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मास्टर निदेश - मुद्रा बदलने के कार्य

आर.बी.आई/एफईडी/2015-16/17
एफईडी मास्टर निदेश नं.03/2015-16

01 जनवरी 2016

विदेशी मुद्रा विनिमय के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय

मास्टर निदेश - मुद्रा बदलने के कार्य

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10 के अनुसार रिज़र्व बैंक व्यक्तियों को अन्य बातों के साथ-साथ विदेशी मुद्रा विनिमय संबंधी लेनदेनों के लिए प्राधिकृत व्यापारी या मुद्रा परिवर्तक के रूप में प्राधिकृत व्यक्तियों को प्राधिकृत करता है।

2. प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तक (अन्यथा जिन्हें संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक के रूप में जाना जाता है) एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II संस्था (एडी केट II) अपने ग्राहकों/ घटकों के साथ निर्दिष्ट (चालू खाता) विदेशी मुद्रा विनिमय लेनदेन करते हैं। इसके अलावा, प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तक एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II निवासियों एवं अनिवासियों से विदेशी मुद्रा की खरीद के लिए फ्रेंचाइजी भी नियुक्त कर सकते हैं।

3. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 11 के तहत रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करता है कि वे अधिनियम, एवं किसी नियम या इनके तहत बनाए गए विनियम, अधिसूचना, निदेश या आदेश के प्रावधानों का अनुपालन करते हुए विदेशी मुद्रा विनिमय का कारोबार करें।

4. मुद्रा परिवर्तकों एवं प्राधिकृत व्यक्ति श्रेणी II संस्थाओं एवं इनके फ्रेंचाइजियों के प्राधिकरण, कार्य के साथ - साथ अपने ग्राहकों/ घटकों के साथ विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबधित निदेशों को समेकित कर मास्टर निदेश के रूप में जारी किया जा रहा है जो कि इसके साथ संलग्न है। रिपोर्टिंग अनुदेश रिपोर्टिंग पर जारी मास्टर निदेश में दिए गए हैं। नोट किया जाए कि जहां आवश्यक है वहां ऐसे नियमों, विनियमों, अधिसूचनाओं, निदेशों या आदेशों या लेनदेन से संबंधित अन्य तरीकों जिनके अनुसार प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों/ घटकों से लेनदेन करना है, उनमें होने वाले परिवर्तन के बारे में रिज़र्व बैंक ए.पी. (डीआईआर सीरिज) के माध्यम से प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। जारी मास्टर निदेश में संशोधन साथ ही साथ उपयुक्त रूप से जारी किए जाएंगे।

भवदीय

(बी. पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक


मास्टर निदेश - मुद्रा बदलने के कार्य

खंड - I

1. प्रस्तावना

प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तकों (एएमसी) द्वारा मुद्रा परिवर्तन का कार्य किया जा सकता है जिसे कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10 के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा अधिकृत किया जाता है। कोई भी व्यक्ति मुद्रा परिवर्तन कारोबार को तब तक न तो कर सकता है और न ही इसके बारे में विज्ञापन दे सकता है जब तक कि उसके पास रिज़र्व बैंक द्वारा जारी मुद्रा परिवर्तन का वैध लाइसेंस न हो। वैध लाइसेंस के बिना मुद्रा परिवर्तन का कारोबार करने वाला व्यक्ति इस अधिनियम के तहत दंड का पात्र होगा।

एएमसी संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफएफएमसी), प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक (एडी श्रेणी - I बैंक) और प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II संस्था (एडी श्रेणी - II) हो सकता है जिसे विदेशी मुद्रा विनिमय में उद्देश्य विशेष के लिए लेनदेन करने के लिए रिज़र्व बैंक अधिकृत करता है। इस दस्तावेज में एएमसी के लिए लाइसेंसिंग एवं परिचालनात्मक दिशार्निदेश संबंधी विभिन्न अनुदेश निहित हैं।

2. एफएफएमसी लाइसेंस जारी करने हेतु दिशानिर्देश

निवासी एवं भारत दौरे पर आने वाले अनिवासियों से विदेशी मुद्रा खरीदने एवं निजी तथा केवल कारोबारी यात्रा के लिए विदेशी मुद्रा बेचने के लिए एफएफएमसी अधिकृत हैं।

प्राधिकृत व्यक्तियों के लिए नए एफएफएमसी लाइसेंस एवं एफएफएमसी लाइसेंस के नवीकरण, शाखा लाइसेंस, एजेंटों/ फ्रेंचाइजियों की नियुक्ति के अनुमोदन एवं अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/ धन शोधन निवारण (एएमएल)/ आतंकवद वित्तपोषण का मुकाबला करने (सीएफटी) संबंधी दिशानिर्देश नीचे दिए गए हैं:-

i. प्रवेश मानदंड

a) आवेदक कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत कंपनी होनी चाहिए।

b) एफएफएमसी के रूप में विचार किए जाने हेतु न्यूनतम निवल स्वामित्व निधि (एनओएफ) निम्नानुसार होनी चाहिए:-

श्रेणी

न्यूनतम निवल स्वामित्व निधि

एकल शाखा एफएफएमसी

रु. 25 लाख

बहु - शाखा एफएफएमसी

रु. 50 लाख

नोट:- बैंकों से इतर आवेदकों के लिए न्यूनतम निवल स्वामित्व निधि की गणना निम्ननानुसार की जाएगी।

(क) स्वामित्व वाली निधि:- (चुकता पूंजी + निर्बाध आरक्षित निधियां + लाभ एवं हानि खाते में क्रेडिट शेष) में से घटाएं (उपचित हानि शेष, आस्थगित राजस्व व्यय एवं अन्य अमूर्त आस्तियां)

(ख) निवल स्वामित्व निधि:- स्वामित्व वाली निधि में से घटाएं इसकी सहायक कंपनियों, के शेयरों में निवेश की राशि, एक ही समूह के कंपनियों ,सभी (अन्य) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा डिबेंचरों ,बांडों,बकाया ऋण एवं अग्रिम जो उनकी सहायक कंपनियों और उसी समूह के कंपनियों में स्वामित्व निधि के 10% से अधिक जमा किए गए हो।

ii. प्रलेखीकरण

आवेदक को निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ अपना आवेदन भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा जिसके क्षेत्राधिकार में उसका पंजीकृत कार्यालय आता हो:-

  1. कंपनी के निगमन प्रमाणपत्र एवं कारोबार आरंभ करने के प्रमाणपत्र की प्रति।

  2. संस्था के अंतर्नियम एवं बहिर्नियम की प्रति जिसमें मुद्रा परिवर्तक कारोबार करने संबंधी प्रावधान हो या कंपनी लॉ बोर्ड में इस आशय से संबंधित समुचित संशोधन के लिए आवेदन किया गया हो।

  3. नवीनतम अंकेक्षित खातों की प्रति जिसके साथ आवेदन की तारीख पर निवल स्वामित्व निधि के बारे मे सांविधिक लेखाकार का प्रमाणपत्र हो। जहां लागू हो वहां कंपनी के अंकेक्षित तुलन पत्र एवं लाभ तथा हानि लेखा की प्रति।

  4. मुहरबंद लिफाफे में आवेदक के बैंकर की गोपनीय रिपोर्ट।

  5. इस आशय का प्रमाणपत्र कि प्रवर्तन निदेशालय (डीओई)/ राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) या अन्य किसी कानून प्रवर्तक प्राधिकारियों द्वारा आवेदक कंपनी या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है एवं आवेदक कंपनी या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है।

  6. इस आशय का घोषणापत्र कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग विनियमन विभाग, केंद्रीय कार्यालय के अपने नवीनतम मास्टर निदेश - "पीएमएलए, 2002 के तहत अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानक/ धन शोध निवारण (एएमएल) मानदंड/ आतंकवाद वित्तपोषण का मुकाबला करना (सीएफटी)/ बैंकों की बाध्यताएं" एवं इस संबंध में जारी अन्य अनुदेशों तथा समय-समय पर यथा संशोधित अनुदेशों के संदर्भ में जारी दिशानिर्देशों, जो कि सभी प्राधिकृत व्यक्तियों पर लागू हैं, के अनुसार केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी से संबंधित समुचित नीतिगत ढ़ांचा कारोबार शुरू करने से पहले रिज़र्व बैंक के अनुमोदन से बनाया जाएगा।

  7. वित्तीय क्षेत्र में परिचालन कर रही एनबीएफसी आदि सरीखी सहायक/ अनुषंगी संस्थाओं के ब्योरे।

  8. मुद्रा परिवर्तक कारोबार करने के लिए निदेशक मंडल के संकल्प की सत्यापित प्रति।

iii. अनुमोदन का आधार

a) चूंकि कई एफएफएमसी पहले से ही कार्य कर रहे हैं अत:, चुनिंदा आधार पर उन्हें नए लाइसेंस जारी करने हैं जो लाइसेंसिंग संबंधी सभी अपेक्षाओं का पालन कर रहे हैं।

b) आवेदक एफएफएमसी# के लिए "फिट एंड प्रापर" मानक

यदि कंपनी/ इसके निदेशकों के विरुद्ध डीईओ/ डीआरआई द्वारा कोई मामला या अन्य किसी कानून प्रवर्तक प्राधिकारी द्वारा कोई मामला शुरू किया जाने वाला है/ लंबित है तो कंपनी को "फिट एंड प्रापर" नहीं माना जाएगा एवं एफएफएमसी के लाइसेंस के लिए इसके आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।

(# गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II पर भी लागू)

c) एफएफएमसी* के निदेशकों के लिए "फिट एंड प्रापर" मानकों हेतु कृपया इस संबंध में खंड - VIII देखें।

(*गैर-बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II पर भी लागू)

d) अधिकारप्राप्त समिति द्वारा अनुमति (क्लीयरेंस)

एफएफएमसी लाइसेंस जारी करने के अनुरोध पर भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा इसके लिए गठित अधिकार प्राप्त समिति की अनुमति के आधार विचार किया जाएगा।

e) अनुमोदन प्रदान करने या अन्यथा के बारे में रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम तथा बाध्यकारी होगा।

f) रिज़र्व बैंक की अनुमति मिलने के पश्चात शॉप्स एंड एस्टाब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण की प्रति या किराया रसीद, पट्टा करार की प्रति आदि सरीखे दस्तावेजी सबूत कारोबार शुरू करने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय को प्रस्तुत किए जाएं।

g) लाइसेंस जारी होने के छह महीने के अंदर एफएफएमसी को अपना परिचालन शुरू करना चाहिए तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय को सूचित करना चाहिए।

h) नए एफएफएमसी को नीचे दिए गए खंड V से VI में दिए गए निर्दिष्ट अनुदेश एवं समय - समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अन्य अनुदेशों के अनुसार अपनी गतिविधियां संचालित करनी चाहिए।

(नोट:- पात्रता मानक पूरा करने वाली शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को केवल प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II के रूप में प्राधिकृत होने पर विचार किया जाएगा।)

खंड-II

अतिरिक्त शाखाओं हेतु प्राधिकार मंजूर करने हेतु दिशानिर्देश

1. किसी भी एफएफएमसी को भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना कारोबार की स्थायी जगह के अलावा अन्य किसी अतिरिक्त स्थान पर मुद्रा परिवर्तन का कार्य नहीं करना चाहिए। जो एफएफएमसी मुद्रा परिवर्तन का कार्य अतिरिक्त कारोबारी स्थल पर करना चाहता है उसे विदेशी मुद्रा विभाग के उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में लिखित आवेदन करना होगा जहां आवेदक का पंजीकृत कार्यालय आता हो एवं रिज़र्व बैंक उपयुक्त शर्तं के अधीन अतिरिक्त कारोबार स्थल की अनुमति दे सकता है। यह अपेक्षित होता है कि प्राधिकृत व्यक्ति की शाखाएं वैविध्यपूर्ण हों एवं पर्यटकों आदि की मांग पूरा कर सकें। सुदूर क्षेत्रों में स्थित पर्यटन के आकर्षक केंद्रों में शाखा खोलने के आवेदनों को वरीयता दी जाएगी।

2. अतिरिक्त स्थानों (कारोबारी स्थानों) के आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज होने चाहिए:-

  1. संस्था की एनओएफ स्थिति के संबंध में इसके स्वत्वाधिकारी/ साझीदार/ निदेशक/ मुख्य वित्तीय अधिकारी से प्रमाणपत्र

  2. इस आशय का घोषणापत्र कि प्रवर्तन निदेशालय (डीओई)/ राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) या अन्य किसी कानून प्रवर्तक प्राधिकारियों द्वारा आवेदक या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है एवं आवेदक या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है। ऐसी किसी एफएफएमसी को नया लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा जिनके विरुद्ध डीओई/ डीआरआई का बड़ा मामला लंबित नहीं है। डीओई/ डीआरआई के छोटे-मोटे लंबित मामलों के बारे में रिज़र्व बैंक मामला - दर - मामला आधार पर निर्णय लिया जाएगा। डीओई/ डीआरआई के लंबित मामलों के बड़े/ छोटे होने का वर्गीकरण रिज़र्व बैंक के विवेक पर होगा एवं रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम एवं बाध्यकारी होगा। डीओई/ डीआरआई के जिन मामलों में अधिनिर्णय हो गया हो एवं दंड लगा दिया गया हो उसमें अपराध के स्वरूप के आधार पर दृष्टिकोण रखा जाएगा बशर्ते डीओई/ डीआरआई ने कोई नया मामला शुरू न किया हो।

  3. इस आशय की घोषणा कि भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने के पश्चात केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी नीति ढ़ांचे में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

  4. इस आशय की घोषणा कि भारतीय रिज़र्व बैंक को अंतिम बार आलेख प्रस्तुत करने के पश्चात आंतरिक एवं बाह्य लेखा सहित आंतरिक नियंत्रण प्रणाली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। तथापि, यदि कोई परिवर्तन हुआ हो तो संशोधित/ अद्यतन आलेख प्रस्तुत किया जाए।

3. शॉप्स एंड एस्टाब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण की प्रति या किराया रसीद, पट्टा करार की प्रति आदि सरीखे अन्य दस्तावेजी सबूत कारोबार शुरू करने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय को प्रस्तुत किए जाएं।

4. भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा काउंटर (संपूर्ण मुद्रा विनिमय शाखाएं/ विस्तार काउंटर) खोलने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी को अग्रलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:-

  1. भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा काउंटर आगमन हॉल में कस्टम डेस्क (ग्रीन चैनल/ रेड चैनल) के बाद होने चाहिए। तथापि, भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा विनिमय काउंटर इमिग्रेशन डेस्क एवं कस्टम डेस्क के बीच भी स्थापित किए जा सकते हैं बशर्ते ये काउंटर केवल विदेशी मुद्रा खरीदें एवं भारतीय मुद्रा (रुपया) बेचें तथा मुद्रा परिवर्तक द्वारा ग्राहकों को अनिवार्य रूप से "नकदीकरण (एनकैशमेंट) प्रमाणपत्र" जारी किया जाए।

  2. भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा काउंटर प्रस्थान हॉल में कस्टम डेस्क या इमिग्रेशन डेस्क (इनमें से जो भी पहले आए) से पहले स्थापित किया जाए। जिससे कि अनिवासी व्यय न हुई/ नीचे पैरा (ग) एवं (घ) में निर्धारित सीमा से अधिक की भारतीय मुद्रा को बदल सकें। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेशी मुद्रा काउंटर प्रस्थान हॉल में इमिग्रेशन डेस्क/ कस्टम डेस्क से आगे स्थित ड्यूटी फ्री क्षेत्र/ एसएचए में भी स्थापित किए जाएं।

  3. निवासी भारतीयों के साथ-साथ ऐसे अनिवासियों को जो कि - (i) पाकिस्तान या बांग्लादेश के नागरिक नहीं है एवं (ii) पाकिस्तान या बांग्लादेश नहीं जा रहे हैं, उन्हें देश छोड़ते समय हवाई अड्डे से अधिकतम रु. 25,000/ की राशि ले जाने की अनुमति है।

  4. पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर हवाई मार्ग से देश छोड़ते समय बोर्डिंग प्वाइंट तक, इससे आगे नहीं, अधिकतम रु. 10,000/- की राशि ले जाने की अनुमति है।

5. अपनी अतिरिक्त शाखा के लाइसेंस जारी होने के छह महीने के अंदर एफएफएमसी को अपना परिचालन शुरू करना चाहिए तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय को सूचित करना चाहिए।

खंड-III

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II

1. इस योजना के तहत रिज़र्व बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II एवं एफएफएमसी को अपने विकल्प पर सीमित मुद्रा परिवर्तन कारोबार अर्थात विदेशी मुद्रा नोट, सिक्कों या ट्रेवलर चेक का भारतीय रुपए में परिवर्तन करने के लिए करार करने {(फ्रेंचाइजी) एजेंसी के रूप में संबोधित} की अनुमति देता है। तथापि, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश की सीमा से 10 किमी के अंदर प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी सीमावर्ती देशों की मुद्रा भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय की पूर्वानुमति से बेच सकते हैं। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी के अन्य फ्रेंचाइजी विदेशी मुद्रा नहीं बेच सकते हैं।

2. फ्रेंचाइजी

कोई भी ऐसी संस्था जिसके पास कारोबार का स्थान हो एवं रु. 10 लाख की न्यूनतम निवल मालियत हो वह फ्रेंचाइजी हो सकती है। फ्रेंचाइजी केवल सीमित मुद्रा परिवर्तन कारोबार कर सकते हैं।

3. फ्रेंचाइजी करार

फ्रेंचाइज़र्स के रूप में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी करार की दिशा के साथ - साथ कमीशन या शुल्क के बारे में भी फ्रेंचाइजी के साथ आपसी सहमति के साथ करार कर सकते हैं।

एजेंसी/ फ्रेंचाइजी किए जाने वाले करार के निम्नलिखित महत्वपूर्ण विशेषताएं शामिल होनी चाहिए:-

  1. फ्रेंचाइजी को अपने फ्रेंचाइजर का नाम, विनिमय दर के साथ-साथ अपने कार्यालय में यह तथ्य स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना चाहिए कि वह केवल विदेशी मुद्रा खरीदने के लिए अधिकृत है। विदेशी मुद्रा की रुपए में विनिमय दर प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी की शाखाओं की दैनिक विनिमय दर के समान हो या उसके आस - पास ही हो।

  2. फ्रेंचाइजी द्वारा खरीदी गई विदेशी मुद्रा इसे अपने फ्रेंचाइजर के पास खरीद की तारीख से 7 कार्य दिवस के अंदर जमा कर देनी चाहिए।

  3. फ्रेंचाइजी द्वारा लेनदेन का समुचित रिकॉर्ड रखना चाहिए।

  4. फ्रेंचाइजर द्वारा फ्रेंचाइजी का वर्ष में कम-से-कम एक बार ऑन-साइट निरीक्षण किया जाना चाहिए।

4. आवेदन का तरीका

इस योजना के तहत फ्रेंचाइजी नियुक्त करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी को रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय में फॉर्म आरएफसी-एफ में आवेदन करना चाहिए। इस आवेदन के साथ इस आशय की घोषणा संलग्न होनी चाहिए कि फ्रेंचाइजी का चयन करते समय पर्याप्त सावधानी बरती गई है एवं ऐसी संस्थाएं फ्रेंचाइजी करार के प्रावधानों एवं मुद्रा परिवर्तन के संबंध में रिज़र्व बैंक के लागू विनियमों के पालन के लिए वचनबद्ध हैं। पहले फ्रेंचाइजी करार के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन प्रदान किया जाएगा। तत्पश्चात, जब भी नए फ्रेंचाइजी करार हों तो उक्त घोषणा के साथ कार्योत्तर मंजूरी के आधार पर फॉर्म आरएफसी-एफ में इस बारे में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की जाए।

5. फ्रेंचाइजी के संबंध में बरती जाने वाली सावधानी

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी फ्रेंचाइजी के संबंध में सावधानी बरतते हुए निम्नवत न्यूनतम जांचें अवश्य करें:-

  • फ्रेंचाइजी के वर्तमान कारोबार की गतिविधियां/ इस क्षेत्र में उसकी स्थिति।

  • फ्रेंचाइजी की न्यूनतम निवल स्वामित्व वाली निधि।

  • फ्रेंचाइजी के पक्ष में शॉप्स एंड एस्टाब्लिशमेंट/ नगरपालिका के अन्य लागू प्रमाणपत्र।

  • जिस स्थान पर फ्रेंचाइजी सीमित मुद्रा परिवर्तन का कार्य करेगा उस स्थान के अस्तित्व का भौतिक सत्यापन।

  • स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों से फ्रेंचाइजी का आचरण प्रमाणपत्र (निगमित संस्थाओं के संबंध में संस्था के बहिर्नियम एवं निगमन प्रमाणपत्र की सत्यापित प्रति)।

नोट:- स्थानीय पुलिस प्राधिकारियों से फ्रेंचाइजी का आचरण प्रमाणपत्र हासिल करना फ्रेंचाइजर के लिए वैकल्पिक होगा। तथापि, फ्रेंचाइजर के रूप में व्यक्तियों/ संस्थाओं को नियुक्त करते समय फ्रेंचाइजर इस बारे में समुचित सावधानी बरतें कि इनके विरुद्ध किसी भी कानून प्रवर्तक एजेंसी द्वारा कोई मामला न हो/ कार्यवाही शुरू न की हो/ मामला लंबित न हो।

  • फ्रेंचाइजी या इसके निदेशकों/ साझीदारों के विरुद्ध किसी भी कानून प्रवर्तक एजेंसी द्वारा कोई पिछला आपराधिक मामला हो, शुरू किए गए मामले/ लंबित मामलों की घोषणा।

  • फ्रेंचाइजी एवं इसके निदेशकों/ साझीदारों के पैन कार्ड।

  • फ्रेंचाइजी के निदेशकों/ साझीदारों एवं मुख्य व्यक्तियों के फोटोग्राफ।

ये जांचे नियमित आधार पर मगर वर्ष में कम-से-कम एक बार की जाएं। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी साइट का व्यक्तिगत तौर पर दौरा करने के अलावा फ्रेंचाइजी के स्थान की पुष्टि के लिए समुचित दस्तावेजी सबूत भी हासिल करें। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी सनदी लेखाकार से इस आशय का प्रमाणपत्र भी हासिल करे कि फ्रेंचाइजी के निवल स्वामित्व में अनवरत आधार पर रु. 10 लाख की निधियां रहती हैं।

6. केंद्रों का चयन

(i) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी अपनी संबंधित नियंत्रक शाखाओं से 100 किमी के दायरे में फ्रेंचाइजी नियुक्त कर सकते हैं।

(ii) तथापि, फ्रेंचाइजी के रूप में नियुक्त मान्यताप्राप्त समूहों/ होटलों की श्रृंखलाओं के मामले में दूरी के मानक में छूट है बशर्ते समूह/ होटल की श्रृंखला का मुख्यालय संबंधित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी (फ्रेंचाइजर) के 100 किमी के दायरे में हो।

(iii) इसके अलावा, ऐसे क्षेत्र जो पहाड़ी क्षेत्र के रूप में घोषित (संबंधित राज्य सरकार/ संघशासित प्रदेश द्वारा यथा परिभाषित) हो एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों पर उक्त मद संख्या (i) में दूरी से संबंधित प्रतिबंध लागू नहीं होगा।

7. प्रशिक्षण

फ्रेंचाइजरों से अपेक्षित है कि वे परिचालनों एवं रिकॉर्ड के रखरखाव का प्रशिक्षण फ्रेंचाइजी को दें।

8. रिपोर्टिंग, लेखा-परीक्षा एवं निरीक्षण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी से अपेक्षित है कि वे ऐसी व्यवस्था करें कि फ्रेंचाइजियों द्वारा किए जा रहे लेनदेनों की नियमित आधार (कम-से-कम मासिक रूप में) रिपोर्टिंग फ्रेंचाइजरों की जाए। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी फ्रेंचाइजियों के सभी स्थानों पर औचक लेखा-परीक्षा छह महीने में कम-से-कम एक बार की जाए। ऐसी लेखा-परीक्षाएं एक समर्पित दल द्वारा की जाएं एवं फ्रेंचाइजियों द्वारा अनुपालन के स्तर की जांच करने के लिए "गोपनीय ग्राहक" (इसमें व्यक्ति संभाव्य ग्राहक का नाटक करें एवं ऐसा उस स्तर तक करें जिससे प्रक्रिया के बारे में आम आदमी की स्थिति का पता चले)। फ्रेचाइजियों के लेखा के वार्षिक निरीक्षण की व्यवस्था भी होनी चाहिए। इन निरीक्षणों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि फ्रेंचाइजी मुद्रा परिवर्तन का कार्य करार की शर्तों एवं रिज़र्व बैंक के वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुरूप करें एवं फ्रेंचाइजी आवश्यक रिकॉर्ड भी रखें।

9. धन शोधन निवारण (एएमएल)/ अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/ आतंकवाद वित्तपोषण का मुकाबला करने (सीएफटी) संबंधी दिशानिर्देश

फ्रेंचाइजियों को प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II/ एफएफएमसी के लिए लागू एएमएल/ केवाईसी/ सीएफटी दिशानिर्देशों का पूर्णत: पालन करना चाहिए।

नोट:- जिन एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II के विरुद्ध डीओई/ डीआरआई/ सीबीआई/ पुलिस के बड़े मामले लंबित हों उन्हें फ्रेंचाइजी नियुक्त करने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किए जाएंगे। जिन मामलों में एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II को फ्रेंचाइजी नियुक्त करने की एक बारगी अनुमति मिल गई हो एवं अनुमोदन तारीख के बाद डीओई/ डीआरआई/ सीबीआई/ पुलिस का मामला दर्ज़ हुआ हो तो एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II को और फ्रेंचाइजी नियुक्त नहीं करने चाहिए एवं इस मामले को तुरंत रिज़र्व बैंक के संज्ञान में लाना चाहिए। फ्रेंचाइजी नियुक्त के लिए एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II को अनुमति देने के संबंध में रिज़र्व बैंक निर्णय लेगा।

खंड IV

वर्तमान एफएफएमसी के लाइसेंसों के नवीकरण से संबंधित दिशानिर्देश

1) आवेदक कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत कंपनी होनी चाहिए एवं इसका पंजीकृत कार्यालय विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्राधिकार में आता हो।

2) अपेक्षित निवल स्वामित्व वाली निधियां इस तरह होनी चाहिए:-

श्रेणी न्यूनतम निवल स्वामित्व निधि
एकल शाखा एफएफएमसी रु. 25 लाख
बहु - शाखा एफएफएमसी रु. 50 लाख

3) नवीकरण के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले आवेदनपत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज होने चाहिए:-

क) नवीनतम अंकेक्षित खातों की प्रति जिसके साथ आवेदन की तारीख पर निवल स्वामित्व निधि के बारे मे सांविधिक लेखाकार का प्रमाणपत्र हो।

ख) मुहरबंद लिफाफे में आवेदक के बैंकर की गोपनीय रिपोर्ट।

ग) इस आशय का प्रमाणपत्र कि प्रवर्तन निदेशालय (डीओई)/ राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) या अन्य किसी कानून प्रवर्तक प्राधिकारियों द्वारा आवेदक कंपनी या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है एवं आवेदक कंपनी या इसके निदेशकों के विरुद्ध कोई आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं की गई है/ लंबित नहीं है।

घ) कंपनी में विद्यमान केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी संबंधी नीतिगत ढ़ांचा।

नोट:- मुद्रा परिवर्तक के लाइसेंस के नवीकरण के लिए लाइसेंस की वैधता समाप्त होने से पहले अधिकतम एक महीने या रिज़र्व बैंक द्वारा नियत किसी अन्य अवधि में आवेदन किया जाए। जब कोई व्यक्ति मुद्रा परिवर्तक के लाइसेंस के लिए आवेदन प्रस्तुत करता है तो जब तक कि लाइसेंस नवीकृत न हो जाए या खारिज न हो जाए, जैसी भी स्थिति हो, तब तक यह लाइसेंस प्रभावी रहेगा। लाइसेंस की वैधता समाप्त होने के बाद मुद्रा परिवर्तक के लाइसेंस के लिए आवेदन न किया जाए।

खंड-V

परिचालनात्मक अनुदेश

1. विदेशी मुद्रा लाना एवं बाहर ले जाना

i. भारत में विदेशी मुद्रा किसी भी रूप में एवं बिना किसी सीमा के मुक्त रूप में लाई जा सकती है बशर्ते आगमन पर सीमा-शुल्क प्राधिकारियों के समक्ष मुद्रा घोषणा फॉर्म (सीडीएफ) में इसकी घोषणा करनी चाहिए। लाई गई विदेशी मुद्रा यदि करेंसी नोटों में हो या ट्रेवलर चेक के रूप में और इसकी राशि 10,000/- अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य हो और/ या 5,000 अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य विदेशी करेंसी नोट होने पर सीडीएफ में घोषणा पर जोर न दिया जाए।

ii. उस स्थिति को छोड़कर जब विदेशी मुद्रा किसी प्राधिकृत व्यापारी या मुद्रा परिवर्तक से ली गई हो, भारत से बाहर विदेशी मुद्रा ले जाना प्रतिबंधित है सिवाय उस स्थिति के जब इसके लिए रिज़र्व बैंक की आम या विशेष अनुमति मिली हो। तथापि, अनिवासियों को उतनी राशि बाहर ले जाने की आम अनुमति है जितनी वे अंदर लाए थे बशर्ते उक्त उप-पैरा (i) के प्रावधानों का अनुपालन किया गया हो।

2. जनता से विदेशी मुद्रा की खरीद

i. अधिकृत मुद्रा परिवर्तक (एएमसी)/ फ्रेंचाइजी निवासियों के साथ-साथ अनिवासियों से भी मुक्त रूप से विदेशी करेंसी नोट, सिक्के एवं ट्रेवलर चेक खरीद सकते हैं। यदि विदेशी मुद्रा फॉर्म सीडीएफ में घोषित करके लाई गई है तो इसे देने वाले से इस प्रमाणपत्र को प्रस्तुत करने को कहा जाए। सीडीएफ में की गई घोषणा को प्रस्तुत करने पर एएमसी अनिवार्य रूप से जोर दें।

ii. एएमसी विदेशी पर्यटकों/ दौरे पर आने वालों को अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड/ डेबिट कार्ड के बदले विदेशी मुद्रा बेच सकते हैं एवं सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से इसकी प्रतिपूर्ति के लिए त्वरित रूप से कदम उठाएं।

3. नकदीकरण प्रमाणपत्र

i. जब निवासियों एवं अनिवासियों से विदेशी करेंसी नोटों, सिक्कों एवं ट्रेवलर चेक की खरीद की जाए तो मांगे जाने पर एएमसी नकदीकरण प्रमाणपत्र जारी करें। इन प्रमाणपत्रों पर प्राधिकृत हस्ताक्षरी के हस्ताक्षर हों एवं इन्हें मुद्रा परिवर्तक के पत्र शीर्ष पर जारी किया जाए तथा इनका समुचित रिकॉर्ड रखा जाए।

ii. जिन मामलों में नकदीकरण प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाए इनमें ग्राहकों का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया जाए कि अनिवासियों के पास व्यय न की गई स्थानीय करेंसी को वैध नकदीकरण प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर ही विदेशी मुद्रा में बदला जाएगा।

4. दूसरे एएमसी से एवं प्राधिकृत व्यापारी (एडी) से क्रय

एएमसी दूसरे एमसी एवं एडी से विदेशी करेंसी नोट, सिक्के एवं सामान्य कारोबार में प्रस्तुत किए गए नकदीकृत ट्रेवलर चेक खरीद सकता है। क्रय की गई विदेशी मुद्रा के समतुल्य रुपए का भुगतान केवल रेखांकित आदाता चेक/ मांग ड्राफ्ट/ बैंकर चेक/ भुगतान आदेश के माध्यम से ही किया जाए।

5. विदेशी मुद्रा का विक्रय

I. निजी दौरा

एएमसी विदेश (नेपाल एवं भूटान के अलावा) की एक या अधिक बार के निजी दौरे के लिए भारत के निवासी व्यक्तियों को वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000 की अनुसूची III में निर्दिष्ट निर्धारित सीमा तक विदेशी मुद्रा बेच सकता है। वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा की राशि के संबंध में यात्री की स्व-घोषणा के आधार पर निजी दौरे के लिए विदेशी मुद्रा उपलब्ध होगी। भारत के स्थाई निवासी विदेशी राष्ट्रिक निजी दौरे के लिए इस कोटा को पाने के पात्र होंगे बशर्ते वर्तमान विनियमों के अनुसार वे अपने वेतन, बचत आदि को विदेश में विप्रेषित करने की सुविधा का लाभ न ले रहे हों।

II. कारोबारी दौरा

एएमसी भारत के निवासियों को कारोबारी यात्रा या सम्मेलन में भाग लेने या विशेषज्ञता वाला प्रशिक्षण हासिल करने या विदेश में चिकित्सा या चिकित्सीय जांच के लिए जा रहे मरीज के रखखाव के खर्च के लिए या चिकित्सा/ चिकित्सीय जांच के लिए विदेश जा रहे मरीज के सहायक को विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000 की अनुसूची III में निर्दिष्ट निर्धारित सीमा तक विदेशी मुद्रा बेच सकता है।

III. फोरेक्स (विदेशी मुद्रा) प्री-पेड कार्ड

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – II केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी अपेक्षाओं के अधीन निजी/ कारोबारी दौरे पर विदेश जाने वाले निवासियों को फोरेक्स प्री-पेड कार्ड जारी कर सकते हैं। तथापि, फोरेक्स प्री-पेड कार्डों का समायोजन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I के माध्यम से ही प्रभावी होगा।

इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि प्री-पेड विदेशी करेंसी कार्ड बिल्कुल विदेशी करेंसी नोट या ट्रेवलर चेक के समान ही विदेशी करेंसी हैं। अत:, यात्रा उद्देश्य के लिए प्री-पेड विदेशी करेंसी कार्ड बेचने वाले प्राधिकृत व्यापारियों/ एफएफएमसी को उसी तरह की कठोर मानकों वाली समुचित सावधानी एवं केवाईसी करनी चाहिए जैसी कि वे विदेशी करेंसी नोट/ ट्रेवलर चेक बेचते समय अपने ग्राहकों के साथ करते हैं।

शर्तें

i. विदेशी जारी करते समय एएमसी को जिन दस्तावेजों का सत्यापन करना होता है उनका निर्धारण आम तौर पर रिज़र्व बैंक नहीं करता है। इस संबंध में एएमसी का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10 की उप-धारा (5) की ओर आकृष्ट किया जाता है।

ii. यात्री चेक के मामले में यात्री प्राधिकृत अधिकारी की उपस्थिति में चेक पर हस्ताक्षर करे एवं ट्रेवलर चेक की पावती का रिकॉर्ड रखे।

iii. वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा की राशि के संबंध में यात्री की स्व-घोषणा के आधार पर यात्रा के लिए एएसमी विदेशी मुद्रा जारी कर सकता है।

iv. विदेश यात्रा (निजी दौरे या किसी अन्य उद्देश्य से) के लिए विदेशी मुद्रा की बिक्री के प्रति एएमसी रु. 50,000/- (रु. पचास हजार मात्र) से कम की नकदी का भुगतान स्वीकार कर सकता है। जिन मामलों में विदेशी मुद्रा की बिक्री की राशि रु. 50,000/- के समतुल्य या इससे अधिक हो, फिर चाहे इसमें एकल यात्रा के लिए एक बार का आहरण शामिल हो या बहु-आहरण, तो भुगतान केवल आवेदक के खाते पर आहरित रेखांकित आदाता के खाते के चेक या आवेदक के दौरे को प्रायोजित करने की फर्म/ कंपनी के बैंक खाते पर आहरित रेखांकित आदाता के खाते के चेक या बैंकर चेक/ भुगतान आदेश/ मांग ड्राफ्ट से ही स्वीकार किया जाए। रुपया/ रेखांकित चेक/ बैंकर चेक/ भुगतान आदेश/ मांग ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान के अलावा, एएमसी विदेश यात्रा (निजी दौरे या अन्य किसी उद्देश्य से) के लिए यात्री द्वारा डेबिट कार्ड/ क्रेडिट कार्ड/ प्रीपेड कार्ड से किए गए भुगतान को भी स्वीकार करें बशर्ते:- (i) केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी दिशानिर्देशा का अनुपालन किया गया हो, (ii) विदेशी मुद्रा की बिक्री/ विदेशी मद्रा में ट्रेवलर चेक बैंक द्वारा निर्धारित सीमा (क्रेडिट/ प्रीपेड कार्ड) सीमा के अंदर हो (iii) विदेशी मुद्रा/ विदेशी मुद्रा ट्रेवलर चेक का खरीदार एवं क्रेडिट/ डेबिट/ प्रीपेड कार्ड धारक एक ही व्यक्ति हो।

v. यात्री जिस देश का दौरा कर रहा है उसके लिए समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित सीमा तक ही विदेशी करेंसी नोटों एवं सिक्कों की बिक्री विदेशी मुद्रा की समग्र सीमा तक प्रतिबंधित रखी जाए।

6. भारतीय मुद्रा के पुन: परिवर्तन के प्रति बिक्री

अनिवासियों के भारत से जाते समय उनके पास बची हुई भारतीय मुद्रा को एएमसी विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कर सकते हैं बशर्ते वैध नकदीकरण प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए।

नोट (1):- अनिवासियों के पास यदि रु. 10,000/- तक की बची हुई भारतीय करेंसी है एवं इसके वास्तविक कारण हैं एवं व्यक्ति नकदीकरण प्रमाणपत्र दिखाने में असमर्थ है तो यह सुनिश्चित करने के बाद कि अगले सात दिन में व्यक्ति का प्रस्थान तय है, एएमसी अपने विवेक पर यह परिवर्तन कर सकता है।

नोट (2):- प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II तथा एफएफएमसी निम्नलिखित दस्तावेजों के आधार पर एटीएम पावतियों के प्रति विदेशी पर्यटकों (अनिवासी भारतीय नहीं) को रु. 50,000/- तक भारतीय रुपए के परिवर्तन हेतु सुविधा प्रदान कर सकता है:-

  • वैध पारपत्र एवं वीसा।

  • 7 दिन के अंदर प्रस्थान की कन्फर्म टिकट।

  • एटीएम की मूल स्लिप (मूल डेबिट/ क्रेडिट कार्ड के साथ सत्यापित की जाए)।

7. कैश मेमो

जिन यात्रियों को एएमसी विदेशी मुद्रा बेचते हैं तो उनके मांग करने पर वे उन्हें अपने आधिकारिक पत्र शीर्ष पर कैश मेमो जारी कर सकते हैं। ये कैश मेमो देश छोड़ते समय प्रवासन अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ सकता है।

8. विनिमय दर

विदेशी करेंसी नोटों एवं ट्रेवलर चेकों के लेनदेन से संबंधित विनिमय दर का निर्धारण एएमसी बाजार की स्थितियों एवं बाजार दर के अनुसार करें।

9. विनिमय दर चार्ट का प्रदर्शन

एएमसी पब्लिक काउंटर के पास एक विशिष्ट स्थान पर एक चार्ट प्रदर्शित करें जिसमें सभी प्रमुख करेंसियों की उस दिन की कार्ड दर, पूर्वाह्न 10.30 बजे की स्थिति तक अद्यतन, विदेशी करेंसी नोटों एवं ट्रेवलर चेक की खरीद/बिक्री के लिए प्रदर्शित की जाए।

10. विदेशी मुद्रा शेष

i. एएमसी उचित स्तर तक विदेशी करेंसी का शेष रखें एवं करेंसी की हलचल पर सट्टा के दृष्टिकोण से निष्क्रिय शेष बनाने से बचें।

ii. फ्रेंचाइजी खरीदे गए विदेशी करेंसी नोटों, सिक्कों एवं ट्रेवलर चेकों को सात दिन के अंदर केवल अपने फ्रेंचाइजी को ही अभ्यर्पित करें।

iii. प्राधिकृत व्यापारियों एवं एफएफएमसी के बीच लेनदेन रेखांकित आदाता खाता चेकों/ मांग ड्राफ्ट के माध्यम से समायोजित किए जाएं। किसी भी परिस्थिति में नकदी में समायोजन न किए जाएं।

11. विदेशी करेंसी शेष को पुन: भरना

i. अपने सामान्य कारोबार संबंधी अपेक्षाओं के लिए एएमसी भारत में विदेशी मुद्रा के दूसरे एएमसी/ प्राधिकृत व्यापारियों से विदेशी मुद्रा ले सकते हैं जिसके लिए उन्हें रुपए में रेखांकित आदाता खाता चेकों/ मांग ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान करना होगा।

ii. यदि एएमसी उक्त तरीके से अपना भंडार भरने में अक्षम हों तो वे भारत में विदेशी मुद्रा आयात करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I के माध्यम से विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग (एफएमडी), विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक मुंबई को आवेदन करें। यह आयात उसी नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I के माध्यम से किया जाए जिसके माध्यम से आवेदन किया गया था।

12. बेशी विदेशी मुद्रा नोटों/ ट्रेवलर चेकों का निर्यात/ निपटान

एएमसी बेशी विदेशी मुद्रा नोटों/ ट्रेवलर चेकों को नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I के माध्यम से समुद्रपारीय बैंक को भेज सकते हैं जिसके लिए उन्हें इसके मूल्य की प्राप्ति विदेशी मुद्रा में हो। एफएफएमसी अपनी बेशी विदेशी मुद्रा विदेश के निजी मुद्रा परिवर्तकों को भी भेज सकते हैं बशर्ते या तो प्राप्य मूल्य नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक के नोस्ट्रो खाते में अग्रिम जमा किया जाए या ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय बैंक से एक गारंटी जारी की जाए जिसमें निर्यात किए जाने वाले विदेशी करेंसी नोटों/ सिक्कों का पूरा मूल्य शामिल किया गया हो।

13. नकली विदेशी करेंसी नोटों को बट्टे-खाते में डालना

खरीदे गए विदेशी मुद्रा नोट यदि बाद में नकली/ जाली पाए जाने पर अपने शीर्ष प्रबंधतंत्र के अनुमोदन के उपरांत एएमसी प्रति वर्ष 2000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि को बट्टे खाते में ड़ाल सकते हैं, ऐसा तब किया जाए जब इस राशि को वसूलने के सभी उपलब्ध विकल्प समाप्त हो जाएं।उक्त राशि से अधिक की राशि को बट्टे खाते में ड़ालने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय का अनुमोदन आवश्यक होगा।

14. मुद्रा परिवर्तन कारोबार के रजिस्टर एवं लेखा बहियां

i. एएमसी को मुद्रा परिवर्तन कारोबार के लिए निम्नलिखित रजिस्टर रखने चाहिए:-

  1. फॉर्म एफएलएम 1 में दैनिक सार एवं शेष बही (विदेशी करेंसी नोट/ सिक्के)।

  2. फॉर्म एफएलएम 2 में दैनिक सार एवं शेष बही (ट्रेवलर चेक)।

  3. फॉर्म एफएलएम 3 में जनता से विदेशी करेंसी की खरीद का रजिस्टर।

  4. फॉर्म एफएलएम 4 में प्राधिकृत व्यापारियों एवं प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तकों से विदेशी करेंसी नोट/ सिक्कों की खरीद का रजिस्टर।

  5. फॉर्म एफएलएम 5 में जनता से विदेशी करेंसी नोट/ सिक्कों एवं विदेशी करेंसी ट्रेवलर चेक की बिक्री का रजिस्टर।

  6. फॉर्म एफएलएम 6 में प्राधिकृत व्यापारियों/ संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों/ समुद्रपारीय बैंकों को विदेशी करेंसी नोट/ सिक्कों की बिक्री का रजिस्टर।

  7. फॉर्म एफएलएम 7 में प्राधिकृत व्यापारियों/ प्राधिकृत मुद्रा परिवर्तकों/ निर्यात को अभ्यर्पित ट्रेवलर चेकों का रजिस्टर।

ii. सभी रजिस्टरों एवं लेखा बहियों को अद्यतन रखा जाए, हर तरह से जांच (क्रॉस - चेक) की जाए एवं शेष का दैनिक सत्यापन हो।

iii. एएमसी के जो लेनदेन मुद्रा परिवर्तन कारोबार से संबंधित न हों उन्हें मुद्रा परिवर्तन लेनदेनों में न मिलाया जाए। अन्य शब्दों में, रजिस्टरों एवं लेखा बहियों में मुद्रा परिवर्तन के कारोबार से संबंधित लेनदेनों की श्रृंखला स्पष्ट रूप से दर्शाई जानी चाहिए।

iv. यदि एएमसी के एक से अधिक कारोबार स्थल हों तो सबके लिए अलग रजिस्टर रखे जाएं।

नोट:- विदेशी करेंसियों का अंतर-शाखा अंतरण स्टॉक अंतरण के रूप में लिया जाए न कि बिक्री के रूप में।

15. रिज़र्व बैंक को विवरण प्रस्तुत करना

i. एएमसी के सभी कार्यलयों में विदेशी करेंसी नोटों की बिक्री एवं खरीद का मासिक समेकित विवरण एफएलएम 8 में भारतीय रिज़र्व बैंक के उस कार्यालय को प्रस्तुत करना चाहिए जहां से इसे लाइसेंस मिला हो। यह विवरण अगले महीने की 10 तारीख तक पहुंच जाना चाहिए।

ii. एएमसी को 10,000 अमेरिकी डॉलर (या इसके समतुल्य) एवं इससे अधिक की पावती/ बिक्री के प्रत्येक लेनदेन दर्शाने वाला मासिक विवरण निर्धारित फॉर्मेट में महीना समाप्त होने के 10 दिन के अंदर भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करना चाहिए। एफएफएमसी/ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II को अपने विवरण में अपनी फ्रेंचाइजी के लेनदेन भी शामिल करने चाहिए।

iii. एएमसी को अपने नाम से प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II के पास रखे विदेशी करेंसी खाता/ खातों के बारे में निर्धारित फॉर्मेट में तिमाही विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करना चाहिए।

iv. सभी एएमसी को भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को वित्त वर्ष समाप्त होने के एक महीने के अंदर निर्धारित फॉर्मेट में एक वार्षिक विवरण प्रस्तुत करना चाहिए जिसने लाइसेंस दिया हो, इसमें वित्त वर्ष में बट्टे खाते में ड़ाली गई राशि के ब्योरे दिए जाएं।

16. एएमसी के लेनदेनों का निरीक्षण

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 12(1) भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारी को यह शक्ति प्रदान करती है कि वह इसकी तरफ से एएमसी के बही खातों एवं लेखा तथा अन्य दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकता है। एएमसी को निरीक्षण अधिकारी को अपना निरीक्षण करने में सभी तरह की सहायता एवं सहयोग प्रदान करना चाहिए। निरीक्षण अधिकारी को किसी भी लेखा बही या अन्य किसी दस्तावेज को प्रस्तुत करने में या विवरण या सूचना प्रदान करने में या मुद्रा परिवर्तन लेनदेन से संबंधित किसी प्रश्न का उत्तर देने में असफल रहने को इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा।

17. समवर्ती लेखा परीक्षा

i. किए गए लेनदेनों के लिए एएमसी को समवर्ती लेखा परीक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।

ii. प्रति माह 100,000 अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य से अधिक की राशि के टर्नओवर वाले सभी एकल शाखा एएमसी। 100,000 अमेरिकी डॉलर या इसके समतुल्य से कम की राशि के टर्नओवर वाले सभी एकल शाखा एएमसी तिमाही लेखा परीक्षा की प्रणाली स्थापित करें। बहु शाखा वाले एएमसी समवर्ती लेखा परीक्षा की ऐसी प्रणाली स्थापित करें जिसमें मासिक लेखा परीक्षा प्रणाली के तहत मूल्यवर्ग-वार 80 प्रतिशत लेनदेन कवर किए जाएं एवं शेष 20 प्रतिशत मूल्यवर्ग-वार लेनदेन तिमाही लेखा परीक्षा के अंतर्गत कवर किए जाएं।

iii. समवर्ती लेखा परीक्षकों की नियुक्ति/ चयन का कार्य एएमसी के विवेक पर छोड़ दिया जाए। समवर्ती लेखा परीक्षक एएमसी द्वारा किए जाने वाले सभी लेनदेनों की जांच करे एवं यह सुनिश्चित करे कि रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी सभी अनुदेशों का पालन किया जा रहा है। सांविधिक लेखा परीक्षक से अपेक्षित है कि वे प्रमाणित करें कि समवर्ती लेखा परीक्षक एवं आंतरिक नियंत्रण प्रणाली संतोषजनक ढ़ंग से काम कर रहे हैं।

18. अस्थाई मुद्रा परिवर्तन सुविधाएं

एएमसी केवल उसी स्थान या स्थानों पर ही मुद्रा परिवर्तन कारोबार करने के लिए प्राधिकृत हैं जिनका उल्लेख लाइसेंस में किया गया है। यदि किसी अवसर विशेष पर अस्थाई आधार पर मुद्रा परिवर्तन सुविधा प्रदान की जानी हो तो इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में अलग से आवेदन किया जाए। इसमें उल्लेख होना चाहिए कि कितनी अवधि तक यह विनिमय काउंटर चलेगा, कारोबार की प्रत्याशित मात्रा, लेनदेन की लेखा विधि, मुद्रा परिवर्तन सुविधा हेतु स्थान उपलब्ध कराने के लिए आयोजकों का पत्र भी होना चाहिए।

19. एएमसी द्वारा विदेशी करेंसी खाता खोलना

विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के अनुमोदन से एएमसी को निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारत में विदेशी करेंसी खाता खोलने की अनुमति दी जा सकती है:-

i. केंद्र विशेष पर केवल एक खाते के खोलने की अनुमति है।

ii. इस खाते में केवल विदेशी करेंसी नोट/ निर्दिष्ट बैंक के माध्यम से निर्यात किए गए ट्रेवलर चेक के नकदीकरण का मूल्य एवं प्राप्य को जमा किया जा सकता है।

iii. खाते की शेष राशि का उपयोग निम्नलिखित के कारण उत्पन्न देयताओं के निपटान के लिए किया जा सकता है:-

  1. एएमसी द्वारा बेचे गए ट्रेवलर चेक एवं

  2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंकों से एएमसी द्वारा अधिग्रहीत विदेशी करेंसी नोट।

iv. इस खाते में कोई भी अप्रयुक्त जमा राशि नहीं रखी जानी चाहिए।

20. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II द्वारा नोस्ट्रो खाता खोलना

रिज़र्व बैंक से एक बारगी अनुमोदन लेने के पश्चात प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II निम्नलिखित शर्तों के अधीन नोस्ट्रो खाता खोल सकते हैं:-

i. प्रत्येक करेंसी के लिए केवल एक नोस्ट्रो खाता खोला जा सकता है;

ii. इस खाते की शेष राशि का उपयोग केवल अनुमत उद्देश्यों के लिए भेजे गए विप्रेषण के समायोजन के लिए किया जाए एवं फोरेक्स प्रीपेड कार्डों के निपटान के लिए इसका उपयोग न किया जाए;

iii. इस खाते में कोई भी अप्रयुक्त जमा राशि नहीं रखी जानी चाहिए।

iv. ये समय-समय पर निर्धारित रिपोर्टिंग अपेक्षाओं के अधीन होंगे।

21. तुलन पत्र प्रस्तुत करना एवं निवल स्वाधिकृत निधियों (एनओएफ) का रखरखाव

सभी एएमसी से अपेक्षित है कि वे अपनी निवल स्वाधिकृत निधियों (एनओएफ) के सत्यापन के लिए अपना वार्षिक तुलन पत्रक रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें, इसके साथ तुलन पत्रक की तारीख को एनओएफ के संबंध में सांविधिक लेखा परीक्षकों का प्रमाणपत्र भी होना चाहिए। चूंकि एएमसी से अपेक्षित होता है कि वे अनवरत आधार पर एनओएफ का एक न्यूनतम स्तर बनाए रखें और यदि उनका एनओएफ न्यूनतम स्तर से नीचे जाने की स्थिति में वे इसे तुरंत रिज़र्व बैंक की जानकारी में लाएं एवं इसके साथ विस्तार से वह समयबद्ध योजना भी बताएं जिससे एनओएफ का न्यूनतम स्तर हासिल किया जाएगा।

22. करेंसी फ्यूचर एवं एक्सचेंज ट्रेडिड करेंसी ऑप्शन मार्केट में संपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों (एफएफएमसी) एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II (एडी कैटागिरी - II) की सहभागिता

न्यूनतम निवल मालियत रु. 5 करोड़ वाले एफएफएएमसी एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II [जो कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी), स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी), शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) नहीं है।] केवल अपने आधार आस्ति विदेशी मुद्रा एक्सपोजर के बचाव के लिए ग्राहक के रूप में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों में नामित करेंसी फ्यूचर एवं करेंसी ऑप्शन में सहभागिता कर सकते हैं। आरआरबी, एलएबी, यूसीबी तथा एनबीएफसी इस संबंध में रिज़र्व बैंक के संबंधित विनियामक विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देशों से संचालित हों।

खंड VI

केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी दिशानिर्देश

अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/ धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद वित्तपोषण का मुकाबला करना (सीएफटी)/ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2000 के तहत बाध्यताओं के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग विनियमन विभाग (डीबीआर), केंद्रीय कार्यालय ने दिशानिर्देश जारी किए हैं जो सभी प्राधिकृत व्यक्तियों (एपी), उनके एजेंटों एवं फ्रेंचाइजियों पर लागू हैं वे उनके अद्यतन मास्टर निदेश "पीएमएलए, 2002 के तहत अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानक/ धन शोध निवारण (एएमएल) मानदंड/ आतंकवाद वित्तपोषण का मुकाबला करना (सीएफटी)/ बैंकों की बाध्यताएं" एवं इस संबंध में अब तक जारी अन्य अनुदेश तथा समय-समय पर, भविष्य में यथोचित परिवर्तनों सहित, जारी अनुदेश इसमें दिए गए हैं।

खंड-VII

लाइसेंस का प्रतिसंहरण

भारतीय रिज़र्व बैंक को अधिकार है कि वह एएमसी को प्रदत्त लाइसेंस कभी भी प्रतिसंहरित कर सकता है यदि रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि (क) लोक हित में ऐसा किया जाना है या (ख) एएमसी ऐसी किसी शर्त का अनुपालन करने में असफल रहा है जिसके लिए प्राधिकार दिया गया था या उसने विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के किसी प्रावधान का या इसके तहत बनाए गए किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश या आदेश उल्लंघन किया हो। रिज़र्व बैंक को यह अधिकार भी है कि किसी सांविधिक या विनियामक प्रावधान के उल्लंघन पर वह किसी भी कार्यालय के प्राधिकार को प्रतिसंहरित कर सकता है। रिज़र्व बैंक किसी भी समय मुद्रा परिवर्तक के लाइसेंस की किसी भी वर्तमान शर्त को बदल सकता है या प्रतिसंहरित कर सकता है या कोई नई शर्त लगा सकता है।

खंड VIII

एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II के निदेशकों हेतु "फिट एंड प्रॉपर" मानदंड

a) एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II के निदेशक मंडल को किसी व्यक्ति को निदेशक मंडल में नामित करने/ नामांकन बरकरार रखने के लिए उपयुक्तता के निर्धारण हेतु समुचित सावधानी बरतनी चाहिए, इसके लिए अर्हता, विशेषज्ञता, ट्रेक रिकॉर्ड, अखंडता एवं "फिट एंड प्रॉपर" संबंधी अन्य मानदंडों को आधार बनाना चाहिए। अखंडता एवं उपयुक्तता के मूल्यांकन के लिए यदि कोई आपराधिक रिकॉर्ड हो तो उसका, वित्तीय हैसियत, वैयक्तिक ऋण वसूली के लिए आरंभ की गई सिविल कार्रवाई, विनियामक या ऐसे की किन्हीं अन्य निकायों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध, पिछली आपत्तिजनक कारोबारी प्रथाओं आदि सरीखे कारकों को ध्यान में रखा जाए। "फिट एंड प्रॉपर" संबंधि स्थिति के लिए निदेशक मंडल स्व-घोषणा, बाजार से सत्यापन रिपोर्ट आदि के द्वारा सूचना मंगाकर मूल्यांकन कर सकता है। रिपोर्टिंग पर जारी मास्टर निदेश में दिए गए उद्देश्यों के लिए एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II प्रस्तावित/ वर्तमान निदेशकों से आवश्यक सूचना एवं घोषणा हासिल करें।

b) समुचित सावधानी की यह प्रक्रिया एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II नामांकन/ नामांकन के नवीकरण के समय अपनाएं।

c) घोषणाओं की संवीक्षा के लिए एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II का निदेशक मंडल एक नामांकन समिति का गठन करे।

d) हस्ताक्षरित घोषणाओं में दी गई सूचना के आधार पर नामांकन समिति स्वीकार्यता या अन्यथा के बारे में निर्णय ले सकती है एवं समुचित प्राधिकारी/ व्यक्तियों द्वारा अपेक्षित अनुपालन के मुताबिक अपना संदर्भ दे सकती है।

e) एफएफएमसी/ गैर - बैंक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - II को 31 मार्च को एक साधारण घोषणा लेनी चाहिए कि पहले दी गई सूचना में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है एवं यदि कोई परिवर्तन हुआ हो निदेशकों को उनसे संबंधित सूचना प्रस्तुत करनी चाहिए।

f) इसके अलावा, अभ्यर्थी आम तौर पर 70 वर्ष से अधिक की उम्र का नहीं होना चाहिए, सांसद/ विधान सभा/ विधान परिषद का सदस्य नहीं होना चाहिए।

g) वर्ष के दौरान यदि निदेशकों में कोई बदलाव होता है तो रिपोर्टिंग पर जारी मास्टर निदेश के मुताबिक विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को इसके बारे में सूचित करना चाहिए।


परिशिष्ट

ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्रों की सूची, जिन्हें मुद्रा परिवर्तन गतिविधियों के मास्टर निदेश में समेकित किया गया है

क्र.सं. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र तारीख
1. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 43
[ए. पी. (एफएल सीरिज) परिपत्र नं. 1]
12 नवंबर 2002
2. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 57
[ए. पी. (एफएल/ आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 4]
9 मार्च 2009
3. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 6
[ए. पी. (एफएल/ आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 1]
3 अगस्त 2009
4. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 17
[ए. पी. (एफएल सीरिज) परिपत्र नं. 4]
27 नवंबर 2009
5. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 18
[ए. पी. (एफएल सीरिज) परिपत्र नं. 1]
25 नवंबर 2010
6. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 20
[ए. पी. (एफएल/ आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 3]
30 नवंबर 2010
7. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 24
[ए. पी. (एफएल/ आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 5]
13 दिसंबर 2010
8. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 25
[ए. पी. (एफएल/आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 6]
22 दिसंबर 2010
9. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 27
[ए. पी. (एफएल/आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 8]
22 दिसंबर 2010
10. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 40
[ए. पी. (एफएल/आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 10]
25 जनवरी 2011
11. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 49
[ए. पी. (एफएल/आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 11]
06 अप्रैल 2011
12. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 51
[ए. पी. (एफएल/आरएल सीरिज) परिपत्र नं. 13]
06 अप्रैल 2011
13. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 61 16 मई 2011
14. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 63 20 मई 2011
15. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 65 20 मई 2011
16. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 21 19 सितंबर 2011
17. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 23 19 सितंबर 2011
18. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 31 3 अक्तूबर 2011
19. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 33 12 अक्तूबर 2011
20. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 38 25 अक्तूबर 2011
21. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 41 01 नवंबर 2011
22. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 60 22 दिसंबर 2011
23. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 71 30 जनवरी 2012
24. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 77 15 फरवरी 2012
25. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 86 29 फरवरी 2012
26. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 104 4 अप्रैल 2012
27. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 107 17 अप्रैल 2012
28. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 109 18 अप्रैल 2012
29. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 17 23 अगस्त 2012
30. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 33 24 सितंबर 2012
31. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 42 12 अक्तूबर 2012
32. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 50 7 नवंबर 2012
33. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 51 15 नवंबर 2012
34. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 68 02 जनवरी 2013
35. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 70 10 जनवरी 2013
36. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 72 10 जनवरी 2013
37. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 84 22 फरवरी 2013
38. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 96 5 अप्रैल 2013
39. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 101 3 मई 2013
40. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 34 04 सितंबर 2013
41. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 45 16 सितंबर 2013
42. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 97 20 जनवरी 2014
43. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 143 16 जून 2014
44. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 146 19 जून 2014
45. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 149 25 जून 2014
46. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 9 21 जुलाई 2014
47. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 14 25 जुलाई 2014
48. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 68 28 जनवरी 2015
49. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 87 25 मार्च 2015
50. ए. पी. (डीआईआर सीरिज) परिपत्र नं. 12 10 सितंबर 2015

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