अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना, 2021
ग्राहकों को अपने खातों में हुए किसी भी अनधिकृत लेनदेन का पता चलते हुए उसकी सूचना तुरंत बैंक को देनी चाहिए। सूचना देने में देरी होने से पैसे वापस मिलने की संभावना कम हो जाती है।
अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की देयता को सीमित करने के संबंध में आरबीआई के 06 जुलाई, 2017 के संदर्भ में शून्य देयता वहां उत्पन्न होगी यदि:
- बैंक की ओर से अंशदायी धोखाधड़ी/ लापरवाही/ कमी है (इस पर ध्यान दिए बगैर कि ग्राहक द्वारा लेनदेन को रिपोर्ट किया गया है या नहीं)।
- अन्य पक्ष द्वारा उल्लंघन जहां न तो बैंक की ओर से कमी हुई हो, न ही ग्राहक की ओर से, बल्कि प्रणाली में ही कहीं कमी हो, और ग्राहक अनधिकृत लेनदेन के संबंध में बैंक से सूचना प्राप्त होने के तीन कार्य दिवसों के भीतर बैंक को सूचित कर देता है।
ग्राहक की सीमित देयता
कोई ग्राहक निम्नलिखित मामलों में अनधिकृत लेनदेन के कारण होने वाले नुकसान के लिए उत्तरदायी होगा:
- ऐसे मामले जिनमें हानि किसी ग्राहक की लापरवाही के कारण हुई है, जैसे जहां उसने भुगतान संबंधी गोपनीय जानकारी साझा की है, वहां ग्राहक को सम्पूर्ण नुकसान तब तक वहन करना होगा जब तक कि अनधिकृत लेनदेन के संबंध में बैंक को सूचित न किया जाए। अनधिकृत लेनदेन की सूचना प्राप्ति के बाद होने वाला कोई भी नुकसान बैंक द्वारा वहन किया जाएगा।
- ऐसे मामले जिनमें अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन की जवाबदेही न तो बैंक की हो, न ही ग्राहक की, बल्कि कहीं-न-कहीं प्रणाली की ही हो, और जहां इस प्रकार की लेनदेन की सूचना बैंक को देने में ग्राहक की ओर से विलम्ब (बैंक से सूचना प्राप्ति के बाद चार से सात कार्य दिवस का) हो, वहां ग्राहक की प्रति लेनदेन देयता परिपत्र में दिए अनुसार सीमित होगी।
बैंकों में ग्राहक सेवा पर दिनांक 1 जुलाई, 2015 के मास्टर परिपत्र के तहत, बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे पर्याप्त जगह, उचित फर्नीचर, पीने के पानी की सुविधा प्रदान करने पर विशेष ध्यान देते हुए शाखाओं द्वारा बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनाएं जिसमें पेंशनरों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों आदि को विशिष्ट महत्व दिया जाए। इसके अतिरिक्त, बैंकों को सलाह दी जाती है कि शाखा स्तरीय ग्राहक सेवा समिति में वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करने को प्राथमिकता प्रदान की जाए।
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - दिनांक 4 अक्तूबर 2017 वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बैंकिंग सुविधा के तहत बैंकों के लिए जारी दिनांक 9 नवंबर, 2017 के परिपत्र के अनुसार यह आवश्यक है कि वे निम्नलिखित विशेष प्रावधानों के साथ समुचित प्रणाली तैयार करें:
- वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समर्पित काउंटर/ प्राथमिकता - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे स्पष्टतः पहचान-योग्य समर्पित काउंटर अथवा वरिष्ठ नागरिकों और दृष्टिबाधित व्यक्तियों सहित दिव्यांग व्यक्तियों को प्राथमिकता देने वाले काउंटर उपलब्ध कराएं।
- जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने में आसानी - बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि जब पेंशन वितरित करने वाले बैंक की किसी शाखा में, गृहेतर (नॉन-होम) शाखा सहित, कोई जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे प्राप्तकर्ता शाखा द्वारा ही सीबीएस में तुरंत अद्यतन/ अपलोड किया जाता है, ताकि पेंशन राशि जमा होने में किसी भी प्रकार के विलम्ब से बचा जा सके।
- चेक बुक सुविधा - बैंक चेक बुक प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों सहित किसी भी ग्राहक के स्वयं उपस्थित होने पर जोर नहीं देंगे।
- खाते की स्थिति में स्वतः परिवर्तन - बैंकों को सूचित किया जाता है कि पूर्णतः केवाईसी-अनुपालित खाते बैंक के अभिलेखों में उपलब्ध जन्म-तिथि के आधार पर ‘वरिष्ठ नागरिक खातों’ में स्वतः परिवर्तनीय बनाए जाएं।
- फार्म 15 जी/एच फाइल करने में आसानी - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों को वर्ष में एक बार (बेहतर हो अप्रैल माह में) फार्म 15 जी/एच प्रदान करें, ताकि वे निर्धारित समय के भीतर उक्त को, जहां भी लागू हो, प्रस्तुत कर सकें।
- दरवाजे पर (डोर-स्टेप) बैंकिंग - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे ग्राहकों के परिसर / आवास पर बुनियादी बैंकिंग सेवाएं, जैसे कि रसीद देकर नकदी और लिखत प्राप्त करना, खाते से आहरण के हिसाब से नकदी की सुपुर्दगी, डिमांड ड्राफ्ट की सुपुर्दगी, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दस्तावेज और जीवन प्रमाण-पत्र की प्रस्तुति आदि के लिए ठोस प्रयास करें।
अस्वीकरण - ये ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ आरबीआई द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन के उद्देश्य हेतु जारी किए गए हैं, जिन्हें किसी भी कानूनी कार्यवाही में उद्धृत नहीं किया जा सकता है और इसका कोई कानूनी उद्देश्य नहीं होगा। इसे कानूनी सलाह या कानूनी राय के रूप में मानने का इरादा नहीं है। इनके आधार पर किए गए कार्यों और / या निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। पाठकों से अनुरोध किया जाता है कि वे स्पष्टीकरण या व्याख्या, यदि कोई हो, के लिए आरबी-आइओएस, 2021 और रिज़र्व बैंक और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों / अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हों।
अस्वीकरण - ये ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ आरबीआई द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन के उद्देश्य हेतु जारी किए गए हैं, जिन्हें किसी भी कानूनी कार्यवाही में उद्धृत नहीं किया जा सकता है और इसका कोई कानूनी उद्देश्य नहीं होगा। इसे कानूनी सलाह या कानूनी राय के रूप में मानने का इरादा नहीं है। इनके आधार पर किए गए कार्यों और / या निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। पाठकों से अनुरोध किया जाता है कि वे स्पष्टीकरण या व्याख्या, यदि कोई हो, के लिए आरबी-आईओएस, 2021 और रिज़र्व बैंक और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों / अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हों।
1 अधिनिर्णय की सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा स्वीकृति प्रस्तुत की जानी चाहिए।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022