भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश- ईक्विटी शेयरों/पूर्णत: और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों/पूर्णत: और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचरों के अंतरण के लिए रिपोर्टिंग प्रणाली - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश- ईक्विटी शेयरों/पूर्णत: और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों/पूर्णत: और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचरों के अंतरण के लिए रिपोर्टिंग प्रणाली
भारिबैंक/2013-14/577 2 मई 2014 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश- प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान निम्नलिखित मौजूदा अनुदेशों की ओर आकृष्ट किया जाता है: ए. 6 सितंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.38 के अनुसार कोई अनिवासी [जिसमें अनिवासी भारतीय शामिल है], जिसने भारतीय़ प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) [शेयरों के भारी मात्रा में अर्जन और टेकओवर (एसएएसटी)] विनियमावली के अनुसार भारतीय कंपनी के शेयर अर्जित किए हैं तथा उसमें नियंत्रण बनाए हुए है, को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत किसी स्टाक एक्स्चेंज से किसी ब्रोकर के जरिए ऐसी कंपनी के शेयर अर्जित करने की अनुमति दी गई है; बी. 22 अप्रैल 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.63 के पैराग्राफ 4 के अनुसार प्रतिफल राशि की प्राप्ति की तारीख से 60 दिनों के भीतर फार्म एफसी-टीआरएस प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। विनिर्दिष्ट समय में फार्म एफसी-टीआरएस की प्रस्तुति की जिम्मेदारी अंतरणकर्ता/अंतरिती, जो भी भारत का निवासी हो, को दी गई है। इसके अलावा, वर्तमान प्रथा के अनुसार, विनिर्दिष्ट 60 दिनों की अवधि के बाद प्राप्त फार्म एफसी-टीआरएस को प्रमाणित करने से पूर्व प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय से अनुमोदन देने का अनुरोध करते हैं; सी. 4 अक्तूबर 2004 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.16 के संलग्नक के पैराग्राफ 6.4 के अनुसार, बैंक के आईडीबी/विदेशी मुद्रा विभाग अथवा नोडल कार्यालय को शाखाओं द्वारा किए गए सभी लेनदेनों एवं शाखाओं से प्राप्त फार्म एफसी-टीआरएस की प्रतियों सहित समेकित मासिक विवरण साफ्ट प्रति (एमएस-एक्सेल) के रूप में विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी निवेश प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को प्रस्तुत करना होता है। 2. समीक्षा करने पर, अब यह निर्णय लिया गया है कि : ए. इस प्रक्रिया को युक्तियुक्त बनाने के लिए, उन मामलों में जहां अनिवासी भारतीय सहित अनिवासी निवेशक उक्त 6 सितंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 38 के अनुसार किसी स्टाक एक्स्चेंज से शेयर अर्जित करता है, वहां निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी फार्म एफसी-टीआरएस प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक को प्रस्तुत करेगी। बी. परिचालनात्मक सुगमता उपलब्ध कराने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि फार्म एफसी-टीआरएस विनिर्दिष्ट समय के बाद (विलंब से) प्रस्तुत करने के मामलों में उन्हें नियमित करने के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं और सभी अन्य मामलों में फार्म एफसी-टीआरएस की जांच वर्तमान प्रणाली के अनुसार प्राधिकृत व्यापारी स्तर पर की जाती रहेगी। सी. प्राधिकृत व्यापारी बैंक 4 अक्तूबर 2004 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.16 के पैराग्राफ 6.4 में किए गए विनिर्देशन के अनुसार समेकित रिपोर्टिंग अपेक्षा का अनुपालन करते रहेंगे। 3. ये दिशानिर्देश इस परिपत्र की तारीख से लागू होंगे। 4. 4 अक्तूबर 2004 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.16, 22 अप्रैल 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.63 और 6 सितंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.38 में निहित सभी अन्य शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी। 5. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत कराएं । 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |