स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस), 2015 - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस), 2015
भारिबै/2021-22/13 05 अप्रैल 2021 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय / महोदया स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस), 2015 भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक दिनांक 22 अक्टूबर 2015 के (स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015) मास्टर निदेश सं.बैविवि.आईबीडी.45/23.67.003/2015-16, में तत्काल प्रभाव से निम्नलिखित संशोधन करता है। एक नया उप-पैरा 1.3 (iii) सम्मिलित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: 2. "जीएमएस मोबिलाइजेशन, कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (जीएमसीटीए) - ज्वैलर्स / रिफाइनर जिन्हें बीआईएस द्वारा सीपीटीसी के रूप में प्रमाणित किया गया है और जो आईबीए द्वारा निर्धारित अतिरिक्त पात्रता शर्तों को पूरा करते हैं उन्हें प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमसीटीए के रूप में मान्यता दी जाएगी।" 3. मौजूदा उप-पैरा 2.1.1 (iii) को संशोधित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: “एसटीबीडी और एमएलटीजीडी पर मूलधन को स्वर्ण में दर्शाया जाएगा। हालांकि, जमा के समय स्वर्ण के मूल्य के संदर्भ में एसटीबीडी और एमएलटीजीडी पर ब्याज की गणना भारतीय रुपए में की जाएगी।” 4. मौजूदा उप-पैरा 2.1.1 (v) को संशोधित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: “योजना के तहत सभी जमा सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में किए जाएंगे। बशर्ते, अपने विवेक पर, बैंक विशेष रूप से बड़े जमाकर्ताओं से प्राधिकृत शाखाओं में स्वर्ण के जमा को स्वीकार कर सकते हैं। बैंकों के पास उन शाखाओं की पहचान करने के लिए एक बोर्ड अनुमोदित नीति होगी जो योजना के तहत जमा स्वीकार कर सकते हैं। नीति में अन्य बातों के साथ-साथ ऐसी शाखाओं की पहचान में शामिल प्रक्रियाओं और इसे देखने वाले सहयोगी कर्मचारियों के कौशल विकास का समावेश होगा । नीति प्रत्येक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों में उन शाखाओं की न्यूनतम संख्या जो प्राधिकृत शाखा है, की भी पहचान करेगी, जहाँ बैंक की उपस्थिति है। बशर्ते यह भी कि बैंक अपने विवेकानुसार जमाकर्ताओं को सीधे ऐसी शोधशालाओं में स्वर्ण जमा करने की अनुमति भी दे सकते हैं, जिनके पास अंतिम परख करने तथा जमाकर्ता को 995 परिशुद्धता वाले मानक स्वर्ण की जमा रसीद जारी करने की सुविधाएं हैं।” 5. मौजूदा उप-अनुच्छेद 2.1.1 (viii) को संशोधित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: “जिस दिन योजना के अधीन जमाकृत स्वर्ण पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, प्राधिकृत बैंक उस दिन स्वर्ण/यूएसडी दर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लंदन एएम निर्धारण को क्रॉस करके फाईनेंसियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) द्वारा घोषित रुपया-यूएस डॉलर संदर्भ दर पर स्वर्ण देयताओं और आस्तियों को भारतीय रुपये में रूपांतरित करेंगे। उपर्युक्त मूल्य में स्वर्ण के आयात के लिए लागू सीमाशुल्क को जोड़ कर स्वर्ण के अंतिम मूल्य को हासिल किया जाएगा। बाद की किसी भी मूल्यांकन तारीख को स्वर्ण के मूल्यांकन के लिए तथा योजना के अंतर्गत स्वर्ण के भारतीय रुपये में रूपांतरण के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाएगा।" 6. मौजूदा उप-अनुच्छेद 2.1.1 (ix) को संशोधित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: "जैसे ही योजना को लागू करने की नीति को प्राधिकृत बैंकों के निदेशक मंडल का अनुमोदन प्राप्त होता है, वे योजना में भाग लेने संबंधी अपना निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करेंगे। वे अपनी सभी शाखाओं द्वारा योजना के अंतर्गत स्वर्ण जुटाने संबंधी रिपोर्ट भी समेकित रूप में मासिक आधार पर अनुबंध - 2 में दिए गए प्रोफार्मा में आरबीआई को रिपोर्ट करेंगे । प्राधिकृत बैंक अनुबंध - 3 में दिए गए प्रारूप के अनुसार, अगले तीन महीनों मेंदेय मोचन रे का विवरण देते हुए विवरण प्रस्तुत करेंगे। अनुबंध 2 और 3 की जानकारी महीने के 7 वें दिन तक भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई के विनियमन विभाग को दी जाएगी।” 7. मौजूदा उप-पैरा 2.1.2 (i) को पढ़ने के लिए इस प्रकार संशोधित किया गया है: “किसी भी समय न्यूनतम जमा 10 ग्राम कच्चा स्वर्ण (बार, सिक्के, पत्थर और अन्य धातु को छोड़कर गहने) होगा। योजना के अंतर्गत जमा के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है.” 8. मौजूदा उप-पैरा 2.2.1 (iii) को संशोधित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: "आरबीआई के प्रयोज्य अनुदेशों के अनुसार जमाखाते में राशि जमा करने की तारीख से जमाओं पर सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाएं लागू होंगी। तथापि, नकद आरक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) तथा सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के अनुसार बैंकों द्वारा उनकी बहियों में धारित स्वर्ण का स्टॉक एएसएलआर अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए पात्र आस्ति होगा। आगे, नामित बैंकों द्वारा स्वर्ण उधार लेने (अन्य प्राधिकृत बैंकों द्वारा एसटीबीडी के तहत जुटाए गए स्वर्ण से) को अंतरबैंक देयता के रूप में माना जाएगा और इसलिए सीआरआर और एसएलआर से छूट दी जाएगी।.” 9. मौजूदा उप-पैरा 2.2.1 (vi) को संशोधित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: “इस परिपत्र के जारी होने की तारीख से, एसटीबीडी के संबंध में ब्याज को केवल भारतीय रुपए में ही अंकित और भुगतान किया जाएगा। परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार मोचन के समय प्रचलित स्वर्ण की कीमत के आधार पर जमा स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। इस संबंध में विकल्प जमाकर्ता द्वारा स्वर्ण जमा करते समय लिखित में दिया जाएगा, तथा वह अप्रतिसंहरणीय होगा। कोई भी अवधि-पूर्व मोचन प्राधिकृत बैंक के विवेकानुसार स्वर्ण या उसके बराबर भारतीय रुपये में किया जाएगा। इस परिपत्र के जारी होने से पहले किए गए सभी एसटीबीडी को उनके मौजूदा नियमों और शर्तों द्वारा अधिशासित किया जाएगा।” 10. मौजूदा उप-पैरा 2.2.2 (vii) को हटाया गया है "भारतीय रिज़र्व बैंक प्राधिकृत बैंकों के नाम पर स्वर्ण में अंकित स्वर्ण जमा खाते रखेगा, जो कि बदले में अलग-अलग जमाकर्ताओं के उप-खाते धारण करेंगे।" 11. नए उप-पैरा 2.4 (iii) को सम्मिलित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: “प्राधिकृत बैंक पर्याप्त संख्या में सीपीटीसी के साथ करार में प्रवेश करने के लिए कदम उठाएंगे।” 12. जीएमएस मोबिलाइजेशन, कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (जीएमसीटीए) पर नया पैरा 2.5 सम्मिलित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: i. ज्वैलर्स / रिफाइनर जो बीआईएस द्वारा सीपीटीसी के रूप में प्रमाणित हों और आईबीए द्वारा निर्धारित अतिरिक्त पात्रता शर्तों को पूरा करते हों, उन्हें प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमसीटीए के रूप में मान्यता प्राप्त समझा जा सकता है। ii. जीएमसीटीए के रूप में काम करने वाले ज्वैलर्स या रिफाइनर जमाकर्ताओं से प्राप्त स्वर्ण को परखेंगे और परिष्कृत करेंगे; प्राधिकृत बैंक के साथ द्वि-पक्षीय करार के अनुसार बैंकों के लिए परिष्कृत स्वर्ण की तिजोरी और संचलन करेंगे। iii. चूंकि जीएमसीटीए सीपीटीसी के कार्यों को निष्पादित करेगा, उपर्युक्त पैरा 2.4 पर उल्लिखित सीपीटीसी पर लागू होने वाले निदेश, जीएमसीटीए पर भी लागू होंगे। iv. प्राधिकृत बैंक जीएमसीटीए द्वारा निष्पादित स्वर्ण रखरखाव/ संग्रहण के कार्यों के लिए प्रोत्साहन / रखरखाव प्रभार के रूप में अधिकतम 1.5% का भुगतान करेंगे। 13. नया उप-पैरा 2.8.1 (iii) सम्मिलित किया गया है जिसे निम्न रूप में पढा जाएगा: “जीएमएल योजना में भाग लेने वाले अन्य प्राधिकृत बैंकों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन स्वर्ण उधर दें।“ (क) ब्याज दर: इन जमाओं से जुटाए गए स्वर्ण के अंतर-बैंक उधार पर ली जाने वाली ब्याज दर बैंकों द्वारा तय की जाएगी। (ख) चुकौती: सहभागी बैंकों द्वारा व्यक्त की गई सहमति के अनुसार चुकौती आईएनआर या स्थानीय स्रोत से (भारतीय माल सुपुर्दगी मानक) आईजीडीएस / एलजीडीएस (एलबीएमए माल सुपुर्दगी मानक) स्वर्ण में होगा। (ग) परिपक्वता काल: जैसा कि अंतर-बैंक उधार देने का उद्देश्य जीएमएल के तहत आभूषण निर्माताओं/ आभूषण निर्यातकों को स्वर्ण प्रदान करना है, स्वर्ण के अंतर-बैंक उधार का परिपक्वता काल 3 अप्रैल 2007 के हमारे परिपत्र डीबीओडी.सं.आईबीडी.बीसी.71/23.67.001/2006-07, विदेश व्यापार नीति और समय-समय पर संशोधित डीजीएफटी द्वारा जारी किए गए हैंडबुक के अनुसार होगा। 14. भारतीय रिज़र्व बैंक के ‘स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015’ पर दिनांक 22 अक्टूबर, 2015 के मास्टर निदेश डीबीआर.आईबीडी.45/23.67.003/2015-16 को उपरोक्त परिवर्तनों को शामिल करते हुए अद्यतन किया गया है। 15. मास्टर निदेश के अनुबंध-2 में दिए गए रिपोर्टिंग प्रारूप को संशोधित किया गया है और अनुबंध-3 को जोड़ा गया है। भवदीय (प्रकाश बलियारसिंह) |