विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999
भारतीय रिजर्व बैंक भा.रि.बैं/2004-05/154 1 सितंबर 2004 विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्रों की संलग्न सूची की ओर आकर्षित किया जाता है। 2. इन परिपत्रों में यह उल्लेख था कि विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे थे। अब भारतीय रिज्रव बैंक द्वारा आवश्यक संशोधन जारी कर दिये गये हैं और सरकार द्वारा शासकीय राजपत्र में, संलग्नक में यथा निर्दिष्ट , अधिसूचित किया गया है। इनमें से प्रत्येक अधिसूचना की एक प्रति संलग्न है। 3. सभी प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने सभी संबंधित घटकों तता ग्राहकों को अवगत कराएं। 4. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अधीन जारी किये गये हैं। भवदीया (ग्रेस कोसी) संलग्नक (1 सितंबर 2004 का ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं,9 ) के तहत जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली,2000 में संशोधन
भारतीय रिजर्व बैंक 23 अप्रैल,2004 की जी.एस.आर.सं.278-भाग-II- खंड-3-उप खंड-(i) दिनांक:6 मार्च,2004 अधिसूचना फेमा.111/2004-आरबी/ विदेशी मुद्रा प्रबंध - (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 47 की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (ख) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा दिनांक 18 जून 2003 की अधिसूचना सं. फेमा 94/2003-आरबी के साथ पठित दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000 में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा , समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000, में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्, संक्षिप्त नाम और प्रारंभ1. (i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली 2004 कहलायेंगे। (ii) ये सरकारी राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से लागू होगे । 2.विनियमावली में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000में अनुसूची 1 में संलग्नक " आ " में , मद 20 के बाद निम्नलिखित मद जोड़ा जाएगा । " 21.कोई अन्य क्षेत्र / कार्यकलाप)-100 %( यदि संलग्नक अ में शामिल न किया गया हो) (श्यामला गोपीनाथ) पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक 3 मई , 2000 के जी.एस.आर. सं.406( ई) में भाग-II , खंड 3, उप खंड (i) में प्रकाशित की गई है और तत्पश्चात् उसे निम्नवत् संशोधित किया गया है :-
भारतीय रिजर्व बैंक 23 अप्रैल,2004 की जी.एस.आर.सं.279-भाग- खंड-3-उप खंड-(1) अधिसूचना फेमा.114/2004-आरबी/ दिनांक: 13 मार्च,2004 विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात)(संशोधन) विनियमावली, 2004 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 7 की उप-धारा (1) के खंड(क) और उप-धारा (3) , धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई , 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 23/2000 आरबी में आंशिक आशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद् द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 में निम्नलिखित संशोधन करता है , अर्थात् :- 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (क) ये विनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) (संशोधन) विनियमावली, 2004 कहलायेंगे । (ख) ये सरकारी राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से लागू होगे । 2.विनियमों में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 में विनियम 17 में निम्नलिखित संशोधन किये जायेंगे , अर्थात् :- (i) उप विनियम (1) के खंड (ख) के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् "ख) " कि विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को प्रस्तुत किये जाने वाले किसी घोषणा को इसके पूर्वानुमोदन के लिए प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत किया जाएगा जो परिस्थितियों के अनुसार दी जा सकती है अथवा रोक दी जा सकती है अथवा समय- समय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी निदेशों द्वारा विनिर्दिष्ट परिस्थतियों के अधीन दी जा सकती है "। (ii) उप -विनियम (2) के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् "(2) भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उप -विनियम(1) के अधीन कोई निदेश नहीं दिया जायेगा तथा जब तक निर्यातक को इस संबंध में अभ्यावेदन देने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिया जाता है , इस उप -विनियम के खंड (ख) के अधीन प्राधिकृत व्यापारी द्वारा कोई अनुमोदन रोका नहीं जाएगा।" (श्यामला गोपीनाथ ) पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली 3 मई ,2000 के जीएसआर. सं.409 (ई)के अनुसार सरकारी राजपत्र में भाग II, खंड3, उप खंड (i) में प्रकाशित की गई थी और तत्पश्चात् संशोधित किए गए देखें :-
भारतीय रिजर्व बैंक 8 जून,2004 की जी.एस.आर.सं.351-भाग- खंड-3-उप खंड-(i) अधिसूचना फेमा.115/2004-आरब ी / दिनांक:25 मार्च,2004 विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपये में उधार लेना अथवा देना) (संशोधन) विनियमावली, 2004 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 6 की उप-धारा 3 के खंड (घ) और धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 4/2000-आरबी, में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपये में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में संशोधन करने के लिए निम्नलिखित विनियम बनाता है, अर्थात् :, संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (i) ये विनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपये में उधार लेना अथवा देना)(संशोधन) विनियमावली, 2004 कहलायेंगे। (ii) ये सरकारी राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से लागू होगे। 2. विनियमों में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपये में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 के विनियम 7 में निम्नलिखित संशोधन किये जायेंगे, अर्थात् :, (i) शीर्षक को "अनिवासियों को रुपये में ऋण " से प्रतिस्थापित किया जायेगा। (ii) उप-विनियम (आ) के बाद निम्नलिखित उप-विनियम जोड़ा जायेगा । "(इ) प्राधिकृत व्यापारी के निदेशक मंडल की ऋण -नीति के अनुसार किसी भी प्रयोजन के लिए बशर्ते ; (क) ऋण अकेले या किसी और के साथ में निम्नलिखित के लिए उपयोग में नहीं लाया जायेगा । (i) चिट-फंड के कारोबार के लिए अथवा, (ख) ऐसे अग्रिमों के संबंध में, भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशों का विधिवत् अनुपालन किया जायेगा ; (श्यामला गोपीनाथ) पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली 3 मई ,2000 के जीएसआर. सं.387(ई) के अनुसार राजकीय राजपत्र में भाग II, खंड 3, उप- खंड (i)में प्रकाशित की गई थी और तत्पश्चात् 27 नवंबर 2000 की जीएसआर. सं.90(ई) और 20 अगस्त 2002 की जीएसआर सं.754(ई) द्वारा संशोधित की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक 8 जून,2004 की जी.एस.आर.सं.352(ई)-भाग- खंड-3-उप खंड-(i) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 7 की उप-धारा (1) के खंड(क) और उप-धारा (3) , धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और 3 मई , 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 23/2000) में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद् द्वारा समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 में निम्नलिखित संशोधन करता है , अर्थात् :- 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (i) ये विनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2004 कहलायेंगे । (ii) येसरकारीराजपत्रमेंप्रकाशनकीतारीखसेलागू होगे।2. विनियमों में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 में विनियम 4 में निम्नलिखित संशोधन किये जायेंगे , अर्थात् :-(i) खंड "घ " में, " मूल्य में पच्चीस हजार रुपये " शब्दों के लिए " मूल्य में पच्चीस हजार अमरीकी डॉलर " शब्दों को प्रतिस्थापित किया जाएगा, (ii) खंड "ङ " में, " मूल्य में एक लाख रुपये " शब्दों के लिए " मूल्य में पांच लाख रुपये " शब्दों को प्रतिस्थापित किया जाएगा । (श्यामला गोपीनाथ) पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली 3 मई ,2000 के जीएसआर. सं.409(ई) के अनुसार राजकीय राजपत्र में भाग II, खंड 3, उप- खंड (i)में प्रकाशित की गई थी और तत्पश्चात् 27 फरवरी 2001 की जीएसआर. सं.199(ई), 01 अप्रैल 2002 की जीएसआर सं. 473(ई) 27 अगस्त 2003 की जीएसआर सं.773(ई) और 29 अक्तूबर 2003 की जीएसआर सं. 900(ई) के द्वारा संशोधित की गई है। |