बाह्य वाणिज्यिक उधार - क्रियाविधि सरल बनाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार - क्रियाविधि सरल बनाना
भारिबैं/2011-12/169 07 सितंबर 2011 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार - क्रियाविधि सरल बनाना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (एडी श्रेणी I) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 3 / 2000 - आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000, और बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार क्रियाविधि के अनुसार, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए उधार दाता के परिवर्तन संबंधी अनुरोध प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा आवश्यक अनुमोदन के लिए रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किये जाने आवश्यक हैं। 3. मौजूदा क्रियाविधि को सरल बनाने के उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि अब से पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को मान्यताप्राप्त उधार दाता में परिवर्तन करने के संबंध में किए गए अनुरोध को अनुमोदित करने के अधिकार होंगे जहाँ मूल उधार दाता कोई अंतरराष्ट्रीय बैंक अथवा कोई बहु-पक्षीय वित्तीय संस्था (जैसे आइएफसी, एडीबी, सीडीसी, आदि) अथवा क्षेत्रीय वित्तीय संस्था अथवा सरकार के स्वामित्व वाली विकास वित्तीय संस्था अथवा निर्यात ऋण एजेंसी अथवा उपकरण के सप्लायर हो और यह प्रत्यायोजन उन नये उधार दाता के संबंध में भी लागू होंगे जो उल्लिखित श्रेणियों में से कोई होगा, बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी निम्नलिखित शर्तें सुनिश्चित करें:-
4. तथापि, विदेशी ईक्विटी धारक और विदेशी सहयोगी के मामले में, मान्यताप्राप्त उधार दाता में परिवर्तन की जाँच रिज़र्व बैंक द्वारा की जाती रहेगी । 5. मान्यताप्राप्त उधार दाता में परिवर्तन सांख्यिकीय और सूचना प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को फॉर्म 83 में तत्परता से रिपोर्ट किये जाएं। 6. बाह्य वाणिज्यिक उधार दिशा-निर्देशों में संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू, जैसे स्व-चलित मार्ग के तहत प्रति कंपनी प्रति वित्तीय वर्ष 500 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, अंतिम उपयोगकर्ता, समग्र लागत सीमा, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुन:वित्त पोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था यथावत् रहेंगे । 7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 8. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीया, (रश्मि फौजदार) |