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वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों में रखी गयी जमाराशि‍यों से संबंधि‍त अनुदेशों का मास्टर परि‍पत्र

आरबीआइ / 2011-12/51
बैंपवि‍वि‍.सं.डीआइआर.बीसी. 10 /13.03.00/2011-12

1 जुलाई  2011
10 आषाढ़ 1933 (शक)

सभी अनुसूचि‍त वाणि‍ज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों में रखी गयी
जमाराशि‍यों से संबंधि‍त अनुदेशों का मास्टर परि‍पत्र

कृपया 1 जुलाई 2010 के मास्टर परि‍पत्र बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी.11/ 13.03.00/ 2010-11 का अवलोकन करें, जि‍समें वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों में रखी गयी जमाराशि‍यों पर ब्याज दरों के संबंध में 30 जून 2010 तक जारी अनुदेशों /दि‍शानि‍र्देशों को समेकि‍त कि‍या गया था । उक्त मास्टर परि‍पत्र को 30 जून 2011 तक जारी अनुदेशों की शामि‍ल करते हुए उपयुक्त रीति‍ से अद्यतन कि‍या गया है तथा उसे भारतीय रि‍ज़र्व बैंक की वेबसाइट (/en/web/rbi) पर उपलब्ध कराया गया है। मास्टर परि‍पत्र की एक प्रति‍ संलग्न है ।

भवदीय

(पी. आर. रवि‍ मोहन)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नकयथोक्त


वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज दरों से  संबंधि‍त मास्टर परि‍पत्र

वि‍षय-वस्तु

पैरा सं.

 

वि‍वरण

 

प्रयोजन

 

वर्गीकरण

 

पि‍छले अनुदेश

 

प्रयोज्यता

1.

 

भूमि‍का

2.

 

दि‍शानि‍र्देश

 

2.1

`जमाराशि‍' शब्द की परि‍भाषा

 

2.2

योजना की अन्य महत्वपूर्ण वि‍शि‍ष्ट

 

2.3

ब्याज की अदायगी की वि‍धि‍

 

2.4

बैंक के स्टाफ की जमाराशि‍यों पर अधि‍कतम प्रति‍शत ब्याज अदा करने का वि‍वेकाधि‍कार

 

2.5

जमाराशि‍यों का अवधि‍पूर्व आहरण

 

2.6

अति‍देय वि‍देशी मुद्राअनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी

 

2.7

विदेशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर अग्रि‍म -  ब्याज लगाने का तरीका

 

2.8

वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों की जमानत पर
अग्रि‍म देने पर रोक - ऋण की मात्रा

 

2.9

मीयादी जमाराशि‍यों पर दि‍ये जानेवाले अग्रि‍म पर मार्जि‍न

 

2.10

मृत जमाकर्ता की जमाराशि‍ पर देय ब्याज

 

2.11

संयुक्त खाता धारकों के नाम / नामों का जोड़ा या नि‍काला जाना

 

2.12

भारत लौटने पर अनि‍वासी भारतीयों की वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी

 

2.13

स्वदेश लौटने वाले भारतीयों के वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों का नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा खाते में परि‍वर्तन - दंड को छोड़ना

 

2.14

स्वदेश लौटने वाले भारतीयों के वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों का  नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा खातों/नि‍वासी रुपया खातों में परि‍वर्तन- ब्याज की अदायगी

 

2.15

शनि‍वार / रवि‍वार / अवकाश / गैर-कारोबारी कार्य-दि‍वस को  परि‍पक्व होनेवाली मीयादी जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी

 

2.16

प्रति‍बंध

अनुबंध - 1

वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी खाता (बैंक) योजना के अंतर्गत स्वीकृत जमाराशि‍यों पर लागू ब्याज दरें

अनुबंध - 2

वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों में रखी गयी जमाराशि‍यों पर ब्याज दरों से संबंधि‍त मास्टर परि‍पत्र में संकलि‍त परि‍पत्रों की सूची

क. प्रयोजन

इस परि‍पत्र में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज दरों के संबध में समय-समय पर जारी नि‍देशों को समेकि‍त कि‍या गया है।

ख.  वर्गीकरण

बैंककारी वि‍नि‍यमन अधि‍नि‍यम 1949 द्वारा प्रदत्त शक्ति‍यों का प्रयोग करते हुए रि‍ज़र्व बैंक द्वारा जारी एक सांवि‍धि‍क नि‍देश ।

ग.  पि‍छले अनुदेश

इस मास्टर परि‍पत्र में 1 जुलाई 2009 के मास्टर परि‍पत्र में नि‍हि‍त उपर्युक्त वि‍षय से संबंधि‍त पूर्व अनुदेशों को अद्यतन कि‍या गया है।

घ.  प्रयोज्यता

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर सभी अनुसूचि‍त वाणि‍ज्य बैंकों पर लागू

संरचना

1.  भूमि‍का

2. दि‍शानि‍र्देश

2.1 `जमाराशि‍' शब्द की परि‍भाषा
2.2 योजना की अन्य महत्वपूर्ण वि‍शि‍ष्टताएं
2.3  ब्याज की अदायगी की वि‍धि‍
2.4  बैंक के स्टाफ की जमाराशि‍यों पर अधि‍कतम एक प्रति‍शत अति‍रि‍क्त ब्याज अदा करने का वि‍वेकाधि‍कार
2.5  जमाराशि‍यों का अवधि‍पूर्व आहरण
2.6  अति‍देय वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी
2.7  वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर अग्रि‍म - ब्याज लगाने का तरीका
2.8  वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों की जमानत पर अग्रि‍म देने पर रोक - ऋण की मात्रा
2.9  मीयादी जमाराशि‍यों पर दि‍ये जानेवाले अग्रि‍मों पर मार्जि‍न
2.10  मृत जमाकर्ता की जमाराशि‍ पर देय ब्याज
2.11  संयुक्त खाता धारकों के नाम/नामों का जोड़ा या नि‍काला जाना
2.12  भारत लौटने पर अनि‍वासी भारतीयों की वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी
2.13  स्वदेश लौटने वाले भारतीयों के वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों का नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा खाते में  परि‍वर्तन - दंड को छोड़ना
2.14   स्वदेश लौटनेवाले भारतीयों के वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों का नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा खातों/ नि‍वासी रुपया खातों में परि‍वर्तन - ब्याज की अदायगी
2.15   शनि‍वार/रवि‍वार/अवकाश/गैर-कारोबारी कार्य-दि‍वस को परि‍पक्व होनेवाली मीयादी जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी
2.16 प्रति‍बंध
अनुबंध 1 - वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी खाता (बैंक) योजना के अंतर्गत स्वीकृत जमाराशि‍यों पर लागू ब्याज दरें
अनुबंध 2 - वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों में रखी गयी जमाराशि‍यों पर ब्याज दरों से संबंधि‍त मास्टर परि‍पत्र में संकलि‍त परि‍पत्रों की सूची

1. भूमि‍का

1.1   वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी [एफसीएनआर (बी)] योजना 15 मई 1993 से लागू की गयी थी ताकि‍ वह उस समय प्रचलि‍त 1975 से आरंभ हुई एफसीएनआर (ए) योजना का स्थान ले सके।  एफसीएनआर (ए) योजना के अंतर्गत वि‍देशी मुद्रा जोखि‍म भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा तथा बाद में भारत सरकार द्वारा वहन कि‍या जाता था। केंद्रीय बैंक के तुलनपत्र पर पड़ने वाले प्रभावों और सरकार को होनेवाली अर्द्ध राजकोषीय लागत को देखते हुए एफसीएनआर (ए) योजना अगस्त 1994 में वापस ले ली गयी। आरंभ में एफसीएनआर (बी) योजना चार मुद्राओं अर्थात् पाउंड स्टर्लिंग, अमरीकी डालर, डोयच मार्क और जापानी येन में ली गयी जमाराशि‍यों पर लागू थी।  4 नवंबर 2000 को एफसीएनआर (बी) योजना में यूरो में प्राप्त जमाराशि‍यों को भी शािमल कि‍या गया तथा डोयच मार्क में जमाराशि‍याँ 31 दि‍संबर 2001 तक ही स्वीकार की गयीं। इस तारीख के बाद डोयच मार्क की जमाराशि‍यों की परि‍पक्वता राशि‍ केवल यूरो में ही देय थीं।  1 जनवरी 2002 से एफसीएनआर (बी) योजनाओं के लि‍ए स्वीकार्य मुद्राएँ पाउंड स्टर्लिंग, अमरीकी डालर, जापानी येन और यूरो हो गयीं।  26 जुलाई 2005 को योजना में वि‍द्यमान चार मुद्राओं अर्थात् अमरीकी डालर, पाउंड स्टर्लिंग, यूरो और जापानी येन के अति‍रि‍क्त केनेडि‍यन डॉलर और ऑस्ट्रेलि‍यन डालर में मूल्यवर्गि‍त एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों को भी योजना में शामि‍ल कि‍या गया। अक्तूबर 1999 से न्यूनतम परि‍पक्वता अवधि‍ 6 महीने से बढ़ाकर 1 वर्ष की गयी।  26 जुलाई 2005 से यह भी नि‍र्णय लि‍या गया कि‍ बैंकों को पाँच वर्ष की अधि‍कतम परि‍पक्वता अवधि‍ तक एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍याँ स्वीकार करने की अनुमति‍ दी जाए, जबकि‍ पहले अधि‍कतम सीमा तीन वर्ष की थी।

1.2 पहले एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों की ब्याज दरें वही थीं जो एफसीएनआर (ए) जमाराशि‍यों की थीं। 16 अप्रैल 1997 से बैंक नि‍र्धारि‍त सीमा के अधीन ब्याज दरें (नि‍यत अथवा अस्थायी दर, जि‍समें ब्याज पुनर्नि‍र्धारण अवधि‍ 6 महीने की थी) नि‍र्धारि‍त करने के लि‍ए स्वतंत्र थे । सभी परि‍पक्वता अवधि‍यों की एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों के संबंध में वर्तमान उच्चतम दर लाइबोर /स्वैप दर में 100 आधार अंक मि‍लाकर मि‍लने वाली दर है । यह सीमा भारत में 15 नवंबर 2008 के कारोबार दि‍वस की समाप्ति‍ से लागू है।

1.3  पहले जनवरी 2006 तक एनआरई/एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों पर अगले माह के ब्याज की उच्चतम दरें नि‍श्चि‍त करने के लि‍ए पि‍छले माह के अंति‍म कार्य दि‍वस की लाइबोर/स्वैप दरों को आधार माना जाता था। एनआरई / एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों की ब्याज दरों में एकरूपता और पारदर्शि‍ता सुनि‍श्चि‍त करने के लि‍ए यह नि‍र्णय लि‍या गया कि‍ फेडाई लाइबोर/स्वैप दरें उद्धृत/प्रदर्शि‍त करेगा, जि‍सका उपयोग बैंक अनि‍वासी भारतीय जमाराशि‍यों पर ब्याज दरें नि‍श्चि‍त करने के लि‍ए करेंगे। फेडाई अब प्रत्येक माह के अंति‍म कार्य दि‍वस पर छह मुद्राओं में पाँच परि‍पक्वता अवधि‍यों के लि‍ए जमा दरें एक वेब पृष्ठ पर प्रकाशि‍त करता है । रायटर्स स्क्रीन के अभि‍दानकर्ता इस पृष्ठ पर प्रकाशि‍त सामग्री का उपयोग कर सकते हैं। फेडाई द्वारा पहली ऐसी दरें फरवरी 2006 के अंति‍म कार्य दि‍वस को प्रदर्शि‍त की गयी थीं ।

1.4 जो वाणि‍ज्यि‍क बैंक वि‍देशी मुद्रा का प्राधि‍कृत व्यापारी है, उसे 15 मई 1993 से प्रभावी  वि‍देशी मुद्रा (अनि‍वासी) खाता (बैंक) योजना के अंतर्गत अपने द्वारा स्वीकार की गई अथवा नवीकृत जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी केवल इस परि‍पत्र के अनुबंध 1 में वि‍नि‍र्दि‍ष्ट दरों के अनुसार तथा नीचे दि‍ये गये दि‍शानि‍र्देशों में वि‍नि‍र्दि‍ष्ट शर्तों पर ही करनी चाहि‍ए ।

2. दि‍शानि‍र्देश

2.1 `जमाराशि‍' शब्द की परि‍भाषा

इस योजना के अंतर्गत जमाराशि‍ का अर्थ बैंक द्वारा नि‍श्चि‍त अवधि‍ के लि‍ए प्राप्त `मीयादी जमाराशि‍यां' हैं जि‍न्हें उक्त नि‍श्चि‍त अवधि‍ की समाप्ति‍ के बाद ही आहरण कि‍या जा सकता है । इसमें पुनर्नि‍वेश जमाराशि‍यां और नकद प्रमाणपत्र अथवा इसी तरह की अन्य जमाराशि‍यां भी शामि‍ल हैं ।

2.2 योजना की अन्य महत्वपूर्ण वि‍शि‍ष्टताए

(i)  इस योजना में पाउंड स्टर्लिंग, अमरीकी डालर, कैनेडि‍यन डालर, ऑस्ट्रेलि‍यन डालर, यूरो तथा जापानी येन में ऐसी जमाराशि‍यां शामि‍ल हैं जो भारतीय राष्ट्रि‍कता  अथवा भारतीय मूल के अनि‍वासी व्यक्ति‍यों  (अनि‍वासी भारतीयों) से प्राप्त हुई हों।

टि‍प्पणी  क)  वि‍देशी कंपनि‍यों, फर्मों, समि‍ति‍यों तथा अन्य ऐसे नि‍गमि‍त नि‍कायों से, जि‍नमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर अनि‍वासी भारतीयों का कम-से-कम 60 प्रति‍शत स्वामि‍त्व हो, तथा ऐसे वि‍देशी न्यासों, जि‍नमें कम-से-कम 60 प्रति‍शत लाभकारी हि‍त अप्रति‍संहरणीय रूप से ऐसे व्यक्ति‍यों (वि‍देशी नि‍गमि‍त नि‍कायों) के पास हो, द्वारा वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों को खोलने या खाते रखने की सुवि‍धा को 16 सि‍तंबर 2003 से रद्द कर दि‍या गया है।

ख) कि‍सी वि‍देशी कंपनी नि‍काय के नाम रखे मौजूदा वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खाते को मूल परि‍पक्वता अवधि‍ पूरी होने तक जारी रखा जाए और अवधि‍पूर्णता के बाद तत्काल आगम राशि‍ को प्रत्यावर्ति‍त कि‍या जाए।

(ii)  वि‍देशी मुद्राओं में नि‍धि‍यों के प्रत्यावर्तन की अनुमति‍ है ।

(iii)  योजना के अंतर्गत नि‍म्नलि‍खि‍त अवधि‍पूर्णता के लि‍ए जमाराशि‍यां स्वीकार की  जानी चाहि‍ए :

(क) एक वर्ष और अधि‍क परंतु दो वर्ष से कम
(ख) दो वर्ष और अधि‍क परंतु तीन वर्ष से कम
(ग) तीन वर्ष और अधि‍क परंतु चार वर्ष से कम
(घ) चार वर्ष और अधि‍क परंतु पांच वर्ष से कम
(ङ) केवल पांच वर्ष

टि‍प्पणी  वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) योजना के अंतर्गत आवर्ती जमाराशि‍यां स्वीकार नहीं की जानी चाहि‍ए ।

(iv) एक ही खातेदार के मौजूदा अनि‍वासी बाह्य खातों से वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों में तथा वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों से अनि‍वासी बाह्य खातों में नि‍धि‍यों के अंतरण की अनुमति‍ भारतीय रि‍ज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन प्राप्त कि‍ये बि‍ना दी जा सकती  है ।

(v)  बैंक को भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍र्धारि‍त उच्चतम सीमा के भीतर वि‍भि‍न्न अवधि‍पूर्णता की जमाराशि‍यों पर उनके द्वारा दी जानेवाली ब्याज दरों के लि‍ए अपने नि‍देशक मंडल का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना चाहि‍ए । बैंक का नि‍देशक बोर्ड जमाराशि‍यों पर ब्याज दरें नि‍र्धारि‍त करने के लि‍ए परि‍संपत्ति‍ देयता प्रबंधन समि‍ति‍ को इस शर्त पर प्राधि‍कृत कर सकता है कि‍ वह उसके तुरंत बाद बोर्ड को उसकी सूचना दे ।

2.3 ब्याज की अदायगी की वि‍धि

i) योजना के अंतर्गत स्वीकार की गयी जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी वर्ष में 360 दि‍न के आधार पर की जानी चाहि‍ए ।

ii)  वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज की गणना की जानी चाहि‍ए तथा उसका भुगतान प्रत्येक 180 दि‍न के अंतराल पर तथा उसके बाद शेष वास्तवि‍क दि‍नों के लि‍ए कि‍या जाता है । तथापि‍, जमाकर्ता के पास चक्रवृद्धि‍ प्रभाव सहि‍त अवधि‍पूर्णता पर ब्याज प्राप्त करने का वि‍कल्प होगा ।

2.4 बैंक के स्टाफ की जमाराशि‍यों पर अधि‍कतम एक प्रति‍शत
अति‍रि‍क्त ब्याज अदा करने का वि‍वेकाधि‍कार

नि‍म्नलि‍खि‍त के नाम में स्वीकृत जमाराशि‍यों के संबंध में -

i) बैंक के स्टाफ-सदस्य अथवा सेवानि‍वृत्त सदस्य के नाम में अकेले या उसके परि‍वार के अन्य सदस्य अथवा सदस्यों के साथ संयुक्त रूप से, या­

ii) बैंक के मृत स्टाफ-सदस्य अथवा मृत सेवानि‍वृत्त सदस्य के पति‍ / की पत्नी के नाम में,

बैंक अपने वि‍वेक पर बैंक द्वारा नि‍र्धारि‍त ब्याज दर के ऊपर एक प्रति‍शत वार्षि‍क से अनधि‍क दर पर अति‍रि‍क्त ब्याज की अनुमति‍ दे सकते हैं, बशर्ते

क)  जमाकर्ता अथवा संयुक्त खाते के सभी जमाकर्ता भारतीय राष्ट्रि‍कता अथवा मूल का/के अनि‍वासी हो/हों, और ;

ख)  बैंक संबंधि‍त जमाकर्ता से इस आशय की घोषणा प्राप्त करेगा कि‍ इस प्रकार जमा की गयी राशि‍यां अथवा समय-समय पर जमा की जानेवाली राशि‍यां उक्त खंड (i) अथवा (ii) में उल्लि‍खि‍त जमाकर्ता से संबंधि‍त राशि‍यां हैं ।

iii)  वि‍द्यमान अथवा सेवानि‍वृत्त स्टाफ सदस्यों की जमाराशि‍यों के लि‍ए बैंक द्वारा नि‍र्धारि‍त उच्चतम दर भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍र्धारि‍त उच्चतम दर से अधि‍क नहीं होनी चाहि‍ए। (कृपया अनुबंध 1 का पैरा (क) देखें)

स्पष्टीकरण

`परि‍वार' से बैंक के स्टाफ सदस्य / सेवानि‍वृत्त सदस्य का पति‍ /की पत्नी, उसके बच्चे, माता-पि‍ता, भाई और बहन अभि‍प्रेत हैं तथा शामि‍ल हैं, जो ऐसे सदस्य / सेवानि‍वृत्त सदस्य पर नि‍र्भर हों परंतु इसमें वि‍धि‍क रूप से अलग हुए पति‍/पत्नी शामि‍ल नहीं हैं ।

2.5  जमाराशि‍यों का अवधि‍पूर्व आहरण

(i) बैंक को चाहि‍ए कि‍ वे जमाकर्ता के अनुरोध पर वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) योजना के अंतर्गत जमाराशि‍यों के अवधि‍पूर्व आहरण की अनुमति‍ दें। बैंक ऐसे अवधि‍पूर्व आहरण के लि‍ए स्ववि‍वेक के अनुसार दंड वसूल करने के लि‍ए स्वतंत्र हैं। बैंक स्ववि‍वेक पर वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों के अवधि‍पूर्व आहरण के मामले में अदला-बदली (स्वैप) संबंधी लागत की वसूली के लि‍ए भी दंड वसूल कर सकते हैं। जहां वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक)जमाराशि‍यों का अवधि‍पूर्व आहरण एक वर्ष की न्यूनतम नि‍र्धारि‍त अवधि‍ की समाप्ति‍ के पहले कि‍या गया हो, जि‍स स्थि‍ति‍ में कोई ब्याज देय नहीं हो, बैंक स्ववि‍वेक पर अदला-बदली संबंधी लागत को कवर करने के लि‍ए दंड लगा सकते हैं । तथापि‍, जमाराशि‍यां स्वीकार करते समय जमाकर्ताओं को दंड के घटकों की स्पष्ट तौर पर जानकारी दी जानी चाहि‍ए। यदि‍ जमाराशि‍यां स्वीकार करते समय जमाकर्ताओं को दंड संबंधी प्रावधानों की जानकारी न दी गयी हो तो अवधि‍पूर्व आहरण के फलस्वरूप होनेवाली वि‍नि‍मय संबंधी हानि‍ का वहन बैंकों को करना होगा ।

(ii)  वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों से अनि‍वासी बाह्य जमाराशि‍यों में तथा अनि‍वासी बाह्य जमाराशि‍यों से वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों में परि‍वर्तन अवधि‍पूर्व आहरण संबंधी दांडि‍क प्रावधान के अधीन होना चाहि‍ए ।

2.6 अति‍देय वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी

बैंक स्ववि‍वेक पर अति‍देय जमाराशि‍ अथवा उसके एक अंश का नवीकरण कर सकते हैं बशर्ते अवधि‍पूर्णता की तारीख से नवीकरण की तारीख तक (दोनों दि‍न शामि‍ल कर) अति‍देय अवधि‍ 14 दि‍नों से अधि‍क की न हो तथा इस प्रकार नवीकृत जमाराशि‍ पर देय ब्याज की दर नवीकरण की अवधि‍ के लि‍ए वह उपयुक्त दर होनी चाहि‍ए जो अवधि‍पूर्णता की तारीख को अथवा जमाकर्ता द्वारा जब नवीकरण की मांग की गयी हो उस तारीख को, जो भी कम हो, लागू हो। अति‍देय जमाराशि‍यों के मामले में जहां अति‍देय अवधि‍ 14 दि‍नों से अधि‍क की हो तथा यदि‍ जमाकर्ता अति‍देय जमा की संपूर्ण राशि‍ अथवा उसका एक भाग नये वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍ के रूप में रखता हो तो नयी मीयादी जमाराशि‍ के रूप में इस प्रकार रखी गयी राशि‍ पर अति‍देय अवधि‍ के लि‍ए बैंक अपनी स्वयं की ब्याज दरें नि‍श्चि‍त कर सकते हैं। बैंकों को यह स्वतंत्रता होगी कि‍ वे अति‍देय अवधि‍ के लि‍ए इस प्रकार अदा कि‍ये गये ब्याज की वसूली उस स्थि‍ति‍ में करें यदि‍ जमाराशि‍ का आहरण नवीकरण के बाद योजना के अंतर्गत नि‍र्धारि‍त न्यूनतम अवधि‍ पूरी होने के पहले कि‍या जाये ।

2.7 वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर अग्रि‍म -  ब्याज लगाने का तरीका

(i) जब वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) मीयादी जमाराशि‍, जो उधारकर्ता के नाम पर या तो अकेले ही अथवा संयुक्त रूप से है, की जमानत पर ऋण या अग्रि‍म दि‍या जाता है तब बैंक अपनी आधार दर का संदर्भ लि‍ये बि‍ना ब्याज दर लगाने के लि‍ए स्वतंत्र होगा ।

(ii) यदि‍ वह मीयादी जमाराशि‍ जि‍स पर अग्रि‍म प्रदान कि‍या गया है, नि‍र्धारि‍त न्यूनतम परि‍पक्वता अवधि‍ पूरी होने के पहले नि‍काल ली जाती है तो ऐसे अग्रि‍म को मीयादी जमाराशि‍ पर अग्रि‍म नहीं माना जाना चाहि‍ए तथा अग्रि‍मों पर ब्याज दरों के संबंध में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी नि‍देश में नि‍र्धारि‍त कि‍ये गये अनुसार ब्याज लगाया जाना चाहि‍ए ।

(iii) जब ऋण या अग्रि‍म उक्त योजना के अंतर्गत जुटाये गये संसाधनों में से दि‍या जाये तब लगायी जानेवाली ब्याज दर अग्रि‍मों पर ब्याज दरों के संबंध में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक की  ओर से जारी नि‍देशों में नि‍र्धारि‍त दर के अनुसार होनी चाहि‍ए ।

2.8 वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों की जमानत पर अग्रि‍म देने पर रोक - ऋण की मात्रा

वर्ष 2006-07 की मौद्रि‍क नीति‍ संबंधी वार्षि‍क वक्तव्य की तीसरी ति‍माही की समीक्षा (पैरा 86) में यह कहा गया था कि‍ इन सुवि‍धाओं को अनि‍वासी भारतीय व्यक्ति‍ को उपलब्ध कराने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए तथा वि‍द्यमान मौद्रि‍क परि‍स्थि‍ति‍यों पर वि‍चार करते हुए, उचि‍त होगा कि‍ इस सुवि‍धा के उपयोग के माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों में आस्ति‍ मूल्यों में वृद्धि‍ के दबाव से बचा जाए। अत:,  एनआर (ई)आरए और एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों की जमानत पर जमाकर्ताओं या अन्य पक्षकारों को 20 लाख रुपये से अधि‍क राशि‍ के नये ऋण स्वीकृत करने अथवा मौजूदा ऋणों को नवीकृत करने से बैंकों को प्रति‍बंधि‍त कि‍या गया था । वर्ष 2009-10 के वार्षि‍क नीति‍ वक्तव्य (पैरा 111) में घोषि‍त कि‍ए गए अनुसार यह नि‍र्णय लि‍या गया है कि‍ एनआर (ई) आरए और एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों की जमानत पर जमाकर्ताओं अथवा अन्य पक्षकारों को दि‍ए जानेवाले ऋणों की मौजूदा उच्चतम सीमा को 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 100 लाख रुपये कि‍या जाए । अत:, बैंकों को 28 अप्रैल 2009 से एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों की जमानत पर जमाकर्ताओं अथवा अन्य पक्षकारों को सौ (100)  लाख रुपये से अधि‍क राशि‍ के नये ऋणों की स्वीकृति‍ अथवा मौजूदा ऋणों का नवीकरण नहीं करना चाहि‍ए। बैंकों को ऋण राशि‍ का कृत्रि‍म वि‍भाजन कर इस सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहि‍ए।

2.9  मीयादी जमाराशि‍यों पर दि‍ये जाने वाले अग्रि‍मों पर मार्जि‍न

बैंक अलग-अलग मामले के आधार पर मार्जि‍न नि‍श्चि‍त कर सकते हैं ।

2.10  मृत जमाकर्ता की जमाराशि‍ पर देय ब्याज

नि‍म्नलि‍खि‍त के नाम / नामों पर रहनेवाली मीयादी जमाराशि‍ के मामले में -

i) मृत व्यक्ति‍ जमाकर्ता, या

ii) दो या उससे अधि‍क संयुक्त जमाकर्ता, जहां जमाकर्ताओं में से एक की मृत्यु हो गयी हो, नीचे दर्शाये गये अनुसार ब्याज अदा कि‍या जाना चाहि‍ए:

क) जमाराशि‍ की परि‍पक्वता पर संवि‍दागत दर से,

ख)  यदि‍ परि‍पक्वता के पहले जमाराशि‍ की अदायगी का दावा कि‍या जाता है तो बैंक को दंड लगाये बि‍ना जमाराशि‍ रखे जाने की तारीख को लागू दर पर ब्याज अदा करना चाहि‍ए ।

ग) जमाराशि‍ की परि‍पक्वता की तारीख के पहले जमाकर्ता की मृत्यु होने तथा परि‍पक्वता की तारीख के बाद जमाराशि‍ का दावा कि‍ये जाने की स्थि‍ति‍ में, बैंक को परि‍पक्वता की तारीख तक संवि‍दागत दर पर ब्याज अदा करना चाहि‍ए । परि‍पक्वता की तारीख से अदायगी की तारीख तक बैंक को परि‍पक्वता की तारीख के बाद बैंक के पास जमाराशि‍ रहने तक की अवधि‍ के लि‍ए, परि‍पक्वता की तारीख को लागू दर पर साधारण ब्याज अदा करना चाहि‍ए। तथापि‍, जमाराशि‍ की परि‍पक्वता की तारीख के बाद जमाकर्ता की मृत्यु के मामले में बैंक को परि‍पक्वता की तारीख से अदायगी की तारीख तक परि‍पक्वता की तारीख को नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा (आर एफ सी) खाता योजना के अधीन धारि‍त बचत जमाराशि‍यों पर लागू ब्याज अदा करना चाहि‍ए ।

घ) यदि‍ दावेदार / दावेदारों के अनुरोध पर बैंक मीयादी जमाराशि‍ को वि‍भाजि‍त करने के लि‍ए सहमत हो जाता है और दावेदार /दावेदारों के नाम /नामों पर अलग-अलग दो या अधि‍क रसीदें जारी की जाती हैं तो इसे दंड लगाने के प्रयोजन के लि‍ए मीयादी जमाराशि‍ का अवधि‍पूर्व आहरण नहीं माना जाना चाहि‍ए बशर्ते जमाराशि‍ की अवधि‍ और कुल राशि‍ में कोई परि‍वर्तन न कि‍या गया हो ।

टि‍प्पणी : दावेदार /दावेदारों के नि‍वासी होने की स्थि‍ति‍ में, परि‍पक्वता पर मि‍लने वाली राशि‍ को परि‍पक्वता की तारीख को भारतीय रुपयों में परि‍वर्ति‍त कि‍या जाये और बाद की अवधि‍ के लि‍ए ब्याज देशी जमा योजना के अंतर्गत इसी प्रकार की जमाराशि‍ पर लागू दर पर अदा कि‍या जाये ।

2.11 संयुक्त खाता धारकों के नाम / नामों का जोड़ा या नि‍काला जाना

बैंक सभी संयुक्त खाता धारकों के अनुरोध पर, यदि‍ परि‍स्थि‍ति‍यों के कारण ऐसा करना जरूरी हो तो संयुक्त खाता धारकों के नाम / नामों को जोड़ने /हटाने की अनुमति‍ दे सकता है अथवा व्यक्ति‍गत खाता धारक को दूसरे व्यक्ति‍ का नाम संयुक्त धारक के रूप में जोड़ने की अनुमति‍ दे सकता है । परन्तु, मूल जमाराशि‍ की रकम और उसके बने रहने की अवधि‍ (ड्यूरेशन) में कि‍सी हालत में कि‍सी भी तरीके से कि‍सी प्रकार का परि‍वर्तन नहीं होना चाहि‍ए और सभी संयुक्त खाता धारक को भारतीय राष्ट्रि‍कता या भारतीय मूल का अनि‍वासी होना चाहि‍ए । बैंक आवेदकों से ऐसा करने के कारणों का पता लगायेगा और अनुरोध की सच्चाई के बारे में अपने को संतुष्ट करेगा । साथ ही, पाकि‍स्तानी / बंगला देशी राष्ट्रि‍कों के नाम खाते खोलने के लि‍ए वि‍देशी मुद्रा नि‍यंत्रण की दृष्टि‍ से रि‍ज़र्व बैंक का अनुमोदन अपेक्षि‍त होगा, भले ही वे भारतीय मूल के हों ।

2.12 भारत लौटने पर अनि‍वासी भारतीयों की वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी

बैंक स्थायी रूप से रहने के लि‍ए भारत लौटने वाले भारतीय राष्ट्रि‍कता / मूल के व्यक्ति‍यों की वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍ को, यदि‍ इच्छा व्यक्त की जाये तो संवि‍दागत ब्याज दर पर परि‍पक्वता तक जारी रखने की अनुमति‍ दे सकते हैं । वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर लागू ब्याज दर और आरक्षि‍त नि‍धि‍ संबंधी अपेक्षाओं से संबंधि‍त उपबंध को छोड़कर, अन्य सभी प्रयोजनों के लि‍ए ऐसी जमाराशि‍यों को खाता धारक के भारत लौटने की तारीख से नि‍वासी जमाराशि‍यों के रूप में माना जाना चाहि‍ए। ऐसी वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍ के अवधि‍पूर्व आहरण पर योजना के दंड संबंधी उपबंध लागू होंगे । खाताधारक के वि‍कल्प पर बैंक को परि‍पक्वता पर वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों को नि‍वासी रुपया जमाराशि‍ खाते या नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा खाते में (यदि‍ पात्र हो तो) परि‍वर्ति‍त करना चाहि‍ए तथा नयी जमाराशि‍ (रुपया खाता या नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा खाता) पर ब्याज की दर ऐसे जमा खाते के लि‍ए लागू संबंधि‍त दर होनी चाहि‍ए ।

2.13 स्वदेश लौटने वाले भारतीयों के वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक)  खातों का नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा खाते में परि‍वर्तन - दंड को छोड़ना

अनि‍वासी भारतीयों द्वारा उनके भारत लौटने पर वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों में धारि‍त जमाशेष के नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा (आरएफसी) खातों में अवधि‍पूर्व परि‍वर्तन के मामले में दंड संबंधी उपबंध लागू नहीं होगा ।

2.14 स्वदेश लौटने वाले भारतीयों के वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों का  नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा  खातों / नि‍वासी रुपया खातों में परि‍वर्तन -  ब्याज की अदायगी

वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खाते के नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा / नि‍वासी रुपया खाते में परि‍वर्तन के समय बैंक को अपने वि‍वेकानुसार ब्याज अदा करना चाहि‍ए, भले ही उस खाते ने न्यूनतम परि‍पक्वता अवधि‍ पूरी न की हो, परन्तु शर्त यह है कि‍ ब्याज दर नि‍वासी वि‍देशी मुद्रा खाता योजना के अंतर्गत धारि‍त बचत बैंक जमाराशि‍यों पर देय दर से अधि‍क न हो ।

2.15  शनि‍वार / रवि‍वार / अवकाश / गैर-कारोबारी कार्य-दि‍वस को परि‍पक्व होनेवाली मीयादी जमाराशि‍यों पर ब्याज की अदायगी

पुनर्नि‍वेश जमाराशि‍यों के मामले में बेंकों को बीच में आनेवाले शनि‍वार /रवि‍वार/ अवकाश /गैर-कारोबारी कार्य दि‍वस के लि‍ए ब्याज का भुगतान परि‍पक्वता राशि‍ पर करना चाहि‍ए। परंतु साधारण मीयादी जमाराशि‍यों के मामले में बीचे में आनेवाले शनि‍वार /रवि‍वार/अवकाश / गैर-कारोबारी कार्यदि‍वस के लि‍ए ब्याज का भुगतान  मूल जमाराशि‍ पर कि‍या जाना चाहि‍ए।

2.16  प्रति‍बंध

कि‍सी भी बैंक को -

i) पांच वर्ष से अधि‍क की जमाराशि‍ स्वीकार या नवीकृत नहीं करनी चाहि‍ए;

ii)  एक ही तारीख को स्वीकृत और एक ही अवधि‍ को समाप्त होनेवाली जमाराशि‍यों में एक जमाराशि‍ से दूसरी जमाराशि‍ के बीच दि‍ये जानेवाले ब्याज के मामले में आकार समूह आधार को छोड़कर कोई भेदभाव नहीं करना चाहि‍ए, भले ही ऐसी जमाराशि‍यां बैंक के एक ही कार्यालय अथवा उसके अलग-अलग कार्यालयों द्वारा स्वीकार की गयी हों। जमाराशि‍यों के आकार के आधार पर भि‍न्न ब्याज दरें प्रदान करने की अनुमति‍ नि‍म्नलि‍खि‍त शर्तों के आधार पर होगी :

क)  बैंक को अपने वि‍वेकानुसार मुद्रावार वह न्यूनतम मात्रा नि‍श्चि‍त करनी चाहि‍ए जि‍स पर वि‍भेदक ब्याज दरें दी जा सकेंगी । एक ही परि‍पक्वता वाली नि‍र्धारि‍त मात्रा से कम की मीयादी जमाराशि‍यों के लि‍ए एक ही प्रकार की दर लागू की जानी चाहि‍ए ।

ख)  इस प्रकार प्रदान की जानेवाली वि‍भेदक ब्याज दरें नि‍र्धारि‍त समग्र उच्चतम सीमा के अधीन होनी चाहि‍ए ।

ग) बैंक द्वारा दी जानेवाली ब्याज दरें अनुसूची के अनुसार होनी चाहि‍ए न कि‍ जमाकर्ता और बैंक  के  बीच बातचीत द्वारा तय की जानी चाहि‍ए ।

iii)  कि‍सी व्यक्ति‍, फर्म, कंपनी, संघ, संस्था या अन्य कि‍सी व्यक्ति‍ को कि‍सी भी रूप में वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) योजना के अंतर्गत जुटायी गयी जमाराशि‍यों पर दलाली, कमीशन या प्रोत्साहन अदा नहीं करना चाहि‍ए ।

iv) कि‍सी व्यक्ति‍, फर्म, कंपनी, संघ, संस्था या कि‍सी अन्य व्यक्ति‍ को जमाराशि‍यां जुटाने अथवा पारि‍श्रमि‍क या शुल्क या कि‍सी भी रूप में या कि‍सी भी ढंग से कमीशन के भुगतान पर जमाराशि‍यों से संबद्ध उत्पादों की बि‍क्री के लि‍ए नि‍युक्त नहीं करना चाहि‍ए /नहीं लगाना चाहि‍ए ।

v)  अप्रत्यक्ष रूप से ब्याज रहि‍त जमाराशि‍ स्वीकार करना अथवा क्षति‍पूर्ति‍ का भुगतान नहीं करना चाहि‍ए ।


अनुबंध 1

वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी खाता (बैंक)
योजना के अंतर्गत स्वीकृत जमाराशि‍यों पर लागू ब्याज दरें
ढपैरा 2.4(iii)ज्

(क)   भारत में 15 नवंबर 2008 को कारोबार की समाप्ति‍ से प्रभावी सभी प्रकार की परि‍पक्वता अवधि‍ वाली एफसीएनआर (बी) जमाराशि‍यों पर ब्याज संबंधि‍त मुद्रा/तदनुरूप परि‍पक्वता अवधि‍ पर लागू लाइबोर/स्वैप दरों की उच्चतम दर में 100 आधार अंक मि‍लाकर मि‍लने वाली दर तक देय होगा । अस्थायी दर वाली जमाराशि‍यों पर ब्याज संबंधि‍त मुद्रा/परि‍पक्वता अवधि‍ पर लागू स्वैप दरों में 100 आधार अंक मि‍लाकर मि‍लने वाली दर तक देय होगा । अस्थायी दर जमाराशि‍यों पर ब्याज पुनर्नि‍र्धारण की अवधि‍ छह माह होगी ।

(ख) पि‍छले महीने के अंति‍म कामकाज के दि‍न वि‍द्यमान लाइबोर / स्वैप दरें अगले महीने में  दी जानेवाली ब्याज दरों के लि‍ए नि‍श्चि‍त की जानेवाली उच्चतम दरों का आधार बनेंगी ।

(ग)   फेडाई उन लाइबोर/ स्वैप दरों को कोट /प्रदर्शि‍त करता है जि‍नका वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) जमाराशि‍यों पर लगायी जानेवाली ब्याज दरों की गणना के लि‍ये बैंकों को उपयोग करना चाहि‍ए। फेडाई प्रत्येक महीने के अंति‍म दि‍वस को वेब पेज का उपयोग करके, छ: मुद्राओं में पांच परि‍पक्वताओं के लि‍ए जमाराशि‍ दर भी प्रकाशि‍त करता है, जो रायटर्स स्क्रीन पर ग्राहकों (बैंकों) को उपलब्ध होगा । 28 फरवरी 2006 से फेडाई रायटर्स मॉनि‍टर स्क्रीन पर "INFEDAIFCNRNRE" पृष्ठ पर लाइबोर /स्वैप दर प्रकाशि‍त करता है । ये दरें फेडाई वेबसाइट www.fedai.org.in पर भी प्रदर्शि‍त की जाती हैं ।

(घ) परि‍चालनगत सुवि‍धा के प्रयोजनों के लि‍ए ब्याज दरों को नि‍कटतम दो दशमलव तक पूर्णांकि‍त कि‍या जाए ।


अनुबंध 2

वि‍देशी मुद्रा अनि‍वासी (बैंक) खातों में रखी गयी जमाराशि‍यों पर ब्याज दरों से संबंधि‍त मास्टर परि‍पत्र में संकलि‍त परि‍पत्रों की सूची

1.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 48/13.03.00/2000-01

04.11.2000*

2.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 63 और 64/13.03.00/2000-01

03.01.2001

3.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 105 और 107/13.03.00/2000-01

19.04.2001

4.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 09/13.03.00/2001-02

11.08.2001

5.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 97 और 98/13.03.00/2001-02

29.04.2002

6.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 13/13.03.00/2002-03

31.07.2002

7.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 30 /13.03.00/2002-03

08.10.2002

8.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 31 /13.03.00/2002-03

08.10.2002

9.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 12 /13.03.00/2003-04

14.8.2003

10.

एपी (डीआइआर सीरि‍ज़) परि‍पत्र सं. 14

16.9.2003

11.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 8 /13.03.00/2004-05

14.07.2004

12.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 51 /13.03.00/2004-05

1.11.2004

13.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 22 /13.03.00/2005-06

26.07.005

14.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 62 /13.03.00/2005-06

08.02.2006

15.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 75 /13.03.00/2005-06

29.03.2006

16.

एपी (डीआइआर सीरि‍ज़) परि‍पत्र सं. 29

31.01.2007

17.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 88/13.03.00/2006-07

24.04.2007

18.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 89 /13.03.00/2006-07

24.04.2007

19.

बैंपवि‍वि‍. सं. डीआइआर. बीसी. 82 /13.03.00/2008-09

15.11.2008

20.

एपी (डीआइआर सीरि‍ज़) परि‍पत्र सं. 66

28.04.2009

*दि‍नांक 4 नवंबर 2000 का परि‍पत्र नि‍देश के रूप में है जि‍सके अंतर्गत उस तारीख तक के सभी पि‍छले परि‍पत्रों को समेकि‍त कि‍या गया है ।

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