बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति – सेवाओं, तकनीकी जानकारी का आयात तथा लाइसेंस फीस - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति – सेवाओं, तकनीकी जानकारी का आयात तथा लाइसेंस फीस
भारिबैंक/2012-13/552 26 जून 2013 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- I बैंक महेदया/महोदय बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति – सेवाओं, तकनीकी जानकारी का आयात तथा लाइसेंस फीस प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी- I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000 और 1 अगस्त 2005 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, पात्र उधारकर्ता पूँजीगत माल के आयात (विदेश व्यापार नीति में डीजीएफटी द्वारा यथा वर्गीकृत), नयी परियोजनाओं, रियल सेक्टर में मौजूदा उत्पादन इकाईयों के आधुनिकीकरण/विस्तार के लिए – लघु और मध्यम दर्जे के उपक्रमों सहित औद्य़ोगिक क्षेत्र, बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के तहत यथा परिभाषित संरचनात्मक (इंफ्रास्ट्रक्चर) क्षेत्र और होटल, अस्पताल और सॉफ्टवेयर कंपनियों जैसी सेवा क्षेत्र की इंकाइयां (कंपनियां) निवेश के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकते/सकती हैं। 3. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि विनिर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में उपयोग के लिए कंपनियों द्वारा पूँजीगत माल के आयात के भाग के रूप में, सेवाओं के आयात, तकनीकी जानकारी के आयात तथा लाइसेंस फीस के भुगतान का समावेश, स्वचालित/अनुमोदन मार्ग, जैसी भी स्थिति हो, बाह्य वाणिज्यिक उधार के अनुमत अंतिम उपयोग के रूप में किया जाए बशर्ते: (i) सेवा प्रदाता और उधारकर्ता कंपनी के बीच विधिवत हस्ताक्षरित करार हो; (ii) करार में दी गई भुगतान अनुसूची के अनुसार सेवा प्रदाता द्वारा तैयार की गई मूल इनवाइस उधारकर्ता कंपनी द्वारा विधिवत प्रमाणित हो; (iii) आयातक का इस आशय का घोषणा पत्र हो कि सेवाओं के आयात पर होने वाले समग्र व्यय का पूँजीकरण किया जाएगा; (iv) आयातक का इस आशय का घोषणा पत्र हो कि सेवाओं के आयात पर होने वाला समग्र व्यय परियोजना लागत का भाग होगा; और (v) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को लेनदेन की वास्तविकता (bonafides) सुनिश्चित करनी होगी। 4. बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी दिशानिर्देशों में किए गए उल्लिखित संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति संबंधी सभी अन्य पहलू यथा पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था, आदि अपरिवर्तित बने रहेंगे। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 6. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 10 (4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अधीन वांछित किसी अन्य अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय (रुद्र नारायण कर) |