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असेट प्रकाशक

110926595

मास्टर निदेश - उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) (06 सितम्बर 2024 को अद्यतन)

इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:

  • 2024-09-06
  • 2023-12-22
  • 2022-08-24
  • 2022-08-23
  • 2018-06-20
  • 2017-08-02
  • 2017-04-12
  • 2016-02-11
  • 2016-01-01

भा.रि.बैंक/विमुवि/2017-18/3
विमुवि मास्टर निदेश सं. 7/2015-16

01 जनवरी 2016
(06 सितम्बर 2024 को अद्यतन)
(22 दिसंबर 2023 को अद्यतन)
(24 अगस्त 2022 को अद्यतन)
(23 अगस्त 2022 को अद्यतन)
(20 जून 2018 को अद्यतन)
(02 अगस्त 2017 को अद्यतन)
(12 अप्रैल 2017 को अद्यतन)
(11 फरवरी 2016 को अद्यतन*)

विदेशी मुद्रा संबंधी सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदया/महोदय,

मास्टर निदेश - उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस)

निवासी व्यष्टि को विदेश में अनुमत चालू या पूंजीगत खाता लेनदेन अथवा मिश्रित रूप से दोनों प्रकार के लेनदेन करने के लिए निधियों का विप्रेषण सुगम बनाने के लिए उदारीकृत उपाय के रूप में 23 मार्च 2004 की भारत सरकार की अधिसूचना जी.एस.आर. सं. 207 (ई) के साथ पठित 4 फरवरी 2004 के ए.पी.(डीआईआर सीरिज) परिपत्र सं. 64 के माध्यम से 04 फरवरी 2004 को उपर्युक्त विषय पर संदर्भित योजना शुरू की गई है। विनियामक ढ़ांचे में हुए परिवर्तनों को शामिल करने के लिए इन विनियमों में समय-समय पर संशोधन किए गए हैं एवं इन्हें संशोधित अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किया गया है।

2. विनियमों की रूपरेखा के अधीन, भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 11 के तहत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश भी जारी करता है। ये निदेश उन तौर-तरीकों को निर्धारित करते हैं जिनसे यह निर्धारित होता है कि प्राधिकृत व्यक्ति अपने ग्राहकों/ घटकों के साथ किस प्रकार विदेशी मुद्रा कारोबार करेंगे, इसमें बनाए गए विनियमों के कार्यान्वयन का ध्यान रखा जाता है।

3. यह मास्टर निदेश "उदारीकृत विप्रेषण योजना" के वर्तमान निदेशों को एक जगह पर समेकित करता है। रिपोर्टिंग अनुदेशों को रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश (01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं.18) में देखा जा सकता है।

4. यदि विनियमों में या उन तरीकों में जिनके अनुसार प्राधिकृत व्यक्ति अपने ग्राहकों/घटकों के साथ संबंधित लेनदेन करेगा तो यह नोट किया जाए कि आवश्यकता पड़ने पर भारतीय रिज़र्व बैंक एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्रों के माध्यम से प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। जारी किए जा रहे इस मास्टर निदेश को उपयुक्त रूप से साथ-साथ संशोधित किया जाएगा।

भवदीय

(एन. सेंथिल कुमार)
महाप्रबंधक

* चूंकि इस मास्टर निदेश में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, अतः पाठकों की सुविधा हेतु ट्रैक चेंज मोड में परिवर्तन दिखाने की बजाय इसे प्रतिस्थापित कर दिया गया है। इसमें किए गए परिवर्तन फुटनोट के रूप में सूचीबद्ध हैं।


अनुक्रमणिका

क्रम सं. विषय-वस्तु
1. निवासी व्यष्टि हेतु 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस)
2. प्राधिकृत व्यक्तियों हेतु परिचालन अनुदेश
3. 1अनुबंध - फॉर्म ए2
4. 2हटा दिया गया

मास्टर निदेश - उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस)

क. निवासी व्यष्टियों हेतु 2,50,000 अमरिकी डॉलर की उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस)

1. उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत प्राधिकृत व्यापारियों को अनुमति है कि वे अनुमत चालू या पूंजीगत खाता लेनदेनों या इन दोनों के मिश्रण हेतु प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में निवासी व्यष्टियों को 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक मुक्त रूप से विप्रेषित करने की अनुमति दे सकते हैं। यह योजना कॉरपोरेटों, साझीदार फर्मों, हिंदू अविभक्त परिवार, न्यासों आदि के लिए उपलब्ध नहीं है।

2. चल रही समष्टि एवं व्यष्टि आर्थिक गतिविधियों के अनुरूप उदारीकृत विप्रेषण योजना की सीमा को चरणों में संशोधित किया गया है। 04 फरवरी 2004 से आज तक की अवधि के दौरान उदारीकृत विप्रेषण योजना की सीमा को इस प्रकार संशोधित किया गया है:-

(राशि अमेरिकी डॉलर में3)
तारीख 4 फरवरी 2004 20 दिसंबर 2006 8 मई 2007 26 सितंबर 2007 14 अगस्त 2013 3 जून 2014 26 मई 2015
एलआरएस सीमा (अमेरिकी डॉलर) 25,000 50,000 1,00,000 2,00,000 75,000 1,25,000 2,50,000

3. अवयस्कों सहित यह योजना सभी निवासी व्यष्टि के लिए उपलब्ध है। विप्रेषक के अवयस्क होने की स्थिति में 4फॉर्म ए-2 पर अवयस्क के प्राकृतिक (नेचरल) अभिभावक के प्रतिहस्ताक्षर होने चाहिए।

4. योजना के तहत परिवार के सदस्यों का विप्रेषण समेकित किया जा सकता है बशर्ते परिवार के प्रत्येक सदस्य ने इसकी शर्तों का अनुपालन किया हो। तथापि, पूंजीगत खाता लेनदेन जैसे कि बैंक खाता खोलने/निवेश5 जिनमें परिवार के सदस्य विदेशी बैंक खाते/निवेश6 में सह-स्वामी/ सह-साझेदार न हों तो परिवारिक सदस्यों को जोड़ने (क्लब करने) की अनुमति नहीं है। 7परिसंपत्ति की खरीद हेतु किए जाने वाले विप्रेषण पैराग्राफ 6(ii) के प्रावधानों के अनुसार होंगे। इसके अलावा, निवासी किसी अन्य निवासी को उस निवासी के विदेश में रखे विदेशी मुद्रा खाते में जमा के लिए एलआरएस के तहत उपहार में विदेशी मुद्रा नहीं दे सकता है।

5. ऐसे अन्य सभी लेनदेन जो अन्यथा फेमा के तहत अनुमत नहीं हैं एवं जो विदेशी विनिमय/विदेशी प्रतिपक्ष (काउंटरपार्टी) को मार्जिन या मार्जिन कॉल के लिए विप्रेषण के स्वरूप के हैं, वे इस योजना के तहत अनुमत नहीं हैं।

6. एलएसआर के तहत किसी व्यष्टि को जिन पूंजीगत खाता लेनदेनों की अनुमति है वे इस प्रकार हैं:-

  1. विदेश में किसी बैंक में विदेशी करेंसी खाता खोलना;

  2. 8विदेश में स्थावर संपत्ति का अधिग्रहण, विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022, विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022 के प्रावधानों के अनुसार पारदेशीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) तथा पारदेशीय पोर्टफोलियो निवेश (ओपीआई) करना;

  3. उन अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को भारतीय रुपए में ऋण सहित ऋण प्रदान करना, जो कंपनी अधिनियम, 2013 में दी गई परिभाषा के अनुसार उनके ‘रिश्तेदार’ हैं9

7. योजना के तहत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा चालू खाता लेनदेनों (अर्थात निजी दौरे, उपहार/दान, रोजगार हेतु विदेश जाना, आप्रवासन, विदेश में रह रहे नजदीकी रिश्तेदार का रखरखाव, कारोबारी दौरा, विदेश में चिकित्सीय इलाज, विदेश में अध्ययन) हेतु शामिल/धारित विप्रेषण 26 मई 2015 के विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेनदेन) संशोधन नियम, 2015 की अनुसूची III के पैरा 1 के तहत निवासी व्यष्टि को उपलब्ध हैं। 2,50,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा जारी करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक है।

ए. निजी दौरे

नेपाल एवं भूटान के दौरे छोड़कर अन्य किसी भी निजी विदेशी दौरे के लिए निवासी व्यष्टि किसी एक वित्तीय वर्ष में प्राधिकृत व्यापारी या एफएफएमसी से कुल 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा प्राप्त कर सकता है चाहे वर्ष में कितने भी दौरे किए गए हों।

इसके अलावा, रेल/सड़क/नौका परिवहन की लागत, भारत के बाहर यूरो रेल; पास/टिकट आदि की लागत एवं विदेश में होटल/आवास के व्यय भी सभी यात्रा संबंधी व्यय के तहत एलएसआर सीमा में जोड़े जाएं। यात्रा करने वाले निवासी से टूर ऑपरेटर यह राशि भारतीय रुपए या विदेशी मुद्रा में ले सकता है।

बी. उपहार/ दान

कोई भी निवासी व्यष्टि भारत के बाहर के निवासी व्यष्टि को एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की राशि उपहार के तौर पर विप्रेषित कर सकता है या भारत के बाहर किसी संस्थान को दान कर सकता है।

सी. रोजगार हेतु विदेश जाना

रोजगार के लिए विदेश जाने वाला व्यक्ति भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी से प्रति वित्तीय वर्ष में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि आहरित कर सकता है।

डी. आप्रवासन

आप्रवासन का इच्छुक व्यक्ति प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II से जिस देश में आप्रवासन जा रहा है उस देश द्वारा निर्धारित राशि या 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की राशि तक विदेशी मुद्रा आहरित कर सकता है। इस सीमा से अधिक भारत से बाहर किसी भी राशि का विदेशी मुद्रा विनिमय विप्रेषण केवल आप्रवासन वाले देश में आकस्मिक व्यय को पूरा करने के लिए है न कि यह सरकारी बाँडों; जमीन; वाणिज्यिक उद्यम आदि में पारदेशीय निवेश के माध्यम से आप्रवासन हेतु पात्र होने के लिए क्रेडिट पाइंट अर्जित करने के लिए है।

ई. विदेश में रह रहे रिश्तेदार का भरणपोषण

विदेश में रह रहे नजदीकी रिश्तेदार 10(कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) में “रिश्तेदार” के रूप में परिभाषित) के भरणपोषण के लिए निवासी व्यष्टि प्रति वित्तीय वर्ष 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि विप्रेषित कर सकता है।

एफ. कारोबारी दौरा

यदि कोई व्यक्ति अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, सेमिनार, विशेषज्ञता वाला प्रशिक्षण, प्रशिक्षु प्रशिक्षण आदि के लिए दौरा करता है तो इसे कारोबारी दौरा माना जाएगा। विदेशों में कारोबारी दौरे के लिए निवासी व्यष्टि प्रति वित्तीय वर्ष में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक की विदेशी मुद्रा हासिल कर सकता है चाहे वर्ष में कितनी भी यात्राएं की गई हों।

तथापि, यदि कोई संस्था किसी कर्मचारी को उपर्युक्त किसी भी कार्य के लिए प्रतिनियुक्त करती है और उससे संबंधित व्यय का वहन अहि संस्था करती है तो ये व्यय एलएसआर के दायरे से बाहर अवशिष्ट चालू खाता लेनदेन समझे जाएंगे तथा इन लेनदेनों की वास्तविकता का सत्यापन करने के अधीन प्राधिकृत व्यापारी बिना किसी सीमा के इसकी अनुमति दे सकते हैं।

जी. विदेश में चिकित्सीय इलाज

अस्पताल/चिकित्सक के अनुमान पर जोर दिए बिना ही प्राधिकृत व्यापारी 2,50,000 अमेरिकी डॉलर य इसके समकक्ष राशि की विदेशी मुद्रा प्रति वित्तीय वर्ष में जारी कर सकता है। उक्त राशि से अधिक की राशि की विदेशी मुद्रा प्राधिकृत व्यापारी सामान्य अनुमति के अधीन भारत के चिकित्सक या विदेश के अस्पताल/चिकित्सक के अनुमान के आधार पर जारी कर सकता है। विदेश जाने के बाद यदि कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है तो भारत से बाहर चिकित्सीय इलाज हेतु प्राधिकृत व्यापारी विदेशी मुद्रा जारी कर सकता है (भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन लिए बिना ही)।

उक्त तथ्य के अलावा, चिकित्सीय इलाज/जांच हेतु विदेश जाने वाले बीमार व्यक्ति के साथ जाने वाले सहायक को भी प्रति वित्तीय वर्ष 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की राशि की अनुमति है।

एच. विदेश में अध्ययन हेतु जाने वाले छात्रों को उपलब्ध सुविधाएं

अध्ययन हेतु विदेश जाने वाले निवासी व्यष्टि को विदेशी विश्वविद्यालय से खर्च का अनुमान लाने पर जोर दिए बिना ही प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक अथवा उसके समतुल्य विदेशी मुद्रा जारी कर सकते हैं। तथापि, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II 2,50,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक के विप्रेषण की अनुमति भी विदेशी संस्थान से प्राप्त अनुमान के आधार पर दे सकते हैं (भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन लिए बिना ही)।

8. भारत सरकार की मौजूदा विदेश व्यापार नीति जैसे अन्य यथालागू क़ानूनों के अधीन इस योजना के तहत विप्रेषण का उपयोग कला सामग्री की खरीद के लिए भी किया जा सकता है।

9. इस योजना का उपयोग मांग ड्राफ्ट के रूप में बाह्य विप्रेषण के लिए भी किया जा सकता है। यह मांग ड्राफ्ट निवासी व्यष्टि के खुद के नाम पर हो सकता है या उस लाभार्थी के नाम पर हो सकता है जिसके माध्यम से निजी विदेश दौरे पर अनुमत लेनदेन किए जाने हों एवं इसके लिए विप्रेषक को निर्धारित फार्मेट में स्व-घोषणा देनी होगी।

10. इस योजना के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना व्यष्टि भारत से बाहर किसी बैंक में विप्रेषण भेजने के लिए विदेशी मुद्रा खाता खोल सकते हैं, उसका रखरखाव कर सकते हैं एवं उसे धारित कर सकते हैं। इन विदेशी मुद्रा खातों का उपयोग इस योजना के तहत पात्र विप्रेषणों से जुड़े सभी लेनदेन और उनसे उत्पन्न लेनदेन के लिए किया जा सकता है।

11. प्राधिकृत व्यक्ति11 एलआरएस के अंतर्गत सभी अनुमत प्रयोजनों के लिए (i) आईएफएससी के भीतर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के अनुसार वित्तीय सेवाओं या वित्तीय उत्पादों का लाभ उठाने; और (ii) आईएफएससी में धारित FCA के माध्यम से किसी अन्य विदेशी क्षेत्राधिकार (IFSCs से भिन्न) में सभी प्रकार के चालू या पूंजी खाता लेनदेन करने हेतु भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में विप्रेषण की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। इन अनुमत प्रयोजनों के लिए निवासी व्यष्टि आईएफ़एससी में विदेशी मुद्रा खाता (FCA) खोल12 सकते हैं। निवासी व्यष्टि आईएफ़एससी में धारित इन विदेशी मुद्रा खातों के जरिए अन्य निवासियों के साथ कोई घरेलू लेनदेन13 नहीं कर सकेगें।

12. इस योजना के तहत पूंजीगत खाता लेनदेन को सुगम बनाने के लिए बैंक, निवासी व्यष्टि को किसी भी तरह की ऋण सुविधा उपलब्ध न कराए।

13. समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000, की अनुसूची I में निर्दिष्ट रूप से प्रतिबंधित या अनुसूची-II में प्रतिबंधित किसी भी मद हेतु विप्रेषण के लिए यह योजना नहीं है।

14. पूंजी खाता लेनदेनों के लिए यह योजना उन देशों के लिए उपलब्ध नहीं है जिनकी पहचान वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने असहयोगी देशों एवं क्षेत्रों के रूप में की है जिनकी सूची एफएटीएफ की वेबसाइट www.fatf-gafi.org पर उपलब्ध है या जैसा कि रिज़र्व बैंक ने अधिसूचित किया हो। जिन व्यक्तियों या संस्थाओं की पहचान आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण बेहद जोखिमयुक्त के रूप में की गई हो तथा जिनके बारे में रिज़र्व बैंक ने बैंकों को अलग से सूचित किया हो, उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विप्रेषण भेजने की अनुमति भी नहीं है।

15. विप्रेषक द्वारा दस्तावेजीकरण

व्यक्ति को प्राधिकृत व्यापारी की एक शाखा को नामित करना होगा जिसके माध्यम से वह इस योजना के तहत सभी विप्रेषण भेजेगा। विप्रेषण भेजने के इच्छुक निवासी व्यष्टि को एलआरएस के तहत विदेशी मुद्रा खरीदने के लिए अनुबंध में दिए गए14 फॉर्म ए2 को प्रस्तुत करना होगा।

16. योजना के तहत विप्रेषण के लिए निवासी व्यष्टि की स्थायी खाता संख्या (पैन) अनिवार्य है।15

17. जिन निवेशकों ने एलआरएस के तहत निधियों का विप्रेषण किया है वे निवेश से अर्जित आय को रख सकते हैं, उसका पुनर्निवेश कर सकते हैं। प्राप्त/ वसूल की गई / व्यय न हुई/ अप्रयुक्त विदेशी मुद्रा का यदि पुनर्निवेश न किया गया हो, तो उसे ऐसी प्राप्ति/ वसूली/ खरीद/ अर्जन अथवा भारत में लौटने की तारीख, जैसा भी मामला हो, से 180 दिनों के भीतर उसे विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2015 के विनियम-7 [अधिसूचना सं. फेमा 9(आर)/2015-आरबी] के अनुसार प्राधिकृत व्यक्ति के सुपुर्द करना होगा16। तथापि, कोई निवासी व्यष्टि फेमा प्रावधानों17 के अनुसार यदि कोई पारदेशीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) करता है, तो उसे विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022, विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022 में दिये गए प्रावधानों का अनुपालन करना होगा।

18. योजना के तहत एनआरआई/ पीआईओ रिश्तेदार को रुपए में उधार देने की सुविधा

निवासी व्यष्टि को निम्नलिखित शर्तों के अधीन अपने एनआरआई/पीआईओ रिश्तेदारों [कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) में यथापरिभाषित ‘रिश्तेदार’]18 को निम्नलिखित शर्तों के अधीन रेखित चेक/इलैक्ट्रॉनिक अंतरण के माध्यम से उधार देने की अनुमति है:-

i. ऋण ब्याज मुक्त होना चाहिए एवं ऋण की न्यूनतम परिपक्वता अवधि एक वर्ष हो।

ii. ऋण की राशि निवासी व्यष्टि को उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत उपलब्ध प्रति वित्तीय वर्ष 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की समग्र सीमा के तहत हो। यह सुनिश्चित करना निवासी व्यष्टि की जिम्मेदारी होगी कि दिए जाने वाले ऋण की राशि एलआरएस की सीमा के अंदर हो एवं कथित वित्त वर्ष में निवासी व्यष्टि द्वारा किए गए विप्रेषण एवं ऋण की राशि एलआरएस में निर्धारित सीमा से अधिक न हो।

iii. ऋण का उपयोग उधार लेने वाले की व्यक्तिगत आवश्यकताओं या भारत में अपने स्वयं के कारोबार के लिए किया जाए।

iv. इस ऋण का उपयोग एकल रूप में किसी अन्य व्यक्ति के साथ उन कार्यों में न किया जाए जिनमें भारत के बाहर निवासी व्यष्टि द्वारा निवेश प्रतिबंधित है, नामत: -

क) चिट फंड का कारोबार, या

ख) निधि कंपनी, या

ग) कृषि या पौधारोपण गतिविधि या रियल एस्टेट के कारोबार में, या फार्म हाउस का निर्माण, या

घ) अंतरणीय विकास अधिकार (टिडीआर) में ट्रेडिंग।

स्पष्टीकरण:- उक्त मद संख्या (ग) के लिए रियल एस्टेट कारोबार में टाउनशिप का विकास, आवासीय/वाणिज्यिक परिसरों, सड़कों या पुलों का निर्माण शामिल नहीं होगा।

v. ऋण राशि एनआरआई/पीआईओ के एनआरओ खाते में क्रेडिट की जाए। क्रेडिट की गई ऋण की इस राशि को एनआरओ खाते में पात्र क्रेडिट समझा जाए;

vi. ऋण राशि भारत से बाहर विप्रेषित न की जाए, और

vii. इस ऋण की चुकौती सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से आवक विप्रेषण के रूप में की जाए या उधारकर्ता के अनिवासी साधारण (एनआरओ)/अनिवसी बाह्य (एनआरई)/विदेशी मुद्रा अनिवासी (एफसीएनआर) खाता को डेबिट कर किया जाए या जिन शेयरों या प्रतिभूतियों या स्थावर संपत्तियों की जमानत पर यह ऋण प्रदान किया गया था उनकी बिक्री से प्राप्त आय से की जाए।

19. निवासी व्यष्टि रेखांकित चेक/ इलैक्ट्रॉनिक अंतरण के माध्यम से उस एनआरआई/ पीआईओ रुपये में उपहार दे सकता है जो निवासी व्यष्टि का रिश्तेदार [कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) में यथापरिभाषित ‘रिश्तेदार’]19 हो। यह राशि एनआरआई/पीआईओ के अनिवासी (साधारण) रुपया खाता (एनआरओ) में क्रेडिट की जाए एवं क्रेडिट की गई उपहार राशि को एनआरओ खाते में पात्र क्रेडिट समझा जाए। उपहार राशि निवासी व्यष्टि को एलआरएस के तहत अनुमत प्रति वित्तीय वर्ष में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की समग्र सीमा के तहत होगी। यह सुनिश्चित करना निवासी व्यष्टि की जिम्मेदारी होगी कि उपहार राशि एलआरएस की सीमा के अंदर हो एवं कथित वित्त वर्ष में दानदाता द्वारा किए गए विप्रेषण एवं ऋण की राशि एलआरएस में निर्धारित सीमा से अधिक न हो।

ख. प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए परिचालन संबंधी अनुदेश

1. प्राधिकृत व्यक्ति विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत जारी अधिनियम/विनियमों/ अधिसूचनाओं के प्रावधानों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करना चाहिए।

2. चालू खाते के लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा जारी करते समय प्राधिकृत व्यक्तियों को जिन दस्तावेजों का सत्यापन करना चाहिए उनका निर्धारण सामान्यत: रिज़र्व बैंक नहीं करेगा। इस संबंध में प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10 की उप-धारा (5) की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें प्रावधान है कि विदेशी मुद्रा में लेनदेन के इच्छुक व्यक्ति को ऐसी घोषणा करनी होगी एवं ऐसी सूचना देनी होगी जो उसे पर्याप्त रूप से संतुष्ट करे कि इस लेनदेन मे ऐसा कुछ शामिल नहीं है एवं इसे ऐसे किसी उद्देश्य के लिए नहीं किया गया जो कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम या इसके तहत जारी अन्य नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश या आदेश का कोई उल्लंघन करता हो या इनसे बचाव करता हो।

3. एकसमान प्रथाओं को बनाए रखने के उद्देश्य से प्राधिकृत व्यापरी इस बात पर विचार कर सकते हैं कि अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (5) के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उनकी शाखाएं निर्धारित अपेक्षाओं या प्राप्त किए जाने वाले दस्तावेजों पर विचार करें।

4. प्राधिकृत व्यापारियों से अपेक्षित है कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक के सत्यापन हेतु वह सूचना / प्रलेखीकरण का अभिलेख रखें जिनके आधार पर लेनदेन किया गया है। यदि किसी मामले में आवेदक ऐसी अपेक्षाओं का अनुपालन करने से मना करता है या असंतोषजनक अनुपालन करता है तो प्राधिकृत व्यापारी ऐसे लेनदेन को करने से लिखित रूप में मना कर सकता है एवं यदि वह समझता है कि व्यक्ति उल्लंघन / बचाव करना चाह रहा है तो वह इस मामले की रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को कर सकता है।

5. भारतीय रिज़र्व बैंक अनिवासियों को विप्रेषण की अनुमति देते समय स्रोत पर कर की कटौती के संबंध में जिस प्रक्रिया का पालन करना है उसके बारे में फेमा के तहत कोई अनुदेश जारी नहीं करेगा। प्राधिकृत व्यापारी द्वारा कर कानून की अपेक्षाओं का यथालागू रूप में अनुपालन करना अनिवार्य होगा।

6. निवासी व्यष्टि को सुविधा देते समय प्राधिकृत व्यापारी यह सुनिश्चित करें कि बैंक खाते के संबंध में "अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)" दिशानिर्देशों को कार्यान्वित किया गया है। इस सुविधा की अनुमति देते समय वे लागू धन शोधन निवारण नियमों का अनुपालन करें।

7. ग्राहक को चाहिए कि पूंजी खाता लेनदेनों हेतु विप्रेषण करने से पहले बैंक में उसका बैंक खाता कम-से-कम एक वर्ष पहले से हो। यदि विप्रेषण करने के लिए आवेदन करने वाला बैंक का नया ग्राहक है तो, प्राधिकृत व्यापारी को खाता खोलने, परिचालन करने, एवं रखरखाव में समुचित सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा, निधियों के स्रोत के बारे में स्व-संतुष्ट होने के लिए प्राधिकृत व्यापारी को आवेदक से उसकी पिछले एक वर्ष की बैंक विवरण (स्टेटमेंट) मांगनी चाहिए। यदि ऐसा बैंक स्टेटमेंट उपलब्ध न हो तो आवेदक का नवीनतम आय कर निर्धारण आदेश या दाखिल विवरणी (रिटर्न) की प्रति मांगनी चाहिए।

8. प्राधिकृत व्यापारी को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्राप्त भुगतान विप्रेषण भेजने वाले व्यक्ति के निधि से होना चाहिए एवं भुगतान आवेदक के बैंक खाते पर आहरित चेक से होना चाहिए या उसके खाते से नामे होना चाहिए या मांग ड्राफ्ट/भुगतान आदेश से होना चाहिए। प्राधिकृत व्यापारी को कार्डधारक के क्रेडिट/डेबिट/प्रिपेड कार्ड से भी भुगतान स्वीकार करना चाहिए।

9. प्राधिकृत व्यापारी को यह भी सत्यापित करना चाहिए कि विप्रेषण प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत: अपात्र संस्थाओं को/अथवा द्वारा नहीं किया जा रहा है एवं विप्रेषण यहां दिए गए अनुदेशों के अनुसार ही किया जा रहा है।

10. प्राधिकृत व्यापारी इस योजना के तहत पूंजीगत खाता लेनदेन के लिए विप्रेषणों हेतु निवासी व्यष्टि को किसी भी तरह की ऋण सुविधा नहीं देनी चाहिए।

11. प्राधिकृत व्यापारी को एफएटीएफ द्वारा चिन्हित उन देशों का रिकॉर्ड रखना चाहिए जो असहयोगी देश एवं क्षेत्र माने गए हें एवं तद्नुसार इस सूची को अद्यतन करते रहना चाहिए जिससे कि उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत लेनदेन करने वाली उनकी शाखाएं आवश्यक कार्रवाई कर सकें। इसके लिए वे www.fatf-gafi.org नामक वेबसाइट देखते रहें एवं इससे एफएटीएफ द्वारा असहयोगी देशों की अद्यतन सूची को हासिल करें।

12. इस योजना के तहत किए गए विप्रेषण की रिपोर्ट सामान्य क्रम में फेटर्स (FETERS)20 प्रारूप में की जाए।21 इसके अलावा, योजना के तहत रिपोर्टिंग से जुड़े अनुदेशों के लिए एडी बैंक फेमा, 1999 के तहत रिपोर्टिंग विषय पर जारी 01 जनवरी 2016 के एफईडी मास्टर निदेश सं.18/2015-16 (समय-समय पर अद्यतन) का संदर्भ लें।22

13. भारत में कार्यरत कई विदेशी बैंकों के साथ-साथ भारतीय बैंक भी विदेशी करेंसी जमा (एलआरएस के तहत निवासियों से) [पारदेशीय म्यूचुअल फंडों की ओर से] का अनुरोध (विज्ञापन के माध्यम से) कर रहे हैं या उनकी समुद्रापारीय शाखाओं में रखने के लिए अनुरोध कर रहे हैं। इन विज्ञापनों में निवासी व्यष्टि के हित रक्षण के दृष्टिकोण से समुचित प्रकटीकरण नहीं दिया जाता है जिससे संभाव्य जमाकर्ताओं के मार्गदर्शन संबंधी चिंता होती है। इसके अलावा, जिन विदेशी संस्थाओं की भारत में परिचालनात्मक उपस्थिति नहीं है तो उनके द्वारा विदेशी करेंसी जमा मांगने हेतु की जाने वाली विपणन गतिविधियों पर पर्यवेक्षी चिंताएं भी हैं। अत:, भारतीय एवं विदेशी बैंक, उन बैंकों सहित जिनकी भारत में परिचालनात्मक उपस्थिति नहीं है, दोनों को ही निवासियों हेतु उन योजनाओं के विपणन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी जिनमें या तो उनकी विदेशी/पारदेशीय शाखाओं हेतु विदेशी करेंसी जमा की मांग की गई हो या पारदेशीय म्यूचुअल फंडों या अन्य विदेशी सेवा कंपनी के लिए एजेंट के रूप में कार्य किया जा रहा हो। इस संबंध में आवेदन प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 12वीं मंजिल, फोर्ट, मुंबई 400 001 को संबोधित किया जाए।


25अनुबंध-2 (हटा दिया गया)


1 11.02.16 के एपी (डीआईआर) सीरिज परिपत्र 50 के माध्यम से संशोधित फॉर्म ए-2 के फॉर्मेट के रूप में जोड़ा गया। जोड़ने से पूर्व इसे “अनुबंध-1 फॉर्म-2” पढ़ा जाता था।

2 "उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक की विदेशी मुद्रा की खरीद हेतु आवेदन सहित घोषणा-पत्र" को हटा दिया गया है क्योंकि इसे दिनांक 11.02.16 के एपी (डीआईआर) सीरिज परिपत्र 50 के माध्यम से बंद कर दिया गया है।

3 हटाया गया

4 11 फरवरी 2016 के एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्र 50 के माध्यम से इसे जोड़ा गया। इस जुड़ाव से पहले इसे "उदारीकृत घोषणा फॉर्म" के रूप में पढ़ा जाता था।

5 इसे विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022, विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022 के प्रावधानों के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से दिनांक 22 अगस्त 2022 से उक्त शब्द हटा दिया गया है। हटाये जाने से पूर्व उसे “परिसंपत्ति की खरीद” पढ़ा जाता था।

6 इसे विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022, विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022 के प्रावधानों के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से दिनांक 22 अगस्त 2022 से उक्त शब्द हटा दिया गया है। हटाये जाने से पूर्व उसे “परिसंपत्ति” पढ़ा जाता था।

7 इसे विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022, विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022 के प्रावधानों के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से दिनांक 22 अगस्त 2022 से जोड़ा गया है।

8 इसे विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022, विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022 के प्रावधानों के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से दिनांक 22 अगस्त 2022 से उक्त पैराग्राफों को आशोधित किया गया है। आशोधन से पूर्व उन्हें निम्न प्रकार पढ़ा जाता था: “(ii) विदेश में परिसंपत्ति खरीदना; (iii) विदेश में निवेश – सूचीबद्ध एवं असूचीबद्ध पारदेशीय कंपनियों के शेयर अथवा ऋण लिखत अधिग्रहीत करना एवं धारित करना; 5निदेशक का पद ग्रहण करने के लिए विदेशी कंपनी के अर्हक शेयरों का अधिग्रहण;दी गई व्यावसायिक सेवाओं के लिए अथवा निदेशक के महनतने के बदले में विदेशी कंपनी के शेयर अधिग्रहित करना; म्यूचुअल फंडों की यूनिटों, वेंचर कैपीटल फंडों, दर रहित ऋण प्रतिभूतियों, वचन पत्रों में निवेश; (iv) 5 मार्च 2013 की अधिसूचना सं फेमा 263/आरबी-2013 में निर्धारित शर्तों के अधीन वास्तविक (बोनाफाइड) कारोबार हेतु भारत के बाहर पूर्ण स्वामित्व की सहायक संस्थाएं या संयुक्त उद्यम (05 अगस्त 2013 से प्रभावी) स्थापित करना;”

9 दिनांक 19 जून 2018 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 32 में सूचित किए गए अनुसार “कंपनी अधिनियम, 1956” शब्दों को “कंपनी अधिनियम, 2013” शब्दों के द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

10 “रिश्तेदार’ शब्द की परिभाषा अद्यतन करने हेतु “भारतीय कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6” शब्दों को “कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77)” शब्दों से प्रतिस्थापित किया गया है, जिसे दिनांक 19 जून 2018 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 32 द्वारा सूचित किया गया है।

11 दिनांक 10 जुलाई 2024 के एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्र संख्‍या 15 के माध्यम से जोड़ा गया।

12 दिनांक 26 अप्रैल 2023 के एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्र संख्‍या 3 के माध्यम से जोड़ा गया।

13 दिंनाक 16 फरवरी 2021 के एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्र संख्‍या 11 के माध्यम से जोड़ा गया।

14 दिनांक 11 फरवरी 2016 के एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्र 50 के माध्यम से जोड़ा गया। इस जुड़ाव से पहले इसे "अनुबंध 2 के मुताबिक एलआरएस के तहत विदेशी मुद्रा की खरीद हेतु फॉर्म-2 के रूप में अनुबंध 1 एवं आवेदन-सह-घोषणा" के रूप में पढ़ा जाता था।

15 इसे दिनांक 19 जून 2018 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 32 द्वारा आशोधित किया गया है। आशोधन से पूर्व इसे निम्न प्रकार पढ़ा जाता था: “योजना के अंतर्गत पूंजी खाता लेनदेन के लिए विप्रेषण हेतु पैन कार्ड का होना अनिवार्य है। हालांकि, 25000 यूएसडी तक के अनुमत चालू खातेगत लेनदेन हेतु विप्रेषण के लिए पैन कार्ड का आग्रह नहीं किया जाएगा।“

16 विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2015 के विनियम-7 [अधिसूचना सं. फेमा 9(आर)/2015-आरबी] के प्रावधानों के अनुरूप बनाने के लिए दिनांक 24 अगस्त 2022 से इसे अशोधित किया गया है। आशोधन से पूर्व इसे निम्न प्रकार पढ़ा जाता था: “वर्तमान में निवासी व्यष्टि से अपेक्षित नहीं है कि वह इस योजना के तहत किए गए निवेश से अर्जित निधि या आय को वापस भेजे।”

17 विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022, विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022 के प्रावधानों के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से इसे दिनांक 22 अगस्त 2022 से आशोधित किया गया है। आशोधन से पूर्व इसे निम्न प्रकार पढ़ा जाता था:“एलआरएस सीमा के तहत यदि विदेश में ईक्विटी शेयरों में; भारत के बाहर के संयुक्त उद्यम (जेवी)/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) के अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों में सीधे निवेश किया गया हो, तो उसे 5 मार्च 2013 की अधिसूचना सं. फेमा 263/आरबी-2013 के तहत पारदेशीय निवेश दिशानिर्देशों में निर्धारित शर्तों का अनुपालन करना होगा।”

18 “रिश्तेदार’ शब्द की परिभाषा अद्यतन करने हेतु “भारतीय कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6” शब्दों को “कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77)” शब्दों से प्रतिस्थापित किया गया है, जिसे दिनांक 19 जून 2018 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 32 द्वारा सूचित किया गया है।

19 “रिश्तेदार’ शब्द की परिभाषा अद्यतन करने हेतु “भारतीय कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा-6” शब्दों को “कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77)” शब्दों से प्रतिस्थापित किया गया है, जिसे दिनांक 19 जून 2018 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 32 द्वारा सूचित किया गया है।

20 “आर-विवरणी” शब्दों को “फेटर्स” शब्दो द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।

21 दिनांक 03 जुलाई 2024 के एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्र संख्‍या 13 के माध्यम से संशोधित किया गया। संशोधन से पूर्व इस तरह पढ़ा जा था: “25,000 अमेरिकी डॉलर से कम राशि के विप्रेषण के मामले में प्राधिकृत व्यापारी डमी फॉर्म ए-2 में उसके अभिलेख तैयार करें एवं उन्हें बनाए रखें।”

22 फेमा के तहत रेपोर्टिंग विषय पर जारी मास्टर निदेश सं. 18/2015-16 में दिनांक 12 अप्रैल 2018 को किए गए संशोधन के अनुरूप बनाने के लिए इसे दिनांक 19 जून 2018 से जोड़ा गया है।

23 11 फरवरी 2016 के एपी(डीआईआर) सीरिज परिपत्र सं. 50 के माध्यम से जोड़ा गया। इस जोड़ से पहले इसे अनुबंध 1 पढ़ा जाता था जिसे इस तारीख से अब प्रतिस्थापित कर दिया गया है।

24 इसे दिनांक 19 जून 2018 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 32 द्वारा आशोधित किया गया है। आशोधन से पूर्व इसे निम्न प्रकार पढ़ा जाता था: “पैन नंबर (25000 यूएसडी से अधिक की राशि के विप्रेषणों तथा सभी पूंजी खाता लेनदेन के लिए)।“

25 इसे हटाया गया है क्योंकि दिनांक 11 फरवरी 2016 से ‘फॉर्म एलआरएस’ के प्रस्तुतीकरण की आवश्यकता को समाप्त किया गया था।

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