RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

FAQ DetailPage Breadcrumb

RbiFaqsSearchFilter

सामग्री प्रकार:

खोज परिणाम

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: प्रत्यक्ष निवेश के अन्य पूंजी घटक (प्राप्तियां और देय, इक्विटी और सहभागी वरीयता शेयरों के निवेश को छोड़कर) प्रत्यक्ष निवेशकों और डीआईई के बीच और दो डीआईई के बीच जो समान प्रत्यक्ष निवेशक साझा करते हैं, में उधार लेने और उधार देने, ऋण प्रतिभूतियों में निवेश, व्यापार क्रेडिट, वित्तीय पट्टे, शेयर आवेदन शुल्क आदि के कारण उत्पन्न होने वाली बकाया देनदारियों या दावों को शामिल किया गया है । प्रत्यक्ष निवेशक के स्वामित्व वाले गैर-भाग लेने वाले वरीयता शेयरों को ऋण प्रतिभूतियों के रूप में माना जाता है और उन्हें 'अन्य पूंजी' में शामिल किया जाना चाहिए।

देशी जमा

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

नहीं, किसी भी जमाराशि को ब्याज अर्जित करने के लिए पात्र होने के लिए न्यूनतम निर्धारित अवधि तक रखना होता है जो वर्तमान में एफ सी एन आर (बी) और एन आर ई जमाराशियों के लिए एक वर्ष है।

रिटेल डायरेक्ट योजना

नामांकन से संबंधित प्रश्न

हाँ। एक सरकारी प्रतिभूति धारक किसी भी व्यक्ति को नामांकित व्यक्ति के रूप में नामित कर सकता है बशर्ते कि नामांकित व्यक्ति विशिष्ट सरकारी ऋण अधिसूचना के अनुसार विशेष ऋण में निवेश करने के लिए पात्र होना चाहिए।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस)

हाँ। आप अपने खाते में उपलब्ध शेष राशि तक, एईपीएस प्रमाणीकरण का उपयोग करके आहरण जारी रख सकते हैं।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

24.1. बॉण्ड खरीदनेवाला निवेशक निम्नलिखित एक या उससे अधिक स्रोतों से प्रतिलाभ पा सकता है ।● जारीकर्ता द्वारा किए जानेवाला कूपन ब्याज भुगतान;● बॉण्ड बेचे जाने पर मिलनेवाला किसी प्रकार का पूंजीगत लाभ (या पूंजी हानि); और● उक्त ब्याज भुगतानों के पुनर्निवेश से होनेवाली आय अर्थात् ब्याज-पर-ब्याज ।निवेशकों द्वारा किसी बांड में निवेश करने पर मिलनेवाले संभाव्य प्रतिलाभ को नापने के लिए आम तौर पर प्रयुक्त उक्त तीन आय मापनों को संक्षेप में निम्नानुसार वर्णित किया जाता है(i) कूपन आय24.2 कूपन आय अंकित मूल्य के प्रतिशत के रूप में कूपन भुगतान होता है । कूपन आय से तात्पर्य सरकारी प्रतिभूति जैसी किसी निर्धारित आय प्रतिभूति पर देय सांकेतिक ब्याज है । यह निवेशक को सरकार (अर्थात् जारीकर्ता) का एक निश्चित प्रतिलाभ अदा करने का वायदा है । इस प्रकार, कूपन आय से सरकार द्वारा अदा किये जानेवाले सांकेतिक ब्याज पर ब्याज दर घट-बढ या मुद्रा स्फातिक होने वाले प्रभाव का पता नहीं चलता है ।कूपन आय = कूपन भुगतान/अंकित मूल्यउदाहरण:कूपन भुगतान : 8.24अंकित मूल्य : रु.100बाजार मूल्य : रु.103.00कूपन आय : 8.24/100 = 8.24%(ii) चालू आय24.3. चालू आय बांड के खरीद मूल्य के प्रतिशत के रूप में मात्र एक कूपन भुगतान होता है; दूसरे शब्दों में, यह बांडधारक को उसके खरीद मूल्य पर मिलनेवाला प्रतिलाभ है जो कमोबेश अंकित मूल्य या सममूल्य होता है । चालू आय में आवधिक रूप से प्राप्त होनेवाली ब्याज आय के पुनर्निवेश को हिसाब में नहीं लिया जाता है ।चालू आय = (वार्षिक कूपन दर/खरीद मूल्य) X 100उदाहरण :प्रति रु.100 के सम मूल्य पर रु.103.00 के लिए बेचे जानेवाले 10 वर्षीय 8.24% कूपन बांड के लिए चालू आय का हिसाब नीचे दिया गया हैवार्षिक कूपन ब्याज = 8.24% X रु.100=रु.8.24चालू आय = (8.24/103)X100=8.00% चालू आय में केवल कूपन ब्याज पर विचार किया जाता है और निवेशक के प्रतिलाभ को प्रभावित करनेवाले प्रतिलाभ के अन्य स्रोतों को अनदेखा किया जाता है।(iii) परिपक्वता पर आय24.4. परिपक्वता पर आय किसी बांड को उसकी परिपक्वता तक धारित रखने पर मिलनेवाले प्रतिलाभ की प्रत्याशित दर होती है । बॉण्ड का मूल्य उसके शेष समस्त नकदी प्रवाहों के वर्तमान मूल्य का जोड़ मात्र होता है । वर्तमान मूल्य की गणना हर नकदी प्रवाह को किसी दर पर बट्टा देते हुए की जाती है; यह दर होती है वाइटीएम । इस प्रकार, वाइटीएम वह बट्टा दर होती है जो किसी बांड से मिलनवाले भावी नकदी प्रवाहों के वर्तमान मूल्य को उसके चालू बाजार मूल्य तक समीकृत कर देती है । दूसरे शब्दों में यह बांड पर मिलनेवाली आंतरिक प्रतिलाभ दर होती है । वाइटीएम की गणना में परख तथा चूक विधि शामिल है । किसी बांड की परिपक्वता आय आसानी से प्राप्त करने के लिए एक कैलक्यूलेटर या सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जा सकता है ( कृपया बॉक्स III देखें)।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जी. अंतिम उपयोग

उत्तर: नहीं। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष (सुनाम की खरीद के माध्यम से) रूप में इक्विटि निवेश अनुमत नहीं है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

हाँ, परिपत्र लागू होगा और ऋणभार का प्रकार कोई मायने नही रखता।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: निम्नलिखित व्यक्ति स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखत अर्जित कर सकते हैं:

ए. सेबी में पंजीकृत एफ़पीआई।

बी. अनिवासी भारतीय

सी. उपर्युक्त (ए) तथा (बी) को छोड़कर , भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखत इस शर्त के अधीन अर्जित कर सकता है कि उक्त निवेशक ने पहले ही सेबी (शेयरों का पर्याप्त अर्जन और अधिग्रहण) विनियमावली, 2011 के अनुसार ऐसी कंपनी का नियंत्रण हासिल कर लिया है और ऐसे नियंत्रण को बनाए रखा है; ऐसा करना भारत में विदेशी निवेश पर मास्टर निदेश के अनुबंध I में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन भी होगा।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

आम तौर पर कुछ समय के लिए नई तथा पुरानी –दोनों रूपरेखा (डिजाइन) वाले नोटों का एक साथ संचलन किया जाता है । पुरानी रूपरेखा वाले नोटों के पुन:जारी करने के योग्य नहीं रह जाने पर उन्‍हें धीरे-धीरे संचलन से बाहर कर दिया जाता है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध सीआईसी-एनडी-एसआई के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड किया जा सकता है और भरा जा सकता है और डीएनबीएस के क्षेत्रीय कार्यालय में जमा किया जा सकता है, जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी आवेदन पत्र में उल्लिखित आवश्यक सहायक दस्तावेजों के साथ पंजीकृत है।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

सीपीआईएस से संबंधित पूछताछ के लिए संपर्क विवरण

उत्तरः सीपीआईएस पर प्रश्न/स्पष्टीकरण आरबीआई से निम्नलिखित पते पर मांगे जा सकते हैं:

अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति प्रभाग (आईआईपीडी)
सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन विभाग (डीएसआईएम)
भारतीय रिज़र्व बैंक
सी-9/5वीं मंजिल, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा पूर्व
मुंबई, महाराष्ट्र - 400 051
ईमेल: cpis@rbi.org.in

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Classification of NBFCs into sub-groups

The NBFCs are entitled to depreciation benefits as a lessor on the assets leased out by them. The Guidance Note on Accounting for Leases issued by ICAI may entail creation of lease equalisation account/lease adjustment account. As per accounting practice, the entire amount of lease rentals is shown as gross lease income on the credit side of the profit and loss account. The income from equipment leasing, therefore, has to be computed on the basis of gross lease income net of depreciation on assets leased out and the lease equalisation account, if any. In the case of hire purchase finance, only the component of finance charges is taken to the Profit and Loss Account and therefore, such finance charges will be taken as hire purchase finance income. The composition of assets in the equipment leasing and hire purchase finance activities has to be worked out as a percentage of the total assets net of depreciation and net of lease adjustment account, if any, as disclosed in the audited Balance Sheet of the company. Hire purchase assets should be taken as stock on hire less unmatured finance charges. The sum total of debit balance in Profit and Loss Account, deferred revenue expenditure and intangible assets like Goodwill will also be excluded from the total assets.

देशी जमा

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

हां, जब कभी देय तारीख शनिवार/रविवार/गैर-कारोबारी कार्य दिवस/अवकाश के दिनों में आती है तब बैंकों को देय तारीख और भुगतान की तारीख के बीच की अवधि के लिए मूल संविदाकृत दर से एन आर ई/ एफ सी एन आर (बी) जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान करने की अनुमति है ताकि जमाकर्ताओं को ब्याज के संबंध में कोई हानि न हो।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: एक उद्यम को आर्थिक हित का केंद्र और किसी देश (आर्थिक क्षेत्र) की निवासी इकाई कहा जाता है, जब उद्यम उस केंद्र में माल और/या सेवाओं के उत्पादन की एक महत्वपूर्ण मात्रा में लगा होता है या जब वह उस केंद्र में स्थित भूमि या भवनों का स्वामी हो। उद्यम को देश में कम से कम एक उत्पादन प्रतिष्ठान बनाए रखना चाहिए और स्थापना को अनिश्चित काल तक या लंबी अवधि में संचालित करने की योजना बनानी चाहिए।

रिटेल डायरेक्ट योजना

नामांकन से संबंधित प्रश्न

ऐसे मामलों में जहां सरकारी प्रतिभूति के संबंध में नामांकन दो के पक्ष में किया गया है और किसी भी एक प्रत्याशी की मृत्यु हो जाती है, जीवित नामांकित व्यक्ति सरकारी प्रतिभूति और उस पर भुगतान का हकदार होगा।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

यूपीआई/आईएमपीएस के माध्यम से धनराशि ट्रान्सफर

नहीं। आप 15 मार्च 2024 के बाद अपने पेटीएम पेमेंट्स बैंक खाते में पैसा अंतरित नहीं कर सकते।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जी. अंतिम उपयोग

उत्तर: नहीं, इसके लिए अनुमति नहीं है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

दैनिक गणना परिपाटी का तात्पर्य उपचित ब्याज की गणना करने के लिए किसी बाण्ड की धारण समयावधि (दिनों की संख्या) प्राप्त करने के लिए अपनाई गई विधि से है । चूंकि भिन्न-भिन्न प्रकार की दैनिक गणना परिपाटी के प्रयोग से उपचित ब्याज की राशि में अंतर हो सकता है अत: यह उचित होता है कि बाजार के सभी प्रतिभागी एक समान दैनिक गणना परिपाटी का अनुसरण करें ।उदाहरण के लिए - भारतीय बाजारों में अपनायी जाने वाली परिपाटी निम्नानुसार है :बाण्ड बाजर - इसमें 30/360 की परिपाटी अपनायी जाती है, जिसका अर्थ यह है कि महीने वास्तविक दिनों की संख्या को ध्यान में न लेते हुए महीने में 30 दिनों की ही गणना की जाती है और एक वर्ष में 360 दिन ही गिने जाते हैं ।मुद्रा बाजार - इसमें वास्तविक/365 की परिपाटी अपनायी जाती है अर्थात् दिनों की संख्या के लिए वास्तविक दिनों की संख्या (अंश के रूप में) ली जाती है जबकि वर्ष में दिनों की संख्या के रूप में 365 दिनों की गणना की जाती है । इस प्रकार, खज़ाना बिलों के मामले में, जो मुद्रा बाजार की लिखत हैं, मुद्रा बाजार में प्रचलित परिपाटी अपनायी जाती है ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

नहीं, "एक समूह की कंपनियां" की परिभाषा केवल एक समूह में कई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर विवेकपूर्ण मानदंडों को लागू करने के उद्देश्य के लिए है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: भारतीय कंपनी द्वारा प्रतिफल की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर पूंजीगत लिखत का निर्गम किया जाना चाहिए।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

विश्व के सभी केंद्रीय बैंक प्राथमिक रूप से जालसाजी को कठिन बनाने तथा जालसाजों से दो कदम आगे रहने के लिए अपने बैंकनोटों की रूपरेखा को परिवर्तित करते हैं तथा नई सुरक्षा विशेषताओं को समाविष्ट करते हैं । भारत भी इसी नीति का अनुसरण करता है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: एनबीएफसी को योजना के पूर्ण विवरण के साथ आरबीआई को आवेदन करना होगा और मामले के गुण-दोष के आधार पर छूट पर विचार किया जा सकता है।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023

बैंकों के लिए विशेष निर्देश

उत्तर: नहीं, भारत के बाहर स्थित आपके बैंक की शाखाओं द्वारा किए गए निवेश को सीपीआईएस में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Classification of NBFCs into sub-groups

The NBFCs in the category of equipment leasing and hire purchase finance companies are allowed higher leveraging of their NOF for accepting public deposits as compared to the loan and investment companies. As a result, the classification into sub-groups of the NBFCs is relevant only for the purpose of ceiling on public deposits.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

जबकि प्राथमिक नीलामी आमतौर पर सप्ताह के निर्दिष्ट दिनों पर आयोजित की जाती है जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिया गया है, ये दिन छुट्टियों या अन्य कारणों के कारण अलग हो सकते हैं। भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियों और राजकीय स्वर्ण बांड के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर छमाही सूचक कैलेंडर प्रकाशित किए जाते हैं जबकि त्रैमासिक सूचक कैलेंडर ट्रेजरी बिल और राज्य विकास ऋणों के लिए प्रकाशित किए जाते हैं। विवरण के लिए निम्न लिंक पर जाएँ /en/web/rbi

क्र.सं. सरकारी प्रतिभूति प्राथमिक नीलामी समान्यता की जाती है
1 सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) बुधवार
2 सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) शुक्रवार
3 राज्य विकास ऋण (एसडीएल) मंगलवार
4 राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) आरबीआई अपनी प्रेस विज्ञप्ति में साप्ताहिक विंडो की घोषणा करता है।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: विदेशी सहायक कंपनी: एक भारतीय इकाई को विदेशी सहायक कंपनी कहा जाता है यदि एक अनिवासी निवेशक के पास 50% से अधिक वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी है या जहां एक अनिवासी निवेशक और उसकी अनुषंगी (ओं) ने एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी के 50% से अधिक का संयुक्त स्वामित्व किया है।

विदेशी सहयोगी: एक भारतीय इकाई को विदेशी सहयोगी कहा जाता है यदि अनिवासी निवेशक के पास एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी का कम से कम 10% और 50% से अधिक नहीं है या जहां अनिवासी निवेशक और उसकी सहायक कंपनी के पास एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी का कम से कम 10% लेकिन 50% से अधिक न हो।

विशेष प्रयोजन माध्यम: एक विशेष प्रयोजन माध्यम (एसपीवी) संकीर्ण, विशिष्ट या अस्थायी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाई गई एक कानूनी इकाई (आमतौर पर किसी प्रकार की सीमित कंपनी या कभी-कभी, एक सीमित भागीदारी) है। एसपीवी के पास बहुत कम या कोई रोजगार नहीं है, या संचालन, या उस क्षेत्राधिकार में भौतिक उपस्थिति है जिसमें वे अपने मूल उद्यमों द्वारा बनाए जाते हैं, जो आमतौर पर अन्य न्यायालयों (अर्थव्यवस्थाओं) में स्थित होते हैं। वे अक्सर पूंजी जुटाने या संपत्ति और देनदारियों को रखने के लिए उपकरणों के रूप में उपयोग किए जाते हैं और आमतौर पर महत्वपूर्ण उत्पादन नहीं करते हैं।

देशी जमा

III. अग्रिम

बैंक अपने-अपने संबंधित बोर्डों के अनुमोदन से 2 लाख रुपये से अधिक ऋण सीमा के लिए आधारभूत मूल उधार दर (बीपीएलआर) निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। बीपीएलआर घोषित की जानी चाहिए तथा सभी शाखाओं के लिए इसे समान रूप में लागू किया जाना चाहिए। जमा तथा अग्रिमों पर ब्याज दर निर्धारित करने के लिए बैंक अपनी आस्ति-देयता प्रबंधन समिति (एएलसीओ) को प्राधिकृत कर सकते हैं, बशर्ते वे इसके बाद तुंत अपने बोर्ड को सूचित करें। बैंकों को एएलसीओ/बोर्ड के अनुमोदन से सभी अग्रिमों के लिए बीपीएलआर के ऊपर अधिकतम स्प्रेड भी घोषित करना चाहिए।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

यूपीआई/आईएमपीएस के माध्यम से धनराशि ट्रान्सफर

हाँ। आप अपने खाते में उपलब्ध शेष राशि तक यूपीआई/आईएमपीएस के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक खाते से अपना पैसा निकाल सकते हैं।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

8

उल्लेखनीय है कि खज़ाना बिल की शेष परिपक्वता समयावधि 50 दिन की है (91-41)।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जी. अंतिम उपयोग

उत्तर: रुपये में मूल्यवर्गीकृत ईसीबी के विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत ईसीबी से पुनर्वित्तपोषण की अनुमति नहीं है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

हाँ, एनबीएफसी की प्रदत्त इक्विटी पूंजी के 26 प्रतिशत या अधिक से, अधिग्रहण/हिस्सेदारी के स्थानांतरण के सभी मामलों में बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता है। इंट्रा-समूह तबादलों के मामले में, एनबीएफसी, कंपनी के पत्र-शीर्ष (लेटर हेड) पर बैंक से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने के लिए एक आवेदन पत्र प्रस्तुत करेगी। एनबीएफसी के आवेदन तथा मामले के आधार पर, मामले पर यह निर्णय लिया जाएगा कि क्या कंपनी के आवेदन के प्रसंस्करण के लिए, एनबीएफसी को दिनांक 9 जुलाई 2015 के गैबैंविवि (नीप्र)कंपरि.सं.065/03.10.001/2015-16 के पैरा 3 में निर्धारित दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। उन मामलों में जहां, दस्तावेजों के बिना अनुमोदन प्रदान किया जाता है, हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने बाद, एनबीएफसी को ही दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: यदि भारतीय कंपनी द्वारा प्रतिफल की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर पूंजीगत लिखत का निर्गम नहीं किया जाता है तो इस प्रकार से प्राप्त राशि को साठ दिन पूर्ण होने की तारीख से पंद्रह दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को बैंकिंग चैनल के माध्यम से बाहरी विप्रेषण द्वारा अथवा उसके एनआरई/ एफ़सीएनआर(बी) खाते, जैसी स्थिति हो, में जमा कर के वापस किया जाना चाहिए।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

एमजी शृंखला 2005 तथा एमजी (नई) शृंखला के बैंकनोटों में निम्नलिखित सुरक्षा विशेषताएँ हैं :

i. सुरक्षा धागा : ₹10, ₹20 तथा ₹50 मूल्यवर्ग के बैंकनोट के अग्रभाग में गूँथा हुआ (विंडोड) तथा पश्चभाग में पूर्णत: अंत:स्थापित चांदी के रंग का सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है । यह धागा पराबैंगनी प्रकाश में दोनों ओर से पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है । जब इसे प्रकाश के सामने लाया जाता है तो यह धागा पीछे से एक निरंतर रेखा के रूप में प्रतीत होता है । ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोटों में विभिन्न कोणों से देखने पर हरे से नीले रंग में परिवर्तित होने वाला गूँथा हुआ (विंडोड) रंग परिवर्तन सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है । पश्चभाग में यह पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है तथा पराबैंगनी प्रकाश में अग्रभाग में अक्षर प्रतिदीप्त होते हैं ।

ii. उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) मुद्रण: ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग पर महात्मा गांधी का चित्र, रिज़र्व बैंक की मुहर, गारंटी तथा वचन खंड, अशोक स्‍तंभ का प्रतीक, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर तथा दृष्टिबाधितों के लिए पहचान चिह्न उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) रूप में मुद्रित होते हैं ।

iii. आर-पार मिलान (सी थ्रू रजिस्टर): नोट के बायीं ओर, प्रत्येक मूल्यवर्ग अंक का एक हिस्‍सा अग्रभाग (सामने) तथा दूसरा हिस्‍सा पश्चभाग में मुद्रित होता है । इसे प्रकाश के सामने रखकर देखे जाने पर एक के पीछे एक (बैक टू बैक रजिस्‍ट्रेशन) यह अंक सटीक ढंग से पूरा होता है ।

iv. वाटरमार्क तथा इलैक्ट्रोटाइप वाटरमार्क: बैंकनोटों में वाटरमार्क विंडो में प्रकाश तथा छाया रंजित (शेड) प्रभाव और बहु-दिशात्मक रेखाओं के साथ महात्मा गांधी का चित्र होता है । प्रत्येक मूल्यवर्ग के नोट में वाटरमार्क विंडो में मूल्यवर्ग के अंक को दर्शाने वाला इलैक्ट्रोटाइप मार्क भी प्रदर्शित होता है, जिसे प्रकाश के सामने रखकर बेहतर तरीके से देखा जा सकता है ।

v. रंग-परिवर्तक स्याही: ₹200, ₹500 तथा ₹2000 के बैंकनोटों पर 200, 500 एवं 2000* के अंक रंग-परिवर्तक स्याही में मुद्रित होते हैं । जब बैंकनोटों को सीधा (फ्लैट) रखा जाता है तो इन अंकों का रंग हरा प्रतीत होता है लेकिन जब इनको किसी कोण से देखने पर है यह नीले में परिवर्तित हो जाएंगे।

vi. प्रतिदीप्ति (फ़्लोरोसेंस): बैंकनोटों की अंक पट्टिका (नंबर पैनल) प्रतिदीप्त (फ़्लोरोसेंट) स्याही से मुद्रित होते हैं । बैंकनोट में दोहरे रंग के ऑप्टिकल फाइबर भी होते हैं । बैंकनोट को पराबैगनी लैंप के समक्ष रखकर इन दोनों को देखा जा सकता है ।

vii. अदृश्‍य प्रतिबिंब (लेटेंट इमेज): एमजी-2005 शृंखला में ₹20 तथा इससे अधिक मूल्‍यवर्ग के बैंकनोटों में, महात्मा गांधी के चित्र के आगे (दायीं ओर) एक लंबवत पट्टे (बैंड) में एक अदृश्‍य प्रतिबिंब होती है जो अंकित मूल्य को दर्शाती है । यह अंकित मूल्य को बैंकनोट को क्षैतिज रूप में रखकर उसके ऊपर प्रकाश डाले जाने पर ही दिखाई देता है, अन्यथा यह विशेषता केवल लंबवत पट्टे (बैंड) के रूप में ही प्रदर्शित होती है । एमजी (नई) शृंखला के बैंक नोटों में ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोटों में अदृश्‍य प्रतिबिंब मौजूद है।

viii. सूक्ष्‍म अक्षरांकन (माइक्रो लेटरिंग): यह विशेषता बैंकनोट में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शित होता है तथा इसे आवर्धक लैंस के साथ बेहतर ढंग से देखा जा सकता है।

ix. 2015 से प्रारम्भ की गई अतिरिक्त विशेषताएँ

  • अंकनकानयाढंग

बैंकनोट की दोनों अंक पट्टियों (नंबर पैनल) में अंकों का आकार बाएँ से दाएँ बढ़ते क्रम में है, जबकि पहले तीन वर्ण सह अंकीय प्रतीकों (अल्‍फान्‍यूमेरिक कैरेक्‍टर) (पूर्व में लगने वाले) का आकार स्थिर होगा ।

  • कोणीयब्लीडरेखाएँतथापहचानचिह्नोंकेआकारमेंवृद्धि

बैंकनोटों में कोणीय ब्लीड रेखाओं को समाविष्‍ट किया गया - ₹100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, ₹200 में बीच में 2 वृत्‍तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ , ₹500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, ₹2000* में 7 रेखाएँ । इसके अतिरिक्त, ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग में पहचान चिह्न के आकार में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है ।

भारतीय बैंकनोटों में मौजूद उक्‍त सुरक्षा विशेषताओं के बारे में मूल्यवर्ग-वार जानकारी हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in >>प्रेस विज्ञप्ति पर भी उपलब्ध है । वैकल्पिक रूप से, यह सूचना इस लिंक में भी उपलब्‍ध है : https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/notifications/master-circular-detection-and-impounding-of-counterfeit-notes-11610

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: सीआईसी को एनबीएफसी के लिए प्रमुख व्यावसायिक मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023

बैंकों के लिए विशेष निर्देश

उत्तर: हाँ, इसे शामिल किया जाना चाहिए।

देशी जमा

III. अग्रिम

मध्यवर्ती एजेंसियों की निदर्शी सूची निम्नानुसार है ;1. कमजोर वर्गों@ को आगे उधार देने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित संगठन2. कृषि निविष्टियां/उपकरणों के वितरक3. कमजोर वर्गों को ऋण प्रदान करने का कार्य करने की सीमा तक राज्य वित्तीय निगम (एसएफसी)/राज्य औद्योगिक विकास निगम (एसआइडीसी)4. राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआइसी)5. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी)6. विकेंद्रित क्षेत्र को सहायता देने में लगी एजेंसियां7. आवास और शहरी विकास निगम लि. (हुडको)8. पुनर्वित्त के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) द्वारा अनुमोदित आवास वित्त कंपनियां9. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित संगठन (इन संगठनों के लाभार्थियों की निविष्टियों की खरीद तथा आपूर्ति और उत्पाद के विपणन के लिए)10. स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को उधार देने के लिए माइक्रो वित्त संस्थाएं/गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ)@प्राथमिकता क्षेत्र में ‘कमजोर वर्ग’ में निम्नलिखित शामिल हैं :i. 5 एकड़ तथा उससे कम जोत वाले छोटे तथा सीमांत किसान, भूमिहीन मजदूर, काश्तकार और बंटाईदारii. कारीगर, ग्राम और कुटीर उद्योग जहां व्यक्तिगत ऋण आवश्यकता रु. 25000/- से अधिक न हो ;iii. छोटे और सीमांत किसान, बंटाईदार, कृषि तथा गैर-कृषि मजदूर, ग्रामीण कारीगर और गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले परिवार लाभार्थी हैं । पारिवारिक आय वार्षिक रु. 11,000/- से अधिक नहीं होनी चाहिए ।iv. अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियांv. लाभार्थी वे व्यक्ति हैं जिनकी सभी स्रोतों से पारिवारिक आय शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में वार्षिक रु.7200/- अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में वार्षिक रु.6400/- से अधिक नहीं है। उनके पास भू-स्वामित्व नहीं होना चाहिए अथवा उनके भूखंड का आकार सिंचित भूमि के मामले में एक एकड़ से अधिक नहीं होना चाहिए और असिंचित भूमि के मामले में 2.5 एकड़ से अधिक नहीं होना चाहिए (अनुसूचित जाति / जनजाति के लिए भूमि धारिता संबंधी मानदंड लागू नहीं होंगे)।vi. सफाई कर्मचारी मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) के तहत लाभार्थीvii. ग्रामीण गरीबों तक पहुंचने के लिए स्व-सहायता समूहों को मंजूर अग्रिम।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Time frame for compliance of regulations

The NBFCs have been permitted to regularise their excess public deposits by 1/3rd every year so as to pay off/regularise by obtaining/improving their Credit Rating or by augmenting NOF or by substituting public deposits by other form of debt the entire excess by 31st December, 2000. While the companies having the prescribed minimum level of Rating can accept fresh public deposit and renew such maturing deposit, the NBFCs which are unrated or rated below the minimum grade can only renew the maturing deposits. Within this period, the NBFCs are expected to augment their NOF, obtain or improve their Credit Rating, substitute public deposits by borrowings from other avenues. RBI does not intend to order the NBFCs to prematurely repay their deposits. The NBFCs may repay their deposits only on maturity. If the deposits accepted before January 2, 1998 are maturing after December 31, 2000 and the concerned NBFC holds these deposits in excess of its entitlements, this would not tantamount to violation of the RBI directions. It should, however, report the matter to the concerned Regional Office of Reserve Bank of India.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

जी-सेक घरेलू मुद्रा में क्रेडिट रिस्क फ्री इंस्ट्रूमेंट्स हैं। हालांकि, यदि आप परिपक्वता से पहले बेचते हैं तो बाजार जोखिम हैं। आप सरकारी प्रतिभूतियों से जुड़े विभिन्न जोखिमों को समझने के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित 'गवर्नमेंट सिक्योरिटीज मार्केट- ए प्राइमर' का संदर्भ ले सकते हैं।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: सहभागी वरीयता शेयर वे शेयर होते हैं जिनके पास निम्नलिखित में से एक या अधिक अधिकार होते हैं:

(अ) इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करने के बाद अधिशेष लाभ में से लाभांश प्राप्त करने के लिए।

(ब) कंपनी के समापन के मामले में पूरी पूंजी का भुगतान करने के बाद अधिशेष संपत्ति में हिस्सेदारी रखने के लिए।

दूसरी ओर गैर-सहभागी वरीयता शेयर वे शेयर हैं जिनके पास उपरोक्त में से कोई भी अधिकार नहीं है।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

पेटीएम पेमेंट्स बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि

हाँ। पेटीएम पेमेंट्स बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि (बैंक एजेंट) आपके खाते में उपलब्ध शेष राशि तक आपके बैंक खाते से पैसे निकालने में आपकी मदद कर सकता है।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

जी. अंतिम उपयोग

उत्तर: हां। समुद्रपारीय निवेश संबंधी दिशानिर्देशों में अनुमत किए गए अनुसार ईसीबी की आगम राशि को समुद्रपारीय निवेश के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

27.1. किसी बाण्ड की समयावधि (जिसे मैकाले समयावधि भी कहा जात है) वर्तमान कीमत के रूप में प्रारंभिक निवेश की वसूली में लगने वाले समय को नापने का पैमाना है । सरल शब्दों में समयावधि का तात्पर्य किसी बाण्ड के ब्रेक इवेन पर पहूंचने में लगने वाली चुकौती समयावधि होती है अर्थात् किसी बाण्ड द्वारा अपना खरीद मूल्य अदा करने में लगने वाला समय होता है । समयावधि को वर्षों की संख्या के रूप में निरूपित किया जाता है । समयावधि निकालने के लिए अपनायी जाने वाली क्रमिक प्रक्रिया नीचे बॉक्स IV में दी गयी है ।

बॉक्स IV

समयावधि के लिए गणना करना

सर्वप्रथम - प्रत्येक समयावधि के लिए भविष्य के प्रत्येक नकद प्रवाह को इसकी तत्संबंधी वर्तमान कीमत से घटाना होगा । चूंकि कूपन प्रत्येक छह माह की समयावधि में दिए जाते हैं अत: एक चक्र छह माह के बराबर होगा और दो वर्ष की परिपक्वता वाले बाण्ड में 4 चक्र होंगे ।

दूसरे - भविष्य के नकद प्रवाहों की वर्तमान कीमतों को उनकी संगत समयावधियों (इन्हें भार कहा जाता है) से गुणा करना होगा ।  अर्थात्, पहले कूपन की वर्तमान कीमत (पीवी) को 1 से गुणा करना होगा और दूसरे कूपन की पीवी को 2 से और इसी प्रकार आगे भी ।

तीसरे - अभी नकद प्रवाहों की उक्त भारित पीवी (वर्तमान कीमतो) को जोड़ा जाता है और प्राप्त जोड़ को बाण्ड की वर्तमान कीमत (पहले चरण में दर्शायी गयी वर्तमान कीमतों को जोड़) से भाग दिया जाता है । परिणामी कीमत चक्रों की संख्या में समयावधि होती है ।चूंकि एक चक्र छह माह के बराबर होता है अत: वर्षो की संख्या में समयावधि प्राप्त करने के लिए इसे दो से भाग दिया जाता है । यह वह समयावधि होती है जिसके भीतर, ऐसी आशा की जाती है कि बाण्ड अपनी मूल कीमत लौटा देगा, यदि इसे परिपक्वता तक रखा जाए ।

उदाहरण -

10% कूपन दर पर 2 वर्ष की परिपक्वता वाला बाण्ड लेने पर और जिसकी वर्तमान कीमत 103/- रु. है, उसका नकद प्रवाह निम्नानुसार होगा (मौजूदा 2 वर्ष की प्रतिफल दर 9% पर -

समय समयावधि (वर्ष में)

1

2

3

4

जोड़

अंतर्वाह (करोड़ रु. में)

5

5

5

105

 

9% के प्रतिफल पर पीवी

4.78

4.58

4.38

88.05

101.79

पीवी* समय

4.78

9.16

13.14

352.20

379.28

चक्रों की संख्या में समयावधि = 379.28/101.79=3.73

वर्षों में समयावधि = 3.73/2=1.86 वर्ष

औपचारिक रूप में, समयावधि का तात्पर्य है -

(क) किसी बाण्ड के नकद प्रवाहों की भारित औसत समयावधि (इस समय से भुगतान तक की समयावधि) या संपृक्त नकद प्रवाहों की कोई श्रृंखला ।

(ख) बाण्ड की कूपन दर जितनी उच्चतर होगा, समयावधि उतनी ही कम होग (यदि बाण्ड का टर्म एक समान रखा जाये तो) ।

(ग) समयावधि बाण्ड की समग्र परिपक्वता से हमेशा कम या उसके समतुल्य होती है ।

(घ) केवल शून्य कूपन (कूपन रहित बाण्ड) बाण्ड की समयावधि उसकी परिपक्वता के बराबर होती है ।

(ङ) बाण्ड की कीमत ब्याज दर (अर्थात् प्रतिफल के प्रति संवेदनशील है ।

समयावधि, ब्याज दर परिचालनों (अर्थात् प्रतिफल) के प्रति बाण्ड की बाजार कीमत की संवेदनशीलता नापने के रूप में प्राथमिक रूप से उपयोगी होती है । यह प्रतिफल में आए किसी परिवर्तन हेतु कीमत में आए प्रतिशत परिवर्तन के लगभग समतुल्य होती है । उदाहरण के लिए ब्याज दरों में हुए छोटे परिवर्तनों के लिए समयावधि लगभग वह प्रतिशत है जिससे बाण्ड की कीमत बाजार ब्याज दर में 1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के लिए गिर जाएगी । अत: ब्याज दरों में 1% वार्षिक की वृद्धि होने पर 7 वर्ष की समयवावधि वाले 15 वर्षीय बाण्ड की कीमत लगभग 7% गिर जाएगी । दूसरे अर्थों में ब्याज दरों के संबंध में समयावधि बाण्ड की कीमत का लचीलापन है ।

संशोधित समयावधि क्या है ?

27.2. संशोधित समयावधि मैकाले समयावधि का संशोधित रूप है । यह ब्याज दर (प्रतिफल) में हुए एक प्रतिशत परिवर्तन के प्रति प्रतिभूति की कीमत में आए अंतर को प्रदर्शित करती है । इसका सूत्र इस प्रकार है -

5

उदाहरण -

बॉक्स IV में दिए गए उदाहरण में, संशोधित समयावधि = 1.86/(1+0.09/2)=1.78

पीवी 01 क्या है ?

27.3. पीवी 01 प्रतिफल में आए एक आधार बिंदु (एक प्रतिशत बिंदु के एक सौवें भाग के समतुल्या) के परिवर्तन के कारण बाण्ड की कीमत में हुआ वास्तविक परिवर्तन दर्शाता है । यह ब्याज दर में हुए 1 आधार बिंदु (0.01%) के परिचालन के कारण कीमत पर पडने वाले वर्तमान प्रभाव को दर्शाता है । इसे अक्सर समयावधि (समय मापन) के बजाय मूल्य विकल्प के रूप में प्रयुक्त किया जाता है । पीवी 01 जितनी अधिक होगी उतार-चढ़ाव भी उतना ही अधिक होगा (प्रतिफल में परिवर्तन होने पर कीमत में संवेदनशीलता) ।

उदाहरण -

संशोधित समयावधि से (जो उदाहरण 27.2 में दिया गया है) हम यह जानते हैं कि प्रतिफल में 100 आधार बिंदुओं (1%) के परिवर्तन से प्रतिभूति की कीमत में 1.78 प्रतिशत का परिवर्तन होगा । कीमत के रूप में जो 1.78*(102/100)=1.81 रु. है ।

अत: पीवी 01=1.81/100=0.018 रु. होगी जो 1.8 पैसे है । इस प्रकार 1.78 वर्षों की संशोधित समयावधि वाले किसी बाण्ड का प्रतिफल 9% से 9.05% (5 आधार बिंदुओं) में परिवर्तित होता है तो बाण्ड की कीमत 102 रु. से 101.91 रु. में परिवर्तित होती है (9 पैसे की गिरावट अर्थात् 5 X 1.8 पैसे) ।

कन्वेक्सिटी क्या है ?

27.4. समयावधि के आधार पर प्रतिफल में परिवर्तन के लिए कीमत में परिवर्तन की गणना केवल कीमत में आए छोटे परिवर्तनों के लिए कारगर होती है । क्योंकि बाण्ड मूल्य और प्रतिफल के आपसी संबंध निश्चित रूप से सरल रेखीय नहीं हैं अर्थात् बाण्ड की कीमत में हुआ एक यूनिट का परिवर्तन प्रतिफल में हुए एक यूनिट परिवर्तन के समानुपातिक नहीं है । कीमत में हुए भारी उतार-चढ़ाव का संबंध वक्ररेखीय है अर्थात् बाण्ड की कीमत में परिवर्तन, प्रतिफल में हुए परिवर्तन के समानुपात की तुलना में या तो कम होगा अथवा अधिक होगा । इसे कान्वेक्सिटी नामक विचार से नापा जाता है जो बाण्ड के प्रतिफल में प्रति यूनिट परिवर्तन के लिए बाण्ड की समयावधि में परिवर्तन होता है ।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय संस्थाओं (एनबीएफसी माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन को छोड़कर) द्वारा उधारकर्ताओं से वसूल की जाने वाली ब्याजदर को नियंत्रण मुक्त कर दिया है। कंपनी द्वारा प्रभारित ब्याज दर उधारकर्ता और एनबीएफसी के बीच हुए ऋण करार की शर्तों के अधीन होती है। तथापि एनबीएफसी को पारदर्शी होना चाहिए और ब्याज दर एवं विभिन्न श्रेणियों के उधारकर्ताओं हेतु ब्याजदर तय करने के तरीके का उल्लेख उधारकर्ता अथवा ग्राहक के ऋण आवेदन पत्र में दर्शाया जाना चाहिए और ऋण मंजूरी पत्र आदि में इसके बारे में स्पष्ट रुप से इसे अवगत कराया जाना चाहिए।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: किसी निवासी क्रेता तथा अनिवासी विक्रेता अथवा इसके विपरीत, के बीच शेयरों के अंतरण के मामले में क्रेता द्वारा अंतरण करार की तारीख से अठारह महीने से अनधिक अवधि के भीतर कुल प्रतिफल के पचीस प्रतिशत से अनधिक राशि का भुगतान आस्थगित आधार पर किया जा सकता है। आस्थगित राशि या तो हर्जाने अथवा एस्क्रो के स्वरूप की हो सकती है। सभी मामलों में मूल्यनिर्धारण दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाए।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

ऊपर सूचीबद्ध सुरक्षा विशेषताओं के अतिरिक्त, एमजी शृंखला-2005 की शुरूआत के पश्चात जारी किए गए बैंकनोटों के पश्‍चभाग में मुद्रण वर्ष मुद्रित है जबकि 2005 से पहले की शृंखला में यह मौजूद नहीं होता है।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: एक होल्डिंग कंपनी जो दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस (पीडी) 219/सीजीएम(यूएस)-2011 के पैरा 2 में निर्धारित सीआईसी के मानदंडों को पूरा नहीं करती है, को एनबीएफसी के रूप में पंजीकरण करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, अगर ऐसी कंपनी सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में पंजीकरण करना चाहती है/सीआईसी के रूप में छूट प्राप्त करना चाहती है, तो उसे सीआईसी के रूप में अपने व्यवसाय को पुनर्रचित करने के लिए विशिष्ट अवधि के भीतर प्राप्त करने योग्य कार्य योजना के साथ आरबीआई को आवेदन करना होगा। यदि वह ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो उसे एनबीएफसी की आवश्यकताओं और विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता होगी।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023

बैंकों के लिए विशेष निर्देश

उत्तर: नहीं, इसे शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसे निवासी से निवासी लेनदेन माना जाएगा।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: यदि भारतीय इकाई ने भारत में एफडीआई योजना के तहत अनिवासी संस्थाओं को शेयर जारी किए हैं तो यह एक एफडीआई है और इसे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (देयता) के तहत रिपोर्ट किया जाना चाहिए।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Credit Rating

  1. The NBFCs in the category of equipment leasing and hire purchase finance companies having Rating of less than the Investment Grade as mentioned below are no longer entitled to accept fresh public deposits :

Name of rating agencies

Level of minimum investment
grade credit rating

EL/HP Cos.

LC/ICs

CRISIL

A- (A MINUS)

ICRA

A- (A MINUS)

CARE

BBB (FD)

DCR India

BBB- (BBB minus)

The Loan and Investment Companies having Rating of less than `A’ are no longer entitled to accept fresh deposits.

It may be added that A- is not equivalent to A; AA- is not equivalent to AA and AAA- is not equivalent to AAA.

रिटेल डायरेक्ट योजना

निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न

सरकारी प्रतिभूतियों पर रिटर्न प्रतिभूतियों की विभिन्न विशेषताओं पर निर्भर है। आप सरकारी प्रतिभूतियों पर रिटर्न को प्रभावित करने वाले कारकों को समझने के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित 'सरकारी प्रतिभूति बाजार- ए प्राइमर' का संदर्भ ले सकते हैं।

श्रेणी पहलू

केटेगरी

कस्टम पहलू

ddm__keyword__19506552__FaqDetailPage1Title_en_US

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

क्या यह पेज उपयोगी था?