अमरीकी डॉलर चेक वसूली
अमेरिकी डॉलर चेक वसूली के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बैंको द्वारा अपने सामान्य बैंकिंग परिचालन के एक भाग के रूप में दी जाने वाली सेवाओं में से एक है उनके ग्राहकों द्वारा जमा किए गए चेकों की वसूली, इनमें से कुछ चेक ऐसे बैंकों पर आहरित या देय हो सकते हैं जो देश से बाहर स्थित हों ऐसे चेक विदेशी मुद्रा चेक (फारेन करेन्सी चेक ) कहलाते हैं और वर्तमान में ऐसे अधिकांश चेक अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित होते हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित बैंकों द्वारा देय होते हैं। जनता को बेहतर जानकारी देने के प्रयोजन से अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित चेकों पर अक्सर पूछे जाने वाले ये प्रश्न तैयार किये गये हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 'भुगतान प्रणाली डाटा का संग्रहण' पर दिनांक 06 अप्रैल 2018 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.ओडी.सं.2785/06.08.005/2017-18 के अंतर्गत एक निर्देश जारी किया था जिसमें सभी प्रणाली प्रदाताओं को यह सूचित किया गया था कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि छ: महीने की अवधि के भीतर स्वयं के द्वारा परिचालित भुगतान प्रणालियों से संबंधित संपूर्ण डेटा केवल भारत में ही एक प्रणाली में संग्रहीत किया जाए।
भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पीएसओ) ने भारतीय रिजर्व बैंक से समय-समय पर कतिपय कार्यान्वयन संबंधी मामलों पर स्पष्टीकरण मांगा है। इस अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न का उद्देश्य उन मुद्दों पर स्पष्टता प्रदान करना और सभी पीएसओ द्वारा त्वरित अनुपालन सुनिश्चित करना है।
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ये निर्देश उन भुगतान प्रणाली प्रदाताओं पर लागू होंगे जिन्हें भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारत में भुगतान प्रणाली स्थापित और परिचालित करने के लिए भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत / अनुमोदित किया गया है।
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बैंक जो भुगतान प्रणाली के परिचालक के रूप में या भुगतान प्रणाली में सहभागी के रूप में कार्य करते हैं। वे निम्नलिखित में सहभागी होते हैं (i) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा परिचालित भुगतान प्रणालियों जैसे कि आरटीजीएस और एनईएफटी, (ii) सीसीआईएल और एनपीसीआई द्वारा परिचालित प्रणालियों में, और (iii) कार्ड योजनाओं में। अत: यह निर्देश भारत में परिचालित सभी बैंकों पर लागू हैं।
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यह निर्देश भुगतान ईकोसिस्टम में प्रणाली प्रतिभागियों, सेवा प्रदाताओं, मध्यवर्ती संस्थाओं, भुगतान गेटवे, तीसरे पक्ष के विक्रेताओं और अन्य संस्थाओं (जिस किसी भी नाम से निर्दिष्ट किया गया है) जिन्हें प्राधिकृत /अनुमोदित संस्थाओं द्वारा भुगतान सेवाओं को प्रदान करने के लिए यथावत अथवा संलिप्त रखा गया है, के माध्यम से किए गए लेनदेन के संबंध में भी लागू होते हैं।
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इन निर्देशों के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व प्राधिकृत /अनुमोदित पीएसओ पर होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह के आंकड़े केवल उपर्युक्त निर्देशों के अंतर्गत भारत में ही संग्रहीत किए जाएँ।
बैंकों को सभी लागू सांविधिक प्रावधानों, नियमों और विनियमों, विभिन्न आचार संहिताओं (स्वैच्छिक सहित) और अपने स्वयं के आंतरिक नियमों, नीतियों और प्रक्रियाओं का अनुपालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। हालांकि, यह दोहराया जाता है कि अनुपालन व्यावसायिक इकाइयों और अनुपालन कार्य की एक साझा जिम्मेदारी है। इसलिए, लागू सांविधिक प्रावधानों और विनियमों का पालन बैंक के प्रत्येक कर्मचारी/स्टाफ सदस्य की जिम्मेदारी होनी चाहिए और इसे सुनिश्चित करना अनुपालन कार्य का भाग है।
कुछ बैंकों में, विभिन्न सांविधिक और अन्य आवश्यकताओं के अनुपालन को संभालने वाले अलग-अलग विभाग हो सकते हैं, जबकि अनुपालन कार्य नियमों, आंतरिक नीतियों और प्रक्रियाओं के अनुपालन की निगरानी एवं प्रबंधन को रिपोर्ट करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। संबंधित विभाग अपने-अपने क्षेत्रों के लिए प्रमुख जिम्मेदारी संभालेंगे, जिसे स्पष्ट रूप से रेखांकित किया जाना चाहिए, जबकि अनुपालन कार्य को समग्र निरीक्षण सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी। यदि ऐसे अनुपालनों में गंभीर कमियाँ देखी जाती हैं, तो अनुपालन कार्य को अनुपालन शिष्टता को ठीक करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए। विभागों के बीच और मुख्य अनुपालन अधिकारी के साथ सहयोग के लिए उचित तंत्र भी होना चाहिए।
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सीआईबी 1997 में जारी किए गए थे जो केवल मूलधन को मुद्रास्फीति से सुरक्षित रखते है न कि ब्याज भुगतान को।
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आईआईबी के नवीन उत्पाद मूलधन और ब्याज भुगतनों दोनों को मुद्रास्फीति से सुरक्षा उपलब्ध कराएगा।
In providing the clarifications, an attempt has been made to assist potential applicants in understanding the terms of the guidelines. The clarifications are specific to the queries and must be read in the overall context of the guidelines.
वाणिज्य बैंक: भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित सभी वाणिज्य बैंक का बीमा डीआईसीजीसी द्वारा किया जाता है।
सहकारी बैंक: राज्यों /संघ शासित क्षेत्रों में कार्य कर रहे सभी राज्य, मध्यवर्ती और प्राथमिक सहकारी बैंक, जिन्हें शहरी सहकारी बैंक भी कहा जाता है, के संबंधित राज्य/संघशासित क्षेत्र की सरकारों द्वारा रिज़र्व बैंक को यह अधिकार देने के लिए अपने सहकारी समिति अधिनियम को संशोधित किया गया है कि वह राज्यों /संघ शासित क्षेत्रों की समितियों के रजिस्ट्रार को आदेश दे सके कि किसी सहकारी बैंक का समापन कर दे अथवा इसकी प्रबंध समिति को अधिक्रमित करे और रजिस्ट्रार से अपेक्षित है कि वह रिज़र्व बैंक से लिखित पूर्व स्वीकृति के बिना किसी सहकारी बैंक के समापन, समामेलन या पुनर्निमाण के लिए कोई कार्रवाई न करें, जमा बीमा स्कीम के अंतर्गत आते हैं । वर्तमान में सभी सहकारी बैंक डीआईसीजीसी द्वारा बीमित किए जाते हैं।
डीआईसीजीसी द्वारा प्राथमिक सहकारी समितियों का बीमा नहीं किया जाता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 20 के अंतर्गत केंद्र सरकार की प्राप्तियों और भुगतानों तथा सरकार के लोक ऋण का प्रबंध करने सहित विनिमय, विप्रेषण और अन्य बैंकिंग परिचालनों का उत्तरदायित्व भारतीय रिज़र्व बैंक का है। साथही, उक्त अधिनियम की धारा 21 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक को भारत सरकार का कारोबार करने का अधिकार है।
उक्त अधिनियम की धारा 21ए के अनुसार राज्य सरकारों के साथ करार कर भारतीय रिज़र्व बैंक राज्य सरकार के लेनदेन करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब तक यह करार सिक्किम सरकार को छोड़कर सभी राज्य सरकारों के साथ किया है। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक के पास सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करने का अधिकार तथा उत्तरदायित्व दोनों के लिए विधिक प्रावधान हैं।
उत्तर: प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अर्थात आर.बी.आई. द्वारा विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए प्राधिकृत किए गए बैंक के पास विदेशी मुद्रा में विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खाता रखा जाता है। यह सुविधा विदेशी मुद्रा में अर्जित की गयी 100 प्रतिशत राशि को निर्यातकों सहित विदेशी मुद्रा अर्जकों को उनके उक्त खाते में जमा करने के लिए दी जाती है ताकि खाता धारकों को विदेशी मुद्रा को रुपये में और रुपये को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित न करना पड़े जिससे उनके लेनदेनों की लागत कम हो सके।
मान लें कि किसी बैंक के पास उधार संबंधी निम्नलिखित परिपक्वता प्रोफ़ाइल है:
क्र.सं. | मूल परिपक्वता | कुल निधि के प्रतिशत के रूप में बकाया शेषराशि (ईक्विटी के अलावा) | संचयी भारिता |
1 | 5 साल और उससे अधिक | 15.1% | 15.1% |
2 | 3 साल और उससे अधिक लेकिन 5 साल से कम | 11.8% | 26.9% |
3 | 2 साल और उससे अधिक लेकिन 3 साल से कम | 9.3% | 36.2% |
4 | 1 साल और उससे अधिक लेकिन 2 साल से कम | 16.9% | 53.1% |
5 | 6 माह और उससे अधिक लेकिन 1 साल से कम | 24.3% | 77.4% |
6 | 91 दिन और उससे अधिक लेकिन 6 महीने से कम | 10.5% | 87.9% |
7 | 90 दिनों तक | 12.1% | 100% |
कुल | 100% |
इस मामले में, एमसीएलआर पहले तीन टाइम बकेट की अवधि के भारित औसत के अनुरूप होगा।
उत्तर: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को कई वित्त पोषकों के माध्यम से व्यापार प्राप्तियों के वित्तपोषण / छूट की सुविधा प्रदान करने के लिए ट्रेड्स एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म है। ये प्राप्तियाँ कॉर्पोरेट और अन्य खरीदारों द्वारा देय हो सकती हैं, जिनमें सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शामिल हैं।
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मुद्रास्फीति दर संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [(सीपीआई) आधार : 2010 =100)]
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अंतिम संयुक्त CPI को तीन महीने के अंतराल के साथ संदर्भ CPI के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। उदाहरण के लिए, सितंबर 2013 के लिए अंतिम संयुक्त सीपीआई को सम्पूर्ण दिसंबर 2013 के लिए संदर्भित सीपीआई के रूप में प्रयोग किया जाएगा।
उत्तर: हाँ। बैंकों को अपनी एचटीएम पुस्तक में टीएलटीआरओ में प्राप्त राशि के लिए निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की मात्रा को टीएलटीआरओ की परिपक्वता तक हर समय बनाए रखना होगा।
सरकारी प्रतिभूति, निवेशकों के लंबे अवधि के लिए सुरक्षा, तरलता और आकर्षक प्रतिलाभ के अवसर प्रदान करता है । सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 को लागू करने से भारत सरकार द्वारा जारी सरकारी प्रतिभूतियां जिसमें राहत /बचत बांड शामिल है, निवेशक के लिए अधिक सुविधाजनक हो गए है । अधिनियम में हुए बदलाव के कारण इन बांडो में निवेशकों को विशेष लाभ होगा । इस संबंध में जनजागृति निर्माण करने और अनुकूल उपाय के रुप में निम्नलिखित अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नों (एफएक्यू) को उत्तर के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक(आरबीआई) द्वारा प्रकाशित किया गया है ।
सरकारी प्रतिभूति(जी–सेक ) अर्थात लोक ऋण वृघ्दि या किसी उद्देश्य से सरकार के राजपत्र में अधिसूचित किए अनुसार सरकार द्वारा निर्मित या जारी प्रतिभूति है और जो निम्नलिखित रूपों में है :-
i) व्यक्ति को या के आदेश से देय सरकारी वचनपत्र (जीपीएन); या
ii) धारक को देय वाहक बांड; या
iii) स्टॉक; या
iv) बांड लेजर खाते में धारित बांड (बीएलए).
उत्तर: आईडीएफ ऐसे निवेश माध्यम हैं जिन्हें भारत में वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी द्वारा प्रायोजित किया जा सकता है जिसमें घरेलू / अपतटीय संस्थागत निवेशक, विशेष रूप से बीमा और पेंशन फंड आईडीएफ द्वारा जारी इकाइयों और बांडों के माध्यम से निवेश कर सकते हैं। आईडीएफ अनिवार्य रूप से बुनियादी ढांचा कंपनियों के मौजूदा ऋण को पुनर्वित्त करने के लिए वाहक के रूप में कार्य करेगा, जिससे बैंकों के लिए नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को ऋण देने के लिए नए हेडरूम का निर्माण होगा। आईडीएफ-एनबीएफसी सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मार्ग के माध्यम से बनाई गई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए दिए गए ऋणों में आगे निकाल जाएंगे और वे सफलतापूर्वक वाणिज्यिक उत्पादन का एक वर्ष पूरा कर चुके हैं। बैंकों से ऋणों का ऐसा अधिग्रहण आईडीएफ, रियायतग्राही और परियोजना प्राधिकरण के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते द्वारा कवर किया जाएगा, ताकि छूटग्राही द्वारा चुकौती में चूक की स्थिति में समाप्ति भुगतान के साथ एक अनिवार्य खरीद सुनिश्चित की जा सके।
नोट: (ए) चूंकि एस.एन.आर.आर. खाते को भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा व्यापार, विदेशी निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार, आदि में निर्दिष्ट लेनदेन हेतु परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में आवक/ जावक विप्रेषण के बदले उपयोग करने की अनुमति दी गई है, अतः निवासी या अनिवासी के साथ किए जाने वाले प्रत्येक लेनदेन के लिए प्राधिकृत व्यापारी (एडी) बैंकों द्वारा प्रतिपक्ष की पहचान सुनिश्चित करने हेतु उचित सावधानी बरती जाने की आवश्यकता है। एडी बैंकों द्वारा बरती जाने वाली ऐसी कुछ सावधानियों को नीचे ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों’ में सूचीबद्ध किया गया है। दिशानिर्देशों के अनुसार एस.एन.आर.आर. लेनदेन के उपयोग और ऐसे लेनदेन की पहचान सुनिश्चित करना एडी बैंकों का दायित्व है।
(बी) इस ‘एफएक्यू’ के प्रावधान एफपीआई, एफवीसीआई और डिपॉजिटरी रसीद / एफसीसीबी परिवर्तन खातों के एसएनआरआर खातों पर लागू नहीं होंगे, जो किसी अभिरक्षक संस्था द्वारा संचालित होते हैं तथा ‘जमा और खातों पर मास्टर निदेश’ के भाग-II के पैरा 7.1 (i) के अंतर्गत आते हैं।
उत्तर:
ए. एसएनआरआर खातों से डेबिट कर के किए जाने वाले भुगतान: भारत में निवासी व्यक्ति के पक्ष में एसएनआरआर खाते से डेबिट करते हुए आईएनआर में भुगतान करने संबंधी मामलों में एडी बैंक यह सुनिश्चित करे कि लेनदेन को एसएनआरआर लेनदेन (उद्देश्य कोड और देश के ब्योरे सहित, यदि लागू हो) के रूप में चिन्हित किया गया है और उसे प्रापक बैंक को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अथवा मैन्युअल तरीके से सूचित किया गया है।
बी. एसएनआरआर खातों में क्रेडिट हेतु प्राप्त भुगतान: एसएनआरआर खाता रखने वाला एडी बैंक यह सुनिश्चित करे कि एसएनआरआर खाते में क्रेडिट हेतु प्राप्त किसी भी घरेलू आवक विप्रेषण की उपर्युक्त पैराग्राफ (ए) के अनुसार एसएनआरआर लेनदेन के रूप में पुष्टि की गई हो।
सी. एडी बैंक एसएनआरआर खातों से जुड़े ऐसे सभी लेनदेन के संबंध में फेमा अथवा उसके तहत बनाए गए नियमों या विनियमों या उसके अंतर्गत जारी निदेशों में निहित विभिन्न फेमा प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करें।