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मास्टर निदेश - मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां (29 मार्च 2019 को अद्यतन)

इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:

  • 2024-02-29
  • 2022-03-04
  • 2019-03-29
  • 2016-01-01

आर.बी.आई/एफईडी/2015-16/17
एफईडी मास्टर निदेश नं.03/2015-16

01 जनवरी 2016
(29 मार्च 2019 को अद्यतन)
(4 मार्च 2022 को अद्यतन)
(29 मार्च 2019 को अद्यतन)*

विदेशी मुद्रा विनिमय के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय

मास्टर निदेश - मुद्रा परिवर्तन संबंधी गतिविधियां

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10(1) के अनुसार रिज़र्व बैंक, आवेदन प्राप्त होने पर किसी व्यक्ति को ऐसे प्राधिकृत व्यक्ति के रूप में जो विदेशी मुद्रा कारोबारी, मुद्रा परिवर्तक या अपतटीय बैंकिंग यूनिट के रूप में अथवा ऐसे किसी अन्य रूप में जो उसे उचित लगे, कार्य करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी के रूप में पहचाने जाने हेतु प्राधिकृत कर सकता है।

2. जनसाधारण को पर्याप्त विदेशी मुद्रा सुविधाएं प्रदान करने, उन गतिविधियों का दायरा बढ़ाने जिनके लिए प्राधिकृत व्यापारी पात्र हैं तथा प्रतिस्पर्धा के माध्यम से प्रभावी ग्राहक सेवा सुनिश्चित करने की दृष्टि से रिज़र्व बैंक वर्तमान में विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10(1) के तहत निम्नलिखित को प्राधिकार जारी करता है:

  • चुनिन्दा बैंकों को (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के रूप में) समय-समय पर जारी किए गए निदेशों के अनुसार सभी अनुमत चालू तथा पूंजीगत खाता लेनदेन करने के लिए

  • चुनिन्दा कंपनियों को (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के रूप में) व्यापार से भिन्न विनिर्दिष्ट चालू खाता लेनदेन हेतु, संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों को अनुमत अन्य सभी गतिविधियों हेतु और रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित की जाने वाली किसी अन्य गतिविधि के लिए

  • चुनिन्दा वित्तीय तथा अन्य संस्थाओं को (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-III के रूप में) उनके कारोबार/ गतिविधियों के सिलसिले में किए जाने वाले विशिष्ट विदेशी मुद्रा लेनदेन करने के लिए

  • चुनिन्दा पंजीकृत कंपनियों को संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों (एफ़एफ़एमसी) को केवल कुछ विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा की खरीद तथा बिक्री हेतु

3. मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों से संबंधित निदेशों, जिनमें एफ़एफ़एमसी, गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II एवं प्राधिकृत व्यक्तियों के फ्रेंचाइजियों को प्राधिकार देने और उनके कामकाज सहित अपने ग्राहकों/ घटकों के साथ उनके विदेशी मुद्रा लेनदेन का परिचालन शामिल है, को समेकित करते हुए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) तथा धारा 11(1) के तहत इसके साथ संलग्न मास्टर निदेश के रूप में जारी किया जा रहा है और यह किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमतियों/ अनुमोदनों, यदि कोई हों, पर प्रतिलिपिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किया जा रहा है।

4. जिन अंतर्निहित अधिसूचनाओं/ परिपत्रों के आधार पर यह मास्टर निदेश तैयार किया गया है, उनकी सूची परिशिष्ट में दी गई है। रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेश समय-समय पर संशोधित 1 जनवरी 2016 के ”मास्टर निदेश- विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत रिपोर्टिंग” में उपलब्ध हैं। आवश्यकता होने पर प्राधिकृत व्यक्ति विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित परिपत्र/ अधिसूचना का संदर्भ ले सकते हैं।

5. यह नोट किया जाए कि आवश्यकता पड़ने पर, रिज़र्व बैंक नियमों, विनियमों, अधिसूचनाओं, निदेशों या आदेशों अथवा अपने ग्राहकों/ घटकों के साथ प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा किए जाने वाले लेनदेन के तरीकों में होने वाले किसी भी परिवर्तन के बारे में प्राधिकृत व्यक्तियों को ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) के माध्यम से निदेश जारी करेगा। साथ-साथ इसके साथ जारी किए जा रहे मास्टर निदेश में भी संशोधन किया जाएगा।

 

भवदीय

(पुनीत पंचोली)
मुख्य महाप्रबंधक

*मास्टर निदेश में बड़े पैमाने पर संशोधन किया गया है, अतः इसे पाठक की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ट्रैक मोड में परिवर्तनों को दर्शाते हुए रखने के स्थान पर संशोधित पाठ को रखा गया है। पिछली मास्टर निदेश - मुद्रा बदलने के कार्य दिनांक 01 जनवरी 2006


अनुक्रमणिका

क्रम सं. विषयवस्तु
1 खंड I परिचय
परिभाषाएँ
एफ़एफ़एमसी लाइसेन्स जारी करने के लिए दिशानिर्देश
2 खंड II अतिरिक्त शाखाओं के लिए प्राधिकार प्रदान करने संबंधी दिशानिर्देश
3 खंड III प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -I बैंक, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- II और संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसी) द्वारा एजेंट/ फ़्रांचायज़ी नियुक्त करने के लिए दिशानिर्देश।
4 खंड IV विद्यमान एफ़एफ़एमसी के लाइसेन्स के नवीकरण संबंधी दिशानिर्देश
5 खंड V परिचालनगत अनुदेश
6 खंड VI केवाईसी/ एएमएल/ सीएफ़टी दिशानिर्देश
7 खंड VII लाइसेन्स रद्द करना
8 खंड VIII एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के निदेशकों हेतु "फिट एंड प्रॉपर" मानदंड।
9 संलग्नक निर्वाचन (चुनाव) के समय गैर-बैंक मुद्रा परिवर्तकों के लिए मानक परिचालन विधियां।
10 अनुबंध समेकित परिपत्रों की सूची

मास्टर निदेश- मुद्रा परिवर्तन गतिविधियां

खंड-I

1. परिचय

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा-10 के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत की गयी संस्थाओं द्वारा मुद्रा परिवर्तन का कार्य किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति मुद्रा परिवर्तन कारोबार को तब तक नहीं कर सकता, जब तक कि उसके पास रिज़र्व बैंक द्वारा जारी मुद्रा परिवर्तन का वैध लाइसेंस न हो। वैध लाइसेंस के बिना मुद्रा परिवर्तन का कारोबार करने वाला व्यक्ति इस अधिनियम के तहत दंड का पात्र होगा।

इस दस्तावेज़ में संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफ़एफ़एमसी), गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II एवं प्राधिकृत व्यक्तियों के फ्रेंचाइजियों को प्राधिकार देने और उनके कामकाज सहित मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों के विषय से संबंधित विभिन्न अनुदेशों के साथ-साथ अपने ग्राहकों/ घटकों के साथ विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबधित अनुदेश भी शामिल किए गए हैं।

2. परिभाषाएँ:

2.1 प्राधिकृत व्यक्ति से तात्पर्य है फेमा, 1999 की धारा-10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत विदेशी मुद्रा अथवा विदेशी प्रतिलिपिभूतियों में लेनदेन करने के लिए प्राधिकृत कोई प्राधिकृत व्यापारी, मुद्रा परिवर्तक, अपतटीय बैंकिंग यूनिट अथवा कोई अन्य व्यक्ति।

2.2 "प्राधिकृत व्यापारी" (एडी) का तात्पर्य विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा-10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत किये गए व्यक्ति से है;

2.3 “प्राधिकृत व्यापारी (एडी) श्रेणी-I” का तात्पर्य उन संस्थाओं से है जिन्हें समय-समय पर जारी किए गए निदेशों के अनुसार सभी अनुमत चालू तथा पूंजीगत खातेगत लेनदेन करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया है।

2.4 “प्राधिकृत व्यापारी (एडी) श्रेणी-II” का तात्पर्य उन संस्थाओं से है, जिन्हें रिज़र्व बैंक ने विनिर्दिष्ट व्यापार से इतर गतिविधियों से संबंधित चालू खाता लेनदेन, संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों को अनुमत अन्य सभी गतिविधियां, रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किए गए अनुसार कोई अन्य गतिविधि करने के लिए प्राधिकृत किया है तथा इनमें i) श्रेणी उन्नयन किए गए एफ़एफ़एमसी; (ii) चुनिन्दा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक; (iii) चुनिन्दा शहरी सहकारी बैंक; तथा (iv) अन्य संस्थाए शामिल होंगी।

2.5 “प्राधिकृत व्यापारी (एडी) श्रेणी-III” का तात्पर्य उन संस्थाओं से है जिन्हें रिज़र्व बैंक ने उनके कारोबार/ गतिविधियों से संबंधित विशिष्ट प्रासंगिक विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए प्राधिकृत किया है।

2.6 “संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसी)” एक मुद्रा परिवर्तक है, जिसे केवल भारत का दौरा करने वाले अनिवासियों तथा निवासियों से विदेशी मुद्रा की खरीद हेतु तथा विदेश में निजी एवं कारोबारी यात्रा के लिए विदेशी मुद्रा की बिक्री के लिए प्राधिकृत किया गया है।

टिप्पणी: प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक (एडी श्रेणी - I बैंक), प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II (एडी श्रेणी - II) और संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसी) को अपने विकल्प पर सीमित मुद्रा परिवर्तन कारोबार अर्थात विदेशी मुद्रा नोट, सिक्कों या ट्रेवलर चेक का भारतीय रुपए में परिवर्तन करने के लिए फ्रेंचाइजी नियुक्त कर सकते हैं।

3. एफ़एफ़एमसी लाइसेन्स जारी करने के लिए दिशानिर्देश

भारत के निवासी एवं भारत दौरे पर आने वाले अनिवासियों से विदेशी मुद्रा खरीदने एवं निजी तथा केवल कारोबारी यात्रा के लिए विदेशी मुद्रा बेचने के लिए एफएफएमसी अधिकृत हैं।

प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए नए एफएफएमसी लाइसेंस जारी करने एवं एफएफएमसी लाइसेंस के नवीकरण पर दिशानिर्देश, अतिरिक्त शाखाओं के लिए प्राधिकार प्रदान करने संबंधी दिशानिर्देश, एजेंटों/ फ्रेंचाइजियों की नियुक्ति के लिए अनुमोदन प्राप्त करने संबंधी दिशानिर्देश एवं प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/ धन शोधन निवारण (एएमएल)/ आतंकवद वित्तपोषण का मुकाबला करने (सीएफटी) संबंधी दिशानिर्देश नीचे दिए गए हैं:-

(i) प्रवेश मानदंड

(क) आवेदक कंपनी अधिनियम, 1956/ कंपनी अधिनियम 2013/ रजिस्ट्रेशन ऑफ कंपनीज़ (सिक्किम) एक्ट, 1961 के तहत पंजीकृत कंपनी होनी चाहिए ;

(ख) एफएफएमसी के रूप में विचार किए जाने हेतु न्यूनतम निवल स्वामित्व निधि (एनओएफ) निम्नानुसार होनी चाहिए:-

श्रेणी न्यूनतम निवल स्वामित्व निधि
एकल शाखा एफएफएमसी रु. 25 लाख
बहु - शाखा एफएफएमसी रु. 50 लाख

नोट:- बैंकों से भिन्न आवेदकों के लिए न्यूनतम निवल स्वामित्व निधि की गणना निम्ननानुसार की जाएगी।

(क) स्वामित्व वाली निधि:- (प्रदत्त पूंजी + निर्बाध आरक्षित निधियां + लाभ एवं हानि खाते में क्रेडिट शेष) में से घटाएं (उपचित हानि शेष, आस्थगित राजस्व व्यय एवं अन्य अमूर्त आस्तियां)

(ख) निवल स्वामित्व निधि:- स्वामित्व वाली निधियों में से घटाई गई वह राशियाँ जिसमें इसकी सहायक कंपनियों के शेयरों में निवेश की राशि शामिल है, इसके अलावा एक ही समूह की कंपनियों, सभी (अन्य) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा डिबेंचरों, बांडों, बकाया ऋण एवं अग्रिम, जो उनकी सहायक कंपनियों और उसी समूह के कंपनियों में स्वामित्व निधि के 10% से अधिक जमा किए गए हो, शामिल है।

(ii) प्रलेखीकरण

आवेदक को निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ अपना आवेदन भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय 1को एपी कनैक्ट एप्लिकेशन से (https://apconnect.rbi.org.in/entity) प्रस्तुत करना होगा, जिसके क्षेत्राधिकार में उसका पंजीकृत कार्यालय आता हो:-

(ए) कंपनी के निगमन प्रमाणपत्र एवं कारोबार आरंभ करने के प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि ।

(बी) संस्था के अंतर्नियम एवं बहिर्नियम की प्रतिलिपि, जिसमें मुद्रा परिवर्तक कारोबार करने संबंधी प्रावधान हो या कंपनी लॉ-बोर्ड में इस आशय से संबंधित समुचित संशोधन के लिए आवेदन किया गया हो।

(सी) नवीनतम लेखापरीक्षित खातों की प्रतिलिपियाँ, जिसके साथ आवेदन की तारीख पर निवल स्वामित्व निधि के बारे मे सांविधिक लेखाकार का प्रमाणपत्र हो। जहां लागू हो, वहां कंपनी के लेखापरीक्षित तुलन-पत्र एवं लाभ तथा हानि लेखा की प्रतिलिपि।

(डी) मुहरबंद लिफाफे में आवेदक के बैंकर की गोपनीय रिपोर्ट।

(ई) इस आशय का प्रमाणपत्र कि प्रवर्तन निदेशालय (डीओई)/ राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) या अन्य किन्ही विधि प्रवर्तक प्राधिकारियों द्वारा आवेदक कंपनी या उसके निदेशकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है एवं आवेदक कंपनी या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है।

(एफ़) इस आशय का घोषणापत्र कि भारतीय रिज़र्व बैंक, विनियमन विभाग, केंद्रीय कार्यालय के अपने नवीनतम मास्टर निदेश - "अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016" एवं इस संबंध में जारी अन्य अनुदेशों तथा समय-समय पर यथा संशोधित अनुदेशों के संदर्भ में जारी दिशानिर्देशों, जो कि सभी प्राधिकृत व्यक्तियों पर लागू हैं, के अनुसार केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी से संबंधित समुचित नीतिगत ढ़ांचा कारोबार शुरू करने से पहले रिज़र्व बैंक के अनुमोदन से बनाया जाएगा।

(जी) वित्तीय क्षेत्र में परिचालन कर रही सहायक/ अनुषंगी संस्थाओं के ब्योरे, जैसे-एनबीएफसी आदि।

(एच) मुद्रा परिवर्तन कारोबार करने के लिए निदेशक मंडल के संकल्प की सत्यापित प्रतिलिपि।

(iii) अनुमोदन का आधार

(ए) चूंकि कई एफएफएमसी पहले से ही कार्य कर रहे हैं, अत: चुनिंदा आधार पर उन्हें नए लाइसेंस जारी करने हैं, जो लाइसेंसिंग संबंधी सभी अपेक्षाओं का पालन कर रहे हैं ।

(बी) आवेदक एफएफएमसी (गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II पर भी लागू) के लिए "फिट एंड प्रॉपर" मानदंड यदि कंपनी/ उसके निदेशकों के विरुद्ध डीओई/ डीआरआई द्वारा कोई मामला या अन्य किसी विधि प्रवर्तक प्राधिकारी द्वारा कोई मामला शुरू किया जाने वाला है/ लंबित है तो कंपनी को "फिट एंड प्रॉपर" नहीं माना जाएगा एवं एफएफएमसी के लाइसेंस के लिए इसके आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।

(सी) एफएफएमसी* के निदेशकों के लिए "फिट एंड प्रॉपर" (गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II पर भी लागू) मानकों हेतु कृपया इस संबंध में खंड-VIII देखें।

(डी) अधिकारप्राप्त समिति द्वारा अनुमति (क्लीयरेंस): एफएफएमसी लाइसेंस जारी करने के अनुरोध पर भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा इसके लिए गठित अधिकार प्राप्त समिति की अनुमति के आधार पर विचार किया जाएगा।

(ई) अनुमोदन प्रदान करने या अन्यथा के बारे में रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम तथा बाध्यकारी होगा।

(एफ़) रिज़र्व बैंक की अनुमति मिलने के पश्चात शॉप्स एंड एस्टाब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण की प्रतिलिपि या किराया रसीद, पट्टा-करार की प्रतिलिपि, आदि जैसे दस्तावेजी सबूत कारोबार शुरू करने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय को प्रस्तुत किए जाएं।

(जी) लाइसेंस जारी होने के छः महीने के अंदर एफएफएमसी को अपना परिचालन शुरू करना होगा तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय को सूचित करना होगा।

(एच) नए एफएफएमसी को नीचे दिए गए खंड-V से VI में निर्दिष्ट अनुदेश एवं समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अन्य अनुदेशों के अनुसार अपनी गतिविधियां संचालित करनी चाहिए।

(नोट:- पात्रता मानक पूरा करने वाले शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को केवल प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I / प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के रूप में प्राधिकृत होने पर विचार किया जाएगा।)

खंड-II

अतिरिक्त शाखाओं हेतु प्राधिकार मंजूर करने संबंधी दिशा-निर्देश

किसी भी एफएफएमसी/गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना कारोबार की स्थायी जगह के अलावा अन्य किसी अतिरिक्त स्थान पर मुद्रा परिवर्तन का कार्य नहीं करना चाहिए। जो एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II मुद्रा परिवर्तन का कार्य अतिरिक्त कारोबारी स्थल पर करना चाहता है उसे विदेशी मुद्रा विभाग के उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में 2एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्यम से आवेदन करना होगा जहां आवेदक का पंजीकृत कार्यालय आता हो एवं रिज़र्व बैंक उपयुक्त शर्तं के अधीन अतिरिक्त कारोबार स्थल की अनुमति दे सकता है। यह अपेक्षित होता है कि प्राधिकृत व्यक्ति की शाखाएं वैविध्यपूर्ण हों और वह पर्यटकों आदि की मांग को पूरा कर सकें। सुदूर क्षेत्रों में स्थित पर्यटन के आकर्षण केंद्रों में शाखा खोलने के आवेदनों को वरीयता दी जाएगी।

2. अतिरिक्त स्थानों (कारोबारी स्थानों) के आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज होने चाहिए:-

(ए) संस्था की एनओएफ स्थिति के संबंध में इसके स्वत्वाधिकारी/ साझीदार/ निदेशक/ मुख्य वित्तीय अधिकारी से प्रमाणपत्र ।

(बी) इस आशय का घोषणापत्र कि प्रवर्तन निदेशालय (डीओई)/ राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) या अन्य किसी विधि प्रवर्तक प्राधिकारियों द्वारा आवेदक या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है एवं आवेदक या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है।

टिप्पणी: ऐसी किसी एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को नया लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा जिनके विरुद्ध डीओई/ डीआरआई का बड़ा मामला लंबित है। डीओई/ डीआरआई के छोटे-मोटे लंबित मामलों के बारे में रिज़र्व बैंक दारा मामले-दर-मामले आधार पर निर्णय लिया जाएगा। डीओई/ डीआरआई के लंबित मामलों के बड़े/ छोटे होने का वर्गीकरण रिज़र्व बैंक के विवेक पर होगा एवं इस संबंध में रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम एवं बाध्यकारी होगा। डीओई/ डीआरआई के जिन मामलों में अधिनिर्णय हो गया हो एवं दंड लगा दिया गया हो उसमें अपराध के स्वरूप के आधार पर दृष्टिकोण रखा जाएगा बशर्ते डीओई/ डीआरआई ने कोई नया मामला शुरू न किया हो।

(सी) इस आशय की घोषणा कि भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने के पश्चात केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी नीति ढ़ांचे में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। तथापि, यदि उसमें कोई परिवर्तन है तो नीति के संशोधित/ अद्यतन पाठ की प्रतिलिपि प्रस्तुत करनी होगी।

(डी) इस आशय की घोषणा कि भारतीय रिज़र्व बैंक को अंतिम बार आलेख प्रस्तुत करने के पश्चात आंतरिक एवं बाह्य लेखा सहित आंतरिक नियंत्रण प्रणाली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। तथापि, यदि कोई परिवर्तन हुआ हो तो संशोधित/ अद्यतन आलेख प्रस्तुत किया जाए।

3. शॉप्स एंड एस्टाब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण की प्रतिलिपि या किराया रसीद, पट्टा करार की प्रतिलिपि, आदि जैसे अन्य दस्तावेजी सबूत कारोबार शुरू करने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किए जाएं।

4. अपनी अतिरिक्त शाखा के लाइसेंस जारी होने के छह महीने के अंदर एफएफएमसी / गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को अपना परिचालन शुरू करना चाहिए तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय को सूचित करना चाहिए।

5. भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा काउंटर (संपूर्ण मुद्रा विनिमय शाखाएं/ विस्तार काउंटर) खोलने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:-

(ए) भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा काउंटर आगमन हॉल में कस्टम डेस्क (ग्रीन चैनल/ रेड चैनल) के बाद होने चाहिए। तथापि, भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा विनिमय काउंटर इमिग्रेशन डेस्क एवं कस्टम डेस्क के बीच भी स्थापित किए जा सकते हैं, बशर्ते ये काउंटर केवल विदेशी मुद्रा खरीदें एवं भारतीय मुद्रा (रुपया) बेचें तथा मुद्रा परिवर्तक द्वारा ग्राहकों को अनिवार्य रूप से "नकदीकरण (एनकैशमेंट) प्रमाणपत्र" जारी किया जाए।

(बी) भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा काउंटर प्रस्थान हॉल में कस्टम डेस्क या इमिग्रेशन डेस्क (इनमें से जो भी पहले आए) से पहले स्थापित किया जाए। जिससे कि अनिवासी व्यय न हुई/ नीचे पैरा (ग) एवं (घ) में निर्धारित सीमा से अधिक की भारतीय मुद्रा को बदल सकें। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा काउंटर प्रस्थान हॉल में इमिग्रेशन डेस्क/ कस्टम डेस्क से आगे स्थित ड्यूटी फ्री क्षेत्र/ एसएचए में भी स्थापित किए जाएं।

(सी) निवासी भारतीयों के साथ-साथ ऐसे अनिवासियों को जो कि - (i) पाकिस्तान या बांग्लादेश के नागरिक नहीं है एवं (ii) पाकिस्तान या बांग्लादेश नहीं जा रहे हैं, उन्हें हवाई अड्डे से देश छोड़ते समय अधिकतम रु. 25,000/ की राशि ले जाने की अनुमति है।

(डी) पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर हवाई मार्ग से देश छोड़ते समय बोर्डिंग प्वाइंट तक, इससे आगे नहीं, अधिकतम रु. 10,000/- की राशि ले जाने की अनुमति है।

खंड-III

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II एवं एफएफएमसी द्वारा एजेंटों/ फ्रेचाइजियों की नियुक्ति हेतु दिशानिर्देश

1. इस योजना के तहत रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II एवं एफएफएमसी को अपने विकल्प पर सीमित मुद्रा परिवर्तन कारोबार अर्थात विदेशी मुद्रा नोट, सिक्कों अथवा यात्री चेक का भारतीय रुपए में परिवर्तन करने के लिए करार करने की अनुमति देता है। तथापि, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश की सीमा से 10 किमी के अंदर प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II / एफएफएमसी सीमावर्ती देशों की मुद्रा भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय की पूर्वानुमति से बेच सकते हैं। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी के अन्य फ्रेंचाइजी विदेशी मुद्रा नहीं बेच सकते हैं।

2. कोई भी ऐसी संस्था जिसके पास कारोबार का स्थान हो एवं रु. 10 लाख की न्यूनतम निवल मालियत हो वह फ्रेंचाइजी हो सकती है। फ्रेंचाइजी केवल सीमित मुद्रा परिवर्तन कारोबार कर सकते हैं।

3. फ्रेंचाइजी करार

फ्रेंचाइज़र्स के रूप में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी करार की अवधि और साथ ही कमीशन या शुल्क के बारे में भी फ्रेंचाइजी के साथ आपसी सहमति के साथ करार करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

एजेंसी/ फ्रेंचाइजी किए जाने वाले करार के निम्नलिखित महत्वपूर्ण विशेषताएं शामिल होनी चाहिए:-

(ए) फ्रेंचाइजी को अपने फ्रेंचाइजर का नाम, विनिमय दर के साथ-साथ अपने कार्यालय में यह तथ्य स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना चाहिए कि वह केवल विदेशी मुद्रा खरीदने के लिए अधिकृत है। विदेशी मुद्रा की रुपए में विनिमय दर प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II / एफएफएमसी की शाखाओं की दैनिक विनिमय दर के समान हो या उसके आस-पास ही हो।

(बी) फ्रेंचाइजी द्वारा खरीदी गई विदेशी मुद्रा इसे अपने फ्रेंचाइजर के पास खरीद की तारीख से 7 कार्य दिवसों के भीतर जमा कर देनी चाहिए।

(सी) फ्रेंचाइजी द्वारा लेनदेन का समुचित रिकॉर्ड रखना चाहिए।

(डी) फ्रेंचाइजर द्वारा फ्रेंचाइजी का वर्ष में कम-से-कम एक बार ऑन-साइट निरीक्षण किया जाना चाहिए।

4. आवेदन का तरीका

इस योजना के तहत फ्रेंचाइजी नियुक्त करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I>3(गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II और एफएफएमसी एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्यम से आवेदन करें) को रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय में फॉर्म आरएफसी-एफ में आवेदन करना चाहिए। इस आवेदन के साथ इस आशय की घोषणा संलग्न होनी चाहिए कि फ्रेंचाइजी का चयन करते समय पर्याप्त सावधानी बरती गई है एवं ऐसी संस्थाएं फ्रेंचाइजी करार के प्रावधानों एवं मुद्रा परिवर्तन के संबंध में रिज़र्व बैंक के लागू विनियमों के पालन के लिए वचनबद्ध हैं। पहले फ्रेंचाइजी करार के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन प्रदान किया जाएगा। तत्पश्चात, जब भी नए फ्रेंचाइजी करार हों तो उक्त घोषणा के साथ कार्योत्तर मंजूरी के आधार पर फॉर्म आरएफसी-एफ में इस बारे में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की जाए(एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्‍यम से गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II और एफएफएमसी द्वारा)।

5. फ्रेंचाइजी के संबंध में बरती जाने वाली सावधानी

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी फ्रेंचाइजी के संबंध में सावधानी बरतते हुए निम्नवत न्यूनतम जांच अवश्य करें:-

  1. फ्रेंचाइजी के वर्तमान कारोबार की गतिविधियां/ इस क्षेत्र में उसकी स्थिति।

  2. फ्रेंचाइजी की न्यूनतम निवल स्वामित्व वाली निधि।

  3. फ्रेंचाइजी के पक्ष में शॉप्स एंड एस्टाब्लिशमेंट/ नगरपालिका के अन्य लागू प्रमाणपत्र।

  4. जिस स्थान पर फ्रेंचाइजी सीमित मुद्रा परिवर्तन का कार्य करेगी उस स्थान के अस्तित्व का भौतिक सत्यापन।

  5. स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों से फ्रेंचाइजी का आचरण प्रमाणपत्र (निगमित संस्थाओं के संबंध में संस्था के बहिर्नियम एवं निगमन प्रमाणपत्र की सत्यापित प्रतिलिपि)।

    नोट:- स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों से फ्रेंचाइजी का आचरण प्रमाणपत्र हासिल करना फ्रेंचाइजर के लिए वैकल्पिक होगा। तथापि, फ्रेंचाइजर के रूप में व्यक्तियों/ संस्थाओं को नियुक्त करते समय फ्रेंचाइजर इस बारे में समुचित सावधानी बरतें कि इनके विरुद्ध किसी भी विधि प्रवर्तक एजेंसी द्वारा कोई मामला न हो/ कार्यवाही शुरू न की हो/ मामला लंबित न हो।

  1. फ्रेंचाइजी या इसके निदेशकों/ साझेदारों के विरुद्ध किसी भी विधि प्रवर्तक एजेंसी द्वारा कोई पिछला आपराधिक मामला हो, शुरू किए गए मामले/ लंबित मामलों की घोषणा।

  2. फ्रेंचाइजी एवं इसके निदेशकों/ साझीदारों के पैन कार्ड।

  3. फ्रेंचाइजी के निदेशकों/ साझीदारों एवं मुख्य व्यक्तियों के फोटोग्राफ।

ये जांच नियमित आधार पर किन्तु वर्ष में कम-से-कम एक बार की जाए। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी साइट का व्यक्तिगत तौर पर दौरा करने के अलावा फ्रेंचाइजी के स्थान की पुष्टि के लिए समुचित दस्तावेजी सबूत भी हासिल करें। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी सनदी लेखाकार से इस आशय का प्रमाणपत्र भी हासिल करे कि फ्रेंचाइजी के निवल स्वामित्व में अनवरत आधार पर रु. 10 लाख की निधियां रहती हैं।

6. केंद्रों का चयन

(i) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी अपनी संबंधित नियंत्रक शाखाओं से 100 किमी के दायरे में फ्रेंचाइजी नियुक्त कर सकते हैं।

(ii) तथापि, फ्रेंचाइजी के रूप में नियुक्त मान्यताप्राप्त समूहों/ होटलों की श्रृंखलाओं के मामले में दूरी के मानक में छूट है बशर्ते समूह/ होटल की श्रृंखला का मुख्यालय संबंधित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी (फ्रेंचाइजर) के 100 किमी के दायरे में हो।

(iii) इसके अलावा, ऐसे क्षेत्र जो पहाड़ी क्षेत्र के रूप में घोषित (संबंधित राज्य सरकार/ संघशासित प्रदेश द्वारा यथा परिभाषित) हो एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों पर उक्त मद संख्या (i) में दूरी से संबंधित प्रतिबंध लागू नहीं होगा।

7. प्रशिक्षण

फ्रेंचाइजरों से अपेक्षित है कि वे अपनी फ्रेंचाइजी को परिचालनों एवं रिकॉर्ड के रखरखाव का प्रशिक्षण दें।

8. रिपोर्टिंग, लेखा-परीक्षा एवं निरीक्षण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी से अपेक्षित है कि वे ऐसी व्यवस्था करें कि फ्रेंचाइजियों द्वारा किए जा रहे लेनदेनों की नियमित आधार (कम-से-कम मासिक रूप में) रिपोर्टिंग फ्रेंचाइजरों की जाए। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी फ्रेंचाइजियों के सभी स्थानों पर औचक लेखा-परीक्षा छह महीने में कम-से-कम एक बार की जाए। ऐसी लेखा-परीक्षाएं एक समर्पित दल द्वारा की जाएं एवं फ्रेंचाइजियों द्वारा अनुपालन के स्तर की जांच करने के लिए "अज्ञात" दौरे भी किए जाएं। फ्रेचाइजियों के लेखा के वार्षिक निरीक्षण की व्यवस्था भी होनी चाहिए। इन निरीक्षणों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फ्रेंचाइजी मुद्रा परिवर्तन का कार्य करार की शर्तों एवं रिज़र्व बैंक के वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुरूप कर रहें हैं एवं फ्रेंचाइजी आवश्यक रिकॉर्ड भी रख रही हैं।

9. धन शोधन निवारण (एएमएल)/ अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/ आतंकवाद वित्तपोषण का मुकाबला करने (सीएफटी) संबंधी दिशानिर्देश

फ्रेंचाइजियों को प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी के लिए लागू एएमएल/ केवाईसी/ सीएफटी दिशानिर्देशों का पूर्णत: पालन करना चाहिए।

नोट:- जिन एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के विरुद्ध डीओई/ डीआरआई/ सीबीआई/ पुलिस के बड़े मामले लंबित हों, उन्हें फ्रेंचाइजी नियुक्त करने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किए जाएंगे। जिन मामलों में एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को फ्रेंचाइजी नियुक्त करने की एक बारगी अनुमति मिल गई हो एवं अनुमोदन तारीख के बाद डीओई/ डीआरआई/ सीबीआई/ पुलिस का मामला दर्ज़ हुआ हो तो एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को और फ्रेंचाइजी नियुक्त नहीं करने चाहिए एवं इस मामले को तुरंत रिज़र्व बैंक के संज्ञान में लाना चाहिए। फ्रेंचाइजी नियुक्त के लिए एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को अनुमति देने के संबंध में रिज़र्व बैंक निर्णय लेगा।

खंड IV

वर्तमान एफएफएमसी के लाइसेंसों के नवीकरण से संबंधित दिशानिर्देश

1. आवेदक संस्था कंपनी अधिनियम, 1956/ कंपनी अधिनियम, 2013/ रजिस्ट्रेशन ऑफ कंपनीज़ (सिक्किम) एक्ट, 1961 के तहत पंजीकृत कंपनी होनी चाहिए एवं इसका पंजीकृत कार्यालय विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्राधिकार में आता हो।

2. अपेक्षित निवल स्वामित्व वाली निधियां इस तरह होनी चाहिए:-

श्रेणी न्यूनतम निवल स्वामित्व निधि
एकल शाखा एफएफएमसी रु. 25 लाख
बहु - शाखा एफएफएमसी रु. 50 लाख

3. नवीकरण के लिए 4एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्‍यम से प्रस्तुत किए जाने वाले आवेदनपत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज होने चाहिए:-

(ए) नवीनतम लेखापरीक्षित खातों की प्रतिलिपि जिसके साथ आवेदन की तारीख पर निवल स्वामित्व निधि के बारे मे सांविधिक लेखाकार का प्रमाणपत्र हो।

(बी) मुहरबंद लिफाफे में आवेदक के बैंकर की गोपनीय रिपोर्ट।

(सी) इस आशय का प्रमाणपत्र कि प्रवर्तन निदेशालय (डीओई)/ राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) या अन्य किसी विधि प्रवर्तक प्राधिकारियों द्वारा आवेदक कंपनी या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है एवं आवेदक कंपनी या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है।

(डी) कंपनी में विद्यमान केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी संबंधी नीतिगत ढ़ांचा।

नोट:- मुद्रा परिवर्तक के लाइसेंस के नवीकरण के लिए लाइसेंस की वैधता समाप्त होने से पहले दो महीने या रिज़र्व बैंक द्वारा नियत किसी अन्य अवधि में आवेदन किया जाए। जब कोई व्यक्ति मुद्रा परिवर्तक के लाइसेंस के लिए आवेदन प्रस्तुत करता है तो जब तक कि लाइसेंस नवीकृत न हो जाए या अस्वीकृत न हो जाए, जैसी भी स्थिति हो, तब तक यह लाइसेंस प्रभावी रहेगा। लाइसेंस की वैधता समाप्त होने के बाद मुद्रा परिवर्तक के लाइसेंस के लिए कोई भी आवेदन न किया जाए।

खंड V

परिचालनात्मक अनुदेश

1. विदेशी मुद्रा लाना एवं बाहर ले जाना

  1. भारत में विदेशी मुद्रा किसी भी रूप में एवं बिना किसी सीमा के मुक्त रूप में लाई जा सकती है बशर्ते आगमन पर सीमा-शुल्क प्राधिकारियों के समक्ष मुद्रा घोषणा फॉर्म (सीडीएफ) में इसकी घोषणा करनी चाहिए। लाई गई विदेशी मुद्रा यदि करेंसी नोटों के रूप में में हो या ट्रेवलर चेक के रूप में और इसकी राशि 10,000/- अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य हो और/ या 5,000 अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य विदेशी करेंसी नोट होने पर सीडीएफ में घोषणा पर जोर न दिया जाए।

  2. उस स्थिति को छोड़कर जब विदेशी मुद्रा किसी प्राधिकृत व्यापारी या मुद्रा परिवर्तक से ली गई हो, भारत से बाहर विदेशी मुद्रा ले जाना प्रतिबंधित है सिवाय उस स्थिति के जब इसके लिए रिज़र्व बैंक की आम या विशेष अनुमति मिली हो। तथापि, अनिवासियों को उतनी राशि बाहर ले जाने की आम अनुमति है जितनी वे अंदर लाए थे बशर्ते उक्त उप-पैरा (i) के प्रावधानों का अनुपालन किया गया हो।

2. जनता से विदेशी मुद्रा की खरीद

  1. प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तक (एएमसी)/ फ्रेंचाइजी आदि निवासी व्यक्तियों के साथ-साथ अनिवासियों से भी मुक्त रूप से विदेशी करेंसी नोट, सिक्के एवं ट्रेवलर चेक खरीद सकते हैं। यदि विदेशी मुद्रा फॉर्म सीडीएफ में घोषित करके लाई गई है, तो इसे देने वाले से इस प्रमाणपत्र को प्रस्तुत करने को कहा जाए। एएमसी ऐसा करने के लिए उस व्यक्ति को फॉर्म सीडीएफ में की गई घोषणा को प्रस्तुत करने पर अनिवार्य रूप से जोर दें।

  2. निवासी ग्राहकों से विदेशी मुद्रा नोटों तथा/ अथवा यात्री चेक की खरीद करने पर उन्हें भारतीय रुपये में नकद भुगतान करने संबंधी अनुरोधों को प्रति लेनदेन केवल 1000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि की सीमा तक स्वीकार किया जाए।

  3. विदेशी आगंतुकों/ अनिवासी भारतियों द्वारा नकद भुगतान के लिए किए गए अनुरोधों पर प्रति लेनदेन केवल 3000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि की सीमा तक स्वीकार किया जाए।

  4. एएमसी विदेशी पर्यटकों/ दौरे पर आने वालों को अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड/ डेबिट कार्ड के समक्ष विदेशी मुद्रा बेच सकते हैं एवं सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से इसकी प्रतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए त्वरित रूप से कदम उठाएं।

निवासी ग्राहकों से विदेशी मुद्रा नोटों तथा/ अथवा यात्री चेक की खरीद पर भारतीय रुपये में भुगतान करते समय निर्धारित सीमाओं के अनुसार नकद/ अकाउंट पेयी चेक के माध्यम से/ डिमांड ड्राफ्ट/ भारतीय रुपया डेबिट कार्ड में लोड कर के/ बैंकिंग चैनल के माध्यम से ईलेक्ट्रोनिक रूप से निधि अंतरण द्वारा भुगतान किया जा सकता है।

3. नकदीकरण प्रमाणपत्र

  1. जब निवासियों एवं अनिवासियों से विदेशी करेंसी नोटों, सिक्कों एवं ट्रेवलर चेक की खरीद की जाए तो मांगे जाने पर प्राधिकृत व्यक्ति नकदीकरण प्रमाणपत्र जारी करें। इन प्रमाणपत्रों पर प्राधिकृत हस्ताक्षरी के हस्ताक्षर हों एवं इन्हें मुद्रा परिवर्तक के पत्र शीर्ष पर जारी किया जाए तथा इनका समुचित रिकॉर्ड रखा जाए।

  2. जिन मामलों में नकदीकरण प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाए इनमें ग्राहकों का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया जाए कि अनिवासियों के पास व्यय न की गई स्थानीय करेंसी को वैध नकदीकरण प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर ही विदेशी मुद्रा में बदला जाएगा।

4. किसी अन्य एफएफएमसी से एवं प्राधिकृत व्यापारी (एडी) से क्रय

एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II अन्य एफ़एफ़एमसी एवं एडी से सामान्य कारोबार में प्रस्तुत किए गए कोई भी विदेशी करेंसी नोट, सिक्के एवं नकदीकृत ट्रेवलर चेक खरीद सकता है। क्रय की गई विदेशी मुद्रा के समतुल्य रुपए का भुगतान केवल रेखांकित आदाता चेक/ मांग ड्राफ्ट/ बैंकर चेक/ भुगतान आदेश/ बैंकिंग चैनल के माध्यम से ईलेक्ट्रोनिक रूप से निधि अंतरण के माध्यम से ही किया जाए।

5. विदेशी मुद्रा का विक्रय

(i) निजी दौरा

प्राधिकृत व्यक्ति विदेश (नेपाल एवं भूटान के अलावा) की एक या अधिक बार के निजी दौरे के लिए भारत के निवासी व्यक्तियों को वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000 की अनुसूची-III में निर्दिष्ट निर्धारित सीमा तक विदेशी मुद्रा बेच सकता है। वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा की राशि के संबंध में यात्री की स्व-घोषणा के आधार पर निजी दौरे के लिए विदेशी मुद्रा उपलब्ध होगी। भारत के स्थाई निवासी विदेशी राष्ट्रिक निजी दौरे के लिए इस कोटा को पाने के पात्र होंगे बशर्ते वर्तमान विनियमों के अनुसार वे अपने वेतन, बचत आदि को विदेश में विप्रेषित करने की सुविधा का लाभ न ले रहे हों।

(ii) कारोबारी दौरा

प्राधिकृत व्यक्ति भारत के निवासियों को कारोबारी यात्रा या सम्मेलन में भाग लेने या विशेषज्ञता वाला प्रशिक्षण हासिल करने या विदेश में चिकित्सा या चिकित्सीय जांच के लिए जा रहे मरीज के रखखाव के खर्च के लिए या चिकित्सा/ चिकित्सीय जांच के लिए विदेश जा रहे मरीज के सहायक को विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000 की अनुसूची-III में निर्दिष्ट निर्धारित सीमा तक विदेशी मुद्रा बेच सकता है।

(iii) फोरेक्स (विदेशी मुद्रा) प्री-पेड कार्ड

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी अपेक्षाओं के अधीन निजी/ कारोबारी दौरे पर विदेश जाने वाले निवासियों को फोरेक्स प्री-पेड कार्ड जारी कर सकते हैं। तथापि, फोरेक्स प्री-पेड कार्डों का समायोजन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I के माध्यम से ही प्रभावी होगा।

इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि प्री-पेड विदेशी करेंसी कार्ड बिल्कुल विदेशी करेंसी नोट या ट्रेवलर चेक के समान ही विदेशी करेंसी हैं। अत: यात्रा उद्देश्य के लिए प्री-पेड विदेशी करेंसी कार्ड बेचने वाले प्राधिकृत व्यापारियों/ एफएफएमसी को उसी तरह की कठोर मानकों वाली समुचित सावधानी बरतनी चाहिए एवं केवाईसी मानकों का अनुपालन करना चाहिए जैसा कि वे विदेशी करेंसी नोट/ ट्रेवलर चेक बेचते समय अपने ग्राहकों के साथ करते हैं।

शर्तें

i. विदेशी मुद्रा जारी करते समय एएमसी को जिन दस्तावेजों का सत्यापन करना होता है उनका निर्धारण आम तौर पर रिज़र्व बैंक नहीं करता है। इस संबंध में एएमसी का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10 की उप-धारा (5) की ओर आकृष्ट किया जाता है।

ii. यात्री चेक के मामले में यात्री प्राधिकृत अधिकारी की उपस्थिति में चेक पर हस्ताक्षर करे एवं ट्रेवलर चेक की पावती का रिकॉर्ड रखे।

iii. वित्त वर्ष में ली गई विदेशी मुद्रा की राशि के संबंध में यात्री की स्व-घोषणा के आधार पर यात्रा के लिए प्राधिकृत व्यक्ति विदेशी मुद्रा जारी कर सकता है।

iv. विदेश यात्रा (निजी दौरे या किसी अन्य उद्देश्य से) के लिए विदेशी मुद्रा की बिक्री के प्रतिलिपि प्राधिकृत व्यक्ति रु. 50,000/- (रु. पचास हजार मात्र) से कम की नकदी का भुगतान स्वीकार कर सकता है। जिन मामलों में विदेशी मुद्रा की बिक्री की राशि रु. 50,000/- के समतुल्य या इससे अधिक हो, फिर चाहे इसमें एकल यात्रा के लिए एक बार का आहरण शामिल हो या बहु-आहरण हो, तो भुगतान केवल आवेदक के खाते पर आहरित रेखांकित आदाता के खाते के चेक या आवेदक के दौरे को प्रायोजित करने की फर्म/ कंपनी के बैंक खाते पर आहरित रेखांकित आदाता के खाते के चेक या आवेदक अथवा प्रायोजक कंपनी द्वारा बैंकिंग चैनल के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक निधि अंतरण या बैंकर चेक/ भुगतान आदेश/ मांग ड्राफ्ट से ही स्वीकार किया जाए। रुपया/ रेखांकित चेक/ बैंकर चेक/ भुगतान आदेश/ मांग ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान के अलावा, प्राधिकृत व्यक्ति विदेश यात्रा (निजी दौरे या अन्य किसी उद्देश्य से) के लिए यात्री द्वारा डेबिट कार्ड/ क्रेडिट कार्ड/ प्रीपेड कार्ड से किए गए भुगतान को भी स्वीकार करें बशर्ते:- (i) केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी दिशानिर्देशा का अनुपालन किया गया हो, (ii) विदेशी मुद्रा की बिक्री/ विदेशी मद्रा में ट्रेवलर चेक बैंक द्वारा निर्धारित सीमा (क्रेडिट/ प्रीपेड कार्ड) सीमा के अंदर हो (iii) विदेशी मुद्रा/ विदेशी मुद्रा ट्रेवलर चेक का खरीदार एवं क्रेडिट/ डेबिट/ प्रीपेड कार्ड धारक एक ही व्यक्ति हो।

v. यात्री जिस देश का दौरा कर रहा है उसके लिए समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित सीमा तक ही विदेशी करेंसी नोटों एवं सिक्कों की बिक्री विदेशी मुद्रा की समग्र सीमा तक प्रतिबंधित रखी जाए।

टिप्पणी: 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश-उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) (समय-समय पर अद्यतन किए गए) के यथा लागू अनुदेश लागू होंगे।

6. भारतीय मुद्रा के पुन: परिवर्तन के प्रति बिक्री

अनिवासियों के भारत से जाते समय उनके पास बची हुई भारतीय मुद्रा को प्राधिकृत व्यक्ति विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कर सकते हैं बशर्ते वैध नकदीकरण प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए।

नोट (1):- अनिवासियों के पास यदि रु. 10,000/- तक की बची हुई भारतीय करेंसी है एवं इसके वास्तविक कारण हैं एवं व्यक्ति नकदीकरण प्रमाणपत्र दिखाने में असमर्थ है तो यह सुनिश्चित करने के बाद कि अगले सात दिन में व्यक्ति का प्रस्थान तय है, प्राधिकृत व्यक्ति अपने विवेक पर यह परिवर्तन कर सकता है।

नोट (2):- प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II तथा एफएफएमसी निम्नलिखित दस्तावेजों के आधार पर एटीएम पावतियों के प्रतिलिपि विदेशी पर्यटकों (अनिवासी भारतीय नहीं) को रु. 50,000/- तक भारतीय रुपए के परिवर्तन हेतु सुविधा प्रदान कर सकता है:-

  • वैध पारपत्र एवं वीज़ा।

  • 7 दिन के अंदर प्रस्थान की कन्फर्म टिकट।

  • एटीएम की मूल स्लिप (मूल डेबिट/ क्रेडिट कार्ड के साथ सत्यापित की जाए)।

7. कैश मेमो

जिन यात्रियों को प्राधिकृत व्यक्ति विदेशी मुद्रा बेचते हैं तो उनके मांग करने पर वे उन्हें अपने आधिकारिक पत्र शीर्ष पर कैश मेमो जारी कर सकते हैं। ये कैश मेमो देश छोड़ते समय प्रवासन अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ सकता है।

8. विनिमय दर

विदेशी करेंसी नोटों एवं ट्रेवलर चेकों के लेनदेन से संबंधित विनिमय दर का निर्धारण प्राधिकृत व्यक्ति बाजार की स्थितियों एवं प्रचलित बाजार दर के अनुसार करें।

9. विनिमय दर चार्ट का प्रदर्शन

प्राधिकृत व्यक्ति एक विशिष्ट स्थान पर अथवा पब्लिक काउंटर के पास एक चार्ट प्रदर्शित करें जिसमें पूर्वाह्न 10.30 बजे तक सभी प्रमुख करेंसियों की उस दिन की अद्यतन की गई कार्ड दर, विदेशी करेंसी नोटों एवं ट्रेवलर चेक की खरीद/बिक्री के लिए प्रदर्शित की जाए।

10. विदेशी मुद्रा परिवर्तन संबंधी लाइसेन्स प्रदर्शित करना

एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–II को अपने प्रत्येक कारोबार के स्थान पर, एक विशिष्ट स्थान पर अथवा पब्लिक काउंटर के पास भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए मुद्रा परिवर्तक के लाइसेन्स की प्रतिलिपि प्रदर्शित करनी चाहिए।

11. विदेशी मुद्रा शेष

(i) प्राधिकृत व्यक्ति उचित स्तर तक विदेशी करेंसी का शेष रखें एवं करेंसी उतार-चढ़ाव पर अटकलबाजी के दृष्टिकोण से उपयोग न की गई जमा-शेष के संग्रह से बचें।

(ii) खरीदे गए विदेशी करेंसी नोटों, सिक्कों एवं ट्रेवलर चेकों को फ्रेंचाइजी सात दिन के अंदर केवल अपने फ्रेंचाइजर को ही अभ्यर्पित करें।

(iii) प्राधिकृत व्यापारियों एवं एफएफएमसी के बीच लेनदेन रेखांकित आदाता खाता चेकों/ मांग ड्राफ्ट/ बैंकिंग चैनल के माध्यम से एलेक्ट्रोनिक निधि अंतरण के माध्यम से समायोजित किए जाएं। किसी भी परिस्थिति में नकदी में समायोजन न किए जाएं।

12. विदेशी करेंसी शेष को पुन: भरना

(i) अपने सामान्य कारोबार संबंधी अपेक्षाओं के लिए एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–II भारत में विदेशी मुद्रा के दूसरे एफ़एफ़एमसी/ प्राधिकृत व्यापारियों से विदेशी मुद्रा ले सकते हैं, जिसके लिए उन्हें रुपए में रेखांकित आदाता खाता चेकों/ मांग ड्राफ्ट/ बैंकिंग चैनल के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक निधि अंतरण के माध्यम से भुगतान करना होगा।

(ii) यदि एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–II उक्त तरीके से अपना भंडार भरने में असमर्थ हों, तो वे भारत में विदेशी मुद्रा आयात करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के संबनधित क्षेत्रीय कार्यालय को आवेदन करें। यह आयात उसी नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के माध्यम से किया जाए जिसके माध्यम से आवेदन किया गया था।

13. बेशी विदेशी मुद्रा नोटों/ ट्रेवलर चेकों का निर्यात/ निपटान

एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–II अपनी अधिशेष विदेशी मुद्रा नोटों/ ट्रेवलर चेकों को विदेशी मुद्रा में नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के माध्यम से समुद्रपारीय बैंक को निर्यात कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें इसके मूल्य की प्राप्ति नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के माध्यम से होगी। एफएफएमसी अपनी अधिशेष विदेशी मुद्रा विदेशी निजी मुद्रा परिवर्तकों को भी निर्यात कर सकते हैं, बशर्ते या तो प्राप्य मूल्य किसी नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के नोस्ट्रो खाते में अग्रिम जमा किया जाए या ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय बैंक से एक गारंटी जारी की जाए जिसमें निर्यात किए जाने वाले विदेशी करेंसी नोटों/ सिक्कों का पूरा मूल्य शामिल किया गया हो।

14. विदेशी करेंसी नोटों को बट्टे-खाते में डालना

खरीदे गए विदेशी मुद्रा नोट यदि बाद में नकली/ जाली पाए जाने पर अपने शीर्ष प्रबंध तंत्र के अनुमोदन के उपरांत एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–II, प्रति वर्ष 2000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि को बट्टे खाते में ड़ाल सकते हैं, ऐसा तब किया जाए जब इस राशि को वसूलने के सभी उपलब्ध विकल्प समाप्त हो जाएं। किसी भी कारणवश जिसमें विदेशी मुद्रा नोटों को जाली अथवा नकली पाया जाना शामिल है लेकिन यह उस तक सीमित नहीं है, उक्त राशि से अधिक की राशि को बट्टे खाते में ड़ालने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय का अनुमोदन आवश्यक होगा। 5 आवेदन एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्यम से किया जाना चाहिए।

15. मुद्रा परिवर्तन कारोबार के रजिस्टर एवं लेखा बहियां

(i) एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – II को मुद्रा परिवर्तन कारोबार के लिए निम्नलिखित रजिस्टर रखने चाहिए:-

(ए) फॉर्म एफएलएम 1 में दैनिक सार एवं शेष बही (विदेशी करेंसी नोट/ सिक्के)।

(बी) फॉर्म एफएलएम 2 में दैनिक सार एवं शेष बही (ट्रेवलर चेक)।

(सी) फॉर्म एफएलएम 3 में जनता से विदेशी करेंसी की खरीद का रजिस्टर।

(डी) फॉर्म एफएलएम 4 में प्राधिकृत व्यापारियों एवं प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तकों से विदेशी करेंसी नोट/ सिक्कों की खरीद का रजिस्टर।

(ई) फॉर्म एफएलएम 5 में जनता से विदेशी करेंसी नोट/ सिक्कों एवं विदेशी करेंसी ट्रेवलर चेक की बिक्री का रजिस्टर।

(एफ़) फॉर्म एफएलएम 6 में प्राधिकृत व्यापारियों/ संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों/ समुद्रपारीय बैंकों को विदेशी करेंसी नोट/ सिक्कों की बिक्री का रजिस्टर।

(जी) फॉर्म एफएलएम-7 में प्राधिकृत व्यापारियों/ प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तकों/ निर्यात को अभ्यर्पित ट्रेवलर चेकों का रजिस्टर।

(ii) सभी रजिस्टरों एवं लेखा बहियों को अद्यतन रखा जाए, हर तरह से जांच (क्रॉस-चेक) की जाए एवं शेष राशियों का दैनिक सत्यापन हो।

(iii) एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के जो लेनदेन मुद्रा परिवर्तन कारोबार से संबंधित न हों उन्हें मुद्रा परिवर्तन लेनदेनों में न मिलाया जाए। अन्य शब्दों में, रजिस्टरों एवं लेखा बहियों में मुद्रा परिवर्तन के कारोबार से संबंधित लेनदेनों की श्रृंखला स्पष्ट रूप से दर्शाई जानी चाहिए।

(iv) यदि एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के एक से अधिक कारोबार स्थल हों तो सबके लिए अलग रजिस्टर रखे जाएं।

नोट:- विदेशी करेंसियों का अंतर-शाखा अंतरण स्टॉक अंतरण के रूप में लिया जाए न कि बिक्री के रूप में।

16. रिज़र्व बैंक को विवरण प्रस्तुत करना

(i)एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के सभी कार्यलयों में विदेशी करेंसी नोटों की बिक्री एवं खरीद का मासिक समेकित विवरण एफएलएम 8 में भारतीय रिज़र्व बैंक के उस कार्यालय को 6 एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्यम से प्रस्तुत करना चाहिए, जहां से इसे लाइसेंस मिला हो। यह विवरण अगले महीने की 10 तारीख तक पहुंच जाना चाहिए।

(ii) 1[***]

(iii) एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को अपने नाम से प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के पास रखे विदेशी करेंसी खाता/ खातों के बारे में निर्धारित फॉर्मेट में तिमाही विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करना चाहिए।

(iv) सभी एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को वित्त वर्ष समाप्त होने के एक महीने के अंदर निर्धारित फॉर्मेट में एक वार्षिक विवरण प्रस्तुत करना चाहिए जिसने लाइसेंस दिया हो, इसमें वित्त वर्ष में बट्टे खाते में ड़ाली गई राशि के ब्योरे दिए जाएं।

(v) एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – II को प्रवर्तन निदेशालय (डीओई)/ राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) या अन्य किसी विधि प्रवर्तक प्राधिकारियों द्वारा एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II या इसके निदेशकों के विरुद्ध शुरू की गई कोई कार्रवाई के संबंध में इस प्रकार की कार्रवाई के एक महीने के भीतर आवेदक का पंजीकृत कार्यालय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के जिस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है उसे रिपोर्ट का देना चाहिए।

17. लेनदेन का निरीक्षण

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 12(1) भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी अधिकारी को यह शक्ति प्रदान करती है कि वह इसकी तरफ से प्राधिकृत व्यक्ति के बही खातों एवं लेखा तथा अन्य दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकता है। प्राधिकृत व्यक्ति को निरीक्षण अधिकारी को अपना निरीक्षण करने में सभी तरह की सहायता एवं सहयोग प्रदान करना चाहिए। निरीक्षण अधिकारी को किसी भी लेखा बही या अन्य किसी दस्तावेज को प्रस्तुत करने में या विवरण या सूचना प्रदान करने में या मुद्रा परिवर्तन लेनदेन से संबंधित किसी प्रश्न का उत्तर देने में असफल रहने को इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा।

18. समवर्ती लेखापरीक्षा

(i) एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को उनके द्वारा किए गए लेनदेनों के लिए समवर्ती लेखा परीक्षा प्रणाली स्थापित करनी चाहिए।

(ii) प्रतिलिपि माह 1,00,000 अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य से अधिक की राशि के टर्नओवर वाले सभी एकल शाखा एफ़एफ़एमसी को मासिक लेखापरीक्षा की प्रणाली स्थापित करनी चाहिए। 100,000 अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य से कम की राशि के टर्नओवर वाले सभी एकल शाखा एफ़एफ़एमसी को तिमाही लेखा परीक्षा की प्रणाली स्थापित करनी चाहिए। बहु शाखा वाले एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II समवर्ती लेखा परीक्षा की ऐसी प्रणाली स्थापित करें जिसमें मासिक लेखा परीक्षा प्रणाली के तहत मूल्य-वार 80 प्रतिशत लेनदेन कवर किए जाएं एवं शेष 20 प्रतिशत मूल्य-वार लेनदेन तिमाही लेखा परीक्षा के अंतर्गत कवर किए जाएं।

(iii) समवर्ती लेखा परीक्षकों की नियुक्ति/ चयन का कार्य एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के विवेक पर छोड़ दिया जाए। समवर्ती लेखा परीक्षक एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II द्वारा किए जाने वाले सभी लेनदेनों की जांच करे एवं यह सुनिश्चित करे कि रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी सभी अनुदेशों का पालन किया जा रहा है। समवर्ती लेखापरीक्षा के दायरे में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातें शामिल होनी चाहिए:

  • केवाईसी/ एएमएल/ सीएफ़टी से संबंधित क्षेत्र;

  • विवरणों की समय पर प्रस्तुति;

  • इस बात का सत्यापन कि सभी निर्धारित रजिस्टर बनाए रखे गए हैं।

  • इस बात का सत्यापन कि सभी मुद्रा परिवर्तन लेनदेन को संबंधित बहियों तथा रजिस्टरों में अभिलेखित किया गया है।

  • इस बात का सत्यापन कि नकद राशि को 50000 भारतीय रुपये की सीमा के भीतर स्वीकार किया गया है जिनमें ऐसे मामले भी शामिल हैं जिनमें लेनदेन को 50000 भारतीय रुपये से कम के नकद लेनदेन की शृंखला में संरचित किया गया है।

  • इस बात का सत्यापन कि ग्राहकों से नकद से इतर माध्यम से प्राप्त भुगतान एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के बैंक खाता विवरणों में प्रतिबिम्बित होते हैं।

(iv) विधिक लेखा परीक्षक से अपेक्षित है कि वे प्रमाणित करें कि समवर्ती लेखा परीक्षक एवं आंतरिक नियंत्रण प्रणाली संतोषजनक ढ़ंग से काम कर रहे हैं।

19. अस्थायी मुद्रा परिवर्तन सुविधाएं

एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II केवल उसी स्थान या स्थानों पर ही मुद्रा परिवर्तन कारोबार करने के लिए प्राधिकृत हैं जिनका उल्लेख लाइसेंस में किया गया है। यदि किसी अवसर विशेष पर अस्थाई आधार पर मुद्रा परिवर्तन सुविधा प्रदान की जानी हो तो इसके लिए जहां अस्थायी मुद्रा परिवर्तन सुविधा खोलना प्रस्तावित है वह स्थान भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के जिस क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्राधिकार में आता है उस संबंधित कार्यालय में अलग से आवेदन आवेदन 8 एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्यम से किया जाए। इसमें उल्लेख होना चाहिए कि कितनी अवधि तक यह विनिमय काउंटर चलेगा, कारोबार की प्रत्याशित मात्रा, लेनदेन की लेखा विधि, मुद्रा परिवर्तन सुविधा हेतु स्थान उपलब्ध कराने के लिए आयोजकों का पत्र आदि भी होना चाहिए।

20. विदेशी मुद्रा खाते खोलना

विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के अनुमोदन से एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारत में विदेशी करेंसी खाता खोलने की अनुमति दी जा सकती है:-

  1. केंद्र विशेष पर प्रति मुद्रा केवल एक खाते के खोलने की अनुमति है।

  2. इस खाते में केवल निर्दिष्ट बैंक के माध्यम से निर्यात किए गए विदेशी करेंसी नोट/ ट्रेवलर चेक के नकदीकरण का मूल्य एवं प्राप्य को जमा किया जा सकता है।

  3. खाते की शेष राशि का उपयोग निम्नलिखित के कारण उत्पन्न देयताओं के निपटान के लिए किया जा सकता है:-

    (ए) एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II द्वारा बेचे गए ट्रेवलर चेक एवं

    (बी) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंकों से एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – II द्वारा अधिग्रहीत विदेशी करेंसी नोट।

  4. इस खाते में कोई भी अप्रयुक्त जमा राशि नहीं रखी जानी चाहिए।

9 विदेशी मुद्रा खाते खोलने के लिए आवेदन एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

21. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II द्वारा नोस्ट्रो खाता खोलना

रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से एक बारगी अनुमोदन लेने के पश्चात प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II निम्नलिखित शर्तों के अधीन नोस्ट्रो खाता खोल सकते हैं:-

  1. प्रत्येक करेंसी के लिए केवल एक नोस्ट्रो खाता खोला जा सकता है;

  2. इस खाते की शेष राशि का उपयोग केवल अनुमत प्रयोजनों के लिए भेजे गए विप्रेषण के निपटान के लिए किया जाए एवं फोरेक्स प्रीपेड कार्डों के निपटान के लिए इसका उपयोग न किया जाए;

  3. इस खाते में कोई भी अप्रयुक्त जमा राशि नहीं रखी जानी चाहिए; तथा

  4. ये समय-समय पर निर्धारित रिपोर्टिंग अपेक्षाओं के अधीन होंगे।

गैर-बैंक एडी श्रेणी-II 10 एपी कनैक्ट एप्लिकेशन के माध्यम से नोस्ट्रो खाता खोलने के लिए आवेदन प्रस्तुत करें।

22. तुलन पत्र प्रस्तुत करना एवं निवल स्वाधिकृत निधियों (एनओएफ) का रखरखाव

सभी एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II से अपेक्षित है कि वे अपनी निवल स्वाधिकृत निधियों (एनओएफ) के सत्यापन के लिए अपना वार्षिक लेखापरीक्षित तुलन पत्र रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें, इसके साथ तुलन-पत्र की तारीख को एनओएफ के संबंध में सांविधिक लेखा परीक्षकों का प्रमाणपत्र भी होना चाहिए। चूंकि एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II से अपेक्षित होता है कि वे अनवरत आधार पर एनओएफ का एक न्यूनतम स्तर बनाए रखें और उनका एनओएफ न्यूनतम स्तर से नीचे जाने की स्थिति में वे इसे तुरंत रिज़र्व बैंक की जानकारी में लाएं एवं इसके साथ विस्तार से वह समयबद्ध योजना भी बताएं जिससे एनओएफ का न्यूनतम स्तर हासिल किया जाएगा।

23. करेंसी फ्यूचर एवं एक्सचेंज ट्रेडिड करेंसी ऑप्शन मार्केट में सहभागिता

न्यूनतम निवल मालियत रु. 5 करोड़ वाले एफएफएएमसी एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II [जो कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी),स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी), शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) नहीं है।] केवल अपने अंतर्निहित (अंडर लाइंग) विदेशी मुद्रा एक्सपोजर की प्रतिरक्षा के लिए ग्राहक के रूप में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों में नामित करेंसी फ्यूचर एवं करेंसी ऑप्शन में सहभागिता कर सकते हैं। एफएफएएमसी एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II [जो कि आरआरबी, एलएबी, यूसीबी तथा एनबीएफसी हैं] इस संबंध में रिज़र्व बैंक के संबंधित विनियामक विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देशों से मार्गदर्शन लें।

खंड VI

केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी दिशानिर्देश

अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/ धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद वित्तपोषण का मुकाबला करना (सीएफटी)/ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बाध्यताओं के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक, विनियमन विभाग (डीओआर), केंद्रीय कार्यालय द्वारा जारी किए गए अद्यतन मास्टर निदेश "अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दिशानिर्देश, 2016" में निहित दिशानिर्देश एवं इस संबंध में अब तक जारी अन्य अनुदेश तथा समय-समय पर भविष्य में जारी अनुदेश यथोचित परिवर्तनों सहित, सभी प्राधिकृत व्यक्तियों (एपी), उनके एजेंटों एवं फ्रांचाईजियों पर लागू होंगे।

खंड VII

लाइसेंस का प्रतिसंहरण

भारतीय रिज़र्व बैंक को अधिकार है कि वह प्राधिकृत व्यक्ति को प्रदत्त लाइसेंस कभी भी प्रतिसंहरित कर सकता है, यदि रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि (क) लोक हित में ऐसा किया जाना है या (ख) एएमसी ऐसी किसी शर्त का अनुपालन करने में असफल रहा है, जिसके लिए प्राधिकार दिया गया था या उसने विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के किसी प्रावधान का या इसके तहत बनाए गए किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश या आदेश का उल्लंघन किया हो। रिज़र्व बैंक को यह अधिकार भी है कि किसी सांविधिक या विनियामक प्रावधान के उल्लंघन पर वह किसी भी कार्यालय के प्राधिकार को प्रतिसंहरित कर सकता है। रिज़र्व बैंक किसी भी समय मुद्रा परिवर्तक के लाइसेंस की किसी भी वर्तमान शर्त को बदल सकता है या प्रतिसंहरित कर सकता है या कोई नई शर्त लगा सकता है।

खंड VIII

एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के निदेशकों हेतु "फिट एंड प्रॉपर" मानदंड

(ए) एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II के निदेशक मंडल को किसी व्यक्ति को निदेशक मंडल में नामित करने/ नामांकन बरकरार रखने के लिए उपयुक्तता के निर्धारण हेतु समुचित सावधानी बरतनी चाहिए, इसके लिए अर्हता, विशेषज्ञता, ट्रेक रिकॉर्ड, अखंडता एवं "फिट एंड प्रॉपर" संबंधी अन्य मानदंडों को आधार बनाना चाहिए। ईमानदारी एवं उपयुक्तता के मूल्यांकन के लिए यदि कोई आपराधिक रिकॉर्ड हो तो उसका, वित्तीय हैसियत, वैयक्तिक ऋण वसूली के लिए आरंभ की गई सिविल कार्रवाई, व्यावसायिक निकायों में प्रवेश अस्वीकार करना अथवा उनमें से बाहर निकाल दिया जाना, विनियामक या ऐसे किन्हीं अन्य निकायों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध, पिछली आपत्तिजनक कारोबारी प्रथाओं आदि जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाए। "फिट एंड प्रॉपर" संबंधी स्थिति के लिए निदेशक मंडल स्व-घोषणा, बाजार से सत्यापन रिपोर्ट आदि के द्वारा सूचना मंगाकर मूल्यांकन कर सकता है। उक्त प्रयोजन से एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II रिपोर्टिंग पर जारी मास्टर निदेश में दिए गए अनुसार प्रस्तावित/ वर्तमान निदेशकों से आवश्यक सूचना एवं घोषणा हासिल करें।

(बी) समुचित सावधानी की यह प्रक्रिया एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II नामांकन/ नामांकन के नवीकरण के समय अपनाएं।

(सी) घोषणाओं की संवीक्षा के लिए एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II का निदेशक मंडल एक नामांकन समिति का गठन करे।

(डी) हस्ताक्षरित घोषणाओं में दी गई सूचना के आधार पर नामांकन समिति स्वीकार्यता या अन्यथा के बारे में निर्णय ले सकती है एवं समुचित प्राधिकारी/ व्यक्तियों द्वारा अपेक्षित अनुपालन के मुताबिक अपना संदर्भ दे सकती है।

(ई) एफएफएमसी/ गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II को 31 मार्च को एक साधारण घोषणा लेनी चाहिए कि पहले दी गई सूचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है एवं यदि कोई परिवर्तन हुआ हो निदेशकों द्वारा तुरंत संबंधित सूचना प्रस्तुत की गई है।

(एफ़) अभ्यर्थी के संबंध में कंपनी अधिनियम 2013 के आयु से संबंधित प्रावधान लागू होंगे। इसके अलावा, अभ्यर्थी को सांसद/ विधान सभा/ विधान परिषद का सदस्य नहीं होना चाहिए।

(जी) वर्ष के दौरान यदि निदेशकों में कोई बदलाव होता है तो रिपोर्टिंग पर जारी मास्टर निदेश के मुताबिक विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को इसके बारे में सूचित करना चाहिए।

(एच) ऐसे आवेदक के परिचालनों पर रिज़र्व बैंक के संबंधित विभागों की टिप्पणियाँ प्राप्त की जाएंगी जो/ जिनके मूल संगठन को रिज़र्व बैंक का पूर्व में ही लाइसेन्स / प्राधिकार प्राप्त है।


2अनुबंध

चुनाव (निर्वाचन) के दौरान गैर- बैंक मुद्रा परिवर्तकों के लिए मानक परिचालन क्रियाविधि (एसओपी)

विदेशी मुद्रा का संचरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी श्रेणी-I), प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II (एडी श्रेणी-II), संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफ़एफ़एमसी), उनके कार्यालय/ शाखाएँ, उनके ग्राहक तथा उनके फ़्रांचायजियों के बीच हो सकता है।

भारत निर्वाचन आयोग से अनुरोध प्राप्त होने पर चुनाव के दौरान नकद (विदेशी मुद्रा) के संचरण के लिए मानक परिचालन क्रियाविधि (एसओपी) नीचे अधिसूचित की जा रही है:

ए. भौतिक रूप में मुद्रा (चलन) को लाना-ले-जाना

1. भारतीय मुद्रा अथवा विदेशी मुद्रा को लाने-ले-जाने संबंधी सभी गतिविधियां प्राधिकृत व्यक्ति (व्यक्तियों) द्वारा की जानी चाहिए, और उनके पास नकद राशि को ले जाते समय समर्थक दस्तावेज़ साथ रखे होने चाहिए। इस प्रकार का चलन प्राप्तकर्ता द्वारा की गई मांग के आधार पर होना चाहिए तथा गंतव्य के पते पर किया जाना चाहिए।

2. यदि नकदी को प्राधिकृत व्यक्ति (एपी) के कार्यालय/ शाखा से ले जाया जा रहा है, तो उसे प्राधिकृत व्यक्ति की खाता बहियों में रिकार्ड किए जाने के बाद ही स्थान के बाहर लेकर जाएँ।

3. इसी प्रकार मुद्रा को लाने-ले-जाने का गंतव्य प्राधिकृत व्यक्ति का कार्यालय/ शाखा है तो उसे उसी दिन अथवा प्राप्ति की तारीख को एपी की खाता बहियों में रिकार्ड किया जाए।

4. एक ही प्राधिकृत व्यक्ति की शाखाओं के बीच विदेशी मुद्रा के अंतरण को बिक्री के रूप में अकाउंट करने के बजाय स्टॉक अंतरण के रूप में अकाउंट किया जाए ताकि दोहरी गिनती से बचा जा सके।

बी. एफ़एफ़एमसी/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II द्वारा अपने नियमित ग्राहकों को दी जाने वाली द्वारस्थ (डोर स्टेप) फॉरेक्स सेवा के मामले में लेनदेन का प्रसंस्करण तथा लेखांकन प्राधिकृत व्यक्ति के कार्यालय में किया जाना चाहिए तथा लेनदेन को प्राप्त मूल्य संबंधी आवश्यक दस्तावेजों द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए। फॉरेक्स की सुपुर्दगी एपी के प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा ही की जानी चाहिए।

सी. जहां तक संभाव हो भारतीय मुद्रा का चलन बैंकिंग माध्यम (अर्थात चेक, मांग ड्राफ्ट, एनईएफ़टी, आरटीजीएस, आईएमपीएस आदि) से किया जाए। प्राधिकृत व्यापारियों तथा एफ़एफ़एमसी के बीच के लेनदेन का निपटान रेखांकित आदाता खाता चेकों/ मांग ड्राफ्ट/ बैंकिंग चैनल के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक निधि अंतरण के माध्यम से किया जाए और किसी भी परिस्थिति में भारतीय मुद्रा का निपटान नकद में नहीं किया जाएगा। एपी अथवा उसके फ़्रांचीजी द्वारा संगृहीत नकद राशि (भारतीय मुद्रा) को उसी दिन या दूसरे दिन बैंक शाखा में जमा किया जाना चाहिए।

डी. नकद राशि के परिवहन की किसी भी कार्यवाही को रद्द करने पर उसे उचित ढंग से प्रलेखित करना चाहिए ।

ई. नकद राशि को लाना-ले-जाना उसके दस्तावेजों के अनुरूप होना चाहिए।

एफ़. भारतीय रुपये में नकद राशि को लाने-ले-जाने की उच्चतम सीमा रु. 10,00,000/- होगी तथा विदेशी मुद्रा में प्राधिकृत व्यक्ति के कार्यालयों/ शाखाओं को भेजी जाने वाली आयात की गई विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेन को छोड़कर 1,00,000 अमरीकी डॉलर की समकक्ष राशि।


परिशिष्ट

ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्रों की सूची, जिन्हें मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों के मास्टर निदेश में समेकित किया गया है

क्र.सं. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र तारीख
1. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 25 6 मार्च 2006
2. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 57 9 मार्च 2009
3. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 6 3 अगस्त 2009
4. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 40 25 जनवरी 2011
5. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 61 16 मई 2011
6. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 31 3 अक्तूबर 2011
7. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 33 12 अक्तूबर 2011
8. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 38 25 अक्तूबर 2011
9. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 41 01 नवंबर 2011
10. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 60 22 दिसंबर 2011
11. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 71 30 जनवरी 2012
12. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 104 4 अप्रैल 2012
13. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 109 18 अप्रैल 2012
14. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 33 24 सितंबर 2012
15. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 50 7 नवंबर 2012
16. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 96 5 अप्रैल 2013
17. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 45 16 सितंबर 2013
18. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 146 19 जून 2014
19. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 14 25 जुलाई 2014
20. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 87 25 मार्च 2015
21. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 12 10 सितंबर 2015
22. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 05 13 नवम्बर 2020
23. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 01 06 अप्रैल 2023

1एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

2एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

3 एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

4 एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

5 एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

6 एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

7 एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

8 एपी(डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

9 एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

10एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023के माध्यम से सम्मिलित किया गया

11 एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 01 दिनांक 06 अप्रैल 2023 के माध्यम से सम्मिलित किया गया

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