निरीक्षण विभाग - आरबीआई - Reserve Bank of India
अवलोकन
निरीक्षण विभाग की स्थापना उसी वर्ष अर्थात 1935 में हुई, जिस वर्ष भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपना कार्य आरंभ किया था। विभाग को भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों के परिचालन / कार्यप्रणाली के संबंध में निष्पक्ष और उद्देश्यपरक आश्वासन/फीडबैक देने की जिम्मेदारी सौपी गई थी । विभाग, रिज़र्व बैंक के जोखिम प्रबंधन, आंतरिक नियंत्रणों तथा गवर्नेंस प्रक्रिया की पर्याप्तता और विश्वसनीयता के संबंध में परीक्षण/मूल्यांकन करता है और रिपोर्ट देता है ।
निरीक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की लेखापरीक्षा तथा जोखिम प्रबंधन उप समिति (एआरएमएस) के सचिवालय का कार्य करता है तथा अपने मूल्यांकन की रिपोर्ट उप समिति के समक्ष प्रस्तुत करता है । उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किए गए लेखापरीक्षा प्रेक्षणों को समीक्षा और मार्गदर्शन के लिए कार्यपालक निदेशक समिति के समक्ष भी प्रस्तुत किया जाता है। सूचना प्रणाली (आईएस) लेखापरीक्षा के निष्कर्षों को भी कार्यपालक निदेशक समिति तथा केंद्रीय बोर्ड की लेखापरीक्षा तथा जोखिम प्रबंधन उप समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है । भारतीय रिज़र्व बैंक की गवर्नेंस-संरचना में आंतरिक लेखापरीक्षा की प्रमुख भूमिका है ।
भारतीय रिज़र्व बैंक में निरीक्षण का स्वरूप
वर्तमान में, विभाग द्वारा निम्नलिखित प्रकार के निरीक्षण किए जाते हैं / उनका समन्वय किया जाता है ।
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जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए)
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सूचना प्रणाली लेखापरीक्षा
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समवर्ती लेखापरीक्षा (सीए)
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नियंत्रण स्व-मूल्यांकन लेखापरीक्षा (सीएसएए)
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अनुपालन लेखापरीक्षा
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परियोजना लेखापरीक्षा
जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए)
जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए) के अंतर्गत निरीक्षण विभाग द्वारा प्रबंध तंत्र को स्वतंत्र और उद्देश्यपरक राय प्रदान की जाती है कि रिज़र्व बैंक की कारोबारी प्रक्रियाओं तथा जोखिमों का उचित तरीके से प्रबंधन किया जा रहा है या नहीं । जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए) द्वारा अन्य लेखापरीक्षाओं के निष्कर्षों की समीक्षा की जाती है । विभिन्न कारोबारी इकाइयों, यथा, केंद्रीय कार्यालय विभागों (कें.का.वि.), क्षेत्रीय कार्यालयों (क्षे.का.), प्रशिक्षण संस्थानों (प्र.सं.), बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों (बैं.लो.का.) और संबद्ध संस्थानों (स.सं.) की लेखापरीक्षा 12 से 36 माह के बीच की विभिन्न आवधिकता पर की जाती है ।
सूचना प्रणाली लेखा परीक्षा (आईएसए)
सूचना प्रणाली (आईएस) लेखापरीक्षा, जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए) के एक भाग के रूप में कार्यात्मक लेखापरीक्षा के साथ की जाती है ताकि आंतरिक नियंत्रणों की पर्याप्तता तथा प्रभावकारिता का आकलन किया जा सके और बैंक में उपयोग में लाई जा रही सूचना प्रणालियों के अनुपालन के बारे में स्वतंत्र आश्वासन दिया जा सके । इस लेखापरीक्षा का उद्देश्य बैंक की आईएस नीति के प्रावधानों का पालन किए जाने की जांच करना है ।
समवर्ती लेखा परीक्षा (सीए)
आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था के भाग के रूप में, सभी कारोबारी इकाइयों से अपेक्षित है कि वे अपने लेनदेनों (मुख्य रूप से वित्तीय लेन-देनों) की लेखापरीक्षा बाह्य सनदी लेखाकार फर्मों से ऐसे लेनेदनों के होने के साथ-साथ कराएं ।
नियंत्रण स्व-मूल्यांकन लेखा परीक्षा (सीएसएए)
यह एक स्व-मूल्यांकन / गुणवत्ता परीक्षण की प्रक्रिया है जिससे जोखिम नियंत्रणों में कमियों का मूल्यांकन/पता लगाया जाता है ताकि समय पर समीक्षा की जा सके और इन कमियों को दूर करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें। यह मूल्यांकन उन लोगों द्वारा किए जाते हैं जो मूल्यांकन किए जाने वाले परिचालनों/प्रक्रियाओं से सीधे जुड़े नहीं होते हैं । सभी कारोबार इकाइयों से अपेक्षित है कि वे प्रत्येक वर्ष में कम से कम दो बार अर्थात जून और दिसंबर छमाही में सीएसएए लेखापरीक्षा सुनिश्चित करें ।
अनुपालन लेखापरीक्षा
अनुपालन लेखापरीक्षा संगठन में जोखिम में कमी लाने का एक महत्वपूर्ण साधन है जिसके माध्यम से लेखापरीक्षिती कार्यालयों द्वारा आरबीआईए के लिए प्रस्तुत अनुपालन की स्थिति और इसको बनाए रखने का पता लगाया जाता है । ऐसे लेखापरीक्षाधीन कार्यालयों, जिनको उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया गया है, नकी अनुपालन लेखापरीक्षा उच्च प्रबंधन के निर्देशानुसार निरीक्षण विभाग द्वारा चक्र के बीच में की जाती है ।
परियोजना लेखापरीक्षा
परियोजना लेखापरीक्षा, परियोजना जोखिम आकलन की एक स्वतंत्र, उद्देश्यपरक प्रकिया है जो शीर्ष प्रबंध तंत्र को आश्वासन प्रदान करती है । परियोजना लेखापरीक्षा, निरीक्षण विभाग के तत्वावधान में इसके आंतरिक संसाधनों अथवा बैंक के भीतर से अन्य विभागों से डोमेन विशेषज्ञों अथवा जरूरत पडने पर बाहरी लेखापरीक्षा फर्मों की सहायता से की जाती है। परियोजना लेखापरीक्षा, परियोजना की व्यवहार्यता / बाधाओं का आकलन और पुन: पुष्टि करके, प्रारंभिक चेतावनी संकेत/अलर्ट प्रदान करके, सुधार की गुंजाइश की पहचान और सुझाव देकर तथा समय और लागत की बचत, आदि द्वारा लाभ प्रदान करती है ।
अनुपालन, अनुवर्ती कार्रवाई और रिपोर्टिंग
निरीक्षण विभाग द्वारा लेखापरीक्षा प्रेक्षणों (आरबीआईए, आईएसए, सीए, सीएसएए, अनुपालन लेखापरीक्षा तथा परियोजना लेखापरीक्षा) के संबंध में अनुवर्ती कार्रवाई की जाती है ताकि तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई और जोखिम से बचाव के प्रत्युपाय सुनिश्चित किए जा सकें । विभाग आवश्यकतानुसार, ऑफसाइट और ऑनसाइट मूल्यांकन भी करता है । विभाग द्वारा कारोबार इकाइयों से समय-समय पर रिटर्न प्राप्त करके ऑफसाइट निगरानी की जाती है और उनका विश्लेषण भी किया जाता है तथा आवश्यकतानुसार उन पर अनुवर्ती कार्रवाई की जाती है।
लेखापरीक्षा और जोखिम प्रबंधन उप समिति (एआरएमएस) तथा कार्यपालक निदेशक समिति (ईडीसी) की बैठकें
विभाग द्वारा लेखापरीक्षा तथा जोखिम प्रबंधन उप समिति (एआरएमएस) तथा कार्यपालक निदेशक समिति (ईडीसी) की बैठकों के समन्वयन और समय-समय पर इनके आयोजन की व्यवस्था की जाती है। एआरएमएस और ईडीसी की बैठकें सामान्यत: तिमाही में एक बार आयोजित की जाती है ।
कार्यपालकों से संपर्क करें
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श्री गौतम प्रसाद बोरा
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
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भारतीय रिज़र्व बैंक सी-7, बान्द्रा-कुर्ला कांप्लेक्स बान्द्रा मुंबई-400 051
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26570399
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जारी आंकड़े
इस खण्ड में भारतीय अर्थव्यवस्था, बैंकिंग और वित्त के विभिन्न पहलुओं से संबंधित आँकड़े दिये गये हैं। जहां विद्यमान विगत एक वर्ष के आँकड़ों के रूप में परिभाषित किए गये हैं और वे नीचे दिये गए लिंक पर उपलब्ध हैं वहीं अनुसंधानकर्ता इस पृष्ठ पर दिये गए भारतीय अर्थव्यवथा का डाटाबेस लिंक पर आँकड़ा श्रृंखला भी प्राप्त कर सकते हैं।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: जुलाई 19, 2024