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भारतीय रिज़र्व बैंक ने निम्नलिखित विवरणों के अनुसार भारत सरकार के खज़ाना बिलों की नीलामी की घोषणा की: क्रम सं. खज़ाना बिल अधिसूचित राशि (₹ करोड़ में) नीलामी की तारीख निपटान की तारीख 1 91 दिवसीय 7,000 11 दिसंबर 2024 (बुधवार) 12 दिसंबर 2024 (गुरुवार) 2 182 दिवसीय 6,000 3 364 दिवसीय 6,000
वर्तमान और उभरती चलनिधि स्थितियों की समीक्षा के बाद, 9 दिसंबर 2024, सोमवार को निम्नानुसार परिवर्ती दर रेपो (वीआरआर) नीलामी आयोजित करने का निर्णय लिया गया है: क्रम संख्या अधिसूचित राशि (₹ करोड़ में) अवधि (दिन) समयावधि प्रत्यावर्तन की तारीख 1 50,000 1 पूर्वाह्न 10:00 बजे से पूर्वाह्न 10:30 बजे 10 दिसंबर 2024 (मंगलवार)
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर निम्नलिखित सर्वेक्षणों के परिणाम जारी किए: i) उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (सीसीएस)– नवंबर 2024 ii) परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशा संबंधी सर्वेक्षण (आईईएसएच)– नवंबर 2024 iii) समष्टि आर्थिक सूचकांकों पर पेशेवर पूर्वानुमानकर्ता सर्वेक्षण - 91 दौर सर्वेक्षण के परिणाम सर्वेक्षणों पर उत्तरदाताओं से प्राप्त फीडबैक पर आधारित हैं और अनिवार्य रूप से भारतीय रिज़र्व बैंक के विचार नहीं हैं।
1. भारतीय रिज़र्व बैंक–देयताएं और आस्तियां * (₹ करोड़) मद 2023 2024 घट-बढ़ 1 दिसंबर 22 नवंबर 29 नवंबर सप्ताह वर्ष 1 2 3 4 5 4. ऋण और अग्रिम 4.1 केंद्र सरकार 0 0 0 0 0 4.2 राज्य सरकारें 21748 22714 16465 -6249 -5283 * आंकडे अनंतिम हैं; घट-बढ़, यदि कोई है, तो पूर्णांक के कारण है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के अंतर्गत नेशनल मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, लखनऊ को दिनांक 9 मार्च 2023 के निदेश सं. LKO.DOS.SED.No.S875/10-03-759/2022-2023 के माध्यम से 10 सितंबर 2023 को कारोबार की समाप्ति तक छह महीने की अवधि के लिए निदेश जारी किए थे, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया तथा पिछली बार इसे दिनांक 4 सितंबर 2024 के निदेश सं. DOR.MON/D-50/12-28-015/2024-2025 द्वारा 10 दिसंबर 2024 को कारोबार की समाप्ति तक बढ़ाया गया था। भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जनहित में, उक्त निदेश की परिचालन अवधि को 10 दिसंबर 2024 को कारोबार की समाप्ति से आगे बढ़ाया जाना आवश्यक है।
नीलामी का परिणाम नई जीएस 2027 6.92% जीएस 2039 7.09% जीएस 2054 I. अधिसूचित राशि ₹7,000 करोड़ ₹13,000 करोड़ ₹10,000 करोड़ II. हामीदारी की अधिसूचित राशि ₹7,000 करोड़ ₹13,000 करोड़ ₹10,000 करोड़ III. प्राप्त प्रतिस्पर्धी बोलियां (i) संख्या 73 169 218 (ii) राशि ₹ 21411.000 करोड़ ₹ 23251.218 करोड़ ₹ 25882.504 करोड़ IV. कट-ऑफ मूल्य / प्रतिफल - 100.38 100.93 (परिपक्वता प्रतिफल: 6.64%) (परिपक्वता प्रतिफल: 6.8783%) (परिपक्वता प्रतिफल: 7.0140%) V. स्वीकृत प्रतिस्पर्धी बोलियां (i) संख्या 22 134 79 (ii) राशि ₹ 6994.253 करोड़ ₹ 12995.288 करोड़ ₹ 9993.478 करोड़ VI. प्रतिर्स्धी बोलियों के लिए आंशिक आबंटन प्रतिशत 65.00% 95.50% 46.52% (12 बोलियां) (3 बोलियां) (12 बोलियां) VII. भारित औसत मूल्य / प्रतिफल 100.02 100.51 100.98
नई जीएस 2027 6.92% जीएस 2039 7.09% जीएस 2054 I. अधिसूचित राशि ₹7,000 करोड़ ₹13,000 करोड़ ₹10,000 करोड़ II. कट ऑफ मूल्य (₹) / कट-ऑफ पर निहित प्रतिफल 6.64% 100.38/6.8783% 100.93/7.0140% III. नीलामी में स्वीकृत राशि ₹7,000 करोड़ ₹13,000 करोड़ ₹10,000 करोड़ IV. प्राथमिक व्यापारियों का अभिदान शून्य शून्य शून्य
निम्नलिखित सरकारी प्रतिभूतियों की अतिरिक्त प्रतिस्पर्धी हामीदारी (एसीयू) के लिए 6 दिसंबर 2024 को आयोजित हामीदारी नीलामियों में भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिक व्यापारियों को देय हामीदारी कमीशन के लिए कट-ऑफ दर निम्नानुसार निर्धारित की हैं:
यह वक्तव्य (i) चलनिधि और वित्तीय बाजार; (ii) विनियमन; (iii) संचार; (iv) वित्तीय समावेशन; (v) भुगतान प्रणाली; और (vi) फिनटेक से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपायों को निर्धारित करता है। I. चलनिधि और वित्तीय बाजार 1. आरक्षित नकदी निधि अनुपात को कम करना सभी बैंकों के लिए आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को 25 बीपीएस की दो बराबर शृंखलाओं में 50 बीपीएस घटाकर निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) का 4.0 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है, जो क्रमशः 14 दिसंबर 2024 और 28 दिसंबर 2024 से शुरू होने वाले पखवाड़े से प्रभावी होगा। इससे सीआरआर एनडीटीएल के 4 प्रतिशत हो जाएगा, जो अप्रैल 2022 में नीति के सख्ती चक्र की शुरुआत से पहले लागू था। सीआरआर में इस कमी से बैंकिंग प्रणाली में लगभग ₹ 1.16 लाख करोड़ की प्राथमिक चलनिधि आएगी।
चूंकि हम 2025 की दहलीज पर खड़े हैं, मैं 2024 की घटनापूर्ण यात्रा पर विचार करना चाहूंगा। पिछले कुछ वर्षों की प्रवृत्ति के अनुरूप, केंद्रीय बैंकों को एक बार फिर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को निरंतर, विशाल और जटिल झटकों से बचाने के लिए अंतिम परीक्षा से गुजरना पड़ा। केंद्रीय बैंक लगातार भू-राजनीतिक संघर्षों, भू-आर्थिक विखंडन, वित्तीय बाजार में अस्थिरता और निरंतर अनिश्चितताओं, जो सभी मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था की लचीलेपन की परीक्षा ले रहे हैं, द्वारा निर्मित नए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय परिदृश्य के अनुकूल खुद को ढाल रहे हैं। उन्नत और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) दोनों के लिए अवस्फीति का अंतिम चरण लंबा और कठिन होता जा रहा है। समष्टि आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना तथा बफर्स का निर्माण करना, उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: मई 02, 2025