डिजिटल उधार दिशानिर्देश
उत्तर: 'डिजिटल लेंडिंग' में आरई को परिचालन संबंधी नम्यता प्रदान करने के लिए डिजिटल लेंडिंग परिभाषा में ‘मुख्य रूप से निर्बाध डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग' वाक्यांश का उपयोग किया गया है। इसलिए भले ही ग्राहक के साथ कुछ भौतिक इंटरफेस मौजूद हो, फिर भी उधार ‘डिजिटल उधार’ की परिभाषा के अंतर्गत आएगा। तथापि, ऐसा करते समय, आरई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिशानिर्देशों के अंतर्निहित उद्देश्य का पालन किया गया है।
मौजूदा ऋणों के मामले में भी, निर्देश 1 अप्रैल, 2024 से लागू होंगे और नई दंडात्मक शुल्क व्यवस्था में बदलाव 1 अप्रैल, 2024 को या उसके बाद आने वाली अगली समीक्षा/नवीनीकरण तिथि पर सुनिश्चित किया जाएगा, लेकिन 30 जून 2024 के बाद नहीं।
'सूचना का प्रकाशन - सरफेसी अधिनियम, 2002 के तहत प्रतिभूति आस्तियां ' पर 25 सितंबर 2023 को जारी परिपत्र पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (सरफेसी) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत विनियमित संस्थाओं (आरई) के पास मौजूद प्रतिभूति आस्तियों का परिपत्र की तारीख पर अथवा उसके बाद उनकी वेबसाइट पर प्रकाशन किया जाना चाहिए।
'हरित जमाराशियों के अंगीकरण हेतु ढांचा' पर 11 अप्रैल, 2023 का परिपत्र
उत्तर: यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि आरई अपने ग्राहकों से हरित जमाराशि जुटाने का इरादा रखते हैं तो उन्हें इसमें निर्धारित ढांचे का पालन करना चाहिए।
उत्तर: कार्डों को उनके जारी करने, कार्ड धारक द्वारा उनके उपयोग और भुगतान के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। कार्ड तीन प्रकार के होते हैं (क) डेबिट कार्ड, (ख) क्रेडिट कार्ड, (ग) प्रीपेड कार्ड।
₹2000/- मूल्यवर्ग के बैंकनोट नवंबर 2016 में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 24(1) के अंतर्गत जारी किए गए थे। मुख्यतया, ₹500/- एवं ₹1000/- मूल्यवर्ग के बैंकनोट, जो तब संचलन में थे, के वैध मुद्रा का दर्जा हटाने के पश्चात, अर्थव्यस्था में मुद्रा की आवश्यकता को जल्द पूरा करने के उद्देश्य से इन्हें जारी करने का निर्णय लिया गया था। संचलन में पर्याप्त मात्रा में अन्य मूल्यवर्ग के नोटों के उपलब्ध हो जाने से ₹2000/- मूल्यवर्ग के नोट जारी करने का उद्देश्य पूरा होने के कारण वर्ष 2018-19 से ₹2000/- मूल्यवर्ग के नोटों का मुद्रण बंद है। ₹2000/- मूल्यवर्ग के अधिकांश बैंकनोट 31 मार्च 2017 के पूर्व जारी किए गए थे और वे अपनी अनुमानित आयु सीमा, जो कि 4-5 वर्ष है, के अंत में हैं। यह भी देखा गया है कि ₹2000/- मूल्यवर्ग के बैंकनोट लेन-देन के लिए आमतौर पर उपयोग में नहीं लाये जा रहे हैं। इसके अलावा, जनसाधारण की करेंसी की आवश्यकता पूर्ति के लिए अन्य मूल्यवर्ग के नोटों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है।
उपर्युक्त कारणों से एवं भारतीय रिज़र्व बैंक की ‘स्वच्छ नोट नीति’ को ध्यान में रखते हुए ₹2000/- मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को संचलन से वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
उत्तर. एनबीएफसी-आईएफसी एक गैर-जमा स्वीकार करने वाली ऐसी एनबीएफसी है जिसकी कुल अस्ति का न्यूनतम 75% बुनियादी ढांचा उधार के लिए विनियोजित किया गया हो। इस उद्देश्य के लिए, 'इंफ्रास्ट्रक्चर लेंडिंग' (बुनियादी ढांचा उधार) शब्द का अर्थ आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित बुनियादी ढांचा उप-क्षेत्रों में किसी एनबीएफसी द्वारा किसी उधारकर्ता को सावधि ऋण (टर्म लोन), किसी परियोजना कंपनी में बांड/ डिबेंचर/ वरीयता शेयर/ इक्विटी शेयरों के लिए परियोजना ऋण अंशदान (सब्सक्रिप्शन), जो कि परियोजना वित्त पैकेज के एक हिस्से के रूप में प्राप्त किया गया हो, यह अंशदान "अग्रिम की प्रकृति में" या दीर्घकालिक वित्त पोषित सुविधा के किसी अन्य रूप में हो।
वर्तमान में देश में कुछ अध्ययनों के रूप में ई₹ के उपयोग का पायलट परीक्षण कार्य किया जा रहा है। पायलट परीक्षण खुदरा (सार्वजनिक) और थोक (बैंक और अन्य संस्थान) खंडों में किया जा रहा है।
उत्तर: डिजिटल रुपया या ई₹, भारत की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) है। यह भारत की भौतिक मुद्रा, रुपया (₹) का डिजिटल रूप है। ई₹ को भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया जाता है और इसमें भौतिक नकदी जैसी ही सुविधाएँ होती हैं जैसे उपयोग की सुविधा, आरबीआई की गारंटी, निपटान की अंतिमता, आदि। ई₹ को उपयोगकर्ता के डिजिटल वॉलेट में संग्रहित किया जाता है और इसका उपयोग पैसे प्राप्त करने/भेजने और/या लेनदेन के लिए भुगतान करने के लिए किया जा सकता है, ठीक उसी प्रकार से जैसे किसी भी भौतिक रुपया (₹) नोट का उपयोग होता है।
भारत के केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा का लोगो और टैगलाइन निम्नवत है:

उत्तर. यह परिपत्र केवल सभी समान आवधिक किस्त आधारित वैयक्तिक ऋणों पर लागू है। यह परिपत्र अन्य प्रकार के ऋणों पर लागू नहीं है। वैयक्तिक ऋण की परिभाषा के लिए दिनांक 04 जनवरी 2018 को “एक्सबीआरएल रिटर्न्स - बैंकिंग सांख्यिकी का सुसंगतिकरण” पर रिज़र्व बैंक के परिपत्र डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.99/08.13.100/2017-18 का संदर्भ लिया जा सकता है।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022