बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति
भारिबैंक/2009-10/334 02 मार्च 2010 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (एडी श्रेणी -।)बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) से संबंधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 5, 2 जनवरी 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 46, 30 जून 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 71 और 9 दिसंबर 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 19 के पैराग्राफ 2 (iv) की ओर आकर्षित किया जाता है । 2. वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति के अनुसार, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसीएस) जो केवल संरचना क्षेत्र के लिए वित्तपोषण करती हैं, को मौजूदा बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति में यथा परिभाषित संरचना क्षेत्र को आगे उधार देने के लिए अनुमोदन मार्ग के तहत अंतर्राष्ट्रीय बैंकों सहित मान्यताप्राप्त उधारदाता श्रेणी से बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) लेने के लिए अनुमति दी गयी है । 3. संरचना क्षेत्र के विकास को दी गयी गति को देखते हुए, 12 फरवरी 2010 के परिपत्र डीएनबीएस.पीडी.सीसी. सं.168/03.02.089 में निहित दिशा-निर्देशों के अनुसार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीएस) की एक अलग श्रेणी अर्थात् इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनी (आइएफसीएस) बनायी गयी है । स्थापित की गयी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीएस) की नई श्रेणी को देखते हुए उपर्युक्त पैराग्राफ 2 में किये गये प्रबंध आवश्यक प्रतीत नहीं होते हैं । तदनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियों (आइएफसीएस), जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है, द्वारा संरचना क्षेत्र को आगे उधार देने के लिए अनुमोदन मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) के लिए प्रस्तावों पर विचार किया जाए बशर्ते वे निम्नलिखित शर्तें पूर्ण करते हैं : i) गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उपर्युक्त 12 फरवरी 2010 में निर्धारित मानदंड पूर्ण करना; ii) करेसी जोखिम का पूर्ण बचाव ; और iii)प्रस्तावित बाह्य वाणिज्य उधार सहित कुल बकाया बाह्य वाणिज्य उधार, निजि निधियों के 50 प्रतिशत से अधिक न हो । 4. बाह्य वाणिज्य उधार नीति के सभी अन्य पहलू , जैसे स्वचालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार का पुन:वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था तथा ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्रों में निर्धारित शर्ते यथावत् रहेंगी । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999का42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है । भवदीय सलीम गंगाधरन |