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भारतीय रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना, 2021

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी तीन पूर्ववर्ती लोकपाल योजनाओं अर्थात् (i) बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006, (ii) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना, 2018, और (iii) डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना, 2019 को 12 नवंबर 2021 की प्रभावी तिथि से एक योजना - 'रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना, 2021 (योजना / आरबी-आईओएस, 2021) में एकीकृत किया। यह योजना बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), भुगतान प्रणाली प्रतिभागियों (पीएसपी) और साख सूचना कंपनियों (सीयाईसी) जैसी विनियमित संस्थाओं (आरई) के ग्राहकों को एक केंद्रीकृत संदर्भ बिंदु पर अपनी शिकायतें दर्ज करने में सक्षम बनाकर आरबीआई में शिकायत निवारण प्रक्रिया को सरल बनाती है। इस योजना का उद्देश्य आरई की ओर से सेवा में कमी से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों को त्वरित, लागत प्रभावी और संतोषजनक तरीके से हल करना है। ये ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ आरबी-आईओएस, 2021 और संबंधित पहलुओं पर जानकारी प्रदान करते हैं।

रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना, 2021 (आरबी-आईओएस, 2021/योजना) का आरंभ 12 नवंबर, 2021 को किया गया था। यह भारतीय रिजर्व बैंक की तीन पूर्ववर्ती लोकपाल योजनाओं अर्थात् (i) बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006; (ii) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना, 2018; और (iii) डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना, 2019 को एकीकृत करती है। इन योजनाओं में क्षेत्राधिकार से संबंधित प्रतिबंधों के अतिरिक्त शिकायतों के सीमित और अलग-अलग आधार और आरई का सीमित कवरेज था। आरबी-आईओएस, 2021 आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा प्रदान की गई सेवाओं में कमी से संबंधित ग्राहक शिकायतों का लागत मुक्त निवारण प्रदान करती है, यदि शिकायत का समाधान ग्राहकों की संतुष्टि के अनुसार नहीं किया जाता है या आरई द्वारा 30 दिन की अवधि के भीतर जवाब नहीं दिया जाता है।

तीन मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करने के अतिरिक्त, इस योजना में अतिरिक्त आरई, नामत:, 50 करोड़ और उससे अधिक के जमा आकार वाले गैर-अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक और साख सूचना कंपनियां भी शामिल हैं। यह योजना भारतीय रिजर्व बैंक के लोकपाल तंत्र को आधिकारिक निष्पक्षता प्रदान कर 'एक राष्ट्र एक लोकपाल' का दृष्टिकोण अपनाती है।

आरबीआई एजीआर ढांचे में आरबीआई लोकपाल (आरबीआईओ), उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण कक्ष (सीईपीसी) और सीईपीडी शामिल हैं। आरबीआईओ आरबी-आईओएस, 2021 के ढांचे के तहत कार्य करते हैं। आरबी-आईओएस, 2021 के दायरे में नहीं आने वाली आरई के विरुद्ध शिकायतें सीईपीसी प्राप्त करती हैं। सीईपीडी आरबी-आईओएस के तहत अपीलीय प्राधिकरण (एए) को सहायता प्रदान करती है और अपील मामलों को संसाधित करती है।

आरबी-आईओएस, 2021 में सभी वाणिज्यिक बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), भुगतान प्रणाली प्रतिभागी, अधिकांश प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक और साख सूचना कंपनियां शामिल हैं। आरबी-आईओएस, 2021 के तहत शामिल की गई आरई प्रश्न 11 के तहत सूचीबद्ध हैं।

आरबीआई लोकपाल आरबीआई द्वारा नियुक्त आरबीआई का एक वरिष्ठ अधिकारी है, जिसे आरबी-आईओएस, 2021 के खंड 3 (1) (छ) के तहत परिभाषित "सेवा में कमी" के विरुद्ध आरई के ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करने के लिए नियुक्त किया गया है।

“सेवा में कमी” का अर्थ विनियमित संस्था से वैधानिक रुप से या अन्‍यथा प्रदान करने के लिए अपेक्षित किसी भी वित्‍तीय सेवा या उससे संबंधित अन्य सेवा में कमी या अपर्याप्‍तता से है, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहक को वित्तीय नुकसान या क्षति हो सकती है या नहीं भी हो सकती है।

‘’उप लोकपाल’’ से आशय आरबीआई द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी से है जो शिकायतों के समाधान और कुछ शिकायतों और योजना के तहत सौंपे गए कार्यों के संचलन में आरबीआई लोकपाल (प्रश्न 4 देखें) की सहायता करता है। उप लोकपाल सुकरीकरण या समाधान या मध्यस्थता के माध्यम से शिकायतकर्ता और आरई के बीच समझौते के द्वारा और प्रश्न 24 में चर्चा के अनुसार शिकायतों का निपटान करने का प्रयास करता है।

आरबी-आईओएस, 2021 ने प्रक्रियाओं को सरल बनाया है, भौतिक और ईमेल शिकायतों की प्राप्ति को केंद्रीकृत किया है, इसके दायरे में और अधिक आरई को लाया गया है, शिकायतों के सीमित आधार और लोकपाल के क्षेत्राधिकार के अंतर को समाप्त कर दिया है और अब सेवा में कमी से संबंधित सभी शिकायतों को आरबी-आईओएस के तहत शामिल किया गया है। शिकायतकर्ता आरई के विरुद्ध सीएमएस पोर्टल https://cms.rbi.org.in/ पर 24x7 ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं या सीआरपीसी को ईमेल / भौतिक रूप में अपनी शिकायत भेज सकते हैं (प्रश्न 16 देखें)। उन्नत सीएमएस पोर्टल के साथ आरबी-आईओएस से शिकायतकर्ता को प्राप्त होने वाले मुख्य लाभ निम्नानुसार हैं:

  1. सीएमएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया में सरलीकरण;

  2. सीएमएस पोर्टल/सीआरपीसी पर शिकायत देश में कहीं से भी दर्ज की जा सकती है, चाहे शिकायतकर्ता, आरई या इसमें शामिल शाखा का पता कुछ भी हो;

  3. देश में कहीं से भी भौतिक/ईमेल शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक पता और एक ईमेल;

  4. ऑनलाइन शिकायत के पंजीकरण पर शिकायतकर्ता को स्वचालित पावती;

  5. शिकायत की स्थिति हेतु रीयल-टाइम ट्रैकिंग की सुविधा;

  6. ‘एक राष्ट्र एक लोकपाल’ दृष्टिकोण से सुविधा.

  7. सीएमएस पर ही अतिरिक्त दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करने की सुविधा;

  8. शिकायत के निर्णय/समापन की सूचना देने वाला विस्तृत पत्र;

  9. आरबीआई द्वारा प्रदान किए गए निवारण के संबंध में शिकायतकर्ता द्वारा ऑनलाइन और स्वैच्छिक प्रतिपुष्टि प्रस्तुत करने की सुविधा।

भौतिक माध्यम (पत्र/डाक) से शिकायत प्राप्त करने के लिए आरबीआई, चंडीगढ़ में केंद्रीयकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र (सीआरपीसी) स्थापित किया गया है। सीआरपीसी इन शिकायतों की प्रारंभिक जांच और उन्हें संसाधित करता है, उन्हें सीएमएस पर अपलोड करता है, जिसे बाद में निवारण हेतु आरबीआई लोकपाल (ओआरबीआईओ) या सीईपीसी के कार्यालयों को आवंटित किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया प्रश्न 15 और 16 देखें।

आरबीआई का संपर्क केंद्र एक ऐसा मंच है जहां शिकायतकर्ता आरबीआई के वैकल्पिक शिकायत निवारण (एजीआर) तंत्र से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए आरबीआई तक पहुंच सकता है, शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया या सहायता प्राप्त कर सकता है और आरबीआई के पास दर्ज शिकायत की स्थिति का पता लगा सकता है। टोल फ्री नंबर #14448 पर इंटरेक्टिव स्वर प्रतिसाद प्रणाली (इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम - आईवीआरएस) 24x7 उपलब्ध है, जबकि अंग्रेजी और हिंदी भाषा में संपर्क केंद्र कर्मियों से बात करने की सुविधा सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक (राष्ट्रीय छुट्टियों को छोड़कर सभी कार्यदिवस) और दस क्षेत्रीय भाषाओं (असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मराठी, मलयालम, ओडिया, पंजाबी, तेलुगु और तमिल) में बात करने की सुविधा सुबह 9:30 बजे से शाम 5:15 बजे तक उपलब्ध है।
नहीं, संपर्क केंद्र के माध्यम से शिकायतें दर्ज नहीं की जा सकती हैं, लेकिन संपर्क केंद्र सीएमएस पोर्टल पर या भौतिक माध्यम से शिकायत दर्ज करने में शिकायतकर्ता की सहायता कर सकता है। यह आरबीआई द्वारा स्थापित वैकल्पिक शिकायत निवारण तंत्र के बारे में स्पष्टीकरण/विवरण भी प्रदान करेगा।

वर्तमान में, भारतीय रिजर्व बैंक के लोकपाल (ओआरबीआईओ) के कार्यालय संपूर्ण भारत में 22 स्थानों से कार्य कर रहे हैं। हालांकि, शिकायतकर्ताओं को आरबी-आईओएस, 2021 के तहत शिकायत दर्ज करने के लिए किसी भी निर्दिष्ट ओआरबीआईओ से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। सीएमएस पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) के माध्यम से सीधे ऑनलाइन दर्ज की गई शिकायतें, शिकायत पंजीकृत होने के बाद निवारण हेतु विभिन्न आरबीआई लोकपाल को स्वचालित रूप से आवंटित की जाती हैं। भौतिक और ईमेल शिकायतों को संसाधित किया जाता है और शिकायतकर्ता से अधिक जानकारी / विवरण प्राप्त करने के बाद, यदि उपलब्ध नहीं है, तो आगे की प्रक्रिया के लिए सीएमएस में दर्ज किया जाता है।

आरबी-आईओएस, 2021 के तहत आरबीआई की निम्न आरई शामिल हैं:

i. बैंक: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, विदेशी बैंकों, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक, अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक और गैर-अनुसूचित प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक जिनकी जमा राशि पिछले वित्‍तीय वर्ष के लेखा-परीक्षित तुलन-पत्र की तारीख को रुपए 50 करोड और उससे अधिक है;

ii. आरबीआई के पास पंजीकृत एनबीएफसी : सभी गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियां (आवास वित्‍त कंपनियों को छोडकर) जो (क) जमा स्‍वीकारने हेतु प्राधिकृत हैं; या (ख) पिछले वित्तीय वर्ष के लेखा-परीक्षित तुलन-पत्र की तारीख को 100 करोड़ और उससे अधिक की आस्ति आकार के साथ ग्राहक इंटरफ़ेस है;

नोट: ‘कोर इन्वेस्टमेंट कंपनियों’, ‘इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड-गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों’, ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों-इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों’, कंपनियां जो रेजल्यूशन या समापन / परिसमापन में हैं, या आरबीआई द्वारा निर्दिष्ट किसी अन्य एनबीएफसी को आरबी-आईओएस के दायरे से बाहर रखा गया है।

iii. प्रणाली प्रतिभागी: सभी भुगतान प्रणाली प्रतिभागी - बैंक और गैर-बैंक - को आरबी-आईओएस, 2021 के तहत शामिल किया गया है। ये इकाइयां पूर्वदत्‍त भुगतान लिखत (पीपीआई) जारी करती हैं और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी)/तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस)/ तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस)/यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई)/भारत बिल पेमेंट सिस्टम (बीबीपीएस)/भारत क्यूआर कोड/अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डेटा (यूएसएसडी) का उपयोग कर *99# मोबाइल लेनदेन सेवा /आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) आदि का उपयोग करके लेनदेन की सुविधा प्रदान करती हैं।

iv. साख सूचना कंपनियां: कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) में परिभाषित सभी साख सूचना कंपनियां जिन्हें साख सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (2005 का 30) की धारा 5 की उप-धारा (2) के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।

आरबी-आईओएस के अंतर्गत शामिल की गई संस्थाओं की सूची को समय-समय पर अद्यतन किया जाता है, यह https://cms.rbi.org.in/cms/assets/Documents/RBIO_English_Portal.pdf पर उपलब्ध है।

आरबी-आईओएस, 2021 के तहत शामिल नहीं की गई आरई से संबंधित शिकायतों को समाधान के लिए आरबीआई के उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण कक्षों (सीईपीसी) (वर्तमान में 30 आरबीआई कार्यालयों में स्थित) को अग्रेषित किया जाता है। ऐसी शिकायतें पोर्टल पर या प्रश्न 16 में दिए गए पते पर भी दर्ज की जा सकती हैं। शिकायत दर्ज करते समय उपलब्ध कराए गए मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर शिकायतकर्ता को एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से इसकी सूचना दी जाएगी।

नीचे दिए गए प्रश्न 14 के तहत सूचीबद्ध शिकायतों को छोड़कर, आरई की ओर से 'सेवा में कमी' से संबंधित सभी शिकायतों को आरबी-आईओएस, 2021 के तहत संचलित किया जाता है। आरबी-आईओएस, 2021 के अनुसार ‘सेवा में कमी’ का अर्थ ‘विनियमित संस्था से वैधानिक रुप से या अन्‍यथा प्रदान करने के लिए अपेक्षित किसी भी वित्‍तीय सेवा या उससे संबंधित अन्य सेवा में कमी या अपर्याप्‍तता से है, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहक को वित्तीय नुकसान या क्षति हो सकती है या नहीं भी हो सकती है।‘

कतिपय शिकायतें जिन्हें निम्नलिखित विभिन्न कारणों से अस्वीकार्य शिकायतों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, आरबी-आईओएस, 2021 के अंतर्गत शामिल नहीं हैं।

  1. ऐसी शिकायतें जो संबंधित विनियमित संस्था को लिखित रूप में प्रस्तुत किए बिना सीधे लोकपाल के पास दर्ज की गई हो;

  2. ऐसी शिकायतें जो आरई के पास दर्ज की गई हैं, लेकिन आरई के पास शिकायत दर्ज करने की तारीख से 30 दिन की अवधि समाप्त नहीं हुई है, सिवाय उन शिकायतों के जिनके लिए शिकायतकर्ता को आरई से जवाब मिला है, और वह जवाब से संतुष्ट नहीं है;

  3. शिकायतकर्ता को विनियमित संस्था से शिकायत का उत्तर प्राप्त होने के एक वर्ष के बाद या, जहां उत्तर प्राप्‍त नहीं हुआ है तो शिकायत की तारीख से एक वर्ष और 30 दिन के बाद लोकपाल के पास शिकायत दर्ज की गई है;

  4. जिन शिकायतों को लोकपाल/सीईपीसी द्वारा पहले ही निपटाया जा चुका है या जो समान कार्रवाई कारण और राहत के लिए आरबीआईओ के पास प्रक्रियाधीन/लंबित हैं (चाहे उसी शिकायतकर्ता से या एक या अधिक शिकायतकर्ताओं से प्राप्त हुआ हो);

  5. आरई के वाणिज्यिक निर्णय से संबंधित शिकायतें। उदाहरणत: ऋण प्रदान करना;

  6. विक्रेता और आरई के बीच किसी भी विवाद से संबंधित शिकायतें;

  7. अन्य अधिकारियों को संबोधित शिकायतें और सीधे लोकपाल को संबोधित नहीं है;

  8. आरई प्रबंधन या अधिकारियों के विरुद्ध सामान्य शिकायतें;

  9. ऐसे विवाद से संबंधित शिकायतें जिनमें आरई द्वारा प्रारंभ की गई कार्रवाई वैधानिक या कानून का प्रवर्तन करने वाले प्राधिकरण के आदेशों के अनुपालन में है;

  10. ऐसी शिकायतें जिनमें सेवा में कथित कमी आरबीआई द्वारा विनियमित न होने वाली इकाई से संबंधित है;

  11. आरई के बीच विवादों से संबंधित शिकायतें;

  12. आरई के कर्मचारी-नियोक्ता संबंध से जुड़े किसी भी विवाद से संबंधित शिकायतें;

  13. किसी न्‍यायालय, अधिकरण या मध्यस्थ या अन्‍य किसी मंच या प्राधिकरण के पास लंबित है या निपटाई गई है या उसके गुणागुण पर किसी न्‍यायालय, अधिकरण या मध्‍यस्‍थ या अन्‍य किसी मंच या प्राधिकरण द्वारा कार्रवाई की गई है, चाहे वह एक ही शिकायतकर्ता से या एक या अधिक शिकायतकर्ताओं के साथ, या एक या अधिक संबंधित पक्षों से प्राप्त हुई हो या नहीं;

  14. ऐसी शिकायतें जो अपमानजनक या तुच्छ या तंग करने वाली प्रकृति की हों;

  15. ऐसे दावों के लिए शिकायतें परिसीमा अधिनियम, 1963 के अनुसार निर्धारित समयावधि के समाप्त होने के बाद दर्ज की गई हो;

  16. अपूर्ण विवरण वाली शिकायतें और वे शिकायतें जो प्रकृति में विशिष्ट / कार्रवाई योग्य नहीं हैं;

  17. अधिवक्ता के माध्यम से दर्ज शिकायतें (सिवाय इसके कि अधिवक्ता स्वयं व्यथित व्यक्ति न हो);

  18. सुझाव देने या मार्गदर्शन या स्पष्टीकरण मांगने की प्रकृति की शिकायतें।

अपनी शिकायत के निवारण के लिए शिकायतकर्ता को सबसे पहले संबंधित आरई से संपर्क करना होगा। यदि शिकायत दर्ज होने के उपरांत 30 दिन की अवधि के भीतर आरई जवाब नहीं देती है या शिकायत को पूर्णत: / आंशिक रूप से अस्वीकार करती है या यदि शिकायतकर्ता आरई द्वारा दिए गए जवाब / समाधान से संतुष्ट नहीं है, तो शिकायतकर्ता आरबी-आईओएस, 2021 के तहत अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है।

आरई के पास शिकायत दर्ज कराए बिना या आरई से कोई जवाब प्राप्त नहीं होने पर शिकायत दर्ज करने के उपरांत 30 दिन की अवधी समाप्त होने से पूर्व आरबीआई लोकपाल से संपर्क करने पर शिकायत आरबी-आईओएस, 2021 के तहत अस्वीकार्य हो जाएगी।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि शिकायतकर्ता को विनियमित संस्था से शिकायत का उत्तर प्राप्त होने के एक वर्ष के भीतर या, जहां कोई उत्तर प्राप्‍त नहीं हुआ है तो आई को दिए अभ्यावेदन की तारीख से एक वर्ष और 30 दिन के भीतर लोकपाल के पास शिकायत दर्ज की जानी चाहिए।

शिकायत निम्नलिखित किसी भी तरीके से दर्ज की जा सकती है:

  1. ऑनलाइन – आरबीआई के शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस) पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) के माध्यम से।

  2. योजना के अनुबंध ‘क’ में निर्दिष्ट फार्म में ‘केंद्रीयकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र, 4थी मंजिल, भारतीय रिज़र्व बैंक, सेक्टर-17, सेंट्रल विस्टा, चंडीगढ़ – 160017’ को भौतिक रूप से पत्र या पोस्ट के माध्यम से।

  3. पूर्ण विवरण के साथ शिकायतें (कृपया नीचे प्रश्न 17 देखें) crpc@rbi.org.in को ईमेल द्वारा भेजी जा सकती हैं।

शिकायतकर्ता को निम्नलिखित विवरण उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है:

  1. शिकायतकर्ता का नाम, आयु और लिंग;

  2. व्यक्तिगत ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर (सूचना प्राप्त करने के लिए अनिवार्य), और लैंडलाइन नंबर (यदि उपलब्ध हो) के साथ शिकायतकर्ता का पूरा डाक पता;

  3. विनियमित संस्‍था जिसके विरुद्ध शिकायत की गई है की शाखा या कार्यालय का नाम और पूरा पता;

  4. लेन-देन की तारीख और विवरण, शिकायतकर्ता की खाता संख्या, डेबिट या क्रेडिट कार्ड संख्या के विवरण सहित शिकायत उत्पन्न होने के पूरे तथ्य, इस हद तक कि वे शिकायत की विषय वस्तु के लिए प्रासंगिक हैं;

  5. शिकायत के निवारण के लिए आरई को प्रस्तुत अभ्यावेदन और आरई से प्राप्त उत्तर, यदि कोई हो, की तारीख और विवरण;

  6. शिकायतकर्ता को हुई हानि की प्रकृति और सीमा; और,

  7. मांगी गई राहत; साथ ही

  8. यह घोषणा कि आरबी-आईओएस, 2021 के खंड 10 के अनुसार शिकायत अस्वीकार्य नहीं है।

नोट: शिकायतकर्ता को शिकायत के साथ, शिकायत का समर्थन करने वाले प्रासंगिक दस्तावेजों की प्रतियां भी प्रस्तुत करनी होंगी।

शिकायत के सफलतापूर्वक पंजीकृत हो जाने के बाद, उसे एक शिकायत संख्या प्रदान की जाती है। शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज करते समय उपलब्ध करवाए गए मोबाइल नंबर पर एसएमएस और ईमेल आईडी पर ई-मेल के माध्यम से इस शिकायत संख्या को दर्शाने वाली एक पावती भेजी जाती है। शिकायत की स्थिति को लिंक: https://cms.rbi.org.in के माध्यम से मोबाइल नंबर और शिकायत संख्या (मोबाइल पर प्राप्त) का उपयोग करके देखा जा सकता है।

शिकायतकर्ता टोल-फ्री नंबर 14448 के माध्यम से सीआरपीसी, चंडीगढ़ के संपर्क केंद्र से भी शिकायत की स्थिति का पता लगा सकता है।

हाँ। शिकायतकर्ता के अधिकृत प्रतिनिधि (अधिवक्ता के अतिरिक्त) के माध्यम से शिकायत दर्ज की जा सकती है। ऐसी शिकायतें योजना में निर्धारित प्रपत्र में अधिकार-पत्र के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए {जिसमें प्रतिनिधि का विवरण अर्थात् नाम, पता, मोबाइल नंबर (सूचना प्राप्त करने के लिए अनिवार्य) और ई-मेल हो}।

निवारण की गति कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे मामले की जटिलता, आरई द्वारा दस्तावेजों को समय पर प्रस्तुत करना, लोकपाल कार्यालयों में शिकायतों की मात्रा आदि।

हालांकि, नई प्रणाली के तहत, सीएमएस शिकायतकर्ता और आरई को तत्काल सूचनाएं भेजता है और दोनों पक्षों के लिए सभी शिकायत संबंधी संचार के लिए एकल बिंदु संदर्भ के रूप में कार्य करता है, जिससे अनुचित देरी को रोका जा सकता है। अन्य सभी बातें समान रहने पर, सभी विवरणों के साथ सीधे सीएमएस पर दर्ज की गई शिकायतों का तेजी से निवारण होता है।

नहीं, आरई के ग्राहक के लिए आरबी-आईओएस, 2021 के तहत शिकायत दर्ज करने या उसका समाधान करने के लिए कोई प्रभार या शुल्क नहीं है। इसके अलावा, शिकायतकर्ता को आरबीआई लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करने के लिए किसी तृतीय-पक्ष एजेंसी से संपर्क करने या किसी शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। शिकायतकर्ता प्रश्न 16 में उल्लिखित किसी भी तरीके से स्वयं या प्रतिनिधि के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं।

विवादित लेनदेन की राशि जिसके लिए आरबी-आईओएस, 2021 के तहत शिकायत की जा सकती है और जिस पर आरबीआई लोकपाल समाधान प्रदान कर सकता पर कोई सीमा नहीं है। तथापि, आरबी-आईओएस के अंतर्गत केवल वही शिकायतें स्वीकार्य हैं जिनमें शिकायतकर्ता को आरई के कृत्य या चूक या कार्य से होने वाली किसी भी हानि के लिए मांगी गई क्षतिपूर्ति, यदि कोई हो, ₹20 लाख या उससे कम है। इसके अलावा शिकायतकर्ता द्वारा सहन की गई मानसिक पीड़ा / उत्पीड़न के एवज में लोकपाल ₹1 लाख तक की क्षतिपूर्ति दे सकता है।
शिकायतकर्ता के समय की हानि, किए गए व्यय और शिकायतकर्ता द्वारा सहन की गई मानसिक पीड़ा/ उत्पीड़न के एवज में लोकपाल शिकायतकर्ता को ₹1 लाख तक की क्षतिपूर्ति दे सकता है।

शिकायत प्राप्त होने पर, यह आंकलन करने के लिए जांच की जाती है, कि क्या यह शिकायत स्वीकार्य या अस्वीकार्य है (जैसा कि प्रश्न 14 में बताया गया है)। यदि शिकायत को अस्वीकार्य पाया जाता है, तो शिकायत बंद कर दी जाती है, और शिकायतकर्ता को उस संबंध में उपयुक्‍त रूप से सूचित किया जाता है।

स्वीकार्य शिकायत के लिए आईबीआई लोकपाल शिकायतकर्ता और विनियमित संस्था के बीच समझौते द्वारा शिकायत के निपटान को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा। यदि पक्षकारों के बीच शिकायत का एक सौहार्दपूर्ण समाधान हो जाता है, तो इसे अभिलिखित किया जाएगा व पक्षकारों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा। चूंकि पक्षाकारों ने इस पर अपने हस्ताक्षर करके समझौते के लिए सहमति व्यक्त की है, यह दोनों पक्षों पर बाध्यकारी हो जाता है और लोकपाल द्वारा कोई औपचारिक निर्णय जारी नहीं किया जाता है। यदि मामले का समाधान समझौते (सुविधा या सुलह या मध्यस्थता) के माध्यम से नहीं होता है, तो लोकपाल, दोनों पक्षों को एक उचित अवसर देने के बाद (और उनके समक्ष रखे गए अभिलेख, बैंकिंग विधि के सिद्धांतों और प्रथाओं, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों, अनुदेशों और दिशानिर्देशों और ऐसे अन्य कारक जो उनकी राय में शिकायत पर निर्णय लेने के लिए प्रासंगिक हैं, के आधार पर) एक अधिनिर्णय पारित कर सकता है (विशिष्ट प्रदर्शन के लिए विनियमित संस्था को निर्देशित करते हुए) या शिकायत को अस्वीकार कर सकता है (यदि यह पाया जाता है कि आरई प्रचलित मानदंडों और प्रथाओं का पालन कर रही है)। शिकायत का निष्कर्ष शिकायतकर्ता और आरई दोनों को सूचित किया जाता है।

हां, आरबीआई लोकपाल कार्यालय से परामर्श और आरबीआई लोकपाल कार्यालय द्वारा दी गई आवश्यकता के अधीन सुलह बैठक आरबीआई की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के माध्यम से वर्चुअल रूप से आयोजित की जा सकती है, जिसके लिए निकटतम आरबीआई कार्यालय, या संबंधित बैंक की किसी भी नजदीकी शाखा में जाना पड़ सकता है या वेबएक्स आदि जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से आयोजित की जा सकती है। ऑडियो कॉन्फ्रेंस कॉल भी संभव है।

हाँ। आरबी-आईओएस, 2021 के खंड 16 के अनुसार, आरबीआई लोकपाल किसी भी स्तर पर शिकायत को अस्वीकार कर सकता है, यदि शिकायत:

  1. आरबी-आईओएस, 2021 के खंड 10 के तहत अस्‍वीकार्य है;

  2. शिकायत, सुझाव देने या मार्गदर्शन या स्पष्टीकरण मांगने की प्रकृति की है;

  3. लोकपाल की राय में सेवा में कोई कमी नहीं है;

  4. परिणामी हानि के लिए मांगी गई क्षतिपूर्ति, आरबी-आईओएस, 2021 में दर्शाए गए अनुसार लोकपाल की क्षतिपूर्ति देने के अधिकार से परे है (कृपया प्रश्न 22 देखें);

  5. शिकायतकर्ता द्वारा उचित तत्परता के साथ आगे की कार्रवाई नहीं की गई है;

  6. शिकायत बिना किसी उचित कारण के हो;

  7. शिकायत के लिए विस्तृत दस्तावेज़ी और मौखिक साक्ष्य पर विचार करने की आवश्यकता है और लोकपाल के समक्ष की कार्यवाही ऐसी शिकायत के न्यायनिर्णयन के लिए उपयुक्त नहीं है;

  8. लोकपाल की राय में, शिकायतकर्ता को कोई वित्तीय हानि या क्षति, या असुविधा नहीं हुई है।

उप लोकपाल किसी शिकायत को केवल निम्नलिखित आधारों पर अस्वीकार कर सकता है:

  1. आरबी-आईओएस, 2021 के खंड 10 के तहत अस्‍वीकार्य है;

  2. शिकायत, सुझाव देने या मार्गदर्शन या स्पष्टीकरण मांगने की प्रकृति की है।

यदि लोकपाल संतुष्ट है कि आरई की ओर से सेवा में कमी है और लोकपाल द्वारा अनुमत निर्दिष्ट अवधि के भीतर शिकायत का निपटान समझौते द्वारा नहीं किया जाता है, तो आरबीआई लोकपाल एक अधिनिर्णय पारित कर सकता है, यदि लागू हो। अधिनिर्णय पारित करने से पूर्व, लोकपाल शिकायतकर्ता और आरई को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का उचित अवसर प्रदान करता है।

शिकायतकर्ता अधिनिर्णय को पूर्ण और अंतिम निपटान के रूप में स्वीकार कर सकता है या इसे अस्वीकार कर सकता है। हालांकि, यदि वह अधिनिर्णय स्वीकार करना चाहता है, तो यह अनिवार्य है कि शिकायतकर्ता 30 दिन के भीतर संबंधित आरई को अपना स्वीकृति पत्र प्रस्तुत करे, ऐसा न करने पर, अधिनिर्णय समाप्त हो जाएगा।

यदि आरई उचित समय जैसा कि आरबीआई लोकपाल द्वारा तय किया जा सकता है, के भीतर आरबीआई लोकपाल के निर्णय का पालन नहीं करती है तो सेवा में स्पष्ट कमियां होने पर लोकपाल एक अधिनिर्णय पारित कर सकता है। शिकायतकर्ता द्वारा अधिनिर्णय स्वीकार करने के 30 दिन के भीतर, अन्यथा कि आरई ने अपील दायर की हो, आरई द्वारा अधिनिर्णय का अनुपालन किया जाना चाहिए।
प्रथम दृष्टया समान दिखने वाले मामले तथ्यों और परिस्थितियों के संदर्भ में भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, निर्णयों में अधिक एकरूपता लाने के लिए लोकपाल के बीच नियमित रूप से विचार-विमर्श किया जाता है।

हां, आरबी-आईओएस, 2021 योजना के अपीलीय खंडों के तहत बंद शिकायतों के लिए शिकायतकर्ता तथा आरई के लिए अपील का प्रावधान है। शिकायत के अधिनिर्णय (निर्धारित समय के भीतर उचित और संतोषजनक जानकारी प्रस्तुत न करने के लिए जारी किए गए अधिनिर्णय के संबंध में आरई को छोड़कर) या योजना के किसी अपीलीय खंड अर्थात खंड 16 (2) के उप-खंड (ग) से (च) के तहत अस्वीकृति से पीड़ित कोई भी व्यक्ति, अधिनिर्णय की सूचना प्राप्त होने (या आरई के मामले में शिकायतकर्ता1 द्वारा अधिनिर्णय की स्वीकृति की तिथि से) या शिकायत की अस्वीकृति की तिथि के 30 दिन के भीतर आरबीआई में अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर कर सकता है।

अपीलीय प्राधिकारी की शक्तियां योजना को कार्यान्वित करने वाले भारतीय रिज़र्व बैंक के विभाग के प्रभारी कार्यपालक निदेशक के पास निहित हैं। अपीलीय प्राधिकारी का पता है:

अपीलीय प्राधिकारी
रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना, 2021
उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
प्रथम तल, अमर भवन, फोर्ट, मुंबई-400 001

बंद शिकायत के लिए अपील सीएमएस पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) के माध्यम से दर्ज की जा सकती है। वैकल्पिक रूप से, अपील ई-मेल के माध्यम से aaos@rbi.org.in पर भी भेजी जा सकती है।

इसके अतिरिक्त, यदि शिकायतकर्ता लोकपाल द्वारा प्रदान किए गए समाधान से संतुष्ट नहीं है, तो वह कानून के अनुसार अन्य उपायों और / या उपलब्ध उपचारों का पता लगाने के लिए स्वतंत्र है।

आरबी-आईओएस, 2021 के खंड 10 (सीआरपीसी में बंद अस्वीकार्य शिकायतें), खंड 14 (मध्यस्थता या सुलह के माध्यम से बंद शिकायतें), खंड 16 (1) (ओआरबीआईओ में बंद अस्वीकार्य शिकायतें), खंड 16 (2) (क) /(ख) (सेवा की कोई कमी नहीं होने के आधार पर अस्वीकार की गई शिकायतें या 'परिणामी नुकसान के लिए मांगी गई क्षतिपूर्ति लोकपाल की क्षतिपूर्ति प्रदान करने की शक्ति से परे है') के तहत बंद की गई शिकायतें शिकायतकर्ता या आरई द्वारा अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील योग्य नहीं है। इसके अतिरिक्त, आरई को आरबी-आईओएस, 2021 के खंड 15 (1) (क) के तहत दस्तावेजों/सूचनाओं को प्रस्तुत नहीं करने के लिए जारी किए गए अधिनिर्णयों के विरुद्ध अपील करने का अधिकार नहीं है।
अपीलीय खंडों के तहत बंद की गई शिकायत को खारिज करने के आरबीआई लोकपाल के अधिनिर्णय या निर्णय के विरूद्ध अपील अधिनिर्णय की सूचना प्राप्त होने या शिकायत की अस्वीकृति की तिथि के 30 दिन के भीतर दायर की जा सकती है। अपीलीय प्राधिकारी, यदि संतुष्ट है कि आवेदक के पास निर्दिष्ट समय के भीतर अपील दायर नहीं करने का पर्याप्त कारण था, तो 30 दिन से अनधिक अवधि के विस्तार की अनुमति भी दे सकता है।

अपीलीय प्राधिकारी, अपील और संबंधित दस्तावेजों की जांच करने के बाद, निम्नानुसार कार्य कर सकता है:

  1. अपील को खारिज कर सकता है; या

  2. अपील की अनुमति देते हुए लोकपाल के अधिनिर्णय या आदेश को रद्द कर सकता है; या

  3. लोकपाल को मामला नए सिरे से निपटान हेतु इन निदेशों के साथ, जो अपीलीय प्राधिकारी आवश्यक या उचित समझे, वापस भेजा जा सकता है; या

  4. लोकपाल के अधिनिर्णय या आदेश को संशोधित कर, ऐसे संशोधित आदेश या अधिनिर्णय को प्रभावी करने के लिए आवश्यक निदेश दे सकता है; या

  5. कोई अन्‍य आदेश, जो उसे उचित लगे, पारित कर सकता है।

अपीलीय प्राधिकारी के आदेश का प्रभाव उसी तरह होगा, जैसा खंड 15 के अंतर्गत लोकपाल द्वारा पारित अधिनिर्णय या खंड 16 के अंतर्गत शिकायत को अस्वीकार करना, जैसा भी मामला हो।

हाँ। योजना के तहत शिकायतकर्ता द्वारा किसी भी स्तर पर शिकायत वापस ली जा सकती है। शिकायत वापस लेने के लिए शिकायतकर्ता शिकायत प्रबंध प्रणाली पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) पर लॉग ऑन कर ‘शिकायत ट्रैक करें’ टैब पर जा सकता है।

योजना निम्न लिंक पर उपलब्ध है -

/documents/87730/38689832/RBIOS2021_12112021.pdf

हाँ। शिकायतकर्ता आरबीआई के सीएमएस पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) पर लॉग ऑन कर ‘फीडबैक’ टैब के तहत अपनी प्रतिक्रिया साझा कर सकते हैं। आरबी-आईओएस, 2021 के तहत शिकायत निवारण में और अधिक सुधार के लिए आरबीआई में इस फीडबैक का विश्लेषण किया जाता है।

ऑनलाइन पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) दो भाषाओं अर्थात हिंदी और अंग्रेजी में शिकायत दर्ज करने में सक्षम बनाता है। हालांकि, शिकायत के तथ्यों/विवरण को विवरण बॉक्स में 2,000 वर्णों तक किसी भी भाषा में टाइप, कॉपी और पेस्ट किया जा सकता है। भौतिक और ईमेल शिकायतें किसी भी भाषा में दर्ज की जा सकती हैं।

समष्टि स्तर: आरबीआई आरबी-आईओएस, 2021 और संबंधित मामलों पर विभिन्न माध्यमों से जागरूकता उत्पन्न करता है जिसमें निम्न शामिल हैं:
  1. ‘आरबीआई कहता है’ टैग लाइन के साथ जागरूकता अभियानों का आयोजन किया गया जो आरबीआई की वेबसाइट /en/web/rbi/rbi-kehta-hai पर मौजूद है।

  2. जागरूकता संबंधी संदेश आरबीआई की वेबसाइट के साथ-साथ सीएमएस पोर्टल पर भी अपलोड किए गए हैं। इनमें मोबाइल ऐप/यूपीआई/क्यूआर कोड आदि का उपयोग करके धोखाधड़ी सहित साइबर अपराध संबंधी जागरूकता शामिल है।

  3. अनाधिकृत संस्थाओं द्वारा जमा राशि के अवैध संग्रह संबंधी जागरूकता संदेश सचेत पोर्टल https://sachet.rbi.org.in. पर होस्ट किए गए।

  4. विभिन्न मल्टीमीडिया चैनलों में संदेश प्रसारित किए गए, जिसमें प्राइम टाइम के दौरान प्रसारित संदेश भी शामिल हैं।

  5. आरबीआई ने दो पुस्तिकाएं जारी की हैं। एक धोखेबाजों द्वारा उपयोग की जाने वाली सामान्य कार्यप्रणाली और विभिन्न वित्तीय लेनदेन करते समय बरती जाने वाली सावधानियों पर 'बी (ए) वेयर' नामक पुस्तिका है और दूसरी 'राजू और चालीस चोर', जिसमें ऐसी चालीस कहानियां शामिल हैं, जो धोखेबाजों द्वारा अपनाए जाने वाले विभिन्न धोखाधड़ी के तरीकों की झलक दिखाती है और इस प्रकार की घटनाओं से बचाव के लिए ‘क्या करें और क्या न करें’ के बारे में सरल उपाय प्रदान करती है।

  6. सभी बैंक अपने ग्राहकों को बार-बार एसएमएस/ईमेल भेजते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी के तौर-तरीकों और इस तरह की धोखाधड़ी से खुद को बचाने के लिए ग्राहक की ओर से बरती जाने वाली आवश्यक सावधानी का विवरण दिया जाता है।

  7. ‘क्या करें और क्या न करें’ की सूची आरबीआई की वेबसाइट पर टिकर के रूप में प्रकाशित की गई है।

उपर्युक्त के अलावा आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों, वित्तीय साक्षरता केन्द्रों (सीएफएल / एफएलसी) द्वारा आयोजित विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम, विशिष्ट जागरूकता कार्यक्रम, टाउन हॉल कार्यक्रम का आयोजन और आरबीआई लोकपाल कार्यालयों के माध्यम से विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर सूचना/संदेशों का प्रदर्शन नियमित रूप से किया जा रहा है। ‘लोकपाल स्पीक’ का आयोजन प्रतिवर्ष मार्च माह में और उसका दोहराव अक्टूबर माह में किया जाता है।

असफल या 'विफल' लेनदेन के कारण बड़ी संख्या में ग्राहकों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने 20 सितंबर 2019 को प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों का उपयोग करते हुए विफल हुए लेनदेन के लिए टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) और ग्राहक क्षतिपूर्ति को सुसंगत बनाने हेतु एक परिपत्र जारी किया। जिसमें असफल लेनदेन के मामले में धन को वापस करने के लिए टीएटी निर्धारित है। इसके अलावा, यदि विनियमित संस्था की ओर से धन वापस करने में में देरी होती है तो परिपत्र में इस हेतु एक क्षतिपूर्ति तंत्र भी निर्धारित किया गया है। परिपत्र का विवरण निम्न लिंक पर उपलब्ध है: /hi/web/rbi/-/notifications/harmonisation-of-turn-around-time-tat-and-customer-compensation-for-failed-transactions-using-authorised-payment-systems-11693.

ग्राहकों को अपने खातों में हुए किसी भी अनधिकृत लेनदेन का पता चलते हुए उसकी सूचना तुरंत बैंक को देनी चाहिए। सूचना देने में देरी होने से पैसे वापस मिलने की संभावना कम हो जाती है।

अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की देयता को सीमित करने के संबंध में आरबीआई के 06 जुलाई, 2017 के संदर्भ में शून्य देयता वहां उत्पन्न होगी यदि:

  1. बैंक की ओर से अंशदायी धोखाधड़ी/ लापरवाही/ कमी है (इस पर ध्यान दिए बगैर कि ग्राहक द्वारा लेनदेन को रिपोर्ट किया गया है या नहीं)।

  2. अन्य पक्ष द्वारा उल्लंघन जहां न तो बैंक की ओर से कमी हुई हो, न ही ग्राहक की ओर से, बल्कि प्रणाली में ही कहीं कमी हो, और ग्राहक अनधिकृत लेनदेन के संबंध में बैंक से सूचना प्राप्त होने के तीन कार्य दिवसों के भीतर बैंक को सूचित कर देता है।

ग्राहक की सीमित देयता

कोई ग्राहक निम्नलिखित मामलों में अनधिकृत लेनदेन के कारण होने वाले नुकसान के लिए उत्तरदायी होगा:

  1. ऐसे मामले जिनमें हानि किसी ग्राहक की लापरवाही के कारण हुई है, जैसे जहां उसने भुगतान संबंधी गोपनीय जानकारी साझा की है, वहां ग्राहक को सम्पूर्ण नुकसान तब तक वहन करना होगा जब तक कि अनधिकृत लेनदेन के संबंध में बैंक को सूचित न किया जाए। अनधिकृत लेनदेन की सूचना प्राप्ति के बाद होने वाला कोई भी नुकसान बैंक द्वारा वहन किया जाएगा।

  2. ऐसे मामले जिनमें अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन की जवाबदेही न तो बैंक की हो, न ही ग्राहक की, बल्कि कहीं-न-कहीं प्रणाली की ही हो, और जहां इस प्रकार की लेनदेन की सूचना बैंक को देने में ग्राहक की ओर से विलम्ब (बैंक से सूचना प्राप्ति के बाद चार से सात कार्य दिवस का) हो, वहां ग्राहक की प्रति लेनदेन देयता परिपत्र में दिए अनुसार सीमित होगी।

बैंकों में ग्राहक सेवा पर दिनांक 1 जुलाई, 2015 के मास्टर परिपत्र के तहत, बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे पर्याप्त जगह, उचित फर्नीचर, पीने के पानी की सुविधा प्रदान करने पर विशेष ध्यान देते हुए शाखाओं द्वारा बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनाएं जिसमें पेंशनरों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों आदि को विशिष्ट महत्व दिया जाए। इसके अतिरिक्त, बैंकों को सलाह दी जाती है कि शाखा स्तरीय ग्राहक सेवा समिति में वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करने को प्राथमिकता प्रदान की जाए। विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - दिनांक 4 अक्तूबर 2017 वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बैंकिंग सुविधा के तहत बैंकों के लिए जारी दिनांक 9 नवंबर, 2017 के परिपत्र के अनुसार यह आवश्यक है कि वे निम्नलिखित विशेष प्रावधानों के साथ समुचित प्रणाली तैयार करें:

  1. वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समर्पित काउंटर/ प्राथमिकता - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे स्पष्टतः पहचान-योग्य समर्पित काउंटर अथवा वरिष्ठ नागरिकों और दृष्टिबाधित व्यक्तियों सहित दिव्यांग व्यक्तियों को प्राथमिकता देने वाले काउंटर उपलब्ध कराएं।

  2. जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने में आसानी - बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि जब पेंशन वितरित करने वाले बैंक की किसी शाखा में, गृहेतर (नॉन-होम) शाखा सहित, कोई जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे प्राप्तकर्ता शाखा द्वारा ही सीबीएस में तुरंत अद्यतन/ अपलोड किया जाता है, ताकि पेंशन राशि जमा होने में किसी भी प्रकार के विलम्ब से बचा जा सके।

  3. चेक बुक सुविधा - बैंक चेक बुक प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों सहित किसी भी ग्राहक के स्वयं उपस्थित होने पर जोर नहीं देंगे।

  4. खाते की स्थिति में स्वतः परिवर्तन - बैंकों को सूचित किया जाता है कि पूर्णतः केवाईसी-अनुपालित खाते बैंक के अभिलेखों में उपलब्ध जन्म-तिथि के आधार पर ‘वरिष्ठ नागरिक खातों’ में स्वतः परिवर्तनीय बनाए जाएं।

  5. फार्म 15 जी/एच फाइल करने में आसानी - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों को वर्ष में एक बार (बेहतर हो अप्रैल माह में) फार्म 15 जी/एच प्रदान करें, ताकि वे निर्धारित समय के भीतर उक्त को, जहां भी लागू हो, प्रस्तुत कर सकें।

  6. दरवाजे पर (डोर-स्टेप) बैंकिंग - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे ग्राहकों के परिसर / आवास पर बुनियादी बैंकिंग सेवाएं, जैसे कि रसीद देकर नकदी और लिखत प्राप्त करना, खाते से आहरण के हिसाब से नकदी की सुपुर्दगी, डिमांड ड्राफ्ट की सुपुर्दगी, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दस्तावेज और जीवन प्रमाण-पत्र की प्रस्तुति आदि के लिए ठोस प्रयास करें।


अस्वीकरण - ये ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ आरबीआई द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन के उद्देश्य हेतु जारी किए गए हैं, जिन्हें किसी भी कानूनी कार्यवाही में उद्धृत नहीं किया जा सकता है और इसका कोई कानूनी उद्देश्य नहीं होगा। इसे कानूनी सलाह या कानूनी राय के रूप में मानने का इरादा नहीं है। इनके आधार पर किए गए कार्यों और / या निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। पाठकों से अनुरोध किया जाता है कि वे स्पष्टीकरण या व्याख्या, यदि कोई हो, के लिए आरबी-आईओएस, 2021 और रिज़र्व बैंक और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों / अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हों।


1 अधिनिर्णय की सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा स्वीकृति प्रस्तुत की जानी चाहिए।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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