बासल III पूंजी विनियमावली – अतिरिक्त टियर 1 पूंजी - आरबीआई - Reserve Bank of India
बासल III पूंजी विनियमावली – अतिरिक्त टियर 1 पूंजी
भा.रि.बैं./2016-17/222 02 फरवरी 2017 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया/महोदय, बासल III पूंजी विनियमावली – अतिरिक्त टियर 1 पूंजी कृपया ‘बासल III पूंजी विनियमन’ पर 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.1/21.06.201/2015-16 के “अतिरिक्त टियर 1 पूंजी में बेमीयादी ऋण लिखत (पीडीआई) शामिल करने हेतु मानदंड” पर अनुबंध 4 के अंतर्गत ‘कूपन विवेकाधिकार’ पर पैरा 1.8 के साथ पठित ‘मास्टर परिपत्र - बासल III पूंजी विनियमावली - स्पष्टीकरण’ पर 14 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.71/21.06.201/2015-16 का संदर्भ लें। 2. यह निर्णय लिया गया है कि उक्त मास्टर परिपत्र के अनुबंध 4 के पैरा 1.8(ङ) को निम्नानुसार संशोधित किया जाए : “कूपन की अदायगी ‘वितरण योग्य मदों’ में से की जानी चाहिए। इस संबंध में, कूपन की अदायगी चालू वर्ष के लाभों में से की जानी चाहिए। तथापि, यदि चालू वर्ष के लाभ पर्याप्त न हों, कूपन की अदायगी निम्न की उपलब्धता के अधीन की जाए : (i) पिछले वर्ष से आगे लाए गए लाभ, और/अथवा (ii) सांविधिक आरक्षित निधियों सहित, और शेयर प्रिमियम, पुनर्मूल्यन आरक्षित निधि, विदेशी मुद्रा रूपान्तर आरक्षित निधि, निवेश आरक्षित निधि और समामेलन पर सृजित आरक्षित निधियों को छोड़कर निवल लाभ के विनियोजन वाली आरक्षित निधियां। संचित हानि और आस्थगित राजस्व व्यय, यदि कोई हो, को कूपन की अदायगी के लिए उपलब्ध जमाशेष हासिल करने के लिए उक्त (i) और (ii) से निवल किया जाएगा। (क) वर्तमान वर्ष में लाभ; (ख) पिछले वर्ष से आगे लाए गए लाभ और (ग) उपर्युक्त क्रमांक (ii) के अनुसार सांविधिक आरक्षित निधियों को छोड़कर अनुमत आरक्षित निधियां, संचित हानि की निवल राशि और आस्थगित राजस्व व्यय की समग्र राशि यदि कूपन की राशि से कम हों, केवल तभी बैंक सांविधिक आरक्षित निधियों से विनियोजन करेगा। ऐसे मामलों में, बैंक से अपेक्षित है कि वे बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 17(2) के अनुपालन में ऐसे विनियोजन की तिथि से इक्कीस दिनों के भीतर रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करें। यह नोट किया जाए कि ‘बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 17 (2) – आरक्षित निधि से विनियोग’ पर 20 सितंबर 2006 की परिपत्र बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.31/21.04.018/2006-07 के अनुसार ऊपर दिए गए अनुसार आरक्षित निधियों से विनियोजन के लिए इस संबंध में रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक नहीं है। तथापि, आरक्षित निधियों में से पीडीआई पर कूपन का भुगतान इस शर्त पर है कि जारीकर्ता बैंक हर समय देशी प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों के लिए अतिरिक्त पूंजी अपेक्षाओं सहित सीईटी 1, टियर 1 और कुल पूंजी अनुपातों के लिए न्यूनतम विनियामक अपेक्षाओं की पूर्ति करता है तथा यह पूंजी बफर संरचनाओं (अर्थात् समय-समय पर यथासंशोधित बासल III पूंजी विनियमावली पर 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के क्रमशः पैरा 15 और 17 के अनुसार पूंजी संरक्षण बफर और प्रतिचक्रीय पूंजी बफर) के अंतर्गत प्रतिबंधों के अधीन है। शाश्वत ऋण लिखतों के लिए पात्रता मानदंड पूर्ण करने की दृष्टि से बैंकों को प्रस्ताव प्रलेखों में ही यह सुनिश्चित करना और बताना चाहिए कि उनके पास हर समय वितरण/भुगतान रद्द करने का पूर्ण विवेकाधिकार है। 3. उक्त अनुदेश तुरंत प्रभाव से लागू हैं। भवदीय, (एस.एस. बारिक) |