बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) नीति – गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ - इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियाँ (NBFC-IFCs) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) नीति – गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ - इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियाँ (NBFC-IFCs)
भारिबैंक/2012-13/367 07 जनवरी 2013 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) नीति – गैर-बैंकिंग प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों-इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों के संबंध में बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECBs) नीति से संबंधित 11 मई 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 51 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, रिज़र्व बैंक द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों (IFCs) के रूप में वर्गीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसीएस) तथा जो गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के 12 फरवरी 2010 के परिपत्र डीएनबीएस. पीडी. सीसी. सं. 168/03.02.089/2009-10 में विनिर्दिष्ट मानदंडों को पूर्ण करती हैं, को बकाया बाह्य वाणिज्यिक उधारों (ईसीबीएस) सहित, स्वचालित मार्ग के तहत उनकी स्वाधिकृत निधियों के 50 प्रतिशत तक बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए अनुमति दी गयी है। इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों (IFCs) द्वारा उनकी स्वाधिकृत निधियों के 50 प्रतिशत से ऊपर के बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के मामलों पर अनुमत मार्ग के तहत विचार किया जाता है। अनुमत अंतिम उपयोग, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के तहत यथा परिभाषित इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को आगे उधार देने के लिए किया जाना चाहिए। इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों (IFCs) को अपने संपूर्ण मुद्रा जोखिमों को भी हेज (Hedge) करना चाहिए। 3. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)- इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों (आइएफसीएस) को बकाया बाह्य वाणिज्य उधारों सहित, स्वचालित मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) लेने के लिए उनकी स्वाधिकृत निधियों के 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया जाए। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)-इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों (आइएफसीएस) द्वारा उनकी स्वाधिकृत निधियों के 75 प्रतिशत से ऊपर के बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) लेने के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन आवश्यक होगा एवं इसे अनुमोदन मार्ग के तहत समझा जाएगा। 4. यह भी निर्णय लिया गया है कि मुद्रा जोखिमों हेतु एक्स्पोज़र की 100 प्रतिशत हेजिंग संबंधी अपेक्षा को घटाकर उसे एक्स्पोज़र की 75 प्रतिशत तक कर दिया जाए। 5. नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक स्चवालित और अनुमोदन दोनों मार्गों के तहत बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) के आवेदनपत्र प्रमाणित करते समय मौजूदा मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करें। नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक अनुमोदन मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की इच्छुक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)-इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों (IFCs) के ऐसे प्रस्ताव भारतीय रिज़र्व बैंक को अग्रसारित करते समय उनके लीवरेज़ अनुपात (leverage ratio) (अर्थात बाह्य देयाताएं/स्वाधिकृत निधियाँ) को प्रमाणित करना जारी रखें। 6. संशोधित बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी और वह इस संबंध में प्राप्त अनुभव के आधार पर समीक्षा के अधीन है। 7. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू यथा पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, औसत परिपक्वता अवधि, समग्र लागत, स्वचालित मार्ग के तहत अधिकतम अनुमत सीमा, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बने रहेंगे। 8. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें। 9. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीया, (डा.सुजाता एलिज़ाबेथ प्रसाद) |