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साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) द्वारा आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति

भा.रि.बैंक/2022-23/124
सीईपीडी.पीआरडी.सं.S806/13-01-008/2022-23

6 अक्तूबर 2022

सभी साख सूचना कंपनियाँ

महोदया/महोदय,

साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) द्वारा आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति

कृपया 5 अगस्त, 2022 के विकासात्मक और विनियामक नीति पर दिये गए वक्तव्य के पैरा 2 को देखें, जिसमें सीआईसी में आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने और इसे अधिक कुशल बनाने की दृष्टि से साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) को आंतरिक लोकपाल (आंलो) ढांचे के तहत लाने के निर्णय की घोषणा की गई थी।

2. तदनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 11 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में है, अधिनियम की धारा 5 की उप-धारा (2) के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र रखने वाली सभी साख सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक इसके साथ संलग्न भारतीय रिज़र्व बैंक (साख सूचना कंपनियां- आंतरिक लोकपाल) निदेश, 2022 का अनुपालन करने का निदेश देता है।

भवदीया,

(अनुपम सोनल)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

भारतीय रिज़र्व बैंक (साख सूचना कंपनियाँ-आंतरिक लोकपाल) निदेश, 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 11 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में है, एतद्द्वारा इसके पश्चात् विनिर्दिष्ट निदेश जारी करता है।

यह निदेश ग्राहकों की शिकायतों को खारिज से पूर्व सीआईसी के भीतर एक स्वतंत्र शीर्ष स्तर के प्राधिकारी द्वारा उनकी समीक्षा को सक्षम कर साख सूचना कंपनी (सीआईसी) में आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत बनाने की दृष्टि से व्यवहार में लाए गए हैं।

अध्‍याय I
प्रारंभिक

1. संक्षि‍प्त नाम और प्रारंभ

(अ) यह निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक (साख सूचना कंपनियाँ-आंतरिक लोकपाल) निदेश, 2022 कहलाएंगे।

(ब) यह निदेश 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होंगे।

2. स्‍थगन

(अ) यदि भारतीय रि‍ज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि सामान्यतया अथवा कि‍सी विशेष साख सूचना कंपनी के मामले में इन निदेशों के किसी अथवा सभी प्रावधानों का परि‍चालन स्थगि‍त रखना समीचीन है, तो वह एक आदेश द्वारा उक्त आदेश में उल्लि‍खि‍त अवधि‍ के लि‍ए ऐसा कर सकता है या समय-समय पर आदेश के माध्यम से ऊपर नि‍र्दि‍ष्ट कि‍सी स्थगन अवधि‍ को जि‍तना उचि‍त समझे बढ़ा सकता है।

3. प्रयोज्यता

ये निदेश समय-समय पर यथा संशोधित प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 ('अधिनियम') की धारा 2 की उप-धारा (ई) के तहत परिभाषित सभी साख सूचना कंपनियों ('सीआईसी') पर लागू होंगे।

4. परिभाषाएं

(अ) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, यहाँ दी गई शब्दावली का वही अर्थ होगा जो उन्हें नीचे दिया गया है:

(i) "वित्तीय क्षेत्र विनियामक निकाय" का अर्थ है वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं के लिए नियामक निकाय और इसमें शामिल हैं:

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत स्थापित भारतीय रिज़र्व बैंक

  2. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत स्थापित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

  3. भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 के तहत स्थापित भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण।

  4. पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण

(ii) "आंतरिक लोकपाल" या "आईओ" से इन निदेशों के खंड 5 के तहत नियुक्त कोई भी व्यक्ति अभिप्रेत है।

(iii) "संबंधित पार्टी" में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 के उप-खंड 76 में परिभाषित संबंधित पार्टी और लागू लेखांकन मानकों के अनुसार संबंधित पार्टी शामिल होगी।

(ब) अन्य सभी अभिव्यक्तियाँ, जब तक कि यहाँ परिभाषित नहीं किया गया हो, का वही अर्थ होगा जो उन्हें प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005, प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी नियम, 2006, प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी विनियम, 2006, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, रिज़र्व बैंक-लोकपाल योजना, 2021 या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विनियमों, निदेशों और दिशानिर्देशों के तहत दिया गया है।

अध्‍याय II
आंतरिक लोकपाल का कार्यालय

5. आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति

(अ) प्रत्येक सीआईसी एक निश्चित अवधि के लिए आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति करेगी जो तीन वर्ष कम से तथा पाँच वर्ष से अधिक नहीं होगा, वह निम्नलिखित पूर्वापेक्षाओं को पूरा करेगा:

  1. आंतरिक लोकपाल वित्तीय क्षेत्र नियामक निकाय/सीआईसी/गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी(एनबीएफसी)\बैंक का सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी होगा, जो महाप्रबंधक के पद या समकक्ष से कम स्तर का न हो तथा जिसके पास आवश्यक कौशल एवं बैंकिंग, गैर-बैंकिंग वित्त, वित्तीय क्षेत्र के विनियमन या पर्यवेक्षण, साख सूचना या उपभोक्ता संरक्षण जैसे क्षेत्रों में काम करने का न्यूनतम सात वर्ष का अनुभव हो।

  2. सीआईसी या इसकी सहायक कंपनी द्वारा आईओ को पूर्व में नियोजित नहीं किया गया हो, न ही वर्तमान में नियोजित किया गया हो।

  3. आंतारिक लोकपाल प्रस्तावित कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व 70 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं करेगा।

(ब) आंतरिक लोकपाल उसी सीआईसी में पुनर्नियुक्ति या अवधि विस्तार के लिए पात्र नहीं होगा।

(स) सीआईसी यह सुनिश्चित करेगी कि आईओ का पद किसी भी समय खाली न रहे। सीआईसी को पदस्थ आईओ के कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व ही रिक्ति को भरने के लिए नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि पदधारी आईओ और निवर्तमान आईओ के कार्यालय छोड़ने के समय के बीच कम से कम एक माह का न्यूनतम ओवरलैप हो।

(द) सीआईसी का बोर्ड आईओ को प्रदान की जाने वाली परिलब्धियाँ / सुविधाएं / लाभ निर्धारित करेगा। यह इस बात को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा कि आईओ का पद सीआईसी के शिकायत निवारण तंत्र के शीर्ष पर स्थित है तथा अपेक्षित विशेषज्ञता वाले अनुभवी व्यक्तियों को आकर्षित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखकर किया जाएगा। आईओ को दी जाने वाली ये परिलब्धियाँ, सुविधाएं या लाभ आईओ के कार्यकाल की अवधि के दौरान परिवर्तित नहीं की जाएंगी।

(ध) भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना अनुबंधित कार्यकाल पूर्ण होने से पहले आईओ को हटाया नहीं जाएगा। सीआईसी के नियंत्रण से बाहर के कारणों की वजह (जैसे मृत्यु, त्यागपत्र, अक्षमता, लाइलाज बीमारी आदि) से रिक्ति उत्पन्न होने की स्थिति में सीआईसी रिक्ति की तिथि के तीन माह के भीतर नया आईओ नियुक्त करेगा।

(न) सीआईसी प्रत्याशित शिकायतों की संख्या के आधार पर एक से अधिक आईओ की नियुक्ति कर सकती है। ऐसे मामले में, सीआईसी प्रत्येक आईओ के क्षेत्राधिकार को स्पष्ट रूप से निर्धारित करेगी।

(प) भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल, नोडल कार्यालय या सीआईसी के किसी भी अन्य अधिकारी से संपर्क करने वाला प्रधान नोडल अधिकारी आईओ के रूप में या इसके विपरीत क्रम में कार्य नहीं करेगा।

6. आंतरिक लोकपाल कार्यालय का सचिवालय

(अ) सीआईसी आंतरिक लोकपाल कार्यालय के प्रभावी संचालन या भारिबैं द्वारा दिए गए निदेश अनुसार अपने अधिकारियों और/या अन्य कर्मचारियों को पर्याप्त संख्या में प्रतिनियुक्त करेगी और आंतरिक लोकपाल कार्यालय को ऐसा बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराएगी।

(ब) आईओ का कार्यालय सीआईसी के प्रधान कार्यालय या कॉर्पोरेट कार्यालय से कार्य करेगा।

7. आंतरिक लेखा परीक्षा

(अ) सीआईसी की आंतरिक लेखा परीक्षा में अन्य बातों के साथ-साथ इस निदेश का कार्यान्वयन और अनुपालन शामिल होगा;

  1. आईओ को उपलब्ध कराई गई आधारभूत सुविधाओं (स्थान, आईटी की आधारभूत सुविधाएं, मानव संसाधन, आदि) की पर्याप्तता और क्या यह शिकायतों की मात्रा और शिकायत निवारण के शीर्ष पर स्थित आईओ की स्थिति के अनुरूप है।

  2. इन निदेशों में दर्शाई गई विभिन्न समय-सीमाओं का पालन

  3. शिकायत निवारण हेतु सीआईसी द्वारा आईओ को प्रदान की गई सहायता।

(ब) आईओ द्वारा लिए गए निर्णयों की शुद्धता का कोई भी आंकलन आंतरिक लेखा परीक्षा के दायरे में शामिल नहीं है।

अध्याय III
आंतरिक लोकपाल की भूमिका और जिम्मेदारियां

8. भूमिका का दायरा

(अ) आंतरिक लोकपाल शिकायतकर्ताओं या आम जनता से सीधे प्राप्त शिकायतों को संचालित नहीं करेंगे और इसके बजाय मात्र उन शिकायतों को देखेंगे जिनकी जांच सीआईसी द्वारा पहले ही की जा चुकी है और जिन्हें सीआईसी द्वारा आंशिक या पूर्णत: अस्वीकार कर दिया गया है।

(ब) निम्न प्रकार की शिकायतें इस निदेश के दायरे से बाहर होंगी और आईओ द्वारा संचालित नहीं जाएंगी:

  1. धोखाधड़ी, दुर्विनियोजन आदि से संबंधित शिकायतें, सिवाय सीआईसी द्वारा सेवा में कमी से संबन्धित, यदि कोई हो के परिणामस्वरूप होने वाली शिकायतों को छोड़कर।

  2. आंतरिक प्रशासन, मानव संसाधन, कर्मचारियों के वेतन और परिलब्धियों से संबंधित शिकायतें/संदर्भ;

  3. सुझाव और सीआईसी के वाणिज्यिक निर्णय।

  4. ऐसी शिकायतें जो किसी अन्य मंच जैसे उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, न्यायालयों आदि द्वारा पहले ही निर्णीत हैं या उनमें लंबित हैं।

  5. विवाद जिनके लिए प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 18 के तहत समाधान प्रदान किया गया है।

(स) इस निदेश के दायरे से बाहर की शिकायतों को आईओ द्वारा तुरंत सीआईसी को वापस भेजा जाएगा।

(द) आईओ शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों सहित सीआईसी के पास उपलब्ध अभिलेखों और आईओ के विशिष्ट प्रश्नों के संबंध में सीआईसी द्वारा प्रस्तुत टिप्पणियों/स्पष्टीकरणों के आधार पर शिकायतों की जांच करेगा। यदि आवश्यक हो तो वे संबंधित साख सूचना संस्था/संस्थाओं (सीआई) से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा साथ ही सीआईसी के माध्यम से शिकायतकर्ता से अतिरिक्त जानकारी भी मांग सकते हैं। उन्हें प्रत्येक मामले पर दिए गए निर्णय के कारण को दर्ज करना होगा।

(ध) आईओ सीआईसी के संबंधित अधिकारियों / विभागों के साथ बैठकें कर सकता है और सीआईसी के पास उपलब्ध किसी भी दस्तावेज की मांग कर सकते हैं, जो शिकायत की जांच करने और निर्णय की समीक्षा करने के लिए आवश्यक हैं। सीआईसी आईओ द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेज उपलब्ध करवाएगी ताकि बिना किसी अनुचित देरी के शिकायतों का त्वरित समाधान किया जा सके।

(न) आईओ तिमाही आधार पर सीआईसी के विरुद्ध प्राप्त सभी शिकायतों के पैटर्न का विश्लेषण उत्पाद-वार, श्रेणी-वार, उपभोक्ता समूह-वार, भौगोलिक स्थिति-वार आदि के आधार पर करेगा और यदि आवश्यक हो तो नीतिगत हस्तक्षेप हेतु सीआईसी को इनपुट प्रदान करेगा।

(प) आईओ कानूनी मामलों में किसी न्यायालय या मंच या प्राधिकरण के समक्ष सीआईसी का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे।

9. प्रशासनिक निगरानी

आईओ प्रशासनिक रूप से सीआईसी के प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी को और कार्यात्मक रूप से बोर्ड को रिपोर्ट करेगा।

10. बोर्ड की निगरानी और भागीदारी

(अ) आंतरिक लोकपाल बोर्ड की उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण समिति को सूचना की आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जो अधिमानतः त्रैमासिक अंतराल पर होगी, लेकिन द्वि-वार्षिक से कम नहीं होगी।

(ब) आईओ को बोर्ड की ग्राहक संरक्षण समिति की बैठकों में एक पदेन सदस्य या स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित किया जाएगा।

11. प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश

(अ) सीआईसी अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करेगी और सीआईसी के आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र द्वारा आंशिक रूप से या पूर्णत: अस्वीकार की गई सभी शिकायतों को प्राप्ति के 21 दिन के भीतर अंतिम निर्णय हेतु आईओ को भेजने हेतु ऑटो-एस्केलेशन की एक प्रणाली स्थापित करेगी।

(ब) आईओ और सीआईसी यह सुनिश्चित करेंगें कि सीआईसी द्वारा शिकायत प्राप्त होने की तिथि से 30 दिन की अवधि के भीतर शिकायतकर्ता को अंतिम निर्णय से अवगत करवाया जाए।

(स) यदि सीआईसी के पास शिकायत प्रबंधन सॉफ्टवेयर उपलब्ध है तो वह आईओ को सिस्टम का ‘रीड ओनली’ एक्सेस प्रदान करेगी और आईओ के निर्णय को अपलोड करने में सक्षम करेगी।

(द) आईओ को भारतीय रिज़र्व बैंक के शिकायत प्रबंधन सॉफ्टवेयर का ‘रीड ओनली’ एक्सेस भी उपलब्ध होगा ताकि आईओ : (अ) भारिबैंक लोकपाल द्वारा अग्रेषित किए गए मामलों, (ब) लोकपाल के निर्णय, और (स) भारिबैंक लोकपाल योजना के तहत अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय, जहां लागू हो, को ट्रेक करने में सक्षम हो।

(ध) आईओ का निर्णय सीआईसी पर बाध्यकारी होगा, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां सीआईसी ने नीचे दिए गए उप-खंड (प) में बताए गए अनुसार ऐसे निर्णय से असहमत होने के लिए अनुमोदन प्राप्त किया है।

(न) यदि आईओ शिकायत को अस्वीकार या आंशिक रूप से अस्वीकार करने के सीआईसी के निर्णय को बरकरार रखता है, तो ग्राहक को दिए गए उत्तर में इस तथ्य का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि आईओ द्वारा शिकायत की जांच की गई है और आंतरिक लोकपाल ने सीआईसी के निर्णय को बरकरार रखा है।

(प) यदि आईओ शिकायत को अस्वीकार या आंशिक रूप से अस्वीकार करने के सीआईसी के निर्णय को पलट देता है, तो सीआईसी प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जैसा कि लागू हो, के अनुमोदन से आंलो /उआंलो के निर्णय से असहमत हो सकता है। ऐसे मामलों में, शिकायतकर्ता को दिए जाने वाले उत्तर में इस तथ्य का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए कि आईओ द्वारा शिकायत की जांच की गई और सीआईसी के निर्णय को शिकायतकर्ता के पक्ष में आईओ द्वारा खारिज कर दिया गया। तथापि, सीआईसी ने प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अनुमोदन से आईओ के निर्णय से असहमति व्यक्त की है। आईओ के निर्णय की सूचना सीआईसी को प्राप्त होने के 7 दिन के भीतर इस प्रकार के निर्णयों की सूचना शिकायकर्ता को प्रदान की जानी चाहिए। बाद में सीआईसी के बोर्ड द्वारा ऐसे सभी मामलों की समीक्षा तिमाही आधार पर की जाएगी।

(फ) आईओ द्वारा जांच के बाद भी पूरी तरह या आंशिक रूप से खारिज की गई शिकायतों के मामले में, सीआईसी उत्तर के भाग के रूप में शिकायतकर्ता को अनिवार्य रूप से यह सलाह देगा कि वह शिकायत के निवारण हेतु पूर्ण विवरण के साथ भारिबैंक लोकपाल से संपर्क कर सकता है (यदि शिकायत उस साख संस्थान/विनियमित संस्था से संबंधित है जो आरबी-आईओएस के अंतर्गत आती है)। सलाह में ग्राहकों की शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने के लिए रिज़र्व बैंक के पोर्टल (cms.rbi.org.in) का लिंक शामिल होना चाहिए।

(ब) शिकायतकर्ताओं और सीआई के सीधे संपर्क में आनेवाले कर्मचारियों में शिकायतों के पैटर्न, उनके मूल कारणों, उपचारात्मक उपायों और फ्रंटलाइन कर्मचारियों की ओर से अपेक्षित कार्रवाई के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सीआईसी आईओ द्वारा संचालित की गई शिकायतों के विश्लेषण का उपयोग अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों/सम्मेलनों में करेंगी। जहां आवश्यक हो, ऐसे प्रशिक्षणों हेतु आईओ की सहायता ली जा सकती है।

(भ) आईओ के कार्य-निष्पादन का आंकलन करते समय, लंबित मामलों के स्तर आदि के अलावा, सीआईसी उन मामलों की संख्या पर भी विचार करेगी जहां भारतीय रिज़र्व बैंक लोकपाल द्वारा दिए गए निर्णयों की तुलना में आईओ द्वारा दिए गए निर्णयों के बीच भारी अंतर पाया गया है।

(म) संगठन (सभी शाखाओं और प्रशासनिक कार्यालयों) में आईओ की नियुक्ति के बारे में सूचना देते समय सीआईसी अपने कर्मचारियों के बीच आईओ की भूमिका के संबंध में दिशानिर्देशों / निर्देशों का प्रसार करेंगी।

(य) सीआईसी आईओ का संपर्क विवरण सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं कराएंगी क्योंकि आईओ सीधे शिकायतकर्ताओं से प्राप्त शिकायतों को नहीं देखेंगें।

(र) सीआईसी द्वारा भारिबैं लोकपाल कार्यालय को उत्तर देते समय/ दस्तावेज़ प्रस्तुत करते समय संबन्धित शिकायत पर आईओ के निर्णय को भारिबैं लोकपाल कार्यालय को प्रस्तुत की गई सूचना में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा।

अध्याय IV
विनियामक रिपोर्टिंग और पर्यवेक्षी निगरानी

12. आरबीआई को रिपोर्टिंग

(अ) सीआईसी अनुबंध में दिए गए प्रारूपों के अनुसार त्रैमासिक और वार्षिक आधार पर उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, रिज़र्व बैंक को सूचना की आवधिक रिपोर्टिंग हेतु एक प्रणाली स्थापित करेगी। ये रिपोर्ट उस तिमाही/वर्ष जिसके लिए वह देय हैं की समाप्ति के 10वें दिन या उससे पूर्व प्रस्तुत की जाएंगी।

(ब) सीआईसी आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति के पाँच कार्य दिवस के भीतर इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति का विवरण निम्न प्रारूप में उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक (ईमेल) को प्रेषित करेगी:

1 आंतरिक लोकपाल का नाम  
2 धारित अंतिम पद का विवरण/संगठन का नाम  
3 नियुक्ति की तिथि  
4 अवधि (वर्ष में)  
5 वित्तीय सेवाओं के पिछले प्रदर्शन जो उन्हें नियुक्ति के लिए पात्र बनाते हैं सहित संक्षिप्त पेशेवर प्रोफ़ाइल  

13. पर्यवेक्षी निगरानी

ग्राहक सेवा, ग्राहक शिकायत निवारण से संबन्धित क्षेत्र, साथ ही इस निदेश का कार्यान्वयन रिज़र्व बैंक द्वारा की गई पर्यवेक्षी समीक्षा का हिस्सा होंगे। आगे रिज़र्व बैंक उन मामलों की समीक्षा करेगा जहां सीआईसी द्वारा आईओ के निर्णय को स्वीकार नहीं किया गया है और पीड़ित शिकायतकर्ता सीआईसी के आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र की प्रभावशीलता का आंकलन करने और सुधारात्मक कार्रवाई शुरू करने, जैसा की वह उचित समझे के लिए भारिबैं लोकपाल से संपर्क करता है।

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