बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)-क्रियाविधि को सरल बनाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)-क्रियाविधि को सरल बनाना
भारिबैंक/2011-12/366 25 जनवरी 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)-क्रियाविधि को सरल बनाना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । (प्रा.व्या. श्रेणी - ।) बैंकों का ध्यान, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) विनियमावली, 2000 तथा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) संबंधी क्रियाविधि के अनुसार सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम), भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दी गयी ऋण पंजीकरण संख्या (LRN) रद्द करने अथवा मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) हेतु अनुमत अंतिम उपयोग में परिवर्तन के लिए किया गया अनुरोध प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक को आवश्यक अनुमोदन/मंजूरी हेतु प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है । 3. मौजूदा क्रियाविधि को सरल बनाने के उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधारकर्ताओं से प्राप्त निम्नलिखित अनुरोधों के संबंध में अनुमति देने के लिए नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को, विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन, अधिकार प्रत्यायोजित किये जाएं : ए) ऋण पंजीकरण संख्या (LRN) को रद्द करना स्वचालित और अनुमोदन दोनों मार्गों के तहत लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों संबंधी ऋण पंजीकरण संख्या (LRN) रद्द करने हेतु, नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) से सीधे ही संपर्क कर सकते हैं, बशर्ते निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हों :- (i) उसी एलआरएन के विरुद्ध कोई ऋण आहरित (draw down) न किया गया हो; और (ii) संबंधित एलआरएन के संबंध में, अद्यतन मासिक ईसीबी-2 विवरणियां, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम), को प्रस्तुत की गयी हों । बी) बाह्य वाणिज्यिक उधार राशि के अंतिम-उपयोग में परिवर्तन नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक, स्वचालित मार्ग के तहत लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के अंतिम-उपयोग में परिवर्तन हेतु बाह्य वाणिज्यिक उधारकर्ताओं से प्राप्त अनुरोधों को, निम्नलिखित शर्तों के अधीन, अनुमोदन प्रदान कर सकते हैं:- (i) प्रस्तावित अंतिम-उपयोग मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार स्वचालित मार्ग के तहत अनुमति योग्य हों; (ii) बाह्य वाणिज्यिक उधार की अन्य शर्तों में कोई परिवर्तन न हों; (iii) बाह्य वाणिज्यिक उधार मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार हों; और (iv) एलआरएन के संबंध में आज की तारीख तक (अद्यतन) मासिक ईसीबी-2 विवरणियां सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) को प्रस्तुत की गयी हों । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक, उक्त आगम राशि के अंतिम उपयोग की निगरानी करते रहेंगे तथा अंतिम-उपयोग में परिवर्तन, फॉर्म 83 में, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम), भारतीय रिज़र्व बैंक को तत्परता से रिपोर्ट करेंगे । तथापि, अनुमोदन मार्ग के तहत लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के अंतिम-उपयोग में हुए परिवर्तन, अब तक की भांति, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को संदर्भित/प्रस्तुत करना जारी रखे जाएंगे । 4. बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशानिर्देशों में उपर्युक्त संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू यथा स्वचालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति कंपनी 750 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, समग्र उच्चतम लागत, औसत परिपक्वता अवधि, अवधि पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बने रहेंगे । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |