अर्हित वित्तीय संविदाओं की द्विपक्षीय नेटिंग - विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
अर्हित वित्तीय संविदाओं की द्विपक्षीय नेटिंग - विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों में संशोधन
आरबीआई/2021-22/189 31 मार्च 2022 महोदय/महोदया अर्हित वित्तीय संविदाओं की द्विपक्षीय नेटिंग - विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों में संशोधन अर्हित वित्तीय संविदाएं द्विपक्षीय नेटिंग अधिनियम, 2020 (इसके बाद "अधिनियम" के रूप में संदर्भित), को भारत सरकार द्वारा दिनांक 1 अक्तूबर 2020 के राजपत्र अधिसूचना संख्या एस.ओ. 3463 (ई) द्वारा अधिसूचित किया गया है। अधिनियम अर्हित वित्तीय संविदाओं (क्यूएफसी) के द्विपक्षीय नेटिंग की प्रवर्तनीयता के लिए एक विधिक ढांचा प्रदान करता है। 2. अधिनियम की धारा 4(ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक ने दिनांक 9 मार्च 2021 की अधिसूचना सं.एफआरएमडी.डीआईआरडी.2/14.03.043/2020-21 द्वारा, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III-डी की धारा 45 (यू) के तहत परिभाषित (ए) "डेरिवेटिव"; और (बी) "रेपो" और "रिवर्स रेपो" लेनदेन को क्यूएफसी के रूप में अधिसूचित किया गया है। 3. तदनुसार, निम्नलिखित परिपत्रों/निदेशों में निहित चुनिंदा अनुदेशों को उचित रूप से संशोधित/परिवर्तित किया गया है: ए) दिनांक 23 अगस्त 2016 का मास्टर निदेश डीएनबीआर.पीडी.004/03.10.119/2016-17 - मास्टर निर्देश – स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर (रिज़र्व बैंक) निर्देश, 2016 जैसा कि अनुबंध 1 में दिया गया है; बी) दिनांक 1 जुलाई 2015 का पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - शहरी सहकारी बैंक पर मास्टर परिपत्र डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी).एमसी.सं.10/09.18.201/2015-16 जैसा कि अनुबंध 2 में दिया गया है; सी) दिनांक 29 अक्तूबर 2014 का सीआरएआर की गणना के लिए जोखिम भार पर परिपत्र आरपीसीडी.आरसीबी.बीसी.सं.37/07.51.012/2014-15, जैसा कि अनुबंध 3 में दिया गया है; डी) दिनांक 26 अक्तूबर 2021 का स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड (दिशानिर्देश), 2021 पर मास्टर निर्देश डीओआर.सीएपी.आरईसी.सं.61/21.01.002/2021-22 - जैसा कि अनुबंध 4 में दिया गया है; ई) 28 दिसंबर 2007 का क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता मानदंड लागू करने पर मास्टर परिपत्र आरपीसीडी.केंका.आरआरबी.सं.बीसी.44/05.03.095/2007-08, जैसा कि अनुबंध 5 में दिया गया है; एफ) दिनांक 01 सितंबर 2016 के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार न करने वाली कंपनी और जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 पर मास्टर निदेश डीएनबीआर.पीडी.008/03.10.119/2016-17 - जैसा कि अनुबंध 6 में दिया गया है; और जी) दिनांक 17 फरवरी 2021 के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - आवास वित्त कंपनी (रिज़र्व बैंक) निर्देश, 2021 पर मास्टर निदेश डीओआर.एफआईएन.एचएफसी.सीसी.सं.120/03.10.136/2020-21 - जैसा कि अनुबंध 7 में दिया गया है. ऊपर उल्लिखित निर्देशों को तदनुसार अद्यतन किए जाएंगे। प्रयोज्यता 4. यह परिपत्र सभी स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलरों, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों, राज्य और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार न करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी-एनडी- एसआई) और जमाराशि स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी-डी) और आवास वित्त कंपनियां (एचएफसी) पर लागू होता है, जैसा कि अनुबंध 1 से 7 में क्रमशः उल्लेख किया गया है। संशोधित अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। भवदीया (उषा जानकीरामन) |