भारत में सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश
भारिबैंक/2013-14/556 7 अप्रैल 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारत में सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश कृपया पहली व्दिमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2014-15 का पैराग्राफ 24 देखें। 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 25 मार्च 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 112 एवं 12 जून 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 111 के साथ पठित 1 अप्रैल 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 94 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिनके अनुसार सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआईएस), अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (क्यूएफआईस) और दीर्घकालिक निवेशकों एवं सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए वर्तमान सीमा 30 बिलियन अमरीकी डालर है। उल्लिखित सीमा में से 5.5 बिलियन की उप-सीमा खजाना बिलों में निवेश के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा 29 जनवरी 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 99 के अनुसार उक्त कुल 30 बिलियन अमरीकी डालर की सीमा में से 10 बिलियन अमरीकी डालर की उप-सीमा सेबी के पास पंजीकृत दीर्घकालिक निवेशकों अर्थात सरकारी धन निधियों(SWFs), बहुउद्देश्यीय एजेंसियों, पेंशन/बीमा/धर्मादा निधियों और विदेशी केंद्रीय बैंकों द्वारा सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए उपलब्ध है। 3. समीक्षा करने पर, दीर्घकालिक निवेश के अंत: प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि पंजीकृत पोटफोलियो निवेशकों सहित सभी पात्र निवेशकों द्वारा विदेशी निवेश की अनुमति केवल उन सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों हेतु होगी जिनकी अवशिष्ट परिपक्वता अवधि एक वर्ष अथवा अधिक होगी और खजाना बिलों तथा सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियो में एक वर्ष से कम की परिपक्वता अवधि वाले वर्तमान निवेशों को परिपक्वता/बिक्रय करने पर कम करने (tapper off करने) की अनुमति दी जाएगी। सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में निवेश संबंधी संशोधित सीमा नीचे दी गई है:
4. इस संबंध में परिचालनात्मक दिशानिर्देश सेबी द्वारा जारी किए जाएंगे। 5. सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश संबंधी सभी अन्य वर्तमान शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी। 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |