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विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2016

भा.रि.बैंक/2016-17/93
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.11 [(1)/14(आर)]

20 अक्तूबर 2016

सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2016

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या.श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान दिनांक 16 मई 2000 के ए.डी. (एम.ए. सीरीज़) परिपत्र सं.11 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें प्राधिकृत व्यापारियों को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (जिसे इसके पश्चात अधिनियम कहा गया है) के तहत जारी विभिन्न विनियमों, नियमों, अधिसूचनाओं/ निदेशों के बारे में सूचित किया गया था। भारत सरकार के परामर्श से, समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2000; विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा प्राप्ति और उन्हें भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2000 एवं विदेशी मुद्रा प्रबंध (नेपाल अथवा भूटान के निवासी व्यक्तियों के साथ भारतीय रुपये में लेनदेन) विनियमावली, 2000 का निरसन करते हुए 03 मई 2016 की अधिसूचना सं.जी.एस.आर.480(ई) के मार्फत जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2016 के द्वारा उन्हें अधिक्रमित किया गया है।

इसके अलावा सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या.श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित ‘माल और सेवाओं का निर्यात’ विषय पर जारी 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.16/2015-16 तथा ‘माल और सेवाओं के आयात’ पर जारी 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.17/2015-16 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है।

अधिसूचित की गई नई विनियमावली का सारांश नीचे दिया गया है :

2. विदेशी मुद्रा प्राप्ति का तरीका

(1) प्राधिकृत व्यापारी विदेश से विप्रेषण के माध्यम से अथवा भारत से किए गए निर्यात के लिए प्राप्त भुगतान हेतु भारत से बाहर की उसकी शाखा अथवा तदनुरूपी बैंक से प्रतिपूर्ति के माध्यम से अथवा किसी अन्य भुगतान के लिए निम्नवत रूप से विदेशी मुद्रा प्राप्त कर सकते हैं:

ए. एशियाई समाशोधन संघ (ACU) के सदस्य -

(i) बांग्लादेश, म्यांमार, पकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव गणराज्य -

(ए) पात्र माल और सेवाओं के निर्यात मूल्य की प्राप्ति उस सदस्य देश, जिसमें लेनदेन की दूसरी पार्टी निवासी हो, के भारत स्थित बैंक के ‘एशियाई समाशोधन संघ (ACU) डॉलर खाते’ और/ अथवा ‘एशियाई समाशोधन संघ (ACU) यूरो खाते’ को नामे करके अथवा उस सदस्य देश में प्रधिकृत व्यापारी के प्रतिनिधि बैंक के पास रखे उसके 'एशियाई समाशोधन संघ (ACU) डॉलर खाते' और / अथवा ‘एशियाई समाशोधन संघ (ACU) यूरो खाते’ में जमा करके की जाएगी;

(बी) पात्र माल और सेवाओं के निर्यात से भिन्न अन्य सभी मामलों में प्राप्ति किसी मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में भी की जा सकती है;

(सी) भारत से म्यांमार को निर्यात के संबंध में भुगतान किसी मुक्त रूप में परिवर्तनीय मुद्रा में अथवा म्यांमार से ‘एशियाई समाशोधन संघ (ACU)’ प्रणाली से प्राप्त किया जा सकता है।

(ii) नेपाल और भूटान -

(ए) रुपये में प्राप्ति की जा सकती है;

(बी) भारत से नेपाल को किए गए निर्यात के लिए प्राप्ति किसी मुक्त रूप से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में की जा सकती है, बशर्ते नेपाल में निवासी आयातक को नेपाल राष्ट्र बैंक द्वारा भुगतान मुक्त रूप से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में करने के लिए अनुमति दी गई हो। हालांकि, ऐसी प्राप्तियाँ एशियाई समाशोधन संघ (ACU) प्रणाली से नहीं की जाएंगी।

(iii) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान

(ए) पात्र माल और सेवाओं के निर्यात सहित अन्य सभी मामलों में प्राप्तियाँ किसी मुक्त रूप में परिवर्तनीय मुद्रा में और/ अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों के अनुसार होगी।

बी. ऊपर मद "ए" में वर्णित से भिन्न सभी अन्य देश :-

i) एशियाई समाशोधन संघ (ACU) के सदस्य देश से भिन्न किसी अन्य देश में स्थित बैंक खाते से रुपये में प्राप्ति।

ii) किसी मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में प्राप्ति।

(2) (i) भारत से निर्यात के मामले में, निर्यात फॉर्म में की गई घोषणा के अनुसार माल के अंतिम गंतव्य के अनुसार उचित मुद्रा में प्राप्ति की जाएगी भले ही क्रेता के निवास का देश कोई भी हो।

(ii) निर्यात के संबंध में, रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों के अनुसार विनिर्दिष्ट किसी अन्य तरीके से निर्यातगत आगम राशि प्राप्त की जा सकेगी।

(3) माल / सॉफ्टवेयर निर्यात का भुगतान, रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट शर्तों के अनुसार, किसी तीसरे पक्ष (क्रेता से भिन्न पार्टी) से प्राप्त किया जा सकता है।

4. निर्यात के लिए निम्न प्रकार से भी प्राप्तियां की जा सकती हैं :-

(i) क्रेता यदि भारत के दौरे पर है, तो उससे बैंक ड्राफ्ट, चेक, भुगतान आदेश, विदेशी करेंसी नोट/यात्री चेक के रूप में प्राप्ति की जा सकती है;

(ii) भारत में क्रेता द्वारा रखे एफ.सी.एन.आर./ एन.आर.ई. खाते को नामे (डेबिट) करके;

(iii) भारत में किसी क्रेडिट कार्ड सर्विसिंग बैंक के क्रेडिट कार्ड के माध्यम से रुपये में; बशर्ते क्रेता द्वारा क्रेडिट कार्ड की चार्ज स्लिप हस्ताक्षरित की जाए;

(iv) यदि प्रति निर्यात लेनदेन की राशि पंद्रह लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो प्राधिकृत व्यापारी के पास विनिमय गृह (एक्सचेंज हाउस) के नाम में धारित रुपया खाते से;

(v) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत व्यापारी/यों के लिए जारी निदेशों के अनुसार, जहाँ निर्यात भारत सरकार और विदेशी सरकार के बीच या किसी विदेशी सरकार की वित्तीय संस्था के साथ भारतीय निर्यात-आयात बैंक (EXIM Bank) द्वारा की गई ऋण (Credit) व्यवस्था के जरिये होता है।

(vi) विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) और निर्यातोन्मुख इकाइयों (EOU) में स्थित रत्न और जवाहरात के निर्यातक द्वारा किए गए निर्यात के समतुल्य कीमती धातुओं अर्थात स्वर्ण / चाँदी / प्लैटिनम के रूप में बशर्ते बिक्री संविदा में तत्संबंधी प्रावधान हो और निर्यात मूल्य संबन्धित EDF में घोषित किया गया हो।

(vii) (i) एवं (iii) के अतिरिक्त निर्यात से भिन्न प्रयोजन हेतु भारत में निवासी कोई व्यक्ति भारत से बाहर के डाकघर द्वारा जारी पोस्टल आर्डर अथवा ऐसे डाकघर के जरिए पोस्टल मनी आर्डर से भुगतान प्राप्त कर सकता है।

3. विदेशी मुद्रा में भुगतान का तरीका

(1) प्राधिकृत व्यापारी द्वारा भारत से विप्रेषण अथवा भारत में आयात के लिए भुगतान भारत से बाहर की अपनी शाखा अथवा तदनुरूपी बैंक को प्रतिपूर्ति के माध्यम से अथवा किसी अन्य भुगतान के लिए निम्नवत किया जाएगा:

(ए) एशियाई समाशोधन संघ (ACU) के सदस्य

(i) बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका और रिपब्लिक ऑफ मालदीव –

(ए) पात्र माल और सेवाओं के आयात के लिए सदस्य देश, जिसमें लेनदेन की दूसरी पार्टी निवासी हो, के भारत स्थित बैंक के ‘एशियाई समाशोधन संघ (ACU) डॉलर खाते/यूरो खाते में जमा कर के अथवा उस सदस्य देश में प्राधिकृत व्यापारी के कॉरिस्पोंडेंट बैंक में रखे एशियाई समाशोधन संघ (ACU) डॉलर /यूरो खाते को नामे कर के भुगतान किया जाएगा;

(बी) पात्र माल और सेवाओं के आयात के अलावा अन्य सभी मामलों में मुक्त रूप से परिवर्तनीय किसी मुद्रा में भी भुगतान किया जा सकता है;

(सी) म्यांमार से भारत को आयात के संबंध में, किसी मुक्त रूप में परिवर्तनीय मुद्रा में अथवा म्यांमार से ‘एशियाई समाशोधन संघ (ACU)’ प्रणाली के तहत भुगतान किया जा सकता है।

(ii) नेपाल और भूटान – रुपये में भुगतान किया जा सकता है;

(iii) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान -

ए) पात्र माल और सेवाओं के आयात के लिए भुगतान सहित सभी मामलों में किसी मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में और/ अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, प्राधिकृत व्यापारियों को जारी निदेशों के अनुसार होंगे।

बी) सभी अन्य मामलों में भुगतान, किसी मुक्त रूप में परिवर्तनीय मुद्रा में और / अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, प्राधिकृत व्यापारियों को जारी निदेशों के अनुसार होंगे।

बी. उपर्युक्त मद ए) में दिये गए देशों से भिन्न सभी देश -

i) एशियाई समाशोधन संघ (ACU) के सदस्य देश से भिन्न किसी अन्य देश में स्थित बैंक खाते से रुपये में भुगतान।

ii) मुक्त रूप में परिवर्तनीय किसी भी मुद्रा में भुगतान ।

(2) भारत में आयात के संबंध में -

(i) जहां माल एशियाई समाशोधन संघ (ACU) (नेपाल और भूटान से भिन्न) के किसी सदस्य देश से भेजा जाता है किन्तु आपूर्तिकर्ता एशियाई समाशोधन संघ (ACU) के सदस्य देशों से भिन्न किसी देश का निवासी है, वहाँ एशियाई समाशोधन संघ (ACU) के सदस्य देशों से भिन्न देश में स्थित बैंक खाते से रुपये में अथवा कसी भी मुक्त रूप से प्राइवर्तनीय मुद्रा में भुगतान प्राप्त किया जा सकता है।

(ii) सभी अन्य मामलों में, माल का शिपमेंट करने वाले देश के लिए उचित विदेशी मुद्रा में भुगतान किया जाएगा;

(iii) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार किसी अन्य तरीके से भुगतान किया जा सकेगा ।

(3) माल / सॉफ्टवेयर के आयात के लिए किसी तीसरे पक्ष (आपूर्तिकर्ता से भिन्न पार्टी) को भुगतान करने हेतु निम्नलिखित शर्तों के तहत अनुमति दी गई है:

(4) कतिपय मामलों में भुगतान का तरीका

(ए) माल के आयात का भुगतान आयातक द्वारा हस्ताक्षरित चार्ज-स्लिप पर उसके अंतरराष्ट्रीय कार्ड से विदेशी मुद्रा में / भारत स्थित क्रेडिट/ डेबिट कार्ड सर्विसिंग बैंक के अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट / डेबिट कार्ड से आतयतक द्वारा हस्ताक्षरित चार्ज-स्लिप पर रुपये में / भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर किए गए विनिर्देशन के अनुसार भुगतान किया जा सकता है; बशर्ते कि जिस लेनदेन के लिए भुगतान किया जाता है वह प्रचलित विदेश व्यापार नीति सहित अन्य प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करें।

(बी) भारत में निवासी कोई व्यक्ति निम्न प्रकार से भी भुगतान कर सकता है :

(i) भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति जो भारत के भ्रमण पर आते हैं, उनके रहने, खाने और संबन्धित सेवाओं अथवा वहां से भारत आने एवं जाने तथा भारत में भ्रमण पर हुए व्यय की पूर्ति रुपये में की जा सकती है;

(ii) विदेश व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 अथवा किसी अन्य विधि अथवा नियम अथवा विनियम जो उस समय लागू हों, के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा जारी किसी आदेश में लगाई गई शर्तों के तहत ऐसा व्यक्ति स्वर्ण अथवा चाँदी के किसी भी रूप में आयात के लिए प्रतिफल राशि का भुगतान क्रॉस-चेक अथवा क्रॉस बैंक-ड्राफ्ट द्वारा कर सकता है ;

(iii) भारत स्थित कोई कंपनी अथवा निवासी, अपने अनियत कालीन भारत से बाहर के निवासी निदेशक को कंपनी के कार्य से भारत दौरे पर आने के दौरान सिटिंग फीस अथवा कमीशन अथवा पारिश्रमिक, अथवा भारत आने और यहां से वापसी एवं भारत में यात्रा पर हुए व्यय का भुगतान कंपनी के अंतर्नियम और बहिर्नियम में विनिर्दिष्ट उपबंधों अथवा उसके साथ हुए करार अथवा कंपनी की सामान्य बैठक अथवा निदेशक बोर्ड की बैठक में पारित संकल्प के अनुसार रुपए में कर सकती है/ सकता है, बशर्ते ऐसे भुगतान हेतु लागू किसी विधि, नियम, विनियम, निदेश की अपेक्षाओं का विधिवत अनुपालन होता हो।

4. इस परिपत्र के पैराग्राफ 3.(4) के प्रावधानों के कारण ‘माल और सेवाओं के निर्यात’ पर जारी 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.17/2015-16 के पैराग्राफ बी.4 (iii) को तदनुसार संशोधित किया गया है एवं बी.4(iv) के रूप में एक नया पैरा अंतर्विष्ट किया गया है। उक्त संशोधनों को दर्शाने के लिए ‘माल और सेवाओं के निर्यात’ पर जारी 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.16/2015-16 को भी तदनुसार अद्यतन किया गया है।

5. नई विनियमावली को 02 मई 2016 की अधिसूचना सं. फेमा14(आर)/2016-आरबी के द्वारा अधिसूचित किया गया है; जो सरकारी राजपत्र में जी.एस.आर.सं.480(ई) के तहत 03 मई 2016 को प्रकाशित हुई थी और वह 02 मई 2016 से लागू हो गई है।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों एवं घटकों को अवगत कराएं।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीय

(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रंबधक

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