विनियामकीय सैंडबॉक्स - आरबीआई - Reserve Bank of India
नियामक सैंडबॉक्स


परिचय
- भारत में फिनटेक परितंत्र के विनियमित और अनुशासित विकास को सक्षम बनाने के लिए, रिज़र्व बैंक अगस्त 2019 में उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया, जिनके पास अपना स्वयं का नियामक सैंडबॉक्स (आरएस) परितंत्र है। सैंडबॉक्स के भीतर, पात्र संस्थाएं नियंत्रित वातावरण में अपने नवीन उत्पादों या सेवाओं का सजीव (लाइव) परीक्षण कर सकती हैं।
आरएस नियामक, नवोन्मेषकों, वित्तीय सेवा प्रदाताओं और अंतिम उपयोगकर्ताओं के बीच एक सहयोग है जो यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय उपभोक्ताओं को सर्वश्रेष्ठ वित्तीय सेवाएं मिलना जारी रहे।
नियामक सैंडबॉक्स की स्थापना वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद - उप समिति (एफएसडीसी-एससी) द्वारा स्थापित फिनटेक और डिजिटल बैंकिंग पर कार्य समूह की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। व्यापक हितधारक परामर्श के बाद, नियामक सैंडबॉक्स (आरएस) के लिए अंतिम सक्षम फ्रेमवर्क 13 अगस्त 2019 को आरबीआई की वेबसाइट पर प्रस्तुत किया गया था। सक्षम फ्रेमवर्क को 16 दिसंबर 2020 और 08 अक्तूबर 2021 को पुनः अद्यतित किया गया, जिसे पिछले समूहों के अनुभवोंनुसार बेहतर बनाया गया।
आरएस थीम के (विषयक) समूहों पर आधारित है। आरएस के तहत विभिन्न समूहों की थीम निम्नवत है-
I. खुदरा भुगतान
II. सीमा-पार भुगतान
III. एमएसएमई ऋण
IV. वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम और शमन
V. सीमीत थीमों के अलावा - यहां आरबीआई के नियामक डोमेन में विभिन्न कार्यों से संबंधित नवोन्मेषी उत्पाद/सेवाएं/प्रौद्योगिकियां आवेदन करने के लिए पात्र होंगी।
इसके अतिरिक्त, सीमित थीमों में निरंतर नवोन्मेष सुनिश्चित करने के लिए, आरएस सीमित थीमों के लिए 'ऑन टैप' एप्लिकेशन भी स्वीकार करता है। वर्तमान में, पहले दो समूहों (अर्थात खुदरा भुगतान और सीमा पार भुगतान) की थीम 'ऑन टैप' अनुप्रयोगों के लिए खुली हैं।