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(I) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा ईक्विटी शेयरों में निवेश के लिए योजना (II) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा घरेलू मुचुअल फंडों की रुपए में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों में निवेश के लिए योजना - पुनिरीक्षण

भारिबैं/2011-12/347
एपी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 66

13 जनवरी 2012

सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

(I) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा ईक्विटी शेयरों में निवेश के लिए योजना
(II) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा घरेलू मुचुअल फंडों की रुपए में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों में निवेश के लिए योजना - पुनिरीक्षण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (एडी श्रेणी I) बैंकों का ध्यान 9 अगस्त 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 8 और 3 नवंबर 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 42 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (उसमें यथा परिभाषित अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) का अर्थ ऐसे अनिवासी निवेशकों से है, जो सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs)  तथा सेबी के पास पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशकों (FVCIs) से भिन्न हैं, व जो 'अपने ग्राहक को जानने (KYC)' संबंधी सेबी की अपेक्षाओं को पूरा करते हैं ) को उसमें उल्लिखित शर्तों के अधीन घरेलू म्युच्युअल फंडों की रुपए में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों में निवेश करने के लिए अनुमति दी गयी है ।

(I) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा ईक्विटी शेयरों में निवेश के लिए योजना

2. अब यह निर्णय लिया गया है कि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) को भारतीय कंपनियों के ईक्विटी शेयरों को प्रत्यावर्तन के आधार पर, खरीदने के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन अनुमति दी  जाए :

(i) पात्र लिखत और पात्र लेनदेन - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) को सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों के ईक्विटी शेयरों के साथ ही साथ, सेबी के संबंधित/लागू दिशानिर्देशों/विनियमों के अनुसार, भारतीय कंपनियों द्वारा भारत में पब्लिक को ऑफर किये गए ईक्विटी शेयरों में, मान्यताप्राप्त स्टाक एक्स्चेंजों के मान्यताप्राप्त शेयर-ब्रोकरों के मार्फत, सेबी के पास पंजीकृत डिपाजिटरी सहभागियों के माध्यम से निवेश करने की अनुमति होगी । अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों को राइट्स शेयरों, बोनस शेयरों या (शेयरों के) स्टॉक के विखंडीकरण (स्प्लिट)/समेकन या कंपनी/कंपनियों द्वारा समामेलन, पुन: अलग-अलग (डिमर्जर) होने या इसी प्रकार की किसी अन्य कार्यवाही के तहत जारी हुए ईक्विटी शेयरों को अर्जित करने के लिए, निम्नलिखित पैरा 2 (iv) में विनिर्दिष्ट सीमा तक निवेश करने की भी अनुमति होगी ।

अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) को इस प्रकार अर्जित ईक्विटी शेयरों को निम्नवत बेचने की अनुमति होगी :

(ए) भारत में मान्यताप्राप्त स्टाक एक्स्चेंजों पर मान्यताप्राप्त ब्रोकरों के माध्यम से; अथवा
(बी) सेबी (सबस्टैन्शियल एक्विज़िशन आफ शेयर्स एण्ड टेकओवर्स) विनियमावली, 2011 के अनुसार खुले प्रस्ताव के माध्यम से; अथवा
(सी) सेबी (डीलिस्टिंग आफ सिक्युरिटिज़) दिशानिर्देश, 2009 के अनुसार खुले प्रस्ताव के माध्यम से; अथवा
(डी) सेबी (बाइबैक) विनियमावली, 1998 के अनुसार सूचीबद्ध भारतीय कंपनी द्वारा शेयरों की पुनर्खरीद के माध्यम से ।

(ii) भुगतान/प्रत्यावर्तन का तरीका – इस योजना के तहत अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) द्वारा किए गए निवेश भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा डिपाजिटरी सहभागी के पास एक अलग एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में रखेगा । डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) संबंधित अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के अनुदेश पर पांच कार्य दिवसों के अंदर (सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिये विदेशी आवक विप्रेषणों के रूप में एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में निधियां जमा करने की तारीख सहित) ईक्विटी की खरीद करेगा, ऐसा न कर पाने पर निधियां तत्काल अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के नामित समुद्रपारीय बैंक खाते में प्रत्यावर्तित कर दी जाएंगी । ईक्विटी शेयरों की बिक्री से हुई आय भी डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के पास एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में प्राप्त की जाएगी और डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के पास एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में प्राप्त किये जाने पर पांच कार्य दिवसों के अंदर (ईक्विटी शेयरों की बिक्री से एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में निधियां जमा होने की तारीख सहित) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के नामित समुद्रपारीय बैंक खाते में प्रत्यावर्तित कर दी जाएंगी । इन पाँच कार्य दिवसों के अंदर, यदि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक द्वारा ऐसी खरीद के अनुदेश दिए गए हैं तो मौजूदा निवेश की बिक्री से हुई आय का उपयोग इस योजना के तहत ईक्विटी शेयरों की नयी खरीद के लिए किया जा सकता है । अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के (द्वारा धारित) ईक्विटी शेयरों पर प्राप्त लाभांश का भुगतान या तो अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के नामित समुद्रपारीय बैंक खातों में सीधे विप्रेषित किये जा सकते हैं अथवा एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में जमा किये जा सकते हैं। यदि लाभांशगत भुगतान एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में जमा किये जाते हैं तो वे पाँच कार्य दिवसों के अंदर (इस प्रकार की निधियां एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में जमा करने के दिन सहित) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के नामित समुद्रपारीय बैंक खातों में विप्रेषित किये जाएंगे । इन पाँच कार्य दिवसों के अंदर, यदि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक द्वारा ऐसी खरीद के अनुदेश दिए गए है तो लाभांशगत भुगतान का उपयोग इस योजना के तहत ईक्विटी शेयरों की नयी खरीद के लिए किया जा सकता है ।

(iii) डीमैट खाते - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) को इस योजना के तहत ईक्विटी शेयरों में निवेश के लिए भारत में किसी डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के पास इसी कार्य के लिए डीमैट खाता खोलने की अनुमति दी जाएगी । तथापि, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) को भारत में कोई बैंक खाता खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी ।

(iv) सीमाएं - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) हेतु एकल तथा सकल निवेश सीमा किसी भारतीय कंपनी की प्रदत्त पूँजी के क्रमश: 5% और 10% होगी । ये सीमाएं भारत में संविभाग (पोर्टफोलियो) निवेश योजना के तहत विदेशी निवेश के लिए विदेशी संस्थागत निवेशों तथा अनिवासी भारतीय निवेशों के लिए विनिर्दिष्ट उच्चतम सीमा के अतिरिक्त होंगी । इसके अलावा, मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी नीति के तहत जहाँ कहीं संयुक्त सैक्टोरेल उच्चतम सीमाएं हैं, ईक्विटी शेयरों में अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक के निवेश के लिए ये सीमाएँ ऐसी समग्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सैक्टोरेल सीमाओं के भीतर ही होंगी । इन सीमाओं की निगरानी तथा अनुपालन का संयुक्त तथा अलग-अलग उत्तरदायित्व संबंधित अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs), डिपाजिटरी सहभागियों (डीपीएस) तथा (ऐसे निवेश प्राप्त करने वाली) संबंधित भारतीय कंपनियों का होगा ।

(v) पात्रता – वित्तीय कार्रवाई कार्य दल (एफएटीएफ) के मानकों का पालन करने वाले और सेबी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (आईओएससीओ) फ्रेमवर्क के तहत सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षरकर्ता क्षेत्रों के अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs) इस योजना के तहत ईक्विटी शेयरों में निवेश करने के पात्र होंगे ।

(vi) केवाईसी – अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs) सेबी द्वारा विनिर्दिष्ट 'अपने ग्राहक को जानने (केवाईसी) संबंधी मानदंडों' का अनुपालन कर रहे हैं, इसे डिपाजिटरी सहभागी (डीपी), सुनिश्चित करेंगे ।

(vii) अनुमत मुद्राएं - अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs) सामान्य बैंकिंग चैनल के जरिये किसी अनुमत मुद्रा (मुक्त रूप से परिवर्तनीय) में विदेशी आवक विप्रेषण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के पास रखे गये डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में सीधे ही प्रेषित करेंगे ।

(viii) कीमत निर्धारण – इस योजना के तहत अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) द्वारा सभी पात्र लेनदेनों और सभी पात्र लिखतों में निवेश के कीमत निर्धारण सेबी के संबंधित और लागू दिशानिर्देशों के अनुसार ही किए जाएंगे ।

(ix) रिपोर्टिंग – सेबी द्वारा किये गये निर्धारण के अनुसार उन्हें रिपोर्टिंग करने के अतिरिक्त, डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित किये गये तरीके से और फॉर्मेट में भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करना सुनिश्चित करेंगे ।

(II) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) द्वारा घरेलू म्युच्युअल फंडों की रुपए में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों में निवेश की योजना

3. घरेलू म्युच्युअल फंडों की रुपए में मूल्यवर्गीकृत यूनिटों में अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के प्रत्यक्ष मार्ग के तहत निवेश – आगे पुनरीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि जिस अवधि के लिए अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) द्वारा घरेलू म्युच्युअल फंडों की यूनिटों में (9 अगस्त 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 8 तथा 3 नवंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.42 में विनिर्दिष्ट शर्तों के अनुसार) निवेश के लिए योजना के तहत डिपाजिटरी सहभागी (डीपी) के एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में निधियां (अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) से सामान्य बैंकिंग चैनल के जरिये विदेशी आवक विप्रेषण के रूप में साथ ही भारत में अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs) द्वारा घरेलू म्युच्युअल फंडों की यूनिटों की मोचन/की अदायगी के जमा के रूप में ) रखी जा सकती हैं, उसे संशोधित करते हुए वह पाँच कार्य दिवस (अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) से सामान्य बैंकिंग चैनल के जरिये विदेशी आवक विप्रेषण के रूप में साथ ही भारत में अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs) द्वारा घरेलू म्युच्युअल फंडों की यूनिटों की मोचन/की अदायगी के जमा के रूप में प्राप्त निधियों की जमा करने के दिन सहित) किया जाए । यह भी निर्णय लिया गया है कि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) द्वारा धारित/ली गयी म्युच्युअल फंडों की यूनिटों से प्राप्त लाभांश भुगतान एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में जमा करने की अनुमति इस शर्त के अधीन दी जाए कि यदि लाभांश भुगतान एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में जमा किये जाते हैं तो वे (लाभांश भुगतान) अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) के नामित समुद्रपारीय बैंक खातों में पाँच कार्य दिवसों (ऐसी निधियां एकल (सिंगल) रुपया पूल बैंक खाते में जमा करने के दिन सहित) के अंदर विप्रेषित किये जाएंगे । इन पाँच कार्य दिवसों के अंदर, यदि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक द्वारा ऐसे निवेश के अनुदेश दिए गए हैं तो लाभांश भुगतान का उपयोग इस योजना के तहत घरेलू म्युच्युअल फंडों की युनिटों की नयी खरीद के लिए किया जा सकता है ।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें।

5. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूतियों का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी) तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमाराशि) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.5/2000-आरबी) में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं।

6. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीया,

(डा. सुजाता एलिज़ाबेथ प्रसाद)
मुख्य महाप्रबंधक


प्रेस प्रकाशनी

भारतीय शेयर बाज़ारों में अनिवासी निवेशक आधार (base) व्यापक करने तथा भारत में अनिवासी पोर्टफोलियो निवेशकों के सेट में विस्तार करने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) (जो सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) तथा सेबी के पास पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशकों (FVCIs) से भिन्न हैं) को भारतीय कंपनियों के ईक्विटी शेयरों में निवेश करने की अनुमति दी जाए । इन निवेशों को स्वीकृति देने के लिए फेमा, 1999 के तहत विस्तृत दिशा-निर्देश 13 जनवरी 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 66 के जरिये घोषित किये गये हैं ।

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