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व्यापार ऋणों हेतु वचन-पत्रों (एल.ओ.यू) तथा चुकौती आश्वासन-पत्रों (एल.ओ.सी) को समाप्त करना

भा.रि.बैंक/2017-18/139
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 20

13 मार्च 2018

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक

महोदया/महोदय,

व्यापार ऋणों हेतु वचन-पत्रों (एल.ओ.यू) तथा चुकौती आश्वासन-पत्रों (एल.ओ.सी) को समाप्त करना।

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I (ए.डी. श्रेणी–I) बैंकों का ध्यान दिनांक 01 नवंबर 2004 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 24 के पैराग्राफ 2 तथा “बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारी तथा प्राधिकृत व्यापारी से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेना तथा उधार देना” विषय पर जारी एवं समय-समय पर संशोधित दिनांक 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.5 के पैराग्राफ 5.5 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार ए.डी. बैंकों को प्रत्यायोजित शक्तियों के तहत वे आयात पर दिये जाने वाले व्यपार ऋणों हेतु वचन-पत्र (एल.ओ.यू) / चुकौती आश्वासन-पत्र (एल.ओ.सी)/ गारंटीयां जारी कर सकते हैं।

2. मौजूदा दिशा-निर्देशों की समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि भारत में आयात पर दिये जाने वाले व्यपार ऋणों हेतु प्राधिकृत व्यापारी (ए.डी.) श्रेणी-I बैंकों द्वारा वचन-पत्र (एल.ओ.यू) / चुकौती आश्वासन-पत्र (एल.ओ.सी) जारी करने की प्रथा को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए। तथापि भारत में आयात पर दिये जाने वाले व्यपार ऋणों हेतु साख-पत्र तथा बैंक गारंटियाँ जारी करना जारी रहेगा, बशर्ते कि इस संबंध में बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा “गारंटियाँ और सह-स्वीकृतियाँ” विषय पर दिनांक 1 जुलाई 2015 को जारी मास्टर परिपत्र सं.बैंविवि.सं.डीआईआर.बीसी. 11/13.03.00/2015-16 में दिए गए प्रावधानों का अनुपालन किया जाए।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों एवं ग्राहकों को अवगत कराएं।

4. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए ऊपर उल्लिखित 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश सं.5 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। ये परिवर्तन इस परिपत्र को जारी करने की तिथि से लागू होंगे।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।

भवदीय

(अजय कुमार मिश्र)
मुख्य महाप्रबंधक

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