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विदेशी प्रतिभूतियों में म्यूच्युअल फंडों द्वारा निवेश - उदारीकरण

आरबीआइ/2006-07/179
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.11

नवंबर 16, 2006

सेवा में
सभी श्रेणी I के प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी प्रतिभूतियों में म्यूच्युअल फंडों द्वारा निवेश - उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 के विनियम 6आ और विनियम 26 और जुलाई 26, 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3 की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. विदेशों में निवेश के अवसरों को बढ़ाने की दृष्टि से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत म्यूच्युअल फंडों द्वारा किए जानेवाले समुद्रपारीय निवेशों की वर्तमान सीमा को बढ़ाया गया है।तदनुसार, सेबी के पास पंजीकृत म्यूच्युअल फंडों द्वारा किए जानेवाले समुद्रपारीय निवेशों की सकल सीमा को तत्काल प्रभाव से 2 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 3 बिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया गया है। सेबी द्वारा जारी अन्य सभी शर्तें तथा परिचालनात्मक मार्गदर्शी सिद्धांत यथावत रहेंगी।

3. सांख्यिकीय प्रयोजन के लिए जुलाई 26, 2006 के एपी (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3 के पैराग्राफ 5 द्वारा यथानिर्धारित रिज़र्व बैंक को मासिक रूप से रिपोर्ट किया जाना जारी रहेगा।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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