RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79081954

बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति की समीक्षा

आरबीआइ/2009-10/252
ए.पी.(डी आइ आर सिरीज़)परिपत्र सं.19

9 दिसंबर, 2009

सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदय / महोदया

बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति की समीक्षा

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित 2 जनवरी,2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.46 और 28 अप्रैल,2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.64 तथा 30 जून,2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.71 की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. वर्तमान समष्टि आर्थिक परिस्थितियों और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार की गतिविधियों की समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के कुछ पहलुओं को निम्नवत् आशोधित किया जाए:-

(i) समग्र लागत सीमा

वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अनुसार, अनुमोदित मार्ग के तहत अब से आगे, दिसंबर 2009 तक के लिए समग्र लागत सीमा समाप्त कर दी गई है । अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ऋण-बाजार के हालातों तथा क्रय-विक्रय की दरों के अंतर में कमी की समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि 1 जनवरी 2010 से अनुमोदित मार्ग के तहत समग्र लागत सीमा समाप्त कर दी जाए। तद्नुसार, जहाँ कहीं अनुमोदित मार्ग के तहत ऋण करार 1 जनवरी 2010 को अथवा उसके बाद किए गये हैं , बाह्य वाणिज्यिक उधारों की समग्र लागत सीमाएं निम्नवत् होंगी :

औसत परिपक्वता

समग्र लागत सीमाएं-छ: माह से ऊपर लिबोर *

तीन वर्ष से पांच वर्ष तक

300 आधार अंक

पांच वर्ष से अधिक

500 आधार अंक

* उधार की संबंधित करेंसी अथवा लागू बेंचमार्क के लिए

जहां बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए उधारकर्ता ने 31 दिसंबर 2009 को अथवा उससे पहले ऋण करार कर लिया है,और समग्र लागत उपर्युक्त सीमाओं से अधिक हो , ऋण करार की एक प्रति प्रस्तुत की जाये। अनुमोदित मार्ग के तहत ऐसे प्रस्तावों पर विचार करना जारी रहेगा।

(ii) एकीकृत शहरी क्षेत्र

वर्तमान नीति के अनुसार, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा जारी प्रेस नोट 3(2002 श्रंञखला) में यथा परिभाषित एकीकृत शहरी क्षेत्र के विकास का कारोबार करनेवाली कंपनियों को अनुमोदन मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार अनुमत है। वर्तमान परिस्थितयों की समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि अनुमोदन मार्ग के तहत चालू नीति को 31 दिसंबर,2009 तक बढ़ा दी जाये। ऊपर संदर्भित ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र में निर्धारित अन्य नियम व शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी ।

(iii) विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉडों की वापसी-खरीद

13 मार्च, 2009 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.58 के साथ पठित 8 दिसंबर,2008 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.39 और 28 अप्रैल, 2009 ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.65 के अनुसार, भारतीय कंपनियों को अनुमोदन मार्ग तथा स्वत: अनुमोदन मार्ग , दोनों के ही अंतर्गत अपने विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉडों की वापसी-खरीद की अनुमति है । वर्तमान समष्टि आर्थिक स्थितियों और वैश्विक गतिविधियों , विशेषकर स्टॉक दरों में सुधार को ध्यान में रखते हुए यह निणर्य लिया गया है कि यह 1 जनवरी, 2010 से सुविधा समाप्त कर दी जाए ।

(iv) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार

प्रचलित बाह्य वाणिज्यिक उधार मापदंडों के अनुसार,उन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को,जो कि विशेष रूप से बुनियादी सुविधा क्षेत्र के वित्तपोषण में लगी हैं , बहुपार्श्विक/क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं तथा बुनियादी सुविधा क्षेत्र के उधारकर्ताओं को आगे कर्ज देने वाली सरकार के स्वामित्व की विकास वित्तीय संस्थाओं से अनुमोदन मार्ग अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार उगाहने की अनुमति है। बुनियादी सुविधा क्षेत्र की बढती हुई मांग को देखते हुए यह निणर्य लिया गया है कि विशेष रूप से बुनियादी सुविधा क्षेत्र के वित्तपोषण में लगी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को,अंतर्राष्ट्रीय बैंकों सहित,मान्यताप्राप्त उधारदाता श्रेणी से , भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित विवेकपूर्ण मानकों के अनुपालन के अधीन तथा उधार लेने वाली कंपनियों द्वारा अपनी करीं जोखिम का पूर्णतया बचाव करते हुए,अनुमोदन मार्ग अंतर्गत तत्काल प्रभाव से बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति दी जाए । प्राधिकृत व्यापारी बैंक,उधार लेने वाली बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विवेकपूर्ण मानकों का अनुपालन प्रमाणित करें।

(V) दूर संचार क्षेत्र के स्पेक्ट्रम के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार

वर्तमान नीति के अनुसार, 22 अक्तूबर 2008 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.26 में यथा निर्दिष्ट , 3-जी स्पेक्ट्रम का लाइसेंस/परमिट लेने के लिए किये गये भुगतान का,बाह्य वाणिज्यिक उधार के प्रयोजन से,अनुमोदन मार्ग अंतर्गत पात्र प्रयोजनपरक माना जाएगा ।अब यह निर्णय लिया गया है कि दूर संचार क्षेत्र के पात्र उधारकर्ताओं को स्पेक्ट्रम-विनिधान के प्रयोजन हेतु बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमतिदी जाए। यह परिवर्तन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

3. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य पहलू जैसे कि पात्र उधारकर्ता,स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति ऊधार कर्ता कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डालर की सीमा, मान्यताप्राप्त उधारदाता, औसत परिपक्वता अवधि, समग्र लागत सीमा, पूर्व भुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था जैसे बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य पहलू अपरिवर्तित रहेंगे।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 की 42) धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानुन के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोन यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

 (सलीम गंगाधरन)
प्रभारी -मुख्य महा प्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?