विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (FCCBs) की पुनर्खरीद/अवधिपूर्व भुगतान - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (FCCBs) की पुनर्खरीद/अवधिपूर्व भुगतान
भारिबैंक/2010-11/587 30 जून 2011 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (FCCBs) की पुनर्खरीद/अवधिपूर्व भुगतान प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान उपर्युक्त विषय पर 8 दिसंबर 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 39, 28 अप्रैल 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.65 तथा 09 अगस्त 2010 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.07 की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. संप्रति भारतीय रिज़र्व बैंक अनुमोदित मार्ग के तहत विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों की पुनर्खरीद के आवेदनों पर विचार करता है, बशर्ते इनके जारीकर्ता 8 दिसंबर 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.39 एवं 28 अप्रैल 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.65 में विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसी बांड) की पुनर्खरीद/अवधिपूर्व भुगतान संबंधी शर्तों को पूरा करते हों । 3. विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसी बांड़) के अवधिपूर्व भुगतान से संबंधित मौजूदा नीति की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि ऐसी सुविधा की समय सीमा को आगे बढ़ाया जाए और एतद्विषयक प्रक्रिया को उदार बनाया जाए । तदनुसार भारतीय कंपनियों के विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों के पुनर्खरीद के आवेदनों पर स्वचालित तथा अनुमोदित मार्गों के तहत निम्नलिखित ब्योरे के अनुसार विचार किया जाएगा: ए. स्वचालित मार्ग पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक भारतीय कंपनियों को विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों की अवधिपूर्व पुनर्खरीद की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते ये कंपनियाँ निम्नलिखित शर्तें पूरी करती हों: i) विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों का पुनर्खरीद मूल्य बही मूल्य (बुक वैल्यू) से न्यूनतम 8 प्रतिशत कम होगा; ii) पुनर्खरीद के लिए इस्तेमाल की गयी निधियाँ वे मौजूदा विदेशी निधियाँ होंगी जो या तो भारत में (ईईएफसी खाते में रखी जमा राशियों सहित) या विदेश में रखी विदेशी मुद्रागत निधियाँ हों और/या मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार मानदंड़ों के अनुसार उठाए गए नए बाह्य वाणिज्यिक उधार हों; और iii) जहाँ नए बाह्य वाणिज्यिक उधार मूल विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों की शेष रही परिपक्वता अवधि के अनुरूप हों और जो तीन वर्ष से कम के लिए हों वहाँ समग्र लागत 6 माह के अल्पावधि उधारों के लिए लागू लाइबोर प्लस 200 बेसिस प्वाइंट्स से अधिक नहीं होगी । शेष मामलों में समग्र लागत बाह्य वाणिज्यिक उधार की संबंधित परिपक्वता अवधि के लिए लागू सीमा होगी जैसा कि 22 अक्तूबर 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 26 में विनिर्दिष्ट है । बी. अनुमोदन मार्ग भारतीय कंपनियों को अपने आंतरिक उपयोग के अनुसार 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा तक विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों की पुनर्खरीद की अनुमति, भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बाद, निम्नलिखित शर्तों के तहत दी जा सकती है : i) 50 मिलियन अमरीकी डॉलर के मोचन मूल्य तक जो बही मूल्य से 10% घटाकर होगा । ii) 50 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक और 75 मिलियन अमरीकी डॉलर तक मोचन मूल्य जो बही मूल्य से न्यूनतम 15% कम होगा, और iii) 75 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक और 100 मिलियन अमरीकी डॉलर के मोचन मूल्य तक बही मूल्य के न्यूनतम 20% घटाकर । 4. उपर्युक्त शर्तें पूरी करने वाले आवेदन पत्र समर्थक/पूरक दस्तावेजों के साथ पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के माध्यम से प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, 11 वीं मंज़िल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई 400 001 के विचारार्थ प्रस्तुत किए जा सकते हैं । 5. 8 दिसंबर 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 39 के पैरा 5 एवं 6 के शेष उपबंध लागू बने रहेंगे । यह सुविधा तत्काल प्रभाव से लागू है और पुनर्खरीद की संपूर्ण प्रक्रिया 31 मार्च 2012 तक पूरी हो जानी चाहिए । 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों तथा ग्राहकों को अवगत करने का कष्ट करें । 7. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौजदार) |