भारिबैंक/2010-11/384 ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.40 ए.पी. (एफएल सिरीज) परिपत्र सं. 10 जनवरी 25, 2011 सभी प्राधिकृत व्यक्ति, जो संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसीएस) तथा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी॥ हैं महोदया/महोदय संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों (एफएफएमसीएस) तथा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी ॥ द्वारा करेंसी फ्यूचर्स तथा एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी ऑपशन्स मार्केट में सहभागिता सभी प्राधिकृत व्यक्तियों, जो संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसीएस) तथा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी ॥ हैं, का ध्यान 06 अगस्त 2008 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.5 तथा 30 जुलाई 2010 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.5 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसमें मान्यताप्राप्त स्टॉक/न्यू एक्स्चेंजेस में करेंसी ऑपशन्स कांट्रेक्ट्स की ट्रेडिंग करने के संबंध में दिशा-निर्देश दिये गये हैं । 2. अब यह निर्णय लिया गया है कि संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसीएस) तथा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी ॥ (जो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(आरआरबीएस), स्थानीय क्षेत्र के बैंक(एलएबीएस),शहरी सहकारी बैंक(यूसीबीएस) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ नहीं हैं ) और जिनकी निवल मालियत 5 करोड़ रुपये हैं, वे अपने विदेशी मुद्रागत जोखिमों की हेजिंग के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा मान्यताप्राप्त शेयर बाजार में पदनामित करेंसी फ्यूचर्स और करेंसी ऑपशन्स में केवल ग्राहक के रूप में भाग ले सकते हैं । 3. संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसीएस) तथा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी ॥ जो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक(आरआरबीएस), स्थानीय क्षेत्र के बैंक(एलएबीएस),शहरी सहकारी बैंक(यूसीबीएस) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित विनियामक विभागों द्वारा इस संबंध में जारी अनुदेशों से मार्गदर्शन लें । 4. प्राधिकृत व्यक्ति इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत कराएं । 5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं तथा इन दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने पर पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 11(3) के दंडात्मक प्रावधानों को लागू किया जा सकता है । भवदीय (जी.जगनमोहन राव) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |