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बाह्य वाणिज्यिक उधार – संशोधित प्रारूप

भा.रि.बैंक/2015-16/349
ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं॰ 56

30 मार्च 2016

सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया / महोदय

बाह्य वाणिज्यिक उधार – संशोधित प्रारूप

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 30 नवंबर 2015 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं॰ 32 और बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारी तथा प्राधिकृत व्यापारियों से भिन्न अन्य व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने और देने से संबन्धित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 5 के पैराग्राफ सं॰ 1,8, 2.2, 2.4.1, 2.4.2, 2.4.5, 2.4.6, और 2.16 xiii की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. विद्यमान बाह्य निधियन स्रोतों पर विचार विमर्श करते हुए, विशेषत: दीर्घावधि उधार देने तथा देश के इनफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के परामर्श से बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी मौजूदा दिशा-निर्देशों की समीक्षा की गयी है। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार के प्रारूप में निम्नलिखित बदलाव किए जाएँ :

  1. इनफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियां, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां - इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियां, एनबीएफसी-आस्ति वित्त कंपनियां, होल्डिंग कंपनियां और कोर निवेश कंपनियां भी इस प्रारूप के ट्रैक-I के अंतर्गत 5 वर्षों की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि के साथ 100 प्रतिशत हेजिंग के अधीन बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाने के लिए पात्र होंगी।

  2. बाह्य वाणिज्यिक उधार के प्रयोजन के लिए एक्स्प्लोरेशन, खनन और रिफाइनरी क्षेत्र, जो इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की हार्मोनाइज्ड सूची में शामिल नहीं हैं, परंतु ईसीबी के पूर्ववर्ती प्रारूप के अंतर्गत जो बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए पात्र थे, ( संदर्भ : दिनांक 18 सितंबर 2013 का ए.पी. (डीआईआर सीरीज़ परिपत्र सं॰ 48) को इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र माना जाएगा और उपर्युक्त (i) के अंतर्गत वे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए लागू बाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकेंगे।

  3. इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियां ट्रैक-I के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार से प्राप्त आगम राशि का उपयोग इस ट्रैक के तहत अनुमत अंतिम उपयोग (end use) तक करेंगी। तथापि, एनबीएफसी-आईएफसी और एनबीएफसी-एएफसी को केवल इंफ्रास्ट्रक्चर के वित्तपोषण के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाने की अनुमति दी जाएगी ।

  4. होल्डिंग कंपनियां तथा सीआइसी कंपनियाँ बाह्य वाणिज्यिक उधार से प्राप्त आगम राशि का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की स्पेशल पर्पज वेहीकल को आगे उधार देने (ऑन-लेंडिंग) के लिए करेंगी ।

  5. उपर्युक्त कंपनियों के लिए स्वचालित मार्ग के तहत उधार लेने की व्यक्तिगत सीमा इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियों को लागू सीमा के समान होगी। (फिलहाल यह सीमा 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।)

  6. बाह्य वाणिज्यिक उधार के ट्रैक-II प्रारूप में निहित भुगतान शर्तों के अधीन रहते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की कंपनियां, होल्डिंग कंपनियां और सीआइसी कंपनियाँ बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाने की सुविधा प्राप्त करती रहेंगी।

3. ट्रैक-I के तहत अंतर्विष्ट की गई कंपनियों के पास अपने निदेशक बोर्ड द्वारा अनुमोदित जोखिम प्रबंधन नीति होनी चाहिए। आगे, नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को सत्यापित करना होगा कि बाह्य वाणिज्यिक उधार की मुद्रा की शत-प्रतिशत हेजिंग संबंधी आवश्यकताओं का अनुपालन किया गया है और भारतीय रिजर्व बैंक को ECB-2 विविरणियों के माध्यम से स्थिति रिपोर्ट की जाती है।

4॰ दिनांक 30 नवंबर 2015 के उक्त परिपत्र के माध्यम से घोषित बाह्य वाणिज्यिक उधार के प्रारूप में आगे यह भी स्पष्ट किया गया है कि :

  1. नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, उन्हें प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत पूर्ववर्ती बाह्य वाणिज्यिक उधार प्रारूप के अंतर्गत जुटाये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के पुनर्वित्त की अनुमति दे सकते हैं, बशर्तें पुनर्वित्त समग्र न्यूनतम लागत पर हो, उधारकर्ता विद्यमान वाणिज्यिक उधार प्रारूप के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाने के लिए पात्र हो और शेष परिपक्वता अवधि कम नहीं की गयी हो (अर्थात या तो वह बरकरार रखी गयी हो या बढायी गयी हो)

  2. बाह्य वाणिज्यिक उधार का प्रारूप पंजीकृत विदेशी संविभाग निवेशकों (RFPI) द्वारा भारत में अपरिवर्तनीय डिबेंचरों में निवेश के संबंध में लागू नहीं होगा।

  3. विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड़ों, विदेशी मुद्रा विनिमेय बांड़ों की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि 5 वर्ष है, फिर चाहे उधार की राशि कितनी भी हो। साथ ही, विदेशी मुद्रा विनिमेय बांड़ों के लिए कॉल और पुट विकल्प, यदि कोई हो, तो 5 वर्ष से पहले वह कार्यान्वित नहीं होगा।

  4. रिज़र्व बैंक के विनियामक दायरे के अंतर्गत आनेवाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ही बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाने की अनुमति है। इसके साथ ही ट्रैक-III के अंतर्गत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित नियामक विभाग की अनुमति के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर सहित किसी भी गतिविधि हेतु आगे उधार देने के उद्देश्य से बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटा सकती हैं।

  5. नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को प्रदत्त शक्तियों संबधी प्रावधान विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड़ों, विदेशी मुद्रा विनिमेय बांड़ों के संबंध में लागू नहीं हैं।

  6. बाह्य वाणिज्यिक उधार के फार्मों में ‘बैंक ऋणों' को ‘ऋणों” के रूप में पढ़ा जाएगा क्योंकि बैंकों के अलावा विदेशी ईक्विटी धारक / संस्थाएं भी मान्यताप्राप्त उधारदाता के रूप में बाह्य वाणिज्यिक उधार उपलब्ध कराती हैं

5. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य सभी पहलू अपरिवर्तनीय बने रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों (Constituents) और ग्राहकों को अवगत कराएं।

6. दिनांक 01 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं॰ 5 को इन परिवर्तनों को प्रतिबिम्बित करने के लिए तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 ( 1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीय

शेखर भटनागर
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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