सरकारी प्रतिभूतियों में अनिवासियों द्वारा निवेश हेतु ‘पूर्णतया अभिगमयोग्य मार्ग’ - आरबीआई - Reserve Bank of India
सरकारी प्रतिभूतियों में अनिवासियों द्वारा निवेश हेतु ‘पूर्णतया अभिगमयोग्य मार्ग’
आरबीआई/2019-20/200 30 मार्च 2020 प्रति महोदया / महोदय सरकारी प्रतिभूतियों में अनिवासियों द्वारा निवेश हेतु ‘पूर्णतया अभिगमयोग्य मार्ग’ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित निम्नलिखित विनियमों/निदेशों और इनके तहत जारी किए गए संबंधित निदेशों की तरफ आकर्षित किया जाता है :
2. संघीय बजट 2020-21 में की गई घोषणा की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया जाता है कि केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों के कतिपय निर्दिष्ट वर्गों की प्रतिभूतियां घरेलू निवेशकों को उपलब्ध कराने के साथ-साथ अनिवासी निवेशकों हेतु बिना किसी प्रतिबंध के पूर्णतया खोल दिया जाए। तदनुसार, भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय किया गया है कि एक अलग मार्ग यथा – भारत सरकार द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियों में अनिवासियों द्वारा निवेश हेतु पूर्णतया अभिगमयोग्य मार्ग (एफएआर) – शुरू किया जाए। इस स्कीम के विवरण संलग्न हैं (अनुबंध देखें)। 3. ये निदेश 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी होंगे। 4. इस परिपत्र में निहित निदेशों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किया गया है और किसी अन्य कानून के तहत यदि कोई अनुमति/अनुमोदन लिया जाना अपेक्षित है, तो उन पर इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। भवदीया, (डिम्पल भांडिया) भारत सरकार की प्रतिभूतियों में अनिवासियों द्वारा निवेश हेतु ‘पूर्णतया अभिगमयोग्य मार्ग’ (एफएआर) भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत सरकार के परामर्श से ‘पूर्णतया अभिगमयोग्य मार्ग’ (एफएआर) नामक एक अलग चैनल शुरू किया है ताकि अनिवासियों द्वारा भारत सरकार की विनिर्दिष्ट दिनांकित प्रतिभूतियों में निवेश किया जा सके। पात्र निवेशक विनिर्दिष्ट सरकारी प्रतिभूतियों में बिना किसी अधिकतम निवेश सीमा के निवेश कर सकते हैं। यह स्कीम दो विद्यमान मार्गों, यथा – मध्यम अवधि फ्रेमवर्क (एमटीएफ) और स्वैच्छिक प्रतिधारणा मार्ग (वीआरआर) के साथ-साथ संचालित होगी। इस स्कीम के विवरण निम्नानुसार हैं – 2. परिभाषाएँ क) ‘पात्र निवेशक’ का आशय होगा ‘‘भारत से बाहर रहने वाला कोई भी निवासी’’ जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) (फेमा) की धारा 2(ब) में परिभाषित है। ख) ‘विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों’ का आशय होगा एफएआर मार्ग के तहत निवेश हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा आवधिक रूप से अधिसूचित सरकारी प्रतिभूतियाँ। इस बारे में रिज़र्व बैंक द्वारा आज ही जारी किए गए एफएआर निदेशों का अवलोकन किया जाए। 3. इन निदेशों में प्रयुक्त किन्तु परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ रहेगा जो फेमा, 1999 या इसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों में अलग-अलग निर्धारित किया गया है। 4. अभिलक्षण क) निवेश सीमाएँ – निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में पात्र निवेशकों द्वारा निवेश पर कोई मात्रात्मक सीमा नहीं रहेगी। एफएआर के तहत किए गए निवेशों पर 15 जून 2018 के एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 31 (दिनांक 23 जनवरी 2020 के ए.पी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 18 के साथ पठित) के पैराग्राफ 4(क), (ग) और (ङ) में निर्दिष्ट सीमाएँ भी लागू नहीं होंगी। निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में पात्र निवेशकों द्वारा किए गए सभी निवेश जिस तारीख से एफएआर प्रभावी हुए हैं उसी तारीख से एफएआर के तहत होंगे। ख) निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में विद्यमान निवेशों का निरूपण – निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में पात्र निवेशकों द्वारा किए गए विद्यमान निवेशों को एफएआर के तहत हुआ माना जाएगा। ग) निवेश और रिपोर्टिंग की प्रक्रियाः
5. एफपीआई हेतु अंतरणः ऐसे एफपीआई जिनके निवेश निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में हैं, वे इस एफएआर के प्रभावी होने की तारीख से एक साल के भीतर ही एमटीएफ के तहत किए गए अपने निवेशों का समायोजन करेंगे ताकि 15 जून 2018 के ए्.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 31 दिनांक 23 जनवरी, 2020 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 18 के साथ पठित). में अनिवार्य की गई अपेक्षाओं का अनुपालन हो सके। 6. पात्र निवेशकों द्वारा इस मार्ग के तहत किए गए निवेशों को फेमा के अन्य अनुमेय प्रावधानों और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इसके तहत समय-समय पर जारी नियमों, विनियमों और निदेशों से नियंत्रित किया जाएगा, जब तक अन्यथा विनिर्दिष्ट नहीं हो। |