध I में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन भी होगा।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
आम तौर पर कुछ समय के लिए नई तथा पुरानी –दोनों रूपरेखा (डिजाइन) वाले नोटों का एक साथ संचलन किया जाता है । पुरानी रूपरेखा वाले नोटों के पुन:जारी करने के योग्य नहीं रह जाने पर उन्हें धीरे-धीरे संचलन से बाहर कर दिया जाता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध सीआईसी-एनडी-एसआई के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड किया जा सकता है और भरा जा सकता है और डीएनबीएस के क्षेत्रीय कार्यालय में जमा किया जा सकता है, जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी आवेदन पत्र में उल्लिखित आवश्यक सहायक दस्तावेजों के साथ पंजीकृत है।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
सीपीआईएस से संबंधित पूछताछ के लिए संपर्क विवरण
उत्तरः सीपीआईएस पर प्रश्न/स्पष्टीकरण आरबीआई से निम्नलिखित पते पर मांगे जा सकते हैं:
अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति प्रभाग (आईआईपीडी)
सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन विभाग (डीएसआईएम)
भारतीय रिज़र्व बैंक
सी-9/5वीं मंजिल, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा पूर्व
मुंबई, महाराष्ट्र - 400 051
ईमेल: cpis@rbi.org.in
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Classification of NBFCs into sub-groups
देशी जमा
II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: एक उद्यम को आर्थिक हित का केंद्र और किसी देश (आर्थिक क्षेत्र) की निवासी इकाई कहा जाता है, जब उद्यम उस केंद्र में माल और/या सेवाओं के उत्पादन की एक महत्वपूर्ण मात्रा में लगा होता है या जब वह उस केंद्र में स्थित भूमि या भवनों का स्वामी हो। उद्यम को देश में कम से कम एक उत्पादन प्रतिष्ठान बनाए रखना चाहिए और स्थापना को अनिश्चित काल तक या लंबी अवधि में संचालित करने की योजना बनानी चाहिए।
रिटेल डायरेक्ट योजना
नामांकन से संबंधित प्रश्न
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
यूपीआई/आईएमपीएस के माध्यम से धनराशि ट्रान्सफर
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: नहीं, इसके लिए अनुमति नहीं है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: भारतीय कंपनी द्वारा प्रतिफल की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर पूंजीगत लिखत का निर्गम किया जाना चाहिए।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
विश्व के सभी केंद्रीय बैंक प्राथमिक रूप से जालसाजी को कठिन बनाने तथा जालसाजों से दो कदम आगे रहने के लिए अपने बैंकनोटों की रूपरेखा को परिवर्तित करते हैं तथा नई सुरक्षा विशेषताओं को समाविष्ट करते हैं । भारत भी इसी नीति का अनुसरण करता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: एनबीएफसी को योजना के पूर्ण विवरण के साथ आरबीआई को आवेदन करना होगा और मामले के गुण-दोष के आधार पर छूट पर विचार किया जा सकता है।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023
बैंकों के लिए विशेष निर्देश
उत्तर: नहीं, भारत के बाहर स्थित आपके बैंक की शाखाओं द्वारा किए गए निवेश को सीपीआईएस में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Classification of NBFCs into sub-groups
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
जबकि प्राथमिक नीलामी आमतौर पर सप्ताह के निर्दिष्ट दिनों पर आयोजित की जाती है जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिया गया है, ये दिन छुट्टियों या अन्य कारणों के कारण अलग हो सकते हैं। भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियों और राजकीय स्वर्ण बांड के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर छमाही सूचक कैलेंडर प्रकाशित किए जाते हैं जबकि त्रैमासिक सूचक कैलेंडर ट्रेजरी बिल और राज्य विकास ऋणों के लिए प्रकाशित किए जाते हैं। विवरण के लिए निम्न लिंक पर जाएँ /en/web/rbi
क्र.सं. | सरकारी प्रतिभूति | प्राथमिक नीलामी समान्यता की जाती है |
1 | सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) | बुधवार |
2 | सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) | शुक्रवार |
3 | राज्य विकास ऋण (एसडीएल) | मंगलवार |
4 | राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) | आरबीआई अपनी प्रेस विज्ञप्ति में साप्ताहिक विंडो की घोषणा करता है। |
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: विदेशी सहायक कंपनी: एक भारतीय इकाई को विदेशी सहायक कंपनी कहा जाता है यदि एक अनिवासी निवेशक के पास 50% से अधिक वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी है या जहां एक अनिवासी निवेशक और उसकी अनुषंगी (ओं) ने एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी के 50% से अधिक का संयुक्त स्वामित्व किया है।
विदेशी सहयोगी: एक भारतीय इकाई को विदेशी सहयोगी कहा जाता है यदि अनिवासी निवेशक के पास एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी का कम से कम 10% और 50% से अधिक नहीं है या जहां अनिवासी निवेशक और उसकी सहायक कंपनी के पास एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी का कम से कम 10% लेकिन 50% से अधिक न हो।
विशेष प्रयोजन माध्यम: एक विशेष प्रयोजन माध्यम (एसपीवी) संकीर्ण, विशिष्ट या अस्थायी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाई गई एक कानूनी इकाई (आमतौर पर किसी प्रकार की सीमित कंपनी या कभी-कभी, एक सीमित भागीदारी) है। एसपीवी के पास बहुत कम या कोई रोजगार नहीं है, या संचालन, या उस क्षेत्राधिकार में भौतिक उपस्थिति है जिसमें वे अपने मूल उद्यमों द्वारा बनाए जाते हैं, जो आमतौर पर अन्य न्यायालयों (अर्थव्यवस्थाओं) में स्थित होते हैं। वे अक्सर पूंजी जुटाने या संपत्ति और देनदारियों को रखने के लिए उपकरणों के रूप में उपयोग किए जाते हैं और आमतौर पर महत्वपूर्ण उत्पादन नहीं करते हैं।
देशी जमा
III. अग्रिम
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
यूपीआई/आईएमपीएस के माध्यम से धनराशि ट्रान्सफर
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
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उल्लेखनीय है कि खज़ाना बिल की शेष परिपक्वता समयावधि 50 दिन की है (91-41)।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: रुपये में मूल्यवर्गीकृत ईसीबी के विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत ईसीबी से पुनर्वित्तपोषण की अनुमति नहीं है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: यदि भारतीय कंपनी द्वारा प्रतिफल की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर पूंजीगत लिखत का निर्गम नहीं किया जाता है तो इस प्रकार से प्राप्त राशि को साठ दिन पूर्ण होने की तारीख से पंद्रह दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को बैंकिंग चैनल के माध्यम से बाहरी विप्रेषण द्वारा अथवा उसके एनआरई/ एफ़सीएनआर(बी) खाते, जैसी स्थिति हो, में जमा कर के वापस किया जाना चाहिए।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
एमजी शृंखला 2005 तथा एमजी (नई) शृंखला के बैंकनोटों में निम्नलिखित सुरक्षा विशेषताएँ हैं :
i. सुरक्षा धागा : ₹10, ₹20 तथा ₹50 मूल्यवर्ग के बैंकनोट के अग्रभाग में गूँथा हुआ (विंडोड) तथा पश्चभाग में पूर्णत: अंत:स्थापित चांदी के रंग का सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है । यह धागा पराबैंगनी प्रकाश में दोनों ओर से पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है । जब इसे प्रकाश के सामने लाया जाता है तो यह धागा पीछे से एक निरंतर रेखा के रूप में प्रतीत होता है । ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोटों में विभिन्न कोणों से देखने पर हरे से नीले रंग में परिवर्तित होने वाला गूँथा हुआ (विंडोड) रंग परिवर्तन सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है । पश्चभाग में यह पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है तथा पराबैंगनी प्रकाश में अग्रभाग में अक्षर प्रतिदीप्त होते हैं ।
ii. उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) मुद्रण: ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग पर महात्मा गांधी का चित्र, रिज़र्व बैंक की मुहर, गारंटी तथा वचन खंड, अशोक स्तंभ का प्रतीक, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर तथा दृष्टिबाधितों के लिए पहचान चिह्न उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) रूप में मुद्रित होते हैं ।
iii. आर-पार मिलान (सी थ्रू रजिस्टर): नोट के बायीं ओर, प्रत्येक मूल्यवर्ग अंक का एक हिस्सा अग्रभाग (सामने) तथा दूसरा हिस्सा पश्चभाग में मुद्रित होता है । इसे प्रकाश के सामने रखकर देखे जाने पर एक के पीछे एक (बैक टू बैक रजिस्ट्रेशन) यह अंक सटीक ढंग से पूरा होता है ।
iv. वाटरमार्क तथा इलैक्ट्रोटाइप वाटरमार्क: बैंकनोटों में वाटरमार्क विंडो में प्रकाश तथा छाया रंजित (शेड) प्रभाव और बहु-दिशात्मक रेखाओं के साथ महात्मा गांधी का चित्र होता है । प्रत्येक मूल्यवर्ग के नोट में वाटरमार्क विंडो में मूल्यवर्ग के अंक को दर्शाने वाला इलैक्ट्रोटाइप मार्क भी प्रदर्शित होता है, जिसे प्रकाश के सामने रखकर बेहतर तरीके से देखा जा सकता है ।
v. रंग-परिवर्तक स्याही: ₹200, ₹500 तथा ₹2000 के बैंकनोटों पर 200, 500 एवं 2000* के अंक रंग-परिवर्तक स्याही में मुद्रित होते हैं । जब बैंकनोटों को सीधा (फ्लैट) रखा जाता है तो इन अंकों का रंग हरा प्रतीत होता है लेकिन जब इनको किसी कोण से देखने पर है यह नीले में परिवर्तित हो जाएंगे।
vi. प्रतिदीप्ति (फ़्लोरोसेंस): बैंकनोटों की अंक पट्टिका (नंबर पैनल) प्रतिदीप्त (फ़्लोरोसेंट) स्याही से मुद्रित होते हैं । बैंकनोट में दोहरे रंग के ऑप्टिकल फाइबर भी होते हैं । बैंकनोट को पराबैगनी लैंप के समक्ष रखकर इन दोनों को देखा जा सकता है ।
vii. अदृश्य प्रतिबिंब (लेटेंट इमेज): एमजी-2005 शृंखला में ₹20 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोटों में, महात्मा गांधी के चित्र के आगे (दायीं ओर) एक लंबवत पट्टे (बैंड) में एक अदृश्य प्रतिबिंब होती है जो अंकित मूल्य को दर्शाती है । यह अंकित मूल्य को बैंकनोट को क्षैतिज रूप में रखकर उसके ऊपर प्रकाश डाले जाने पर ही दिखाई देता है, अन्यथा यह विशेषता केवल लंबवत पट्टे (बैंड) के रूप में ही प्रदर्शित होती है । एमजी (नई) शृंखला के बैंक नोटों में ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोटों में अदृश्य प्रतिबिंब मौजूद है।
viii. सूक्ष्म अक्षरांकन (माइक्रो लेटरिंग): यह विशेषता बैंकनोट में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शित होता है तथा इसे आवर्धक लैंस के साथ बेहतर ढंग से देखा जा सकता है।
ix. 2015 से प्रारम्भ की गई अतिरिक्त विशेषताएँ
- अंकनकानयाढंग
बैंकनोट की दोनों अंक पट्टियों (नंबर पैनल) में अंकों का आकार बाएँ से दाएँ बढ़ते क्रम में है, जबकि पहले तीन वर्ण सह अंकीय प्रतीकों (अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर) (पूर्व में लगने वाले) का आकार स्थिर होगा ।
- कोणीयब्लीडरेखाएँतथापहचानचिह्नोंकेआकारमेंवृद्धि
बैंकनोटों में कोणीय ब्लीड रेखाओं को समाविष्ट किया गया - ₹100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, ₹200 में बीच में 2 वृत्तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ , ₹500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, ₹2000* में 7 रेखाएँ । इसके अतिरिक्त, ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग में पहचान चिह्न के आकार में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है ।
भारतीय बैंकनोटों में मौजूद उक्त सुरक्षा विशेषताओं के बारे में मूल्यवर्ग-वार जानकारी हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in >>प्रेस विज्ञप्ति पर भी उपलब्ध है । वैकल्पिक रूप से, यह सूचना इस लिंक में भी उपलब्ध है : https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/notifications/master-circular-detection-and-impounding-of-counterfeit-notes-11610
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: सीआईसी को एनबीएफसी के लिए प्रमुख व्यावसायिक मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023
बैंकों के लिए विशेष निर्देश
उत्तर: हाँ, इसे शामिल किया जाना चाहिए।
देशी जमा
III. अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Time frame for compliance of regulations
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: सहभागी वरीयता शेयर वे शेयर होते हैं जिनके पास निम्नलिखित में से एक या अधिक अधिकार होते हैं:
(अ) इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करने के बाद अधिशेष लाभ में से लाभांश प्राप्त करने के लिए।
(ब) कंपनी के समापन के मामले में पूरी पूंजी का भुगतान करने के बाद अधिशेष संपत्ति में हिस्सेदारी रखने के लिए।
दूसरी ओर गैर-सहभागी वरीयता शेयर वे शेयर हैं जिनके पास उपरोक्त में से कोई भी अधिकार नहीं है।
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
पेटीएम पेमेंट्स बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: हां। समुद्रपारीय निवेश संबंधी दिशानिर्देशों में अनुमत किए गए अनुसार ईसीबी की आगम राशि को समुद्रपारीय निवेश के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
27.1. किसी बाण्ड की समयावधि (जिसे मैकाले समयावधि भी कहा जात है) वर्तमान कीमत के रूप में प्रारंभिक निवेश की वसूली में लगने वाले समय को नापने का पैमाना है । सरल शब्दों में समयावधि का तात्पर्य किसी बाण्ड के ब्रेक इवेन पर पहूंचने में लगने वाली चुकौती समयावधि होती है अर्थात् किसी बाण्ड द्वारा अपना खरीद मूल्य अदा करने में लगने वाला समय होता है । समयावधि को वर्षों की संख्या के रूप में निरूपित किया जाता है । समयावधि निकालने के लिए अपनायी जाने वाली क्रमिक प्रक्रिया नीचे बॉक्स IV में दी गयी है ।
बॉक्स IV
समयावधि के लिए गणना करना
सर्वप्रथम - प्रत्येक समयावधि के लिए भविष्य के प्रत्येक नकद प्रवाह को इसकी तत्संबंधी वर्तमान कीमत से घटाना होगा । चूंकि कूपन प्रत्येक छह माह की समयावधि में दिए जाते हैं अत: एक चक्र छह माह के बराबर होगा और दो वर्ष की परिपक्वता वाले बाण्ड में 4 चक्र होंगे ।
दूसरे - भविष्य के नकद प्रवाहों की वर्तमान कीमतों को उनकी संगत समयावधियों (इन्हें भार कहा जाता है) से गुणा करना होगा । अर्थात्, पहले कूपन की वर्तमान कीमत (पीवी) को 1 से गुणा करना होगा और दूसरे कूपन की पीवी को 2 से और इसी प्रकार आगे भी ।
तीसरे - अभी नकद प्रवाहों की उक्त भारित पीवी (वर्तमान कीमतो) को जोड़ा जाता है और प्राप्त जोड़ को बाण्ड की वर्तमान कीमत (पहले चरण में दर्शायी गयी वर्तमान कीमतों को जोड़) से भाग दिया जाता है । परिणामी कीमत चक्रों की संख्या में समयावधि होती है ।चूंकि एक चक्र छह माह के बराबर होता है अत: वर्षो की संख्या में समयावधि प्राप्त करने के लिए इसे दो से भाग दिया जाता है । यह वह समयावधि होती है जिसके भीतर, ऐसी आशा की जाती है कि बाण्ड अपनी मूल कीमत लौटा देगा, यदि इसे परिपक्वता तक रखा जाए ।
उदाहरण -
10% कूपन दर पर 2 वर्ष की परिपक्वता वाला बाण्ड लेने पर और जिसकी वर्तमान कीमत 103/- रु. है, उसका नकद प्रवाह निम्नानुसार होगा (मौजूदा 2 वर्ष की प्रतिफल दर 9% पर -
समय समयावधि (वर्ष में) | 1 | 2 | 3 | 4 | जोड़ |
अंतर्वाह (करोड़ रु. में) | 5 | 5 | 5 | 105 |
|
9% के प्रतिफल पर पीवी | 4.78 | 4.58 | 4.38 | 88.05 | 101.79 |
पीवी* समय | 4.78 | 9.16 | 13.14 | 352.20 | 379.28 |
चक्रों की संख्या में समयावधि = 379.28/101.79=3.73 | |||||
वर्षों में समयावधि = 3.73/2=1.86 वर्ष |
औपचारिक रूप में, समयावधि का तात्पर्य है -
(क) किसी बाण्ड के नकद प्रवाहों की भारित औसत समयावधि (इस समय से भुगतान तक की समयावधि) या संपृक्त नकद प्रवाहों की कोई श्रृंखला ।
(ख) बाण्ड की कूपन दर जितनी उच्चतर होगा, समयावधि उतनी ही कम होग (यदि बाण्ड का टर्म एक समान रखा जाये तो) ।
(ग) समयावधि बाण्ड की समग्र परिपक्वता से हमेशा कम या उसके समतुल्य होती है ।
(घ) केवल शून्य कूपन (कूपन रहित बाण्ड) बाण्ड की समयावधि उसकी परिपक्वता के बराबर होती है ।
(ङ) बाण्ड की कीमत ब्याज दर (अर्थात् प्रतिफल के प्रति संवेदनशील है ।
समयावधि, ब्याज दर परिचालनों (अर्थात् प्रतिफल) के प्रति बाण्ड की बाजार कीमत की संवेदनशीलता नापने के रूप में प्राथमिक रूप से उपयोगी होती है । यह प्रतिफल में आए किसी परिवर्तन हेतु कीमत में आए प्रतिशत परिवर्तन के लगभग समतुल्य होती है । उदाहरण के लिए ब्याज दरों में हुए छोटे परिवर्तनों के लिए समयावधि लगभग वह प्रतिशत है जिससे बाण्ड की कीमत बाजार ब्याज दर में 1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के लिए गिर जाएगी । अत: ब्याज दरों में 1% वार्षिक की वृद्धि होने पर 7 वर्ष की समयवावधि वाले 15 वर्षीय बाण्ड की कीमत लगभग 7% गिर जाएगी । दूसरे अर्थों में ब्याज दरों के संबंध में समयावधि बाण्ड की कीमत का लचीलापन है ।
संशोधित समयावधि क्या है ?
27.2. संशोधित समयावधि मैकाले समयावधि का संशोधित रूप है । यह ब्याज दर (प्रतिफल) में हुए एक प्रतिशत परिवर्तन के प्रति प्रतिभूति की कीमत में आए अंतर को प्रदर्शित करती है । इसका सूत्र इस प्रकार है -
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उदाहरण -
बॉक्स IV में दिए गए उदाहरण में, संशोधित समयावधि = 1.86/(1+0.09/2)=1.78
पीवी 01 क्या है ?
27.3. पीवी 01 प्रतिफल में आए एक आधार बिंदु (एक प्रतिशत बिंदु के एक सौवें भाग के समतुल्या) के परिवर्तन के कारण बाण्ड की कीमत में हुआ वास्तविक परिवर्तन दर्शाता है । यह ब्याज दर में हुए 1 आधार बिंदु (0.01%) के परिचालन के कारण कीमत पर पडने वाले वर्तमान प्रभाव को दर्शाता है । इसे अक्सर समयावधि (समय मापन) के बजाय मूल्य विकल्प के रूप में प्रयुक्त किया जाता है । पीवी 01 जितनी अधिक होगी उतार-चढ़ाव भी उतना ही अधिक होगा (प्रतिफल में परिवर्तन होने पर कीमत में संवेदनशीलता) ।
उदाहरण -
संशोधित समयावधि से (जो उदाहरण 27.2 में दिया गया है) हम यह जानते हैं कि प्रतिफल में 100 आधार बिंदुओं (1%) के परिवर्तन से प्रतिभूति की कीमत में 1.78 प्रतिशत का परिवर्तन होगा । कीमत के रूप में जो 1.78*(102/100)=1.81 रु. है ।
अत: पीवी 01=1.81/100=0.018 रु. होगी जो 1.8 पैसे है । इस प्रकार 1.78 वर्षों की संशोधित समयावधि वाले किसी बाण्ड का प्रतिफल 9% से 9.05% (5 आधार बिंदुओं) में परिवर्तित होता है तो बाण्ड की कीमत 102 रु. से 101.91 रु. में परिवर्तित होती है (9 पैसे की गिरावट अर्थात् 5 X 1.8 पैसे) ।
कन्वेक्सिटी क्या है ?
27.4. समयावधि के आधार पर प्रतिफल में परिवर्तन के लिए कीमत में परिवर्तन की गणना केवल कीमत में आए छोटे परिवर्तनों के लिए कारगर होती है । क्योंकि बाण्ड मूल्य और प्रतिफल के आपसी संबंध निश्चित रूप से सरल रेखीय नहीं हैं अर्थात् बाण्ड की कीमत में हुआ एक यूनिट का परिवर्तन प्रतिफल में हुए एक यूनिट परिवर्तन के समानुपातिक नहीं है । कीमत में हुए भारी उतार-चढ़ाव का संबंध वक्ररेखीय है अर्थात् बाण्ड की कीमत में परिवर्तन, प्रतिफल में हुए परिवर्तन के समानुपात की तुलना में या तो कम होगा अथवा अधिक होगा । इसे कान्वेक्सिटी नामक विचार से नापा जाता है जो बाण्ड के प्रतिफल में प्रति यूनिट परिवर्तन के लिए बाण्ड की समयावधि में परिवर्तन होता है ।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: किसी निवासी क्रेता तथा अनिवासी विक्रेता अथवा इसके विपरीत, के बीच शेयरों के अंतरण के मामले में क्रेता द्वारा अंतरण करार की तारीख से अठारह महीने से अनधिक अवधि के भीतर कुल प्रतिफल के पचीस प्रतिशत से अनधिक राशि का भुगतान आस्थगित आधार पर किया जा सकता है। आस्थगित राशि या तो हर्जाने अथवा एस्क्रो के स्वरूप की हो सकती है। सभी मामलों में मूल्यनिर्धारण दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाए।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
ऊपर सूचीबद्ध सुरक्षा विशेषताओं के अतिरिक्त, एमजी शृंखला-2005 की शुरूआत के पश्चात जारी किए गए बैंकनोटों के पश्चभाग में मुद्रण वर्ष मुद्रित है जबकि 2005 से पहले की शृंखला में यह मौजूद नहीं होता है।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: एक होल्डिंग कंपनी जो दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस (पीडी) 219/सीजीएम(यूएस)-2011 के पैरा 2 में निर्धारित सीआईसी के मानदंडों को पूरा नहीं करती है, को एनबीएफसी के रूप में पंजीकरण करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, अगर ऐसी कंपनी सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में पंजीकरण करना चाहती है/सीआईसी के रूप में छूट प्राप्त करना चाहती है, तो उसे सीआईसी के रूप में अपने व्यवसाय को पुनर्रचित करने के लिए विशिष्ट अवधि के भीतर प्राप्त करने योग्य कार्य योजना के साथ आरबीआई को आवेदन करना होगा। यदि वह ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो उसे एनबीएफसी की आवश्यकताओं और विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता होगी।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023
बैंकों के लिए विशेष निर्देश
उत्तर: नहीं, इसे शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसे निवासी से निवासी लेनदेन माना जाएगा।
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: यदि भारतीय इकाई ने भारत में एफडीआई योजना के तहत अनिवासी संस्थाओं को शेयर जारी किए हैं तो यह एक एफडीआई है और इसे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (देयता) के तहत रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
- The NBFCs in the category of equipment leasing and hire purchase finance companies having Rating of less than the Investment Grade as mentioned below are no longer entitled to accept fresh public deposits :
Name of rating agencies | Level of minimum investment |
EL/HP Cos. | LC/ICs |
CRISIL | A- (A MINUS) |
ICRA | A- (A MINUS) |
CARE | BBB (FD) |
DCR India | BBB- (BBB minus) |
The Loan and Investment Companies having Rating of less than `A are no longer entitled to accept fresh deposits.
It may be added that A- is not equivalent to A; AA- is not equivalent to AA and AAA- is not equivalent to AAA.
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022