बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति - बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तीयन और ऋण की अवधि का पुनर्निर्धारण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति - बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तीयन और ऋण की अवधि का पुनर्निर्धारण
भारिबैंक/2011-12/520 20 अप्रैल 2012 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महेदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति - बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों का ध्यान, समय - समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 3/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 और 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तीयन नये बाह्य वाणिज्यिक उधार लेकर किया जा सकता है बशर्ते लिए गए नए बाह्य वाणिज्यिक उधार की समग्र लागत कम दर पर की गयी हो । 3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार के पुनर्वित्तीयन/ऋण की अवधि के पुनर्निर्धारण हेतु उधारकर्ता, अनुमोदन मार्ग के तहत उच्चतर समग्र लागत पर बाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकते हैं बशर्ते बढ़ी हुई समग्र लागत मौजूदा दिशानिर्देशों में विनिर्दिष्ट समग्र उच्चतम लागत से अधिक न हो । 4.बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी नीति में किए गए संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू और समीक्षाधीन होंगे । बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति संबंधी सभी अन्य पहलू यथावत बने रहेंगे । 5. 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन, जहाँ कहीं आवश्यक हैं, अलग से जारी किए जा रहे हैं । 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |