बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के माध्यम से वित्तीय समावेशन - व्यवसाय प्रतिनिधियों का उपयोग - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के माध्यम से वित्तीय समावेशन - व्यवसाय प्रतिनिधियों का उपयोग
भारतीय रिजर्व बैंक/2013-14/653 24 जून 2014 सभी घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के माध्यम से वित्तीय समावेशन- कृपया 1 अप्रैल 2014 को घोषित पहले द्वि-मासिकमौद्रिक नीति वक्तव्य 2014-15 का पैरा 26 देखें जिसमें यह कहा गया है कि ‟चौथे स्तंभ वित्तीय समावेशन पर पिरामिड के सबसे निचले स्तर पर लोगों के लिए ऋण के प्रवाह को तेज़ करने और नई हस्तियों की बीसी के रूप में संभाव्य नियुक्ति सहित व्यवसाय प्रतिनिधियों (बीसी) के संपर्क क्षेत्र के विस्तार पर मोर समिति की सिफारिशों की जांच की जा रही है।” 2. मोर समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए व्यवसाय प्रतिनिधि की नियुक्ति पर मौजूदा दिशा-निर्देशोंकी निम्नानुसार समीक्षा की गयी: i) पात्र व्यक्ति/संस्था वर्तमान निर्देशों के अनुसार, बैंकों द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त करने की अनुमति नहीं है। यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन जमाराशि न लेनेवाली एनबीएफसी (एनबीएफसी-एनडी) को व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त करने की अनुमति दी जाए: क) यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि व्यवसाय प्रतिनिधि के रुप में नियुक्त एनबीएफसी- एनडी की निधि तथा बैंक की निधि आपस में न मिले। ख) बैंक और एनबीएफसी-एनडी के बीचएक विनिर्दिष्ट संविदात्मक व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पारस्परिक हितों में किसी टकराव की संभावना न हो। ग) बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एनबीएफसी-एनडी कोई प्रतिबंधक प्रणाली नहीं अपना रहा है जैसे केवल अपने ग्राहकों को ही बचत या प्रेषण सुविधा देना। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए एनबीएफसी एनडी और बैंकों की सेवाएँ आपस में अनिवार्य रूप से जुड़ी हुई नहीं हैं। ii) दूरी मानदंड 28 सितंबर 2010 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.स. बीएल बीसी 43/22.01.009/2010-11 के अनुसार, बैंकों द्वारा व्यवसाय प्रतिनिधियों के खुदरा आउटलेट/उप-एजेंट के परिचालन और गतिविधियों पर पर्याप्त पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रत्येक खुदरा आउटलेट/उप-एजेंट को बैंक की एक विनिर्दिष्ट शाखा के पर्यवेक्षण के अंतर्गत रखना आवश्यक है। इस शाखा को आधार शाखा कहा जाएगा तथा व्यवसाय प्रतिनिधि के खुदरा आउटलेट/उप-एजेंटके कारोबार के स्थान और आधार शाखा के बीच की दूरी साधारणतःग्रामीण,अर्द्ध शहरी और शहरी क्षेत्रों में 30 किलोमीटर और महानगरीय केंद्रों में 5 किमी से अधिक नहीं होनी चाहिए। दूरी मापदंड में छूट की आवश्यकता की स्थिति में जिला परामर्शदात्री समिति (डीसीसी) / राज्य स्तरिय बैंकर्स समिति (SLBC)कम बैंक वाले क्षेत्रों आदि के संबंध में गुणवत्ता के आधार पर विचार कर सकती हैं और छूट के लिए अनुमति दे सकती हैं।बैंकों को परिचालनात्मक स्वतंत्रता देने के विचार से तथा बैंकिंग क्षेत्र के तकनीकी विकास को ध्यान में रखते हुए, दूरी मानदंड से संबंधित शर्तो को हटाने का निर्णय लिया गया है। तथापि, वर्तमान दूरी मानदंड को संशोधित करने के सबंध में निर्णय लेने के लिए, व्यवसाय प्रतिनिधि की नियुक्ति के संबंध में बोर्ड अनुमत नीति तैयार करते समय, बैंकों को व्यवसाय प्रतिनिधि के पर्याप्त पर्यवेक्षण तथा ग्राहकसेवा के प्रावधान के उद्देश्यों को ध्यान में रखना चाहिए। 3. बैंक, व्यवसाय प्रतिनिधियों की नियुक्ति तथा कामकाजसे उत्पन्न होनेवाले प्रतिष्ठा से संबंधी संभाव्य जोखिमों का निवारण करने के लिए कदम उठाना जारी रखें। 4 बीसी मॉडल के संबंध में अन्य सभी निर्देश अपरिवर्तित रहेंगे। भवदीय (लिली वडेरा) |