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बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन

आरबीआई/2008-2009/100
बैंपविवि.एफएसडी.बीसी.23/24.01.011/2008-09

23 जुलाई 2008

समस्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय,

बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन

कृपया बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन पर जारी दिनांक 1 जुलाई 2008 का मास्टर परिपत्र (परिपत्र सं. बैंपविवि.एफएसडी.बीसी.6/24.01.011/2008-2009) देखें।

2. इस संबंध में, हम सूचित करते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों एवं बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों को मिली शिकायतों के आधार पर बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालनों पर एक अध्ययन करवाया था। रिजर्व बैंक के मौजूदा अनुदेश, यदि कोई हों, सहित अध्ययन दल की सिफारिशों का सार, और इस संबंध में बैंकों द्वारा की जाने वाली अपेक्षित कार्रवाई का ब्यौरा अनुबंध में दिया गया है। बैंक अनुबंध के कालम 4 में दर्शाए गए अनुसार कार्रवाई किया जाना सुनिश्चित करें। अध्ययन रिपोर्ट में क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि की वसूली रिकवरी एजेंटों के माध्यम से किए जाने के संबंध में भी कुछ सिफारिशें की गई हैं, जिनके संबंध में रिजर्व बैंक द्वारा एक अलग परिपत्र (दिनांक 24 अप्रैल 2008 का परिपत्र बैंपविवि.सं.एलईजी.बीसी.75/09.07.005/2007-08) पहले ही जारी किया जा चुका है।

3. बिना मांग के कार्ड जारीकिया जाना

बैंकों के क्रेडिट कार्डपरिचालनों पर जारी1 जुलाई 2008 के मास्टर परिपत्र के पैरा 6.1 (क) की ओर बैंकों का ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जिसमें बैंकों को सूचित किया गया है कि बिना मांग के कार्ड जारी नहीं किये जाने चाहिए और यदि बिना मांगे कोई कार्ड जारी किया जाता है एवं प्राप्तकर्ता की सम्मति के बगैर उसे एक्टिव किया जाता है और उसके लिए उसे बिल भेजाजाता है, तो कार्ड जारी करनेवाला बैंक न केवल उक्त प्रभारों को तत्काल वापसकरेगा बल्कि वापस किये गये प्रभारों के मूल्य से दुगुनी राशि कार्ड केप्राप्तकर्ता को बिना किसी हिचक के दंड के रूप में अविलंब अदा करेगा।

इसके अलावा, वह व्यक्ति जिसके नाम पर कार्ड जारी हुआ हैबैंकिंग लोकपाल से भी संपर्क कर सकता है, जो बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 के प्रावधानों के अनुसार बिना मांगे जारी हुए क्रेडिट कार्ड केप्राप्तकर्ता को बैंक की ओर से दी जानेवाली हर्जाने की राशि अर्थात् शिकायतकर्ता केसमय की हानि, उसके द्वारा किया गया व्यय, उसे हुई परेशानी तथा मानसिक संताप के लिए क्षतिपूर्ति की राशि निर्धारित करेगा। इसके साथ ही, कुछ ऐसे भी मामले हुए हैं जिनमें बिना मांगे जारी हुए क्रेडिटकार्ड जिनके नाम पर जारी किए गए हैं उन तक पहुँचने के पहले ही उनका दुरुपयोगकिया गया है। यह स्पष्ट किया जाता है कि बिना मांगे जारी हुए ऐसे कार्डों के दुरुपयोगके कारण हुई किसी भी प्रकार की हानि के लिए कार्ड जारी करनेवालाबैंक ही जिम्मेदार होगा और अनुबंध की मद संख्या (4) के कालम (4) में दर्शाए गए अनुसार व्यक्ति जिसके नाम परकार्ड जारी हुआ है, उसे इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

4. क्रेडिटकार्डधारक को बीमा कवर

यह निर्णय लिया गया है कि जिन मामलों में बैंक उनके क्रेडिट कार्डधारकों को बीमा कंपनियों के साथ गठबंधन कर बीमा कवर देने की पेशकश कर रहे हैं वहाँ बैंकदुर्घटना में मृत्यु और अंगहानि की स्थिति में मिलनेवाले लाभों के संबंधमें बीमा कवर के लिए नामिती /नामितियों के ब्यौरे क्रेडिट कार्डधारक से लिखित रूप में प्राप्त करने पर विचार करें। बैंक यहसुनिश्चित करें कि संगत नामन ब्यौरे बीमा कंपनी द्वारा रिकार्ड किए जातेहैं। बैंक क्रेडिट कार्डधारकों को बीमा कवर से संबंधित दावों का कामदेखनेवाली बीमा कंपनी का नाम, पता और टेलीफोन नंबर संबंधी ब्यौरेदर्शानेवाला एक पत्र जारी करने पर भी विचार करें।

5. बैंकों को सूचित किया जाता है कि इन अनुदेशों का निष्ठापूर्वकपालन करें और इस संबंध में किसी भी उल्लंघन/नों को गंभीरता से लिया जाएगा।

भवदीय,

(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

क्रम संख्या संक्षेप मेंमुद्दा क्रेडिट कार्ड अध्ययन की सिफारिशों का सार मुद्दों के संबंध में रिजर्व बैंक के मौजूदा अनुदेश, यदि कोई हों तथा बैंकों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई
1. 2. 3. 4.
1. कार्ड जारी किया जाना 1. क्रेडिट कार्ड जारी करने में समझदारी क्रेडिट कार्ड जारी करते समय बैंक समझदारी से काम लें। बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन पर जारी मास्टर परिपत्र (दिनांक 1 जुलाई 2008 का परिपत्र संख्या बैंपविवि.एफएसडी.बीसी.6/24.01.011/2008-2009) के पैरा 2 (क) के अनुसार बैंकों को पहले ही सूचित किया जा चुका है कि वे व्यक्तियों,खासकरछात्रों और ऐसे अन्य व्यक्तियों जिनके पास आमदनी का स्वतंत्र जरिया नहीं हैं, को कार्ड जारी करते समय ऋण जोखिम का निर्धारणअलग से करें। इसे पुन: दुहराया जाता है कि क्रेडिट कार्ड जारी करते समय बैंक समझदारी से काम लें।
  2. क्रेडिट कार्ड आवेदनों की अस्वीकृति के कारणों की सूचना दी जानी चाहिए रिजर्व बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे क्रेडिट कार्ड आवेदनों की अस्वीकृति के कारणों की सूचना दें। दिनांक 6 मार्च 2007 के परिपत्र बैंपविवि.सं.एलईजी.बीसी.65/09.07.005/2006-2007 में दिए गए अनुदेशों के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि क्रेडिट कार्ड के आवेदनपत्रों सहितऋणों की सभी श्रेणियों के मामलों में थ्रेशहोल्डसीमापर विचार किए बिना, बैंकों को लिखित रूप में बताना होगा कि किन मुख्य कारण/कारणों की वजह से बैंक की राय में ऋण आवेदन पत्र अस्वीकार किया गया है। इसे पुन: दुहराया जाता है कि बैंक लिखित रूप में बताएं कि किन मुख्य कारण/कारणों की वजह से बैंक की राय में क्रेडिट कार्ड आवेदनों को अस्वीकार किया गया है।
  3. क्रेडिट कार्ड जारी किए जाने के लिए सम्मति कार्ड जारी किए जाने और कार्ड के साथ पेश किए गए अन्य उत्पादों के लिए स्पष्ट सम्मति ली जानी चाहिए न कि अंतर्निहित। बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन पर जारी मास्टर परिपत्र (दिनांक 1 जुलाई 2008 का परिपत्र संख्या बैंपविवि.एफएसडी.बीसी.6/24.01.011/2008-2009) के पैरा 6.1 (क) के अनुसार बैंकों को पहले ही सूचित किया जा चुका है कि बिना मांगे क्रेडिट कार्ड जारीनहीं किए जाने चाहिए । यह पुन: स्पष्ट किया जाता है कि कार्ड जारी किए जाने और कार्ड के साथ पेश किए गए अन्य उत्पादों के लिए स्पष्ट सम्मति ली जानी चाहिए न कि अंतर्निहित।
  4. बिना मांगे जारी क्रेडिट कार्ड के दुरुपयोग से होने वाले नुकसान बिना मांगे जारी क्रेडिटकार्ड और ऐसे किसी बिना मांगे जारी क्रेडिटकार्ड से जुड़े किसी अन्य उत्पाद के दुरुपयोगके लिए केवल कार्ड जारी करनेवालाबैंक ही जिम्मेदार होगा औरइसकीजिम्मेदारी ग्राहक परनहीं डाली जा सकती। ऐसे भी मामले हुए हैं जिनमें बिना मांगे जारी क्रेडिटकार्ड जिनके नाम पर जारी हुए हैं उन तक पहुँचने के पहले ही उनका दुरुपयोगकिया गया है। यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे बिना मांगे जारी कार्डों के दुरुपयोगके कारण हुई किसी भी प्रकार की हानि के लिए कार्ड जारी करनेवालाबैंक ही जिम्मेदार होगा और जिस व्यक्ति के नाम परकार्ड जारी किया गया है उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
  5. खोए /चोरी हुए कार्ड के दुरुपयोग के प्रति सुरक्षा उपाय खोए कार्डों के दुरुपयोग में कमी लाए जाने हेतु, बैंक
(i)फोटो सहित कार्ड
(ii)पिन के साथ कार्ड
(iii) हस्ताक्षर लेमिनेट किए हुए कार्डजारी करने पर विचार करें।
खोए /चोरी हुए कार्ड के दुरुपयोग के मामलों में कमी लाए जाने को ध्यान में रखते हुए, बैंकों के लिए यह अनुशंसा की जाती है कि वे (i)फोटो सहित कार्ड (ii)पिन के साथ कार्ड (iii) हस्ताक्षर लेमिनेट किए हुए कार्डअथवा समय-समय पर आने वाली अन्य उन्नत पद्धतियों के साथ कार्ड जारी करने पर विचार करें।
  6. अन्य एजेंसियों के साथ ग्राहक सूचना साझा करने के लिए सुस्पष्ट विकल्प बैंकों को ग्राहकों कोअपने प्रकटीकरण खंड का आशय सुस्पष्ट रूप से बताना /समझाना चाहिए। जहां ऋण सूचना कंपनियों/ सिबिल को रिपोर्टिंग करना अनिवार्य है, किंतु इसमें जोड़े गए अन्य सभी खंड, जिसमें ग्राहक को अपनी व्यक्तिगत सूचना और ऋण इतिहास अनेक एजेंसियों के साथ साझा करने की सहमति देनी होती है, पूर्णत: ऐच्छिक हैं और कार्ड जारी करने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। ऐसे मामले प्रकाश में आए हैं, जहां बैंकों ने क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते समय एमआईटीसी के भाग के रूप में ग्राहक द्वारा प्रस्तुत की गई सूचना को अन्य एजेंसियों के साथ साझा करने की स्वीकृति प्राप्त कर ली है। यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंकों को ग्राहकों को यह तय करने का विकल्प देना चाहिए कि क्या वह क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते समय उसके द्वारा प्रस्तुत सूचना अन्य एजेंसियों के साथ साझा करने के लिए सहमत है अथवा नहीं। उक्त सुनिश्चितता और स्पष्टता उपलब्ध कराने के लिए क्रेडिट कार्ड के आवेदन पत्र को उचित रूप से संशोधित किया जाए। इसके अलावा, ऐसे मामलों में जहां ग्राहक अन्य एजेंसियों केसाथ सूचना साझा करने के लिए बैंक को अपनी स्वीकृति देता है, बैंक को प्रकटीकरण खंड का पूर्ण आशय और निहितार्थ ग्राहक को सुनिश्चित रूप से बताना और स्पष्ट करना चाहिए।
II कार्ड विवरण 7. मासिक विवरणों के लिए प्राप्ति सूचना बैंकों के पास यह सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली होनी चाहिए कि मासिक विवरण प्राप्त करने के लिए ग्राहकों से पावती ली गई है। क्रेडिट कार्ड परिचालनों पर 01 जुलाई 2008 के मास्टर परिपत्र (परिपत्र सं. बैंपविवि.एफएसडी.बीसी.6/24.01.011/2008-09 दिनांक 01 जुलाई 2008) के पैरा 3 (क) के द्वारा बैंकों को सूचित किया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि बिलों के प्रेषण में कोई विलंब न हो तथा ब्याज लगना शुरू होने से पहले ग्राहक के पास बिल का भुगतान करने के लिए पर्याप्त समय (कम से कम एक पखवाड़ा) हो। बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए प्रणाली विकसित करने पर विचार कर सकते हैं कि मासिक विवरण प्राप्त करने के लिए ग्राहकों सेपावती ली गई है।
  8. क्रेडिट कार्ड विवरण जारी करने में अनावश्यक विलंब बैंकों को सूचित किया जाना चाहिए कि वे कई वर्षों के अंतराल के बाद भुगतान की मांग करने वाले विवरण न भेजें, और इसे बैंकों की ओर से अत्यंत अनुचित कार्य माना जाना चाहिए। किसी गलती को सुधारने अथवा कार्डधारक पर कोई दावा करने के लिए एक समय-सीमा निर्धारित करने पर विचार किये जाने की आवश्यकता है। ऐसे मामले देखे गए हैं, जहां बैंकों ने क्रेडिट कार्ड विवरण अत्यधिक विलंब से भेजे हैं और भुगतान की मांग की है।बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्रेडिट कार्ड विवरण/बिल ग्राहकों को बिना किसी विलंब के तत्काल भेजे जाते हैं। बैंकों के क्रेडिट आपरेशनों पर मास्टर परिपत्र (दिनांक 01 जुलाई 2008 का बैंपविवि.एफएसडी.बीसी.6/24.01.011/2008-2009) के पैरा 4(ख) की ओर बैंकों का ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसमेंयह कहा गया है कि विलंब से बिल भेजने के बारे में बारम्बार शिकायतों से बचने के लिए क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता बैंक को उचित सुरक्षा उपाय करते हुए बिल और खाता-विवरण औन-लाइन भेजने पर विचार करना चाहिए।
  9. क्रेडिट कार्डों पर केवल न्यूनतम देय राशि अदा करने के निहितार्थ के बारे में ग्राहकों को शिक्षित करना बैंकों को केवल न्यूनतम देय राशि अदा करने के निहितार्थ के बारे में ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए प्रयास बढ़ाने चाहिए। एक औसत क्रेडिट कार्ड धारकको यह स्पष्ट नहीं है कि ब्याज/वित्त प्रभारों की गणना किस प्रकार की जाती है। एमआईटीसी को विशेष रूप से यहस्पष्ट करना चाहिए कि यदि पिछले महीने की कोई बकाया राशि शेष है तो 'मुफ्त ऋण अवधि' नहीं मिलती है। बैंकों को केवल "न्यूनतम देय राशि" अदा करने के निहितार्थ के बारे में ग्राहकों को शिक्षित करने के लिए प्रयास बढ़ाने चाहिए। एमआईटीसी को विशेष रूप से यहस्पष्ट करना चाहिए कि यदि पिछले महीने की कोई बकाया राशि शेष है तो मुफ्त ऋण अवधि नहीं मिलती है। इस प्रयोजन के लिए वे दृष्टान्त स्वरूप उदाहरण तैयार कर सकते हैं , जिसे कार्ड- धारकों को भेजे जाने वाले 'वेल्कम किट' में शामिल करने के साथ ही अपनी वेबसाइट पर डाल सकते हैं।
III ब्याज और अन्य प्रभार 10. अत्यधिक ब्याज दरें/ अन्य प्रभार प्रभारों के संबंध मे रिज़र्व बैंक/ बैंकिंग लोकपाल कार्यालय में प्राप्त शिकायतें यह दर्शाती हैं कि ग्राहक इन प्रभारों को बहुत ही अधिक मानते हैं। हालांकि यहां ग्राहकों को शिक्षित करने का मुद्दा हो सकता है, किंतु बैंको द्वारा इस बात पर ध्यान दिया जाना अपेक्षित है कि क्रेडिट कार्डों पर देय ब्याज दर/ अन्य प्रभार रिज़र्व बैंक द्वारा अत्यधिक ब्याज दरों के संबंध में जारी 07 मई 2007 के परिपत्र के दायरे के भीतर हों। 'अग्रिमों पर अत्यधिक ब्याज दरें' के बारे में दिनांक 07 मई 2007 के रिज़र्व बैंक के परिपत्र द्वारा बैंकों को पहले ही सूचित किया जा चुका है कि वे कम मूल्य के वैयक्तिक ऋणों और इसी प्रकार के अन्य ऋणों पर प्रोसेसिंग और अन्य प्रभारों सहित ब्याज दर की अधिकतम सीमा निर्धारित करें। यह स्पष्ट किया जाता है कि उपर्युक्त अनुदेश क्रेडिट कार्ड संबंधी देयताओं पर भी लागू होंगे।
  11. भिन्न-भिन्न ब्याज प्रभार

कुछ बैंक ऐसे ब्याज प्रभार लगाते हैं, जो कार्डधारक के भुगतान/चूक इतिहास के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। इस मुद्दे का प्रबंधन पारदर्शी ढंग से करने की आवश्यकता है।

जब बैंक ब्याज प्रभार लगाते हैं, जो कार्डधारक के भुगतान/चूक इतिहास के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं, ऐसे अलग-अलग ब्याज दरें लगाने में पारदर्शिता होनी चाहिए। दूसरे शब्दों में, कार्डधारक को इस तथ्य की जानकारी होनी चाहिए कि उसके भुगतान/चूक इतिहास के कारण उससे अधिक ब्याज दर ली जा रही है। इस उद्देश्य से बैंक विभिन्न श्रेणी के ग्राहकों से ली जाने वाली ब्याज दर को अपनी वेबसाइट और और अन्य माध्यम से विज्ञापित करें।
  12. वित्त प्रभारों की गणना जहां तक वित्त प्रभारों का संबंध है, सम्पूर्ण बकाया राशि को वित्त प्रभारों की गणना के लिए हिसाब में लिया जात है, यदि केवल आंशिक भुगतान किया जाता है तो भुगतान के लिए दी गई रियायत अवधि का लाभ नहीं मिल पाता। इसकी जानकारी ग्राहक को दी जानी चाहिए। बैंक क्रेडिट कार्ड धारक को स्पष्ट उदाहरण देकर वित्त प्रभार की गणना के तरीके की जानकारी दें, विशेषकर उन परिस्थितियों में जहां ग्राहक द्वारा बकाया राशि आंशिक भुगतान हीकिया जाता है।
  13. निःशुल्क कार्ड जारी करना केवल प्रथम वर्ष के लिए क्रेडिट कार्ड जारी करने के प्रभार से मुक्त कार्ड जारी करने की प्रक्रियापारदर्शी और बिना किसी छुपे प्रभार वाली होनी चाहिए। केवल प्रथम वर्ष के लिए मुफ्त प्रभार वाले क्रेडिट कार्ड जारी करते समय पारदर्शिता (किसी छुपे प्रभार के बिना) बरती जानी चाहिए।
IV डीएसए/डीएमए 14.बैंकों द्वारा दस्तावेजों का प्रमाणीकरण यह अपेक्षित है कि डीएसए बैंको द्वारा प्रमाणीकृत दस्तावेज/कागजातही ग्राहक को उपलब्ध कराएं। यह अपेक्षित है कि बैंक इस तरीके से प्रणाली बनाएं कि बाद में ग्राहक और बैंक के बीच कोई विवाद न पैदा हो। गलत ढंग से बेचने की अधिकांश शिकायतें डीएसए/ डीएमए के कारण होती हैं। बैंकों के क्रेडिट कार्ड परिचालन पर मास्टर परिपत्र (1 जुलाई 2008 का परिपत्र सं.बैंपविवि.एफएसडी.बीसी.6/24. 01.011/2008-09) के पैरा 5 (ग) के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि उनके पास रैंडम जांच और 'मिस्टरी शॉपिंग' की एक प्रणाली होनी चाहिए, ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि उनके एजेंटों को उचित रूप से जानकारी दी गयी है तथा उन्हें सावधानी और सतर्कतापूर्वक अपनी जिम्मेदारियां निभाने का प्रशिक्षण दिया गया है, विशेषकर मास्टर परिपत्र में शामिल पहलुओं के संबंध में, जैसे ग्राहक बनाना, कॉल करने का समय, ग्राहक की जानकारी की प्राइवेसी, दिए जाने वाले उत्पादों पर नियम और शर्तों की सही जानकारी प्रदान करना आदि।
V शिकायत
निवारण
15.कॉल सेंटर कर्मचारियों का प्रशिक्षण बैंकों को चाहिए कि वे अपने कॉल सेंटर कर्मचारियों को, जो वर्तमान में केवल दैनंदिन शिकायतों को देखने में ही सक्षम हैं, ठीक तरह से प्रशिक्षित करने के प्रयास करें। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके कॉल सेंटर कर्मचारियों को ग्राहकों की सभी शिकायतों को कुशलता से संभालने के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया जाता है।
  16. अनसुलझी शिकायतों में वृद्धि बैंकों में एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जो कॉल सेंटर से अनसुलझी ऐसी शिकायतों को, जिनमें उच्च स्तर का हस्तक्षेप अपेक्षित हो,अपने आप उच्च अधिकारियों के पास दे। बैंकों के पास एक एसी प्रणाली होनी चाहिए जो कॉल सेंटर से अनसुलझी शिकायतों को अपने आप उच्च अधिकारियों को प्रेषित कर दे। इस तरह की प्रणाली का विवरण बैंकों की वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक डोमेन में रखा जाना चाहिए।
VI
सिबिल मुद्दे
17. सिबिल / क्रेडिट सूचना कंपनियों को रिपोर्टिंग यह वांछनीय है कि बैंक सिबिल/मास्टर कार्ड अंतर्राष्ट्रीय नकारात्मक सूची को रिपोर्टिंग करने की एक समान विधि अपनाएं। बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड परिचालन पर दिनांक 1 जुलाई 2008 के मास्टर परिपत्र(परिपत्र सं.डीबीओडी.एफ़एसडी.बीसी.6/24.01.011/2008-2009) के पैरा 6.2 (ग) के अनुसार सिबिल या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिकृत किसी अन्य क्रेडिट सूचना रिपोर्टिंग कंपनी को किसी क्रेडिट कार्ड धारक के डिफ़ॉल्ट की स्थिति रिपोर्ट करने से पहले बैंकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित प्रक्रिया का पालन करें। कार्डधारक को चूककर्ता के रूप में क्रेडिट सूचना कंपनी को रिपोर्ट करने के इरादे के बारे में उस कार्ड धारक को पर्याप्त समय रहते नोटिस जारी करना इस प्रक्रिया में शामिल है। इस प्रक्रिया में इस तरह की रिपोर्टिंग के लिए नोटिस अवधि के साथ-साथ उस अवधि को भी शामिलकिया जाना चाहिए जिसके भीतर यदि ग्राहक अपना बकाया चुका देगा तो उस रिपोर्ट को चूककर्ता घोषित होने के बाद भी वापस ले लिया जाएगा। इन प्रक्रियाओं को एमआईटीसी के भाग के रूप में पारदर्शी तरीके से बताया जाना चाहिए। उपर्युक्त अनुदेशों को दोहराया जाता है।
VII अन्य 18. टेलीमार्केटरों का पंजीकरण बैंकों को ट्राई द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने सभी टेलीमार्केटर्स को दूरसंचार विभाग के साथ पंजीकृत कराना है तथा ट्राई की नेशनल डू नॉट कॉल रजिस्ट्री पर भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों का निष्ठापूर्वक पालन करना है। बैंकों को इस संबंध में अनुदेश दिनांक 3 जुलाई 2007 के भारतीय रिजर्व बैंक केपरिपत्र सं. डीबीओडी. एफ़एसडी.बीसी.19/24.01.011/2007-2008 द्वारा पहले ही जारी किए गए जा चुके हैं। बैंक उपर्युक्त अनुदेशों का निष्ठापूर्वक पालन करें।
  19. सीसीटीवी से सभी एटीएम मशीनों का कवरेज बैंकों को सूचित किया जाए कि एटीएम वाले सभी स्थानों को सीसीटीवी से कवर करें ताकि आहरण करने वाले व्यक्ति की पहचान निर्धारित की जा सके। बैंक एटीएम वाले सभी स्थानों को सीसीटीवी से कवर करने पर विचार करें ताकि एटीएम से नकदी आहरित करने वाले व्यक्ति की पहचान निर्धारित की जा सके। इसके अलावा, एटीएम पर तैनात सुरक्षा कर्मचारी को इस संबंध में पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया जाए।
  20. क्रेडिट कार्ड को बंद करने के लिए अनुरोध पर तुरंत कार्रवाई किया जाना। क्रेडिट कार्ड को बंद करने के लिए किए गए अनुरोध पर बैंक द्वारा तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। क्रेडिट कार्ड को बंद करने के लिए किए गए अनुरोध पर बैंक द्वारा तुरंत कार्रवाई की जानीचाहिए, बशर्ते कार्डधारक द्वारा सम्पूर्ण बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाए।
  21. खो गए कार्ड को ब्लॉक करना ग्राहक द्वारा सूचित किए जाने पर खो गए कार्ड को तुरंत ब्लॉक किया जाना चाहिए और प्राथमिकी दर्ज कराने सहित किसी भी अन्य औपचारिकता का उचित अवधि के भीतर बाद में पालन किया जा सकता है। बैंकों को सूचित किया जाता है कि ग्राहक द्वारा सूचित किए जाने पर खो गए कार्ड को तुरंत ब्लॉककरें और प्राथमिकी दर्ज कराने सहित किसी भी अन्य औपचारिकता का उचित अवधि के भीतर बाद में पालन किया जा सकता है।
  22. खो गए कार्ड से संबंधित बकाया राशि के संबंध में बीमा कवर बैंक खो गए कार्ड से संबंधित देयता या ग्राहकों के विकल्प के अनुसार दायित्व को सीमित करने के संबंध में बीमा कवर शुरू करने पर विचार कर सकते हैं। बैंक ग्राहकों के विकल्प के अनुसार खो गए कार्ड से उत्पन्न देयता केनिपटान के लिए बीमा कवर शुरू करने पर विचार कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, केवल उन कार्डधारकों को खो गए कार्ड के संबंध में एक उचित बीमा कवर प्रदान किया जाना चाहिए जो प्रीमियम की लागत वहन करने के लिए तैयार हों।

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