बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति
भारतीय रिज़र्व बैंक भारिबैंक/2009-10/456 11 मई 2010 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक महोदया/महोदय बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (एडी श्रेणी -।) बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) से संबंधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 5 और 02 मार्च 2010 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 39 की ओर आकर्षित किया जाता है । 2. नीति की समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियों (आइएफसीएस) अर्थात् रिज़र्व बैंक द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियों के रूप में वर्गीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीएस) के संबंध में मौजूदा बाह्य वाणिज्य उधार नीति में आशोधन किया जाए। मौजूदा मानदंडों के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियों को मौजूदा बाह्य वाणिज्य उधार नीति में यथा परिभाषित संरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) क्षेत्र को आगे उधार देने के लिए अनुमोदन मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्य उधार लेने के लिए अनुमति दी गयी है । मौजूदा क्रियाविधियों के उदारीकरण के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियों को बकाया बाह्य वाणिज्य उधारों सहित, स्वचालित मार्ग के तहत उनके निजी निधियों के 50 प्रतिशत तक बाह्य वाणिज्य उधार लेने के लिए अनुमति दी जाए बशर्ते वे इस संबंध में पहले से ही लागू विवेकपूर्ण दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियों द्वारा उनके निजी निधियों के 50 प्रतिशत से ऊपर बाह्य वाणिज्य उधार लेने के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन आवश्यक होगा और अतएव यह उधार अनुमोदन मार्ग के तहत समझा जाएगा। पदनामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक स्व-चालित और अनुमोदन, दोनों मार्गों के तहत बाह्य वाणिज्य उधार संबंधी आवेदनों को प्रमाणित करते समय मौजूदा मानदंडों का पालन सुनिश्चित करें। 3. बाह्य वाणिज्य उधार नीति के सभी अन्य पहलू , जैसे स्वचालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार का पुन:वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था यथावत् रहेंगी । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों और संबंधित ग्राहकों को अवगत कराएं । 5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय सलीम गंगाधरन |