अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
मुद्रा परिवर्तन गतिविधियाँ
अस्वीकारण : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न तथा फेमा अधिसूचना (अधिसूचनाओं)/ मास्टर निदेश(निदेशों)/ ए.पी. डीआईआर परिपत्र (परीपत्रों) के बीच किसी प्रकार की असंगति (असंगतियाँ) होने की स्थिति में परवर्ती को सही माना जाएगा।
अक्सर पूछे जाने वाले इन प्रश्नों में उपयोगकर्ताओं द्वारा सामान्य रूप से पूछे जाने वाले प्रश्नों को आसानी से समझ में आने वाली भाषा में शामिल करने का प्रयास किया गया है। एफएफएमसी, गैर-बैंक एडी श्रेणी II और प्राधिकृत व्यक्तियों की फ्रैंचाइज़ी को प्राधिकृत करने सहित मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों के साथ-साथ उनके ग्राहकों/घटकों के साथ विदेशी मुद्रा लेनदेन के संचालन से जुड़े विषय पर निदेश मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों पर जारी मास्टर निदेश में दिए गए हैं जिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाता है।
रिज़र्व बैंक, वर्तमान में, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 10(1) के तहत निम्नलिखित को प्राधिकार जारी करता है:
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चुनिंदा बैंकों को (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- I के रूप में) ताकि वे समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार सभी अनुमति प्राप्त चालू और पूंजी खाता लेनदेन कर सकें
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चुनिंदा संस्थाओं को (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- II के रूप में) ताकि वे निर्दिष्ट गैर-व्यापारिक चालू खाता लेनदेन, संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों के लिए अनुमन्य सभी गतिविधियों और रिज़र्व बैंक द्वारा तय की गयी किसी भी अन्य गतिविधि को संचालित कर सकें
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चुनिंदा वित्तीय और अन्य संस्थानों को (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- III के रूप में) ताकि वे अपने कारोबार/गतिविधियों से जुड़े विशिष्ट विदेशी मुद्रा लेनदेन कर सकें
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चुनिंदा पंजीकृत कंपनियों को संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसी) के रूप में ताकि वे विनिर्दिष्ट उद्देश्यों, यथा निजी और कारोबारी विदेश यात्रा, के लिए विदेशी मुद्रा की खरीद और विदेशी मुद्रा की बिक्री कर सकें ।
आवेदक को निर्धारित फॉर्म (Application in the prescribed form) (जैसा कि फेमा 1999 के तहत रिपोर्टिंग पर एफईडी मास्टर निर्देश संख्या 18/2015-16 के भाग I: अनुबंध-I में दिया गया है) में अपना आवेदन अपेक्षित दस्तावेजों के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत करना चाहिए जिसके क्षेत्राधिकार में उसका पंजीकृत कार्यालय आता हो।
आवेदक कंपनियों को अपनी निवल स्वामित्व निधि (एनओएफ) की गणना निम्नानुसार करनी चाहिए:-
ए. स्वामित्व वाली निधि - (प्रदत्त पूंजी + निर्बाध आरक्षित निधियां + लाभ एवं हानि खाते में क्रेडिट शेष) में से घटाएं (उपचित हानि शेष, आस्थगित राजस्व व्यय एवं अन्य अमूर्त आस्तियां)
बी. निवल स्वामित्व निधि - स्वामित्व वाली निधियों में से घटाई गई वह राशियाँ जिसमें इसकी सहायक कंपनियों के शेयरों में निवेश की राशि शामिल है, इसके अलावा एक ही समूह की कंपनियों, सभी (अन्य) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा डिबेंचरों, बांडों, बकाया ऋण एवं अग्रिम, जो उनकी सहायक कंपनियों और उसी समूह के कंपनियों में स्वामित्व निधि के 10% से अधिक जमा किए गए हो, शामिल है।
भारतीय रिज़र्व बैंक को अधिकार है कि वह प्राधिकृत व्यक्ति को फेमा 1999 की धारा 10(1) के तहत प्रदत्त लाइसेंस कभी भी रद्द कर सकता है, यदि रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि-
ए. ऐसा किया जाना लोक हित में है; या
बी. प्राधिकृत व्यक्ति ऐसी किसी शर्त का अनुपालन करने में असफल रहा है, जिसके लिए प्राधिकार दिया गया था या उसने उक्त अधिनियम के किसी प्रावधान का या इसके तहत बनाए गए किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश या आदेश का उल्लंघन किया है।
यदि प्राधिकृत व्यक्ति के किसी कार्यालय द्वारा किसी सांविधिक या विनियामकीय प्रावधान का उल्लंघन किया जाता है तो रिज़र्व बैंक को यह अधिकार भी है कि वह ऐसे किसी भी कार्यालय को प्रदत्त प्राधिकार को रद्द कर दे। रिज़र्व बैंक किसी भी समय किसी प्राधिकार/लाइसेंस की मौजूदा शर्तों को बदल या रद्द कर सकता है अथवा नई शर्तें लगा सकता है।
इस योजना के तहत, रिज़र्व बैंक एडी श्रेणी-I, एडी श्रेणी-II और एफएफएमसी को उनके विकल्प पर सीमित मुद्रा परिवर्तन कारोबार अर्थात विदेशी मुद्रा नोटों, सिक्कों या यात्री चेकों का परिवर्तन भारतीय रुपये में करने के उद्देश्य से एजेंसी या फ्रैंचाइज़ी समझौता करने की अनुमति देता है।
फ्रैंचाइज़ी कोई भी ऐसी इकाई हो सकती है जिसके पास कारोबार करने का स्थान हो और जिसकी निवल स्वामित्व निधि न्यूनतम 10 लाख रुपये हो। फ्रैंचाइजी केवल प्रतिबंधित मुद्रा परिवर्तन व्यवसाय ही कर सकते हैं।
फ्रैंचाइज़र के रूप में कोई एडी श्रेणी-I बैंक / एडी श्रेणी- II / एफएफएमसी को यह स्वतंत्रता होगी कि वह फ्रैंचाइज़ी के साथ आपसी समझौते के माध्यम से इस व्यवस्था की समयावधि और कमीशन अथवा शुल्क के संबंध में निर्णय ले सके। किए जाने वाले एजेंसी/फ्रैंचाइज़ी करार में निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं शामिल होनी चाहिए:-
ए. फ़्रैंचाइज़ी को अपने फ़्रैंचाइज़र का नाम, विनिमय दर के साथ-साथ इस बात को भी प्रदर्शित करना होगा कि वे केवल विदेशी मुद्रा खरीदने के लिए अधिकृत हैं, मुख्य रूप से अपने कार्यालयों में । विदेशी मुद्रा को रुपये में बदलने के लिए विनिमय दर एडी श्रेणी-I बैंक/प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी द्वारा उनकी शाखाओं में लगायी जाने वाली दैनिक विनिमय दरों के समान या उसके करीब होनी चाहिए।
बी. फ्रैंचाइजी द्वारा खरीदी गई विदेशी मुद्रा को खरीद की तारीख से 7 कार्य दिवसों के भीतर उसके फ्रैंचाइज़र के पास ही सौंपा जाना चाहिए।
सी. फ्रैंचाइज़ी द्वारा लेनदेन का अभिलेख समुचित रूप से रखना ।
डी. फ़्रैंचाइज़र द्वारा फ़्रैंचाइजी का ऑन-साइट निरीक्षण वर्ष में कम से कम एक बार किया जाना चाहिए।
इस योजना के तहत फ्रैंचाइज़ी नियुक्त करने के लिए एडी श्रेणी-I बैंक/ एडी श्रेणी-II अथवा एफएफएमसी को रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय में फॉर्म आरएमसी-एफ Form RMC-F (जैसा कि फेमा 1999 के तहत रिपोर्टिंग पर एफईडी मास्टर निदेश संख्या 18/2015-16 के भाग I: अनुबंध- II में दिया गया है) में आवेदन करना चाहिए। इस आवेदन के साथ इस आशय की घोषणा संलग्न होनी चाहिए कि फ्रैंचाइज़ी का चयन करते समय पर्याप्त सावधानी बरती गई है एवं ऐसी संस्थाएं फ्रैंचाइज़ी करार के प्रावधानों एवं मुद्रा परिवर्तन के संबंध में रिज़र्व बैंक के लागू विनियमों के पालन के लिए वचनबद्ध हैं। प्रथम फ्रैंचाइज़ी करार के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन प्रदान किया जाएगा। तत्पश्चात, जब भी नए फ्रैंचाइज़ी करार हों तो ऊपर उल्लिखित तरीके से घोषणा संलग्न करते हुए कार्योत्तर आधार पर इसकी रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को भेजी जाए।
फ्रैंचाइज़र, अर्थात प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी फ्रैंचाइज़ी के संबंध में पर्याप्त सावधानी बरतते हुए निम्नवत न्यूनतम जांचें अवश्य करें:-
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फ्रैंचाइज़ी के वर्तमान कारोबार की गतिविधियां/ इस क्षेत्र में उसकी स्थिति।
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फ्रैंचाइज़ी की न्यूनतम निवल स्वामित्व वाली निधि।
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फ्रैंचाइज़ी के पास उपलब्ध दूकानें और दफ्तर/ नगरपालिका से प्राप्त अन्य यथालागू प्रमाणपत्र।
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जिस स्थान पर फ्रैंचाइज़ी सीमित मुद्रा परिवर्तन का कार्य करेगी उस स्थान के अस्तित्व का भौतिक सत्यापन।
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स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों से फ्रैंचाइज़ी के आचरण का प्रमाणपत्र (निगमित संस्थाओं के संबंध में संस्था के बहिर्नियम एवं निगमन प्रमाणपत्र की सत्यापित प्रतिलिपि)
नोट:- स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों से फ्रैंचाइज़ी का आचरण का प्रमाणपत्र हासिल करना फ्रेंचाइजर के लिए वैकल्पिक होगा। तथापि, फ्रेंचाइज़ी के रूप में व्यक्तियों/ संस्थाओं को नियुक्त करते समय फ्रेंचाइज़र इस बारे में समुचित सावधानी बरतें कि इनके विरुद्ध किसी भी विधि प्रवर्तन एजेंसी में कोई मामला न हो/ कार्यवाही शुरू न की गयी हो/ मामला लंबित न हो।
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फ्रैंचाइज़ी या इसके निदेशकों/ साझेदारों के विरुद्ध किसी भी विधि प्रवर्तन एजेंसी द्वारा कोई पिछला आपराधिक मामला हो, कोई मामला शुरू किया गया हो/लंबित हो, यो उनकी घोषणा।
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फ्रैंचाइज़ी एवं इसके निदेशकों/ साझीदारों के पैन कार्ड।
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फ्रैंचाइज़ी के निदेशकों/ साझेदारों एवं मुख्य व्यक्तियों के फोटोग्राफ ।
उपर्युक्त बिंदुओं की जाँच नियमित आधार पर किन्तु वर्ष में कम-से-कम एक बार की जाए। फ्रैंचाइज़र्स को चाहिए कि वे फ्रैंचाइज़ी के कारोबार स्थल की पुष्टि के लिए साइट का व्यक्तिगत तौर पर दौरा करने के साथ-साथ उसका समुचित दस्तावेजी सबूत भी हासिल करें। फ्रैंचाइज़र्स किसी सनदी लेखाकार से इस आशय का प्रमाणपत्र भी हासिल करें कि फ्रैंचाइज़ी की निवल स्वामित्व वाली निधि लगातार कम से कम रु.10 लाख रहती है।
फ्रैंचाइज़र, अर्थात एडी श्रेणी-I बैंक/ एडी श्रेणी-II/ एफएफएमसी अपनी संबंधित नियंत्रक शाखाओं से 100 किमी के दायरे में फ्रैंचाइज़ी नियुक्त कर सकते हैं।
तथापि, फ्रैंचाइज़ी के रूप में नियुक्त जाने-माने समूहों/ होटलों की श्रृंखला के मामले में दूरी के मानक में छूट है, बशर्ते समूह/ होटल श्रृंखला का मुख्यालय संबंधित फ्रैंचाइज़र की नियंत्रक शाखा से 100 किमी के दायरे में हो।
इसके अलावा, ऐसे क्षेत्र जो पहाड़ी क्षेत्र (संबंधित राज्य सरकार/ संघशासित प्रदेश द्वारा यथा परिभाषित) के रूप में घोषित हों एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों पर उक्त मद संख्या (i) में दिया गया दूरी से संबंधित प्रतिबंध लागू नहीं होगा।
फ्रैंचाइजियों से यह अपेक्षित है कि वे एडी श्रेणी-I बैंक/ एडी श्रेणी-II/ एफएफएमसी के लिए लागू एएमएल/ केवाईसी/ सीएफटी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें ।
नोट:- जिन एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के विरुद्ध डीओई/ डीआरआई/ सीबीआई/ पुलिस के बड़े मामले लंबित हों, उन्हें फ्रैंचाइज़ी नियुक्त करने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किए जाएंगे। जिन मामलों में एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को फ्रैंचाइज़ी नियुक्त करने की एक बार अनुमति मिल गई हो एवं अनुमति की तारीख के बाद उनके विरुद्ध डीओई/ डीआरआई/ सीबीआई/ पुलिस का मामला दर्ज़ हुआ हो तो, उक्त एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को और कोई फ्रैंचाइज़ी नियुक्त नहीं करने चाहिए एवं इस मामले को तुरंत रिज़र्व बैंक के संज्ञान में लाना चाहिए। उक्त एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को फ्रैंचाइज़ी नियुक्त की अनुमति देने के संबंध में रिज़र्व बैंक निर्णय लेगा।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022