लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश
भा.रि.बैं./2016-17/81 6 अक्तूबर, 2016 लघु वित्त बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय, लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश कृपया लघु वित्त बैंकों को लाईसेंस प्रदान करने के संबंध में दिनांक 27 नवंबर 2014 के दिशानिर्देश (लाइसेंस प्रदान करने संबंधी दिशानिर्देश) देखें, जिसके अंतर्गत आवेदकों को भुगतान बैंकों की स्थापना करने के लिए सैद्धान्तिक अनुमोदन/ लाइसेंस प्रदान किए गए थे। 2. लघु वित्त बैंकों के कारोबार के भिन्न स्वरूप और उनके वित्तीय समावेशन पर फोकस को ध्यान में रखते हुए, इन बैंकों के लिए अलग से परिचालनगत दिशानिर्देशों की आवश्यकता की जाँच की गई। तदनुसार, लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश अनुबंध में दिए गए हैं। 3. बाजार जोखिम और परिचालन जोखिम के लिए विवेकपूर्ण ढांचों की जाँच की जा रही है तथा इस संबंध में अनुदेश अलग से जारी किए जाएंगे। 4. ये परिचालनगत दिशानिर्देश लाइसेंस प्रदान करने संबंधी दिशानिर्देशों के पूरक हैं तथा तत्काल प्रभावी होंगे। भवदीय, (एस. एस. बरिक) लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश 1. विवेकपूर्ण विनियमन लघु वित्त बैंकों (एसएफ़बी) के लिए विवेकपूर्ण विनियामक ढांचा मुख्यतः बासल मानदंडों पर ही आधारित होगा। तथापि, इन बैंकों के वित्तीय समावेशन पर फोकस को देखते हुए इसे उपयुक्त रूप से परिवर्तित किया जाएगा। 1.1 पूंजी पर्याप्तता ढांचा
1.2 लीवरेज अनुपात
1.3 चलनिधि कवरेज अनुपात और निवल स्थिर निधीयन अनुपात चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर), जैसा की अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होता है, लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होगा। लघु वित्त बैंकों के लिए एलसीआर के निर्धारित स्तर तक पहुँचने की संक्रमण अवधि इस प्रकार होगी:
1.4 पूंजी मापन विधि (कैपिटल मेजरमेंट अप्रोच)
1.5 अंतर-बैंक उधार लघु वित्त बैंकों को वर्तमान ऋणों के परिपक्व होने या तीन वर्ष तक, जो भी पहले हो, अंतर-बैंक उधारों की वर्तमान उच्चतम सीमा से छूट दी जाएगी। इसके बाद इसकी स्थिति अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की तरह ही होगी। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि परिचालन आरंभ करने के बाद लघु वित्त बैंकों द्वारा लिए उधार अंतर-बैंक उधार की सीमा के अधीन होंगे। उपर्युक्त छूट केवल उन विरासती उधारों पर लागू होगी, जो परिचालन आरंभ करने के दिन लघु वित्त बैंक के तुलन पत्र पर लाए गए हैं। 1.6 निवेश वर्गीकरण और मूल्य निर्धारण मानदंड इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको पर लागू वर्तमान प्रावधान (1 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं./2015-16/97 बैंविवि सं बीपी.बीसी.6/21.04.141/2015-16 तथा इसके बाद जारी अन्य परिपत्र देखें) लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 1.7 विनियामक सीमाओं सहित ऋणों और अग्रिमों पर प्रतिबंध (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को ऋण दिए जाने सहित) इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको पर लागू वर्तमान प्रावधान (मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं./2015-16/95 बैंविवि.सं.डीआईआर.बीसी.10/13.03.00/2015-16 तथा 1 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं./2015-16/36 बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.5/21.04.172/2015-16 तथा इसके बाद जारी अन्य परिपत्र देखें) लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 1.8 आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और ऋण सुविधाओं की पुनर्रचना सहित अग्रिमों पर प्रावधानीकरण मानदंड इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको पर लागू वर्तमान प्रावधान (1 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं./2015-16/101 बैंविवि सं बीपी.बीसी.2/21.04.048/2015-16 तथा इसके बाद जारी अन्य परिपत्र देखें) लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 1.9 ऋण जोखिम अंतरण और पोर्टफोलियो खरीद/ बिक्री: प्रतिभूतीकरण, ऋण पोर्टफोलियो का समनुदेशन और सीधी बिक्री, अनर्जक आस्तियों की बिक्री, गारंटी, एलसी, एसबीएलसी, सह-स्वीकृति, ऋण डेरिवेटिव और अंतर-बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र, अंतरण वित्तपोषण
1.10 पैरा- बैंकिंग गतिविधियां
2. जोखिम प्रबंधन चूंकि लघु वित्त बैंकों के जोखिम और जोखिम प्रबंधन तकनीकें अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको जैसे ही हैं, अतः इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको पर लागू वर्तमान प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 3. सीआरआर, एसएलआर, प्रकटीकरण और सांविधिक/विनियामक रिपोर्टें इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान (1 जुलाई, 2015 का मास्टर परिपत्र भा.रि.बैं/2015-16/98 बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.24/12.01.001/2015-16 और उसके बाद जारी परिपत्र देखें) लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 4. स्वामित्व और नियंत्रण विनियमावली इस संबंध में निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान, जो कि निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा शेयर निर्गम और मूल्यन पर 21 अप्रैल, 2016 के मास्टर निदेश बैंविवि.पीएसबीडी.सं.95/16.13.100/2015-16 और निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व पर 12 मई 2016 के मास्टर निदेश बैंविवि.पीएसबीडी.सं.97/16.13.100/ 2015-16 में शामिल हैं, जो कि लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों में समाहित मौजूदा विनियमन में किए गए प्रावधानों को छोड़कर वे लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 5. कार्पोरेट अभिशासन 5.1 निदेशक मंडल का गठन और कार्य-कलाप बैंकिंग कंपनियों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। विशेष तौर पर परिवर्तनीय संस्थाओं के मामले में, मौजूदा निदेशकों की नियुक्ति के निबंधन और शर्तें उनके वर्तमान कार्य अवधि के पूर्ण होने तक पुराने नियम के अनुसार होंगे। 5.2 बोर्ड की समितियों, प्रबंधन स्तर की समितियों का गठन और कार्य-कलाप, पारिश्रमिक नीतियां इस संबंध में निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 6. बैंकिंग परिचालन 6.1 शाखा प्राधिकरण नीति
6.2 व्यवसाय प्रतिनिधियों का विनियमन
6.3 बैंक प्रभार, लॉकर, नामांकन, विकलांग व्यक्तियों को सुविधाएं, इत्यादि इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 6.4 निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर), ब्याज दरों पर अन्य संबंधित विनियम और उधारदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 6.5 वित्तीय समावेशन और विकास
7. बैंक जमाएं (i) भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंककारी विनियमन अधिनियम के सभी प्रावधान और न्यूनतम जमाशेष, निष्क्रिय खाते, अदावी खातों, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रखे जाने वाले जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में ऐसी जमाओं के नियमित आधार पर अंतरण सहित, नामांकन, चेक/ड्राफ्ट, इत्यादि के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेश लघु वित्त बैंकों पर लागू होंगे। (ii) लघु वित्त बैंक:
8. केवाईसी अपेक्षाएं लघु वित्त बैंक अपने विवेकानुसार (अन्य सभी बैंकों की भांति) खाते खोलते समय लिखित हस्ताक्षर न लेने का निर्णय ले सकते हैं और इसके बजाय वे इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणीकरण/ पुष्टि की विधिक वैधता और प्रमाण पर अपना विश्वास जताते हुए बैंकिंग संबंध/ खाता संबंध की शर्तों के ऐसे प्रमाणीकरण/ पुष्टि पर निर्भर कर सकते हैं। तथापि, केंद्रीय केवाईसी रजिस्ट्री पर लागू विनियमावली सहित केवाईसी से संबंधित सभी मौजूदा विनियमावली, और इस संबंध में तत्पश्चात जारी कोई अनुदेश, जैसा कि वाणिज्यिक बैंकों पर लागू है, लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 9. विदेशी मुद्रा व्यवसाय लघु वित्त बैंक निम्नलिखित कार्य करेंगे:
10. अन्य बैंकिंग सेवाएं 10.1 मुद्रा वितरण (जिसमें जाली और नकली नोटों का पता लगाना, करेंसी चेस्ट संबंधी सुविधाएं, नोट बदलने की सुविधाएं शामिल होंगी) लघु वित्त बैंकों के पास यह विकल्प होगा कि वे अपनी शाखाओं में कटे-फटे और दोषपूर्ण नोटों को बदल सकते हैं। करेंसी चेस्ट के संबंध में वाणिज्यिक बैंकों पर लागू सभी मौजूदा विनियमन लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 10.2 ग्राहक शिक्षा और सुरक्षा
10.3 ऋण सूचना रिपोर्टिंग (i) लघु वित्त बैंक सभी चार ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) के सदस्य बनें और भारतीय रिज़र्व बैंक के वर्तमान निदेशों के अनुसार ऋण संबंधी सम्पूर्ण डेटा उन्हें भेजें। (ii) लघु वित्त बैंक ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) को बड़े चूककर्ताओं और इरादतन चूककर्ताओं के डेटा जारी करने और रिपोर्ट करने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों का भी पालन करें। 11. परिचालन, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग को ऑउटसोर्स करना (i) इस संबंध में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू मौजूदा प्रावधान लघु वित्त बैंकों पर भी लागू होंगे। 12. भारतीय लेखांकन मानक का कार्यान्वयन लघु वित्त बैंकों के अनुसूचित बैंक बन जाने पर उन पर भारतीय लेखांकन मानक का कार्यान्वयन लागू होगा। उक्त को ध्यान में रखते हुए, यह अनुशंसा की जाती है कि लघु वित्त बैंक उक्त को अपनाना शुरू करें, ताकि बाद में लगने वाली पारवहन लागत से बचा जा सके। |