स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 (28 अक्तूबर 2021 को अद्यतन किया) - आरबीआई - Reserve Bank of India
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स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 (28 अक्तूबर 2021 को अद्यतन किया)
इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:
- 2022-08-04
- 2021-10-28
- 2021-04-05
- 2019-08-16
- 2019-01-09
- 2018-06-07
- 2016-03-31
- 2016-01-21
भारिबैंक/2015-16/211 22 अक्तूबर 2015 स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 की धारा 35क के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा "स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस)" के संबंध में दिनांक 15 सितंबर 2015 को कार्यालय ज्ञापन एफ.सं.20/6/2015-एफटी के द्वारा जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसरण में भारतीय रिज़र्व बैंक इससे आश्वस्त होने पर कि यह लोक हित में है, एतद् द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर) यह निदेश जारी करता है। अध्याय – I 1.1 उद्देश्य जीएमएस, जो विद्यमान 'स्वर्ण जमा योजना (जीडीएस)' तथा 'स्वर्ण धातु ऋण योजना' (जीएमएल) को संशोधित करता है, का उद्देश्य देश की पारिवारिक इकाइयों तथा संस्थाओं द्वारा धारित स्वर्ण को गतिमान बनाना तथा उसके उत्पादक प्रयोजनों के लिए प्रयोग को सुगम बनाना है तथा दीर्घावधि में देश की स्वर्ण के आयात पर निर्भरता को कम करना है। 1.2 संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
1.3 परिभाषाएं इस निदेश में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, निम्नलिखित शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है:
अध्याय II 2.1 मूल विशेषताएं 2.1.1 सामान्य i. यह योजना मौजूदा स्वर्ण जमा योजना, 1999 का स्थान लेगी। तथापि, मौजूदा अनुदेशों के अनुसार यदि जमाकर्ताओं द्वारा अवधि-पूर्व आहरण नहीं किया गया, तो स्वर्ण जमा योजना के अंतर्गत बकाया जमाओं को परिपक्वता तक बने रहने की अनुमति दी जाएगी। ii. सभी प्राधिकृत बैंक योजना का कार्यान्वयन करने के लिए पात्र होंगे। iii. एसटीबीडी और एमएलटीजीडी पर मूलधन को स्वर्ण में दर्शाया जाएगा। हालांकि, जमा के समय स्वर्ण के मूल्य के संदर्भ में एसटीबीडी और एमएलटीजीडी पर ब्याज की गणना भारतीय रुपए में की जाएगी।2 iv. जमा करने के लिए पात्र व्यक्ति – निवासी भारतीय [व्यक्ति, हिंदू अविभक्त परिवार (एचयूएफ), स्वामित्व और भागीदारी फर्में,3 न्यास जिसमें म्यूचुअल फंड/ सेबी (म्युचुअल फंड) विनियमन के अंतर्गत पंजीकृत एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल हैं, कंपनियां, धर्मार्थ न्यास, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कोई अन्य संस्था]4 योजना के अंतर्गत जमा कर सकते हैं। योजना के अधीन दो या अधिक पात्र जमाकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से जमा करने की भी अनुमति है तथा ऐसे मामलों में जमाओं को ऐसे जमाकर्ताओं के नाम से खोले गए संयुक्त जमा खाते में जमा किया जाएगा। बैंक जमा खातों में संयुक्त परिचालन के संबंध में नामांकन सहित मौजूदा नियम इन स्वर्ण जमाओं पर भी लागू होंगे। v. योजना के अंतर्गत सभी जमाएं सीपीटीसी/जीएमसीटीए5 में की जाएंगी। योजना के तहत सभी जमा सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में किए जाएंगे। बशर्ते6, अपने विवेक पर, बैंक विशेष रूप से बड़े जमाकर्ताओं से प्राधिकृत शाखाओं में स्वर्ण के जमा को स्वीकार कर सकते हैं। बैंकों के पास उन शाखाओं की पहचान करने के लिए एक बोर्ड अनुमोदित नीति होगी जो योजना के तहत जमा स्वीकार कर सकते हैं। नीति में अन्य बातों के साथ-साथ ऐसी शाखाओं की पहचान में शामिल प्रक्रियाओं और इसे देखने वाले सहयोगी कर्मचारियों के कौशल विकास का समावेश होगा । नीति प्रत्येक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों में उन शाखाओं की न्यूनतम संख्या जो प्राधिकृत शाखा है, की भी पहचान करेगी, जहाँ बैंक की उपस्थिति है7 । बशर्ते यह भी कि बैंक अपने विवेकानुसार जमाकर्ताओं को सीधे ऐसी शोधशालाओं में स्वर्ण जमा करने की अनुमति भी दे सकते हैं, जिनके पास अंतिम परख करने तथा जमाकर्ता को 995 परिशुद्धता वाले मानक स्वर्ण की जमा रसीद जारी करने की सुविधाएं हैं8। vi. योजना के अंतर्गत जमाओं पर ब्याज का उपचय जमाकृत स्वर्ण के परिष्कार के बाद व्यापार योग्य स्वर्ण में रूपांतरित होने की तारीख से अथवा सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, में स्वर्ण की प्राप्ति के बाद 30 दिन, जो भी पहले हो, से प्रारंभ होगा। vii. सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, के द्वारा स्वर्ण की प्राप्ति की तारीख से शुरू होकर उस तारीख तक, जब जमा पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा में स्वीकार किए गए स्वर्ण को प्राधिकृत बैंक द्वारा सुरक्षित अभिरक्षा के लिए धारित मद माना जाएगा। viii. जिस दिन योजना के अधीन जमाकृत स्वर्ण पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, प्राधिकृत बैंक उस दिन स्वर्ण/यूएसडी दर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लंदन एएम निर्धारण को क्रॉस करके फाईनेंसियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल)9 द्वारा घोषित रुपया-यूएस डॉलर संदर्भ दर पर स्वर्ण देयताओं और आस्तियों को भारतीय रुपये में रूपांतरित करेंगे। उपर्युक्त मूल्य में स्वर्ण के आयात के लिए लागू सीमाशुल्क को जोड़ कर स्वर्ण के अंतिम मूल्य को हासिल किया जाएगा। बाद की किसी भी मूल्यांकन तारीख को स्वर्ण के मूल्यांकन के लिए तथा योजना के अंतर्गत स्वर्ण के भारतीय रुपये में रूपांतरण के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाएगा। ix. जैसे ही योजना को लागू करने की नीति को प्राधिकृत बैंकों के निदेशक मंडल का अनुमोदन प्राप्त होता है, वे योजना में भाग लेने संबंधी अपना निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करेंगे। वे अपनी सभी शाखाओं द्वारा योजना के अंतर्गत स्वर्ण जुटाने संबंधी रिपोर्ट भी समेकित रूप में मासिक आधार पर अनुबंध-2 में दिए गए प्रोफार्मा में आरबीआई को रिपोर्ट करेंगे10। प्राधिकृत बैंक अनुबंध-3 में दिए गए प्रारूप के अनुसार, अगले तीन महीनों मेंदेय मोचन रे का विवरण देते हुए विवरण प्रस्तुत करेंगे। अनुबंध 2 और 3 की जानकारी महीने के 7 वें दिन तक भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई के विनियमन विभाग को दी जाएगी।11 x. जीएमएस पर कर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार होगा12। xi. स्वर्ण की मात्रा ग्राम के तीन दशमलव अंकों तक व्यक्त की जाएगी13। xii. “सभी प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं, वेबसाइट और अन्य माध्यमों द्वारा योजना का पर्याप्त प्रचार करेंगे।”14 2.1.2 जमाओं को स्वीकार करना i. किसी भी एक समय में न्यूनतम जमा 1015 10 ग्राम कच्चा स्वर्ण (टिकिया (bars), सिक्के, नगों और अन्य धातुओं को छोड़ कर गहने) होगा। योजना के अंतर्गत जमा के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है। ii. योजना के अंतर्गत जमाकृत सभी स्वर्ण, चाहे सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में जमा किया हो या प्राधिकृत शाखाओं में, की परख सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में ही की जाएगी: बशर्ते, प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं में सीधे स्वीकार किया गया मानक अच्छी सुपुर्दगी स्वर्ण को सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में अग्नि-परख न करने के लिए स्वतंत्र हैं। 2.2 जमाओं के प्रकार निम्नलिखित के अनुसार दो भिन्न स्वर्ण जमा योजनाएं होंगी : 2.2.1 अल्पावधि बैंक जमा (एसटीबीडी) i. ऊपर पैरा 2.1.1 के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. अल्पावधि जमाओं को बैंक की तुलनपत्र पर देयता माना जाएगा। ये जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए (पुनर्निर्धारण (रॉल ऑवर) सुविधा के साथ) की जाएंगी। खंडित अवधि (उदा. 1 वर्ष 3 महीने; 2 वर्ष 4 महीने 5 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी/360* एआरआई की दर से शेष दिनों के ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर iii. आरबीआई के प्रयोज्य अनुदेशों के अनुसार जमाखाते में राशि जमा करने की तारीख से जमाओं पर सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाएं लागू होंगी। तथापि, नकद आरक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) तथा सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के अनुसार बैंकों द्वारा उनकी बहियों में धारित स्वर्ण का स्टॉक एएसएलआर अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए पात्र आस्ति होगा। आगे, नामित बैंकों द्वारा स्वर्ण उधार लेने (अन्य प्राधिकृत बैंकों द्वारा एसटीबीडी के तहत जुटाए गए स्वर्ण से) को अंतरबैंक देयता के रूप में माना जाएगा और इसलिए सीआरआर और एसएलआर से छूट दी जाएगी।17 iv. प्राधिकृत बैंक, उनके द्वारा निर्धारित न्यूनतम अवरुद्धता अवधि और दण्ड, यदि कोई हो, की शर्त पर अपने विवेकानुसार पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं। v. प्राधिकृत बैंक इन जमाओं पर ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। जमा खातों में ब्याज संबंधित नियत तारीखों पर जमा किया जाएगा तथा वह जमा के नियमों के अनुसार आवधिक रूप से अथवा परिपक्वता पर आहरणीय होगा। vi. 5 अप्रैल 2021 से, एसटीबीडी के संबंध में ब्याज को केवल भारतीय रुपए में ही अंकित और भुगतान किया जाएगा। परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार मोचन के समय प्रचलित स्वर्ण की कीमत के आधार पर जमा स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। इस संबंध में विकल्प जमाकर्ता द्वारा स्वर्ण जमा करते समय लिखित में दिया जाएगा, तथा वह अप्रतिसंहरणीय होगा। कोई भी अवधि-पूर्व मोचन प्राधिकृत बैंक के विवेकानुसार स्वर्ण या उसके बराबर भारतीय रुपये में किया जाएगा। इस परिपत्र के जारी होने से पहले किए गए सभी एसटीबीडी को उनके मौजूदा नियमों और शर्तों द्वारा अधिशासित किया जाएगा।18 2.2.2 मध्यम और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) i. ऊपर पैरा 2.1 के दिशानिर्देशों के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. इस श्रेणी के अंतर्गत जमाएं केंद्र सरकार की ओर से प्राधिकृत बैंक द्वारा स्वीकार की जाएंगी। सीपीटीसी द्वारा जारी रसीदों तथा प्राधिकृत बैंक द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्र में इसकी स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। iii. प्राधिकृत बैंकों के तुलन-पत्र में यह जमा प्रतिबिंबित नहीं होगा। यह केंद्र सरकार की देयता होगी और प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार की ओर से यह स्वर्ण जमा तब तक धारण करेंगे जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित व्यक्ति को इसका अंतरण नहीं किया जाता। iv. मध्यावधि और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) की अन्य विशेषताएं निम्नानुसार होंगीः19 (ए) परिपक्वता 20मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) 5-7 वर्ष तक किया जा सकता है तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) 12-15 वर्ष के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। खंडित अवधि (उदा. 5 वर्ष 7 महीने; 13 वर्ष 4 महीने 15 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। (बी) ब्याज दर • ऐसे जमाओं पर ब्याज दर समय समय पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की गई वर्तमान ब्याज दरें निम्नानुसार हैं: (i) मध्यम अवधि जमा पर – 2.25% प्रतिवर्ष • खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी / 360 * एआरआई की दर से शेष दिनों की ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर (सी) ब्याज भुगतान की आवधिकता इन जमाओं पर ब्याज भुगतान की आवधिकता वार्षिक है और हर वर्ष 31 मार्च को भुगतान किया जाएगा। जमाकर्ता के पास वार्षिक रूप से सामान्य ब्याज या परिपक्वता के समय संचयी ब्याज, ऐसे मामले में वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धित किया जाएगा, का भुगतान प्राप्त करने का विकल्प होगा। इस विकल्प का उपयोग जमा के समय किया जाएगा। (डी) न्यूनतम अवरुद्धता (लॉक इन) अवधि मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) को 3 वर्ष के बाद तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) को 5 वर्ष के बाद किसी भी समय आहरण की अनुमति है। (ई) अवधिपूर्व आहरण पर ब्याज अवरुद्धता अवधि के पश्चात् अवधि-पूर्व आहरण पर जमाकर्ता को अदा की जाने वाली राशि की गणना नीचे (अ) और (आ) में दर्शाए गए अनुसार की जाएगी: (अ) आहरण के दिन स्वर्ण जमा का वास्तविक बाजार मूल्य। (आ) जमा के समय स्वर्ण के मूल्य पर देय ब्याज निम्नानुसार है।21
(एफ़) लॉक-इन अवधि से पहले और बाद में जमाकर्ता की मृत्यु के मामले में जमा राशि के समय से पहले बंद होने पर ब्याज जमाकर्ता को देय राशि की गणना (ए) और (बी) की राशि के रूप में की जाएगी, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है: (ए) निकासी के दिन सोने की जमा राशि का वास्तविक बाजार मूल्य। (बी) लागू दर पर जमा की अवधि के लिए सोने के मूल्य पर देय ब्याज। (i) लॉक-इन अवधि से पहले: लागू ब्याज दर निम्न प्रकार होगा:
(ii) लॉक-इन अवधि के बाद: लागू ब्याज दर निम्न प्रकार होगा:
(जी) लॉक-इन अवधि से पहले और बाद में एमएलटीजीडी पर लिए गए ऋण के चूक के कारण जमा राशि को समय से पहले बंद करने पर ब्याज जमाकर्ता को देय राशि की गणना (ए) और (बी) की राशि के रूप में कीजाएगी, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है: (ए) निकासी के दिन सोने की जमा राशि का वास्तविक बाजार मूल्य। (बी) लागू दर पर जमा की अवधि के लिए सोने के मूल्य पर देय ब्याज। (i) लॉक-इन अवधि से पहले: लागू ब्याज दर निम्न प्रकार होगा:
(ii) लॉक-इन अवधि के बाद: लागू ब्याज दर निम्न प्रकार होगा:
v. एमएलटीजीडी के मामले में, परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार या तो मोचन के समय भारतीय रुपये में जमा स्वर्ण के बराबर राशि में अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी का अवधिपूर्व मोचन केवल भारतीय रुपये में होगा।22 जहां जमा का मोचन स्वर्ण में किया जाएगा; वहां जमाकर्ता से आनुमानिक मोचन राशि पर भारतीय रुपये में 0.2% की दर से प्रशासनिक प्रभार वसूला जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर उपचित ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के भारतीय रुपये में मूल्य के संदर्भ में की जाएगी तथा उसका भुगतान केवल नकद में किया जाएगा।23 vi. सरकार द्वारा अधिसूचित एजेंसियों द्वारा एमएलटीजीडी के अंतर्गत प्राप्त स्वर्ण की नीलामी की जाएगी तथा बिक्री आगम को भारतीय रिज़र्व बैंक में धारित सरकार के खाते में जमा किया जाएगा। vii. नीलामी के ब्योरे और लेखांकन प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाएंगे। viii. 24केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 05 नवंबर 2016 से अगली सूचना तक25 प्राधिकृत बैंकों को एमएलटीजीडी के लिए 1.5% की एक समान दर पर हैंडलिंग प्रभार (स्वर्ण की शुद्धता की जांच करने, परिष्करण, परिवहन, भंडारण तथा अन्य संबंधित लागतों सहित) तथा योजना के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये में राशि के 1% कमीशन का भुगतान किया जाए। स्पष्टीकरण: बैंकों को अदा किए जाने वाले प्रभारों और कमीशन की गणना के लिए जमा के समय प्रचलित कीमत के आधार पर जमा किए गए स्वर्ण के बराबर रुपये की गणना की जाएगी। 2.3 स्वर्ण जमा खाते खोलना ग्राहक पहचान के संबंध में स्वर्ण जमा खाते खोलना उन्हीं नियमों के अधीन होगा, जो अन्य किसी भी जमा खाते के संबंध में लागू हैं। ऐसे जमाकर्ता, जिनका प्राधिकृत बैंक में अन्य कोई खाता नहीं है, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित केवाईसी मानदंडों को पूरा करने के बाद, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में स्वर्ण सुपुर्द करने से पहले किसी समय प्राधिकृत बैंक में शून्य शेष के साथ स्वर्ण जमा खाता खोलेंगे। प्राधिकृत बैंक इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि जमाकर्ता जमा प्रमाणपत्र जारी करने की रसीद प्रस्तुत करता है या नहीं, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में स्वर्ण प्राप्त होने से 30 दिन के बाद एसटीबीडी या एमएलटीजीडी, जैसा भी मामला हो, में 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण की राशि जमा करेंगे, जैसाकि सीपीटीसी/ जीएमसीटीए से प्राप्त सूचना में सूचित किया गया हो। 2.4 संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र (सीपीटीसी)
2.5 जीएमएस मोबिलाइजेशन, कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (जीएमसीटीए)29
2.6 रिफाइनर को स्वर्ण का अंतरण
2.7 प्राधिकृत बैंक, रिफाइनर और सीपीटीसी के बीच त्रिपक्षीय करार
2.8 जीएमएस के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण का उपयोग करना 2.8.1 एसटीबीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण एसटीबीडी के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के उपयोग की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना प्राधिकृत बैंक i. भारत स्वर्ण सिक्के (आईजीसी) ढालने के लिए एमएमटीसी को, स्वर्णकारों को तथा जीएमएस में भाग लेने वाले अन्य प्राधिकृत बैंकों को स्वर्ण बेच सकता है; अथवा ii. भारत स्वर्ण सिक्के (आईजीसी) ढालने के लिए एमएमटीसी को तथा स्वर्णकारों को जीएमएल के अंतर्गत स्वर्ण उधार दे सकता है। iii. जीएमएल योजना में भाग लेने वाले अन्य प्राधिकृत बैंकों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन स्वर्ण उधर दें। (क) ब्याज दर: इन जमाओं से जुटाए गए स्वर्ण के अंतर-बैंक उधार पर ली जाने वाली ब्याज दर बैंकों द्वारा तय की जाएगी। (ख) चुकौती: सहभागी बैंकों द्वारा व्यक्त की गई सहमति के अनुसार चुकौती आईएनआर या स्थानीय स्रोत से (भारतीय माल सुपुर्दगी मानक) आईजीडीएस / एलजीडीएस (एलबीएमए माल सुपुर्दगी मानक) स्वर्ण में होगा। (ग) परिपक्वता काल: जैसा कि अंतर-बैंक उधार देने का उद्देश्य जीएमएल के तहत आभूषण निर्माताओं/ आभूषण निर्यातकों को स्वर्ण प्रदान करना है, स्वर्ण के अंतर-बैंक उधार का परिपक्वता काल 3 अप्रैल 2007 के हमारे परिपत्र डीबीओडी.सं.आईबीडी.बीसी.71/23.67.001/2006-07, विदेश व्यापार नीति और समय-समय पर संशोधित डीजीएफटी द्वारा जारी किए गए हैंडबुक के अनुसार होगा।31 2.8.2 एमटीएलटीजीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण
2.9 जोखिम प्रबंधन
2.10 सीपीटीसी, जीएमसीटीए और परिशोधनशालाओं पर निगरानी
अध्याय III 3.1.1 सामान्य
3.1.2 लगाया जानेवाला ब्याज प्राधिकृत बैंक जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए लगाई जाने वाली ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। 3.1.3 परिपक्वता अवधि जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए परिपक्वता अवधि विद्यमान जीएमएल योजना के ही समान होगी। अनुबंध 1 I. एक्सआरएफ जांच करने से पहले ग्राहक को लगाया जाने वाले शुल्क की सूचना दी जाएगी। II. स्वर्ण की शुद्धता के सत्यापन के प्रत्येक चरण पर और जमा के लिए परिचालनों और प्रक्रियाओं के लिए निम्नानुसार बीआईएस प्रमाणित शिष्टाचार (protocol) होगा:
1 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया। 2 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। संशोधन से पहले, यह "एसटीबीडी पर मूलधन और ब्याज को स्वर्ण में दर्शाया जाएगा" के रूप में पढ़ा जाता है। 3 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया। 4 दिनांक 9 जनवरी 2019 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.19/23.67.001/2018-19 द्वारा शामिल किया गया। 5 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया तथा और जहाँ भी उपयुक्त हो सीपीटीसी और रिफाइनर के साथ एमडी में उपयोग किया जाएगा। 6 “तथापि” शब्द को बदला गया है। 7 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 8 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया है। 9 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 10 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “रिपोर्टिंग- सभी प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमएस पर मासिक रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में आरबीआई को प्रस्तुत करनी होगी” पढ़ा जाता था। दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 11 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया।. 12 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 13 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 14 दिनांक 16 अगस्त 2019 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.13/23.67.001/2019-20 द्वारा शामिल किया गया है। 15 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 16 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 द्वारा संशोधि किया गया। संशोधन से पूर्व इसे “जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए की जाएंगी (एक वर्ष के गुणज में) तथा इसे उनकी तुलन-पत्र की देयता माना जाएगा” पढ़ा जाता था। 17 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया। 18 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 19 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 20 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “जमा 5-7 वर्ष की मध्यम अवधि अथवा 12-15 वर्ष की दीर्घावधि के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार द्वारा यथानिर्धारित अवरुद्धता अवधि तथा दण्ड, यदि कोई हो, के अधीन पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं पढ़ा जाता था 21 ब्याज गणना का उदाहरण निम्नानुसार है
22 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 23 दिनांक 31 मार्च 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.89/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे” अर्जित ब्याज सहित जमा का मोचन केवल स्वर्ण के मूल्य के समतुल्य भारतीय रुपये में होगा और संचित ब्याज मोचन के समय स्वर्ण के मौजूदा मूल्य के अनुसार होगा” पढ़ा जाता था। 24 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 25 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से संशोधित किया गया । 26 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “केंद्र सरकार योजना के अंतर्गत बीआईएस प्रमाणित सीपीटीसी की सूची को अधिसूचित करेगी तथा इसे भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के माध्यम से बैंकों को सूचित किया जाएगा“ पढ़ा जाता था। 27 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया 28 भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने परख केंद्रों को कच्चा स्वर्ण सुपुर्द करने के लिए आवेदन फॉर्म, स्वर्ण के भौतिक रूप और अन्य विशेषताओं का वर्णन, परख केंद्र द्वारा एक्सआरएफ के परिणामों को अभिलिखित करने, अग्नि-परख करने के लिए स्वर्ण को पिघलाने के लिए ग्राहक की स्वीकृति, अंतिम जमा करने के लिए ग्राहक की सहमति तथा अन्य कोई दस्तावेज, जिन पर बैंकों द्वारा विचार किया जाएगा, सहित जीएमएस के संबंध में उचित मानक प्रलेखन डिजाइन करने के लिए सहमति दी है। जमाकर्ता को दस्तावेजों का पूरा सेट पहले से उपलब्ध कराया जाना चाहिए, और उसमें प्रभारों की अनुसूची सहित योजना की सभी नियमों और शर्तों को शामिल किया जाना चाहिए। प्रलेखीकरण को आईबीए की वेबसाइट पर रखा जाना चाहिए और सीपीटीसी में भौतिक रूप में भी उपलब्ध होना चाहिए। 29 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया। 30 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 31 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया। |
भारिबैंक/2015-16/211 22 अक्तूबर 2015 स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 की धारा 35क के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा "स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस)" के संबंध में दिनांक 15 सितंबर 2015 को कार्यालय ज्ञापन एफ.सं.20/6/2015-एफटी के द्वारा जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसरण में भारतीय रिज़र्व बैंक इससे आश्वस्त होने पर कि यह लोक हित में है, एतद् द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर) यह निदेश जारी करता है। अध्याय – I 1.1 उद्देश्य जीएमएस, जो विद्यमान 'स्वर्ण जमा योजना (जीडीएस)' तथा 'स्वर्ण धातु ऋण योजना' (जीएमएल) को संशोधित करता है, का उद्देश्य देश की पारिवारिक इकाइयों तथा संस्थाओं द्वारा धारित स्वर्ण को गतिमान बनाना तथा उसके उत्पादक प्रयोजनों के लिए प्रयोग को सुगम बनाना है तथा दीर्घावधि में देश की स्वर्ण के आयात पर निर्भरता को कम करना है। 1.2 संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
1.3 परिभाषाएं इस निदेश में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, निम्नलिखित शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है:
अध्याय II 2.1 मूल विशेषताएं 2.1.1 सामान्य i. यह योजना मौजूदा स्वर्ण जमा योजना, 1999 का स्थान लेगी। तथापि, मौजूदा अनुदेशों के अनुसार यदि जमाकर्ताओं द्वारा अवधि-पूर्व आहरण नहीं किया गया, तो स्वर्ण जमा योजना के अंतर्गत बकाया जमाओं को परिपक्वता तक बने रहने की अनुमति दी जाएगी। ii. सभी प्राधिकृत बैंक योजना का कार्यान्वयन करने के लिए पात्र होंगे। iii. एसटीबीडी और एमएलटीजीडी पर मूलधन को स्वर्ण में दर्शाया जाएगा। हालांकि, जमा के समय स्वर्ण के मूल्य के संदर्भ में एसटीबीडी और एमएलटीजीडी पर ब्याज की गणना भारतीय रुपए में की जाएगी।2 iv. जमा करने के लिए पात्र व्यक्ति – निवासी भारतीय [व्यक्ति, हिंदू अविभक्त परिवार (एचयूएफ), स्वामित्व और भागीदारी फर्में,3 न्यास जिसमें म्यूचुअल फंड/ सेबी (म्युचुअल फंड) विनियमन के अंतर्गत पंजीकृत एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल हैं, कंपनियां, धर्मार्थ न्यास, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कोई अन्य संस्था]4 योजना के अंतर्गत जमा कर सकते हैं। योजना के अधीन दो या अधिक पात्र जमाकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से जमा करने की भी अनुमति है तथा ऐसे मामलों में जमाओं को ऐसे जमाकर्ताओं के नाम से खोले गए संयुक्त जमा खाते में जमा किया जाएगा। बैंक जमा खातों में संयुक्त परिचालन के संबंध में नामांकन सहित मौजूदा नियम इन स्वर्ण जमाओं पर भी लागू होंगे। v. योजना के अंतर्गत सभी जमाएं सीपीटीसी/जीएमसीटीए5 में की जाएंगी। योजना के तहत सभी जमा सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में किए जाएंगे। बशर्ते6, अपने विवेक पर, बैंक विशेष रूप से बड़े जमाकर्ताओं से प्राधिकृत शाखाओं में स्वर्ण के जमा को स्वीकार कर सकते हैं। बैंकों के पास उन शाखाओं की पहचान करने के लिए एक बोर्ड अनुमोदित नीति होगी जो योजना के तहत जमा स्वीकार कर सकते हैं। नीति में अन्य बातों के साथ-साथ ऐसी शाखाओं की पहचान में शामिल प्रक्रियाओं और इसे देखने वाले सहयोगी कर्मचारियों के कौशल विकास का समावेश होगा । नीति प्रत्येक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों में उन शाखाओं की न्यूनतम संख्या जो प्राधिकृत शाखा है, की भी पहचान करेगी, जहाँ बैंक की उपस्थिति है7 । बशर्ते यह भी कि बैंक अपने विवेकानुसार जमाकर्ताओं को सीधे ऐसी शोधशालाओं में स्वर्ण जमा करने की अनुमति भी दे सकते हैं, जिनके पास अंतिम परख करने तथा जमाकर्ता को 995 परिशुद्धता वाले मानक स्वर्ण की जमा रसीद जारी करने की सुविधाएं हैं8। vi. योजना के अंतर्गत जमाओं पर ब्याज का उपचय जमाकृत स्वर्ण के परिष्कार के बाद व्यापार योग्य स्वर्ण में रूपांतरित होने की तारीख से अथवा सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, में स्वर्ण की प्राप्ति के बाद 30 दिन, जो भी पहले हो, से प्रारंभ होगा। vii. सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, के द्वारा स्वर्ण की प्राप्ति की तारीख से शुरू होकर उस तारीख तक, जब जमा पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा में स्वीकार किए गए स्वर्ण को प्राधिकृत बैंक द्वारा सुरक्षित अभिरक्षा के लिए धारित मद माना जाएगा। viii. जिस दिन योजना के अधीन जमाकृत स्वर्ण पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, प्राधिकृत बैंक उस दिन स्वर्ण/यूएसडी दर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लंदन एएम निर्धारण को क्रॉस करके फाईनेंसियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल)9 द्वारा घोषित रुपया-यूएस डॉलर संदर्भ दर पर स्वर्ण देयताओं और आस्तियों को भारतीय रुपये में रूपांतरित करेंगे। उपर्युक्त मूल्य में स्वर्ण के आयात के लिए लागू सीमाशुल्क को जोड़ कर स्वर्ण के अंतिम मूल्य को हासिल किया जाएगा। बाद की किसी भी मूल्यांकन तारीख को स्वर्ण के मूल्यांकन के लिए तथा योजना के अंतर्गत स्वर्ण के भारतीय रुपये में रूपांतरण के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाएगा। ix. जैसे ही योजना को लागू करने की नीति को प्राधिकृत बैंकों के निदेशक मंडल का अनुमोदन प्राप्त होता है, वे योजना में भाग लेने संबंधी अपना निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करेंगे। वे अपनी सभी शाखाओं द्वारा योजना के अंतर्गत स्वर्ण जुटाने संबंधी रिपोर्ट भी समेकित रूप में मासिक आधार पर अनुबंध -2 में दिए गए प्रोफार्मा में आरबीआई को रिपोर्ट करेंगे10। प्राधिकृत बैंक अनुबंध -3 में दिए गए प्रारूप के अनुसार, अगले तीन महीनों मेंदेय मोचन रे का विवरण देते हुए विवरण प्रस्तुत करेंगे। अनुबंध 2 और 3 की जानकारी महीने के 7 वें दिन तक भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई के विनियमन विभाग को दी जाएगी।11 x. जीएमएस पर कर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार होगा12। xi. स्वर्ण की मात्रा ग्राम के तीन दशमलव अंकों तक व्यक्त की जाएगी13। xii. “सभी प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं, वेबसाइट और अन्य माध्यमों द्वारा योजना का पर्याप्त प्रचार करेंगे।”14 2.1.2 जमाओं को स्वीकार करना i. किसी भी एक समय में न्यूनतम जमा 1015 10 ग्राम कच्चा स्वर्ण (टिकिया (bars), सिक्के, नगों और अन्य धातुओं को छोड़ कर गहने) होगा। योजना के अंतर्गत जमा के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है। ii. योजना के अंतर्गत जमाकृत सभी स्वर्ण, चाहे सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में जमा किया हो या प्राधिकृत शाखाओं में, की परख सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में ही की जाएगी: बशर्ते, प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं में सीधे स्वीकार किया गया मानक अच्छी सुपुर्दगी स्वर्ण को सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में अग्नि-परख न करने के लिए स्वतंत्र हैं। 2.2 जमाओं के प्रकार निम्नलिखित के अनुसार दो भिन्न स्वर्ण जमा योजनाएं होंगी : 2.2.1 अल्पावधि बैंक जमा (एसटीबीडी) i. ऊपर पैरा 2.1.1 के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. अल्पावधि जमाओं को बैंक की तुलनपत्र पर देयता माना जाएगा। ये जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए (पुनर्निर्धारण (रॉल ऑवर) सुविधा के साथ) की जाएंगी। खंडित अवधि (उदा. 1 वर्ष 3 महीने; 2 वर्ष 4 महीने 5 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी/360* एआरआई की दर से शेष दिनों के ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर iii. आरबीआई के प्रयोज्य अनुदेशों के अनुसार जमाखाते में राशि जमा करने की तारीख से जमाओं पर सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाएं लागू होंगी। तथापि, नकद आरक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) तथा सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के अनुसार बैंकों द्वारा उनकी बहियों में धारित स्वर्ण का स्टॉक एएसएलआर अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए पात्र आस्ति होगा। आगे, नामित बैंकों द्वारा स्वर्ण उधार लेने (अन्य प्राधिकृत बैंकों द्वारा एसटीबीडी के तहत जुटाए गए स्वर्ण से) को अंतरबैंक देयता के रूप में माना जाएगा और इसलिए सीआरआर और एसएलआर से छूट दी जाएगी।17 iv. प्राधिकृत बैंक, उनके द्वारा निर्धारित न्यूनतम अवरुद्धता अवधि और दण्ड, यदि कोई हो, की शर्त पर अपने विवेकानुसार पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं। v. प्राधिकृत बैंक इन जमाओं पर ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। जमा खातों में ब्याज संबंधित नियत तारीखों पर जमा किया जाएगा तथा वह जमा के नियमों के अनुसार आवधिक रूप से अथवा परिपक्वता पर आहरणीय होगा। vi. 05 अप्रैल 2021 से, एसटीबीडी के संबंध में ब्याज को केवल भारतीय रुपए में ही अंकित और भुगतान किया जाएगा। परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार मोचन के समय प्रचलित स्वर्ण की कीमत के आधार पर जमा स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। इस संबंध में विकल्प जमाकर्ता द्वारा स्वर्ण जमा करते समय लिखित में दिया जाएगा, तथा वह अप्रतिसंहरणीय होगा। कोई भी अवधि-पूर्व मोचन प्राधिकृत बैंक के विवेकानुसार स्वर्ण या उसके बराबर भारतीय रुपये में किया जाएगा। इस परिपत्र के जारी होने से पहले किए गए सभी एसटीबीडी को उनके मौजूदा नियमों और शर्तों द्वारा अधिशासित किया जाएगा।18 2.2.2 मध्यम और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) i. ऊपर पैरा 2.1 के दिशानिर्देशों के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. इस श्रेणी के अंतर्गत जमाएं केंद्र सरकार की ओर से प्राधिकृत बैंक द्वारा स्वीकार की जाएंगी। सीपीटीसी द्वारा जारी रसीदों तथा प्राधिकृत बैंक द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्र में इसकी स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। iii. प्राधिकृत बैंकों के तुलन-पत्र में यह जमा प्रतिबिंबित नहीं होगा। यह केंद्र सरकार की देयता होगी और प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार की ओर से यह स्वर्ण जमा तब तक धारण करेंगे जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित व्यक्ति को इसका अंतरण नहीं किया जाता। iv. मध्यावधि और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) की अन्य विशेषताएं निम्नानुसार होंगीः19 (a) परिपक्वता 20मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) 5-7 वर्ष तक किया जा सकता है तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) 12-15 वर्ष के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। खंडित अवधि (उदा. 5 वर्ष 7 महीने; 13 वर्ष 4 महीने 15 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। (b) ब्याज दर • ऐसे जमाओं पर ब्याज दर समय समय पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की गई वर्तमान ब्याज दरें निम्नानुसार हैं: (i) मध्यम अवधि जमा पर – 2.25% प्रतिवर्ष • खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी / 360 * एआरआई की दर से शेष दिनों की ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर (c) ब्याज भुगतान की आवधिकता इन जमाओं पर ब्याज भुगतान की आवधिकता वार्षिक है और हर वर्ष 31 मार्च को भुगतान किया जाएगा। जमाकर्ता के पास वार्षिक रूप से सामान्य ब्याज या परिपक्वता के समय संचयी ब्याज, ऐसे मामले में वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धित किया जाएगा, का भुगतान प्राप्त करने का विकल्प होगा। इस विकल्प का उपयोग जमा के समय किया जाएगा। (d) न्यूनतम अवरुद्धता (लॉक इन) अवधि मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) को 3 वर्ष के बाद तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) को 5 वर्ष के बाद किसी भी समय आहरण की अनुमति है। (e) अवधिपूर्व आहरण पर ब्याज अवरुद्धता अवधि के पश्चात् अवधि-पूर्व आहरण पर जमाकर्ता को अदा की जाने वाली राशि की गणना नीचे (अ) और (आ) में दर्शाए गए अनुसार की जाएगी: (अ) आहरण के दिन स्वर्ण जमा का वास्तविक बाजार मूल्य। (आ) जमा के समय स्वर्ण के मूल्य पर देय ब्याज निम्नानुसार है।21
v. एमएलटीजीडी के मामले में, परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार या तो मोचन के समय भारतीय रुपये में जमा स्वर्ण के बराबर राशि में अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी का अवधिपूर्व मोचन केवल भारतीय रुपये में होगा।22 जहां जमा का मोचन स्वर्ण में किया जाएगा; वहां जमाकर्ता से आनुमानिक मोचन राशि पर भारतीय रुपये में 0.2% की दर से प्रशासनिक प्रभार वसूला जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर उपचित ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के भारतीय रुपये में मूल्य के संदर्भ में की जाएगी तथा उसका भुगतान केवल नकद में किया जाएगा।23 vi. सरकार द्वारा अधिसूचित एजेंसियों द्वारा एमएलटीजीडी के अंतर्गत प्राप्त स्वर्ण की नीलामी की जाएगी तथा बिक्री आगम को भारतीय रिज़र्व बैंक में धारित सरकार के खाते में जमा किया जाएगा। vii. नीलामी के ब्योरे और लेखांकन प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाएंगे। viii. 24केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 05 नवंबर 2016 से अगली सूचना तक25 प्राधिकृत बैंकों को एमएलटीजीडी के लिए 1.5% की एक समान दर पर हैंडलिंग प्रभार (स्वर्ण की शुद्धता की जांच करने, परिष्करण, परिवहन, भंडारण तथा अन्य संबंधित लागतों सहित) तथा योजना के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये में राशि के 1% कमीशन का भुगतान किया जाए। स्पष्टीकरण: बैंकों को अदा किए जाने वाले प्रभारों और कमीशन की गणना के लिए जमा के समय प्रचलित कीमत के आधार पर जमा किए गए स्वर्ण के बराबर रुपये की गणना की जाएगी। 2.3 स्वर्ण जमा खाते खोलना ग्राहक पहचान के संबंध में स्वर्ण जमा खाते खोलना उन्हीं नियमों के अधीन होगा, जो अन्य किसी भी जमा खाते के संबंध में लागू हैं। ऐसे जमाकर्ता, जिनका प्राधिकृत बैंक में अन्य कोई खाता नहीं है, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित केवाईसी मानदंडों को पूरा करने के बाद, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में स्वर्ण सुपुर्द करने से पहले किसी समय प्राधिकृत बैंक में शून्य शेष के साथ स्वर्ण जमा खाता खोलेंगे। प्राधिकृत बैंक इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि जमाकर्ता जमा प्रमाणपत्र जारी करने की रसीद प्रस्तुत करता है या नहीं, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में स्वर्ण प्राप्त होने से 30 दिन के बाद एसटीबीडी या एमएलटीजीडी, जैसा भी मामला हो, में 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण की राशि जमा करेंगे, जैसाकि सीपीटीसी/ जीएमसीटीए से प्राप्त सूचना में सूचित किया गया हो। 2.4 संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र (सीपीटीसी)
2.5 जीएमएस मोबिलाइजेशन, कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (जीएमसीटीए)29
2.6 रिफाइनर को स्वर्ण का अंतरण
2.7 प्राधिकृत बैंक, रिफाइनर और सीपीटीसी के बीच त्रिपक्षीय करार
2.8 जीएमएस के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण का उपयोग करना 2.8.1 एसटीबीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण एसटीबीडी के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के उपयोग की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना प्राधिकृत बैंक i. भारत स्वर्ण सिक्के (आईजीसी) ढालने के लिए एमएमटीसी को, स्वर्णकारों को तथा जीएमएस में भाग लेने वाले अन्य प्राधिकृत बैंकों को स्वर्ण बेच सकता है; अथवा ii. भारत स्वर्ण सिक्के (आईजीसी) ढालने के लिए एमएमटीसी को तथा स्वर्णकारों को जीएमएल के अंतर्गत स्वर्ण उधार दे सकता है। iii. जीएमएल योजना में भाग लेने वाले अन्य प्राधिकृत बैंकों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन स्वर्ण उधर दें।“ (क) ब्याज दर: इन जमाओं से जुटाए गए स्वर्ण के अंतर-बैंक उधार पर ली जाने वाली ब्याज दर बैंकों द्वारा तय की जाएगी। (ख) चुकौती: सहभागी बैंकों द्वारा व्यक्त की गई सहमति के अनुसार चुकौती आईएनआर या स्थानीय स्रोत से (भारतीय माल सुपुर्दगी मानक) आईजीडीएस / एलजीडीएस (एलबीएमए माल सुपुर्दगी मानक) स्वर्ण में होगा। (ग) परिपक्वता काल: जैसा कि अंतर-बैंक उधार देने का उद्देश्य जीएमएल के तहत आभूषण निर्माताओं/ आभूषण निर्यातकों को स्वर्ण प्रदान करना है, स्वर्ण के अंतर-बैंक उधार का परिपक्वता काल 3 अप्रैल 2007 के हमारे परिपत्र डीबीओडी.सं.आईबीडी.बीसी.71/23.67.001/2006-07, विदेश व्यापार नीति और समय-समय पर संशोधित डीजीएफटी द्वारा जारी किए गए हैंडबुक के अनुसार होगा।31 2.8.2 एमटीएलटीजीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण
2.9 जोखिम प्रबंधन
2.10 सीपीटीसी, जीएमसीटीए और परिशोधनशालाओं पर निगरानी
अध्याय III 3.1.1 सामान्य
3.1.2 लगाया जानेवाला ब्याज प्राधिकृत बैंक जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए लगाई जाने वाली ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। 3.1.3 परिपक्वता अवधि जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए परिपक्वता अवधि विद्यमान जीएमएल योजना के ही समान होगी। अनुबंध 1 I. एक्सआरएफ जांच करने से पहले ग्राहक को लगाया जाने वाले शुल्क की सूचना दी जाएगी। II. स्वर्ण की शुद्धता के सत्यापन के प्रत्येक चरण पर और जमा के लिए परिचालनों और प्रक्रियाओं के लिए निम्नानुसार बीआईएस प्रमाणित शिष्टाचार (protocol) होगा:
1दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया। 2दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। संशोधन से पहले, यह "एसटीबीडी पर मूलधन और ब्याज को स्वर्ण में दर्शाया जाएगा" के रूप में पढ़ा जाता है। 3दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया। 4 दिनांक 9 जनवरी 2019 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.19/23.67.001/2018-19 द्वारा शामिल किया गया। 5दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी. आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया तथा और जहाँ भी उपयुक्त हो सीपीटीसी और रिफाइनर के साथ एमडी में उपयोग किया जाएगा। 6 “तथापि” शब्द को बदला गया है। 7दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 8 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया है। 9दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 10 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “रिपोर्टिंग- सभी प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमएस पर मासिक रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में आरबीआई को प्रस्तुत करनी होगी” पढ़ा जाता था। दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 11दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया।. 12 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 13 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 14दिनांक 16 अगस्त 2019 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.13/23.67.001/2019-20 द्वारा शामिल किया गया है। 15दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 16दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 द्वारा संशोधि किया गया। संशोधन से पूर्व इसे “जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए की जाएंगी (एक वर्ष के गुणज में) तथा इसे उनकी तुलन-पत्र की देयता माना जाएगा” पढ़ा जाता था। 17दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया। 18दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा संशोधित किया गया। 19दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 20दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “जमा 5-7 वर्ष की मध्यम अवधि अथवा 12-15 वर्ष की दीर्घावधि के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार द्वारा यथानिर्धारित अवरुद्धता अवधि तथा दण्ड, यदि कोई हो, के अधीन पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं पढ़ा जाता था 21 ब्याज गणना का उदाहरण निम्नानुसार है
22दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 23दिनांक 31 मार्च 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.89/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे” अर्जित ब्याज सहित जमा का मोचन केवल स्वर्ण के मूल्य के समतुल्य भारतीय रुपये में होगा और संचित ब्याज मोचन के समय स्वर्ण के मौजूदा मूल्य के अनुसार होगा” पढ़ा जाता था। 24दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 25दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से संशोधित किया गया । 26 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “केंद्र सरकार योजना के अंतर्गत बीआईएस प्रमाणित सीपीटीसी की सूची को अधिसूचित करेगी तथा इसे भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के माध्यम से बैंकों को सूचित किया जाएगा“ पढ़ा जाता था। 27दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया 28भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने परख केंद्रों को कच्चा स्वर्ण सुपुर्द करने के लिए आवेदन फॉर्म, स्वर्ण के भौतिक रूप और अन्य विशेषताओं का वर्णन, परख केंद्र द्वारा एक्सआरएफ के परिणामों को अभिलिखित करने, अग्नि-परख करने के लिए स्वर्ण को पिघलाने के लिए ग्राहक की स्वीकृति, अंतिम जमा करने के लिए ग्राहक की सहमति तथा अन्य कोई दस्तावेज, जिन पर बैंकों द्वारा विचार किया जाएगा, सहित जीएमएस के संबंध में उचित मानक प्रलेखन डिजाइन करने के लिए सहमति दी है। जमाकर्ता को दस्तावेजों का पूरा सेट पहले से उपलब्ध कराया जाना चाहिए, और उसमें प्रभारों की अनुसूची सहित योजना की सभी नियमों और शर्तों को शामिल किया जाना चाहिए। प्रलेखीकरण को आईबीए की वेबसाइट पर रखा जाना चाहिए और सीपीटीसी में भौतिक रूप में भी उपलब्ध होना चाहिए। 29दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया। 30दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 31दिनांक 5 अप्रैल 2021 के परिपत्र विवि.एयुटी.आरईसी.2/23.67.001/2021-22 द्वारा शामिल किया गया। |
भारिबैंक/2015-16/211 22 अक्तूबर 2015 स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 की धारा 35क के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा "स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस)" के संबंध में दिनांक 15 सितंबर 2015 को कार्यालय ज्ञापन एफ.सं.20/6/2015-एफटी के द्वारा जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसरण में भारतीय रिज़र्व बैंक इससे आश्वस्त होने पर कि यह लोक हित में है, एतद् द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर) यह निदेश जारी करता है। अध्याय – I 1.1 उद्देश्य जीएमएस, जो विद्यमान 'स्वर्ण जमा योजना (जीडीएस)' तथा 'स्वर्ण धातु ऋण योजना' (जीएमएल) को संशोधित करता है, का उद्देश्य देश की पारिवारिक इकाइयों तथा संस्थाओं द्वारा धारित स्वर्ण को गतिमान बनाना तथा उसके उत्पादक प्रयोजनों के लिए प्रयोग को सुगम बनाना है तथा दीर्घावधि में देश की स्वर्ण के आयात पर निर्भरता को कम करना है। 1.2 संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
1.3 परिभाषाएं इस निदेश में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, निम्नलिखित शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है:
अध्याय II 2.1 मूल विशेषताएं 2.1.1 सामान्य i. यह योजना मौजूदा स्वर्ण जमा योजना, 1999 का स्थान लेगी। तथापि, मौजूदा अनुदेशों के अनुसार यदि जमाकर्ताओं द्वारा अवधि-पूर्व आहरण नहीं किया गया, तो स्वर्ण जमा योजना के अंतर्गत बकाया जमाओं को परिपक्वता तक बने रहने की अनुमति दी जाएगी। ii. सभी प्राधिकृत बैंक योजना का कार्यान्वयन करने के लिए पात्र होंगे। iii. एसटीबीडी का मूलधन और ब्याज स्वर्ण में अंकित किया जाएगा। एमएलटीजीडी के मामले में, मूलधन को स्वर्ण में अंकित किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के मूल्य के संदर्भ में भारतीय रुपये में की जाएगी1। iv. जमा करने के लिए पात्र व्यक्ति – निवासी भारतीय [व्यक्ति, हिंदू अविभक्त परिवार (एचयूएफ), स्वामित्व और भागीदारी फर्में,2 न्यास जिसमें म्यूचुअल फंड/ सेबी (म्युचुअल फंड) विनियमन के अंतर्गत पंजीकृत एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल हैं, कंपनियां, धर्मार्थ न्यास, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कोई अन्य संस्था]3 योजना के अंतर्गत जमा कर सकते हैं। योजना के अधीन दो या अधिक पात्र जमाकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से जमा करने की भी अनुमति है तथा ऐसे मामलों में जमाओं को ऐसे जमाकर्ताओं के नाम से खोले गए संयुक्त जमा खाते में जमा किया जाएगा। बैंक जमा खातों में संयुक्त परिचालन के संबंध में नामांकन सहित मौजूदा नियम इन स्वर्ण जमाओं पर भी लागू होंगे। v. योजना के अंतर्गत सभी जमाएं सीपीटीसी में की जाएंगी। बशर्ते4, बैंक अपने विवेकानुसार प्राधिकृत शाखाओं में स्वर्ण की जमाएं स्वीकार कर सकते हैं, विशेषत: अपेक्षाकृत बड़े जमाकर्ताओं से। बैंक अपनी उपस्थिति वाले राज्य/ संघ शासित क्षेत्र में इस योजना के अंतर्गत जमा स्वीकार करने के लिए कम से कम एक शाखा की पहचान करेंगे।5 बशर्ते यह भी कि बैंक अपने विवेकानुसार जमाकर्ताओं को सीधे ऐसी शोधशालाओं में स्वर्ण जमा करने की अनुमति भी दे सकते हैं, जिनके पास अंतिम परख करने तथा जमाकर्ता को 995 परिशुद्धता वाले मानक स्वर्ण की जमा रसीद जारी करने की सुविधाएं हैं6। vi. योजना के अंतर्गत जमाओं पर ब्याज का उपचय जमाकृत स्वर्ण के परिष्कार के बाद व्यापार योग्य स्वर्ण में रूपांतरित होने की तारीख से अथवा सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, में स्वर्ण की प्राप्ति के बाद 30 दिन, जो भी पहले हो, से प्रारंभ होगा। vii. सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, के द्वारा स्वर्ण की प्राप्ति की तारीख से शुरू होकर उस तारीख तक, जब जमा पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा में स्वीकार किए गए स्वर्ण को प्राधिकृत बैंक द्वारा सुरक्षित अभिरक्षा के लिए धारित मद माना जाएगा। viii. जिस दिन योजना के अधीन जमाकृत स्वर्ण पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, प्राधिकृत बैंक उस दिन स्वर्ण/यूएसडी दर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लंदन एएम निर्धारण को क्रॉस करके घोषित रुपया-यूएस डॉलर संदर्भ दर पर स्वर्ण देयताओं और आस्तियों को भारतीय रुपये में रूपांतरित करेंगे। उपर्युक्त मूल्य में स्वर्ण के आयात के लिए लागू सीमाशुल्क को जोड़ कर स्वर्ण के अंतिम मूल्य को हासिल किया जाएगा। बाद की किसी भी मूल्यांकन तारीख को स्वर्ण के मूल्यांकन के लिए तथा योजना के अंतर्गत स्वर्ण के भारतीय रुपये में रूपांतरण के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाएगा। ix. जैसे ही योजना को लागू करने की नीति को प्राधिकृत बैंकों के निदेशक मंडल का अनुमोदन प्राप्त होता है, वे योजना में भाग लेने संबंधी अपना निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करेंगे। वे अपनी सभी शाखाओं द्वारा योजना के अंतर्गत स्वर्ण जुटाने संबंधी रिपोर्ट भी समेकित रूप में मासिक आधार पर अनुबंध -2 में दिए गए प्रोफार्मा में आरबीआई को रिपोर्ट करेंगे7। x. जीएमएस पर कर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार होगा8। xi. स्वर्ण की मात्रा ग्राम के तीन दशमलव अंकों तक व्यक्त की जाएगी9। xii. “सभी प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं, वेबसाइट और अन्य माध्यमों द्वारा योजना का पर्याप्त प्रचार करेंगे।”10 2.1.2 जमाओं को स्वीकार करना i. किसी भी एक समय में न्यूनतम जमा 30 ग्राम कच्चा स्वर्ण (टिकिया (bars), सिक्के, नगों और अन्य धातुओं को छोड़ कर गहने) होगा। योजना के अंतर्गत जमा के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है। ii. योजना के अंतर्गत जमाकृत सभी स्वर्ण, चाहे सीपीटीसी में जमा किया हो या प्राधिकृत शाखाओं में, की परख सीपीटीसी में ही की जाएगी: बशर्ते, प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं में सीधे स्वीकार किया गया मानक अच्छी सुपुर्दगी स्वर्ण को सीपीटीसी में अग्नि-परख न करने के लिए स्वतंत्र हैं। 2.2 जमाओं के प्रकार निम्नलिखित के अनुसार दो भिन्न स्वर्ण जमा योजनाएं होंगी : 2.2.1 अल्पावधि बैंक जमा (एसटीबीडी) i. ऊपर पैरा 2.1.1 के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. अल्पावधि जमाओं को बैंक की तुलनपत्र पर देयता माना जाएगा। ये जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए (पुनर्निर्धारण (रॉल ऑवर) सुविधा के साथ) की जाएंगी। खंडित अवधि (उदा. 1 वर्ष 3 महीने; 2 वर्ष 4 महीने 5 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी/360* एआरआई की दर से शेष दिनों के ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर iii. आरबीआई के प्रयोज्य अनुदेशों के अनुसार जमाखाते में राशि जमा करने की तारीख से जमाओं पर सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाएं लागू होंगी। तथापि, नकद आरक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) तथा सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के अनुसार बैंकों द्वारा उनकी बहियों में धारित स्वर्ण का स्टॉक एएसएलआर अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए पात्र आस्ति होगा। iv. प्राधिकृत बैंक, उनके द्वारा निर्धारित न्यूनतम अवरुद्धता अवधि और दण्ड, यदि कोई हो, की शर्त पर अपने विवेकानुसार पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं। v. प्राधिकृत बैंक इन जमाओं पर ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। जमा खातों में ब्याज संबंधित नियत तारीखों पर जमा किया जाएगा तथा वह जमा के नियमों के अनुसार आवधिक रूप से अथवा परिपक्वता पर आहरणीय होगा। vi. परिपक्वता पर मूलधन और ब्याज का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार मोचन के समय प्रचलित स्वर्ण की कीमत के आधार पर जमा स्वर्ण और उपचित ब्याज के बराबर भारतीय रुपये अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। इस संबंध में विकल्प जमाकर्ता द्वारा स्वर्ण जमा करते समय लिखित में दिया जाएगा, तथा वह अप्रतिसंहरणीय होगा। बशर्ते कि कोई भी अवधि-पूर्व मोचन प्राधिकृत बैंक के विवेकानुसार स्वर्ण या उसके बराबर भारतीय रुपये में किया जाएगा। 2.2.2 मध्यम और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) i. ऊपर पैरा 2.1 के दिशानिर्देशों के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. इस श्रेणी के अंतर्गत जमाएं केंद्र सरकार की ओर से प्राधिकृत बैंक द्वारा स्वीकार की जाएंगी। सीपीटीसी द्वारा जारी रसीदों तथा प्राधिकृत बैंक द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्र में इसकी स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। iii. प्राधिकृत बैंकों के तुलन-पत्र में यह जमा प्रतिबिंबित नहीं होगा। यह केंद्र सरकार की देयता होगी और प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार की ओर से यह स्वर्ण जमा तब तक धारण करेंगे जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित व्यक्ति को इसका अंतरण नहीं किया जाता। iv. मध्यावधि और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) की अन्य विशेषताएं निम्नानुसार होंगीः12 (a) परिपक्वता 13मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) 5-7 वर्ष तक किया जा सकता है तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) 12-15 वर्ष के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। खंडित अवधि (उदा. 5 वर्ष 7 महीने; 13 वर्ष 4 महीने 15 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। (b) ब्याज दर • ऐसे जमाओं पर ब्याज दर समय समय पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की गई वर्तमान ब्याज दरें निम्नानुसार हैं: (i) मध्यम अवधि जमा पर – 2.25% प्रतिवर्ष • खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी / 360 * एआरआई की दर से शेष दिनों की ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर (c) ब्याज भुगतान की आवधिकता इन जमाओं पर ब्याज भुगतान की आवधिकता वार्षिक है और हर वर्ष 31 मार्च को भुगतान किया जाएगा। जमाकर्ता के पास वार्षिक रूप से सामान्य ब्याज या परिपक्वता के समय संचयी ब्याज, ऐसे मामले में वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धित किया जाएगा, का भुगतान प्राप्त करने का विकल्प होगा। इस विकल्प का उपयोग जमा के समय किया जाएगा। (d) न्यूनतम अवरुद्धता (लॉक इन) अवधि मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) को 3 वर्ष के बाद तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) को 5 वर्ष के बाद किसी भी समय आहरण की अनुमति है। (e) अवधिपूर्व आहरण पर ब्याज अवरुद्धता अवधि के पश्चात् अवधि-पूर्व आहरण पर जमाकर्ता को अदा की जाने वाली राशि की गणना नीचे (अ) और (आ) में दर्शाए गए अनुसार की जाएगी: (अ) आहरण के दिन स्वर्ण जमा का वास्तविक बाजार मूल्य। (आ) जमा के समय स्वर्ण के मूल्य पर देय ब्याज निम्नानुसार है।14
v. एमएलटीजीडी के मामले में, परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार या तो मोचन के समय भारतीय रुपये में जमा स्वर्ण के बराबर राशि में अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी का अवधिपूर्व मोचन केवल भारतीय रुपये में होगा।15 जहां जमा का मोचन स्वर्ण में किया जाएगा; वहां जमाकर्ता से आनुमानिक मोचन राशि पर भारतीय रुपये में 0.2% की दर से प्रशासनिक प्रभार वसूला जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर उपचित ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के भारतीय रुपये में मूल्य के संदर्भ में की जाएगी तथा उसका भुगतान केवल नकद में किया जाएगा।16 vi. सरकार द्वारा अधिसूचित एजेंसियों द्वारा एमएलटीजीडी के अंतर्गत प्राप्त स्वर्ण की नीलामी की जाएगी तथा बिक्री आगम को भारतीय रिज़र्व बैंक में धारित सरकार के खाते में जमा किया जाएगा। vii. भारतीय रिज़र्व बैंक प्राधिकृत बैंकों के नाम पर स्वर्ण में अंकित स्वर्ण जमा खाते रखेगा, जो कि बदले में अलग-अलग जमाकर्ताओं के उप-खाते धारण करेंगे। viii. नीलामी के ब्योरे और लेखांकन प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाएंगे। ix. 17केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 05 नवंबर 2016 से अगली सूचना तक18 प्राधिकृत बैंकों को एमएलटीजीडी के लिए 1.5% की एक समान दर पर हैंडलिंग प्रभार (स्वर्ण की शुद्धता की जांच करने, परिष्करण, परिवहन, भंडारण तथा अन्य संबंधित लागतों सहित) तथा योजना के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये में राशि के 1% कमीशन का भुगतान किया जाए। स्पष्टीकरण: बैंकों को अदा किए जाने वाले प्रभारों और कमीशन की गणना के लिए जमा के समय प्रचलित कीमत के आधार पर जमा किए गए स्वर्ण के बराबर रुपये की गणना की जाएगी। 2.3 स्वर्ण जमा खाते खोलना ग्राहक पहचान के संबंध में स्वर्ण जमा खाते खोलना उन्हीं नियमों के अधीन होगा, जो अन्य किसी भी जमा खाते के संबंध में लागू हैं। ऐसे जमाकर्ता, जिनका प्राधिकृत बैंक में अन्य कोई खाता नहीं है, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित केवाईसी मानदंडों को पूरा करने के बाद, सीपीटीसी में स्वर्ण सुपुर्द करने से पहले किसी समय प्राधिकृत बैंक में शून्य शेष के साथ स्वर्ण जमा खाता खोलेंगे। प्राधिकृत बैंक इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि जमाकर्ता जमा प्रमाणपत्र जारी करने की रसीद प्रस्तुत करता है या नहीं, सीपीटीसी में स्वर्ण प्राप्त होने से 30 दिन के बाद एसटीबीडी या एमएलटीजीडी, जैसा भी मामला हो, में 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण की राशि जमा करेंगे, जैसाकि सीपीटीसी से प्राप्त सूचना में सूचित किया गया हो। 2.4 संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र (सीपीटीसी)
2.5 परिशोधनकार (रिफाइनर) को स्वर्ण का अंतरण करना
2.6 प्राधिकृत बैंक, रिफाइनर और सीपीटीसी के बीच त्रिपक्षीय करार
2.7 जीएमएस के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण का उपयोग करना 2.7.1 एसटीबीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण एसटीबीडी के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के उपयोग की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना प्राधिकृत बैंक
2.7.2 एमटीएलटीजीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण
2.8 जोखिम प्रबंधन
2.9 सीपीटीसी और परिशोधनशालाओं पर निगरानी
अध्याय III 3.1.1 सामान्य
3.1.2 लगाया जानेवाला ब्याज प्राधिकृत बैंक जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए लगाई जाने वाली ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। 3.1.3 परिपक्वता अवधि जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए परिपक्वता अवधि विद्यमान जीएमएल योजना के ही समान होगी। अनुबंध 1 I. एक्सआरएफ जांच करने से पहले ग्राहक को लगाया जाने वाले शुल्क की सूचना दी जाएगी। II. स्वर्ण की शुद्धता के सत्यापन के प्रत्येक चरण पर और जमा के लिए परिचालनों और प्रक्रियाओं के लिए निम्नानुसार बीआईएस प्रमाणित शिष्टाचार (protocol) होगा:
1 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया। संशोधन से पूर्व, उसे “योजना के अंतर्गत जमा का मूलधन और ब्याज स्वर्ण में अंकित किया जाएगा” पढ़ा जाता था। 2 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया है। 3 दिनांक 9 जनवरी 2019 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.19/23.67.001/2018-19 द्वारा शामिल किया गया। 4 “तथापि” शब्द को बदला गया है। 5 दिनांक 16 अगस्त 2019 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.13/23.67.001/2019-20 द्वारा शामिल किया गया है। 6 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया है। 7 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “रिपोर्टिंग- सभी प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमएस पर मासिक रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में आरबीआई को प्रस्तुत करनी होगी” पढ़ा जाता था। 8 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 9 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 10 दिनांक 16 अगस्त 2019 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.13/23.67.001/2019-20 द्वारा शामिल किया गया है। 11 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 द्वारा संशोधि किया गया। संशोधन से पूर्व इसे “जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए की जाएंगी (एक वर्ष के गुणज में) तथा इसे उनकी तुलन-पत्र की देयता माना जाएगा” पढ़ा जाता था। 12 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 13 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “जमा 5-7 वर्ष की मध्यम अवधि अथवा 12-15 वर्ष की दीर्घावधि के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार द्वारा यथानिर्धारित अवरुद्धता अवधि तथा दण्ड, यदि कोई हो, के अधीन पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं पढ़ा जाता था 14 ब्याज गणना का उदाहरण निम्नानुसार है
15 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 16 दिनांक 31 मार्च 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.89/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे” अर्जित ब्याज सहित जमा का मोचन केवल स्वर्ण के मूल्य के समतुल्य भारतीय रुपये में होगा और संचित ब्याज मोचन के समय स्वर्ण के मौजूदा मूल्य के अनुसार होगा” पढ़ा जाता था। 17 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 18 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 19 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “केंद्र सरकार योजना के अंतर्गत बीआईएस प्रमाणित सीपीटीसी की सूची को अधिसूचित करेगी तथा इसे भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के माध्यम से बैंकों को सूचित किया जाएगा“ पढ़ा जाता था। 20 भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने परख केंद्रों को कच्चा स्वर्ण सुपुर्द करने के लिए आवेदन फॉर्म, स्वर्ण के भौतिक रूप और अन्य विशेषताओं का वर्णन, परख केंद्र द्वारा एक्सआरएफ के परिणामों को अभिलिखित करने, अग्नि-परख करने के लिए स्वर्ण को पिघलाने के लिए ग्राहक की स्वीकृति, अंतिम जमा करने के लिए ग्राहक की सहमति तथा अन्य कोई दस्तावेज, जिन पर बैंकों द्वारा विचार किया जाएगा, सहित जीएमएस के संबंध में उचित मानक प्रलेखन डिजाइन करने के लिए सहमति दी है। जमाकर्ता को दस्तावेजों का पूरा सेट पहले से उपलब्ध कराया जाना चाहिए, और उसमें प्रभारों की अनुसूची सहित योजना की सभी नियमों और शर्तों को शामिल किया जाना चाहिए। प्रलेखीकरण को आईबीए की वेबसाइट पर रखा जाना चाहिए और सीपीटीसी में भौतिक रूप में भी उपलब्ध होना चाहिए। 21 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । |
भारिबैंक/2015-16/211 22 अक्तूबर 2015 स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 की धारा 35क के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा "स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस)" के संबंध में दिनांक 15 सितंबर 2015 को कार्यालय ज्ञापन एफ.सं.20/6/2015-एफटी के द्वारा जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसरण में भारतीय रिज़र्व बैंक इससे आश्वस्त होने पर कि यह लोक हित में है, एतद् द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर) यह निदेश जारी करता है। अध्याय – I 1.1 उद्देश्य जीएमएस, जो विद्यमान 'स्वर्ण जमा योजना (जीडीएस)' तथा 'स्वर्ण धातु ऋण योजना' (जीएमएल) को संशोधित करता है, का उद्देश्य देश की पारिवारिक इकाइयों तथा संस्थाओं द्वारा धारित स्वर्ण को गतिमान बनाना तथा उसके उत्पादक प्रयोजनों के लिए प्रयोग को सुगम बनाना है तथा दीर्घावधि में देश की स्वर्ण के आयात पर निर्भरता को कम करना है। 1.2 संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
1.3 परिभाषाएं इस निदेश में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, निम्नलिखित शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है:
अध्याय II 2.1 मूल विशेषताएं 2.1.1 सामान्य i. यह योजना मौजूदा स्वर्ण जमा योजना, 1999 का स्थान लेगी। तथापि, मौजूदा अनुदेशों के अनुसार यदि जमाकर्ताओं द्वारा अवधि-पूर्व आहरण नहीं किया गया, तो स्वर्ण जमा योजना के अंतर्गत बकाया जमाओं को परिपक्वता तक बने रहने की अनुमति दी जाएगी। ii. सभी प्राधिकृत बैंक योजना का कार्यान्वयन करने के लिए पात्र होंगे। iii. एसटीबीडी का मूलधन और ब्याज स्वर्ण में अंकित किया जाएगा। एमएलटीजीडी के मामले में, मूलधन को स्वर्ण में अंकित किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के मूल्य के संदर्भ में भारतीय रुपये में की जाएगी1। iv. जमा करने के लिए पात्र व्यक्ति – निवासी भारतीय [व्यक्ति, हिंदू अविभक्त परिवार (एचयूएफ), स्वामित्व और भागीदारी फर्में,2 न्यास जिसमें म्यूचुअल फंड/ सेबी (म्युचुअल फंड) विनियमन के अंतर्गत पंजीकृत एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल हैं, कंपनियां, धर्मार्थ न्यास, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कोई अन्य संस्था]3 योजना के अंतर्गत जमा कर सकते हैं। योजना के अधीन दो या अधिक पात्र जमाकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से जमा करने की भी अनुमति है तथा ऐसे मामलों में जमाओं को ऐसे जमाकर्ताओं के नाम से खोले गए संयुक्त जमा खाते में जमा किया जाएगा। बैंक जमा खातों में संयुक्त परिचालन के संबंध में नामांकन सहित मौजूदा नियम इन स्वर्ण जमाओं पर भी लागू होंगे। v. योजना के अंतर्गत सभी जमाएं सीपीटीसी में की जाएंगी। बशर्ते4, बैंक अपने विवेकानुसार प्राधिकृत शाखाओं में स्वर्ण की जमाएं स्वीकार कर सकते हैं, विशेषत: अपेक्षाकृत बड़े जमाकर्ताओं से। बशर्ते यह भी कि बैंक अपने विवेकानुसार जमाकर्ताओं को सीधे ऐसी शोधशालाओं में स्वर्ण जमा करने की अनुमति भी दे सकते हैं, जिनके पास अंतिम परख करने तथा जमाकर्ता को 995 परिशुद्धता वाले मानक स्वर्ण की जमा रसीद जारी करने की सुविधाएं हैं5। vi. योजना के अंतर्गत जमाओं पर ब्याज का उपचय जमाकृत स्वर्ण के परिष्कार के बाद व्यापार योग्य स्वर्ण में रूपांतरित होने की तारीख से अथवा सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, में स्वर्ण की प्राप्ति के बाद 30 दिन, जो भी पहले हो, से प्रारंभ होगा। vii. सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, के द्वारा स्वर्ण की प्राप्ति की तारीख से शुरू होकर उस तारीख तक, जब जमा पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा में स्वीकार किए गए स्वर्ण को प्राधिकृत बैंक द्वारा सुरक्षित अभिरक्षा के लिए धारित मद माना जाएगा। viii. जिस दिन योजना के अधीन जमाकृत स्वर्ण पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, प्राधिकृत बैंक उस दिन स्वर्ण/यूएसडी दर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लंदन एएम निर्धारण को क्रॉस करके घोषित रुपया-यूएस डॉलर संदर्भ दर पर स्वर्ण देयताओं और आस्तियों को भारतीय रुपये में रूपांतरित करेंगे। उपर्युक्त मूल्य में स्वर्ण के आयात के लिए लागू सीमाशुल्क को जोड़ कर स्वर्ण के अंतिम मूल्य को हासिल किया जाएगा। बाद की किसी भी मूल्यांकन तारीख को स्वर्ण के मूल्यांकन के लिए तथा योजना के अंतर्गत स्वर्ण के भारतीय रुपये में रूपांतरण के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाएगा। ix. जैसे ही योजना को लागू करने की नीति को प्राधिकृत बैंकों के निदेशक मंडल का अनुमोदन प्राप्त होता है, वे योजना में भाग लेने संबंधी अपना निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करेंगे। वे अपनी सभी शाखाओं द्वारा योजना के अंतर्गत स्वर्ण जुटाने संबंधी रिपोर्ट भी समेकित रूप में मासिक आधार पर अनुबंध -2 में दिए गए प्रोफार्मा में आरबीआई को रिपोर्ट करेंगे6। x. जीएमएस पर कर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार होगा7। xi. स्वर्ण की मात्रा ग्राम के तीन दशमलव अंकों तक व्यक्त की जाएगी8। 2.1.2 जमाओं को स्वीकार करना i. किसी भी एक समय में न्यूनतम जमा 30 ग्राम कच्चा स्वर्ण (टिकिया (bars), सिक्के, नगों और अन्य धातुओं को छोड़ कर गहने) होगा। योजना के अंतर्गत जमा के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है। ii. योजना के अंतर्गत जमाकृत सभी स्वर्ण, चाहे सीपीटीसी में जमा किया हो या प्राधिकृत शाखाओं में, की परख सीपीटीसी में ही की जाएगी: बशर्ते, प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं में सीधे स्वीकार किया गया मानक अच्छी सुपुर्दगी स्वर्ण को सीपीटीसी में अग्नि-परख न करने के लिए स्वतंत्र हैं। 2.2 जमाओं के प्रकार निम्नलिखित के अनुसार दो भिन्न स्वर्ण जमा योजनाएं होंगी : 2.2.1 अल्पावधि बैंक जमा (एसटीबीडी) i. ऊपर पैरा 2.1.1 के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. अल्पावधि जमाओं को बैंक की तुलनपत्र पर देयता माना जाएगा। ये जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए (पुनर्निर्धारण (रॉल ऑवर) सुविधा के साथ) की जाएंगी। खंडित अवधि (उदा. 1 वर्ष 3 महीने; 2 वर्ष 4 महीने 5 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी/360* एआरआई की दर से शेष दिनों के ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर iii. आरबीआई के प्रयोज्य अनुदेशों के अनुसार जमाखाते में राशि जमा करने की तारीख से जमाओं पर सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाएं लागू होंगी। तथापि, नकद आरक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) तथा सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के अनुसार बैंकों द्वारा उनकी बहियों में धारित स्वर्ण का स्टॉक एएसएलआर अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए पात्र आस्ति होगा। iv. प्राधिकृत बैंक, उनके द्वारा निर्धारित न्यूनतम अवरुद्धता अवधि और दण्ड, यदि कोई हो, की शर्त पर अपने विवेकानुसार पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं। v. प्राधिकृत बैंक इन जमाओं पर ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। जमा खातों में ब्याज संबंधित नियत तारीखों पर जमा किया जाएगा तथा वह जमा के नियमों के अनुसार आवधिक रूप से अथवा परिपक्वता पर आहरणीय होगा। vi. परिपक्वता पर मूलधन और ब्याज का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार मोचन के समय प्रचलित स्वर्ण की कीमत के आधार पर जमा स्वर्ण और उपचित ब्याज के बराबर भारतीय रुपये अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। इस संबंध में विकल्प जमाकर्ता द्वारा स्वर्ण जमा करते समय लिखित में दिया जाएगा, तथा वह अप्रतिसंहरणीय होगा। बशर्ते कि कोई भी अवधि-पूर्व मोचन प्राधिकृत बैंक के विवेकानुसार स्वर्ण या उसके बराबर भारतीय रुपये में किया जाएगा। 2.2.2 मध्यम और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) i. ऊपर पैरा 2.1 के दिशानिर्देशों के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. इस श्रेणी के अंतर्गत जमाएं केंद्र सरकार की ओर से प्राधिकृत बैंक द्वारा स्वीकार की जाएंगी। सीपीटीसी द्वारा जारी रसीदों तथा प्राधिकृत बैंक द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्र में इसकी स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। iii. प्राधिकृत बैंकों के तुलन-पत्र में यह जमा प्रतिबिंबित नहीं होगा। यह केंद्र सरकार की देयता होगी और प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार की ओर से यह स्वर्ण जमा तब तक धारण करेंगे जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित व्यक्ति को इसका अंतरण नहीं किया जाता। iv. मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) की अन्य विशेषताएं निम्नानुसार होंगीः10 (a) परिपक्वता 11मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) 5-7 वर्ष तक किया जा सकता है तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) 12-15 वर्ष के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। खंडित अवधि (उदा. 5 वर्ष 7 महीने; 13 वर्ष 4 महीने 15 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। (b) ब्याज दर • ऐसे जमाओं पर ब्याज दर समय समय पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की गई वर्तमान ब्याज दरें निम्नानुसार हैं: (i) मध्यम अवधि जमा पर – 2.25% प्रतिवर्ष • खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी / 360 * एआरआई की दर से शेष दिनों की ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर (c) ब्याज भुगतान की आवधिकता इन जमाओं पर ब्याज भुगतान की आवधिकता वार्षिक है और हर वर्ष 31 मार्च को भुगतान किया जाएगा। जमाकर्ता के पास वार्षिक रूप से सामान्य ब्याज या परिपक्वता के समय संचयी ब्याज, ऐसे मामले में वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धित किया जाएगा, का भुगतान प्राप्त करने का विकल्प होगा। इस विकल्प का उपयोग जमा के समय किया जाएगा। (d) न्यूनतम अवरुद्धता (लॉक इन) अवधि मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) को 3 वर्ष के बाद तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) को 5 वर्ष के बाद किसी भी समय आहरण की अनुमति है। (e) अवधिपूर्व आहरण पर ब्याज अवरुद्धता अवधि के पश्चात् अवधि-पूर्व आहरण पर जमाकर्ता को अदा की जाने वाली राशि की गणना नीचे (अ) और (आ) में दर्शाए गए अनुसार की जाएगी: (अ) आहरण के दिन स्वर्ण जमा का वास्तविक बाजार मूल्य। (आ) जमा के समय स्वर्ण के मूल्य पर देय ब्याज निम्नानुसार है।12
v. एमएलटीजीडी के मामले में, परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार या तो मोचन के समय भारतीय रुपये में जमा स्वर्ण के बराबर राशि में अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी का अवधिपूर्व मोचन केवल भारतीय रुपये में होगा।13 जहां जमा का मोचन स्वर्ण में किया जाएगा; वहां जमाकर्ता से आनुमानिक मोचन राशि पर भारतीय रुपये में 0.2% की दर से प्रशासनिक प्रभार वसूला जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर उपचित ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के भारतीय रुपये में मूल्य के संदर्भ में की जाएगी तथा उसका भुगतान केवल नकद में किया जाएगा।14 vi. सरकार द्वारा अधिसूचित एजेंसियों द्वारा एमएलटीजीडी के अंतर्गत प्राप्त स्वर्ण की नीलामी की जाएगी तथा बिक्री आगम को भारतीय रिज़र्व बैंक में धारित सरकार के खाते में जमा किया जाएगा। vii. भारतीय रिज़र्व बैंक प्राधिकृत बैंकों के नाम पर स्वर्ण में अंकित स्वर्ण जमा खाते रखेगा, जो कि बदले में अलग-अलग जमाकर्ताओं के उप-खाते धारण करेंगे। viii. नीलामी के ब्योरे और लेखांकन प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाएंगे। ix. 15केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 05 नवंबर 2016 से अगली सूचना तक16 प्राधिकृत बैंकों को एमएलटीजीडी के लिए 1.5% की एक समान दर पर हैंडलिंग प्रभार (स्वर्ण की शुद्धता की जांच करने, परिष्करण, परिवहन, भंडारण तथा अन्य संबंधित लागतों सहित) तथा योजना के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये में राशि के 1% कमीशन का भुगतान किया जाए। स्पष्टीकरण: बैंकों को अदा किए जाने वाले प्रभारों और कमीशन की गणना के लिए जमा के समय प्रचलित कीमत के आधार पर जमा किए गए स्वर्ण के बराबर रुपये की गणना की जाएगी। 2.3 स्वर्ण जमा खाते खोलना ग्राहक पहचान के संबंध में स्वर्ण जमा खाते खोलना उन्हीं नियमों के अधीन होगा, जो अन्य किसी भी जमा खाते के संबंध में लागू हैं। ऐसे जमाकर्ता, जिनका प्राधिकृत बैंक में अन्य कोई खाता नहीं है, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित केवाईसी मानदंडों को पूरा करने के बाद, सीपीटीसी में स्वर्ण सुपुर्द करने से पहले किसी समय प्राधिकृत बैंक में शून्य शेष के साथ स्वर्ण जमा खाता खोलेंगे। प्राधिकृत बैंक इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि जमाकर्ता जमा प्रमाणपत्र जारी करने की रसीद प्रस्तुत करता है या नहीं, सीपीटीसी में स्वर्ण प्राप्त होने से 30 दिन के बाद एसटीबीडी या एमएलटीजीडी, जैसा भी मामला हो, में 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण की राशि जमा करेंगे, जैसाकि सीपीटीसी से प्राप्त सूचना में सूचित किया गया हो। 2.4 संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र (सीपीटीसी)
2.5 परिशोधनकार (रिफाइनर) को स्वर्ण का अंतरण करना
2.6 प्राधिकृत बैंक, रिफाइनर और सीपीटीसी के बीच त्रिपक्षीय करार
2.7 जीएमएस के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण का उपयोग करना 2.7.1 एसटीबीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण एसटीबीडी के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के उपयोग की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना प्राधिकृत बैंक
2.7.2 एमटीएलटीजीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण
2.8 जोखिम प्रबंधन
2.9 सीपीटीसी और परिशोधनशालाओं पर निगरानी
अध्याय III 3.1.1 सामान्य
3.1.2 लगाया जानेवाला ब्याज प्राधिकृत बैंक जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए लगाई जाने वाली ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। 3.1.3 परिपक्वता अवधि जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए परिपक्वता अवधि विद्यमान जीएमएल योजना के ही समान होगी। अनुबंध 1 I. एक्सआरएफ जांच करने से पहले ग्राहक को लगाया जाने वाले शुल्क की सूचना दी जाएगी। II. स्वर्ण की शुद्धता के सत्यापन के प्रत्येक चरण पर और जमा के लिए परिचालनों और प्रक्रियाओं के लिए निम्नानुसार बीआईएस प्रमाणित शिष्टाचार (protocol) होगा:
1 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया। संशोधन से पूर्व, उसे “योजना के अंतर्गत जमा का मूलधन और ब्याज स्वर्ण में अंकित किया जाएगा” पढ़ा जाता था। 2 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया है। 3 दिनांक 9 जनवरी 2019 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.19/23.67.001/2018-19 द्वारा शामिल किया गया। 4 “तथापि” शब्द को बदला गया है। 5 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया है। 6 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “रिपोर्टिंग- सभी प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमएस पर मासिक रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में आरबीआई को प्रस्तुत करनी होगी”पढ़ा जाता था। 7 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 8 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 9 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 द्वारा संशोधि किया गया। संशोधन से पूर्व इसे “जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए की जाएंगी (एक वर्ष के गुणज में) तथा इसे उनकी तुलन-पत्र की देयता माना जाएगा” पढ़ा जाता था। 10 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 11 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है।संशोधन से पूर्व उसे “जमा 5-7 वर्ष की मध्यम अवधि अथवा 12-15 वर्ष की दीर्घावधि के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार द्वारा यथानिर्धारित अवरुद्धता अवधि तथा दण्ड, यदि कोई हो, के अधीन पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं पढ़ा जाता था 12
13 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 14 दिनांक 31 मार्च 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.89/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है।संशोधन से पूर्व उसे” अर्जित ब्याज सहित जमा का मोचन केवल स्वर्ण के मूल्य के समतुल्य भारतीय रुपये में होगा और संचित ब्याज मोचन के समय स्वर्ण के मौजूदा मूल्य के अनुसार होगा”पढ़ा जाता था। 15 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 16 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 17 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “केंद्र सरकार योजना के अंतर्गत बीआईएस प्रमाणित सीपीटीसी की सूची को अधिसूचित करेगी तथा इसे भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के माध्यम से बैंकों को सूचित किया जाएगा “पढ़ा जाता था। 18 भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने परख केंद्रों को कच्चा स्वर्ण सुपुर्द करने के लिए आवेदन फॉर्म, स्वर्ण के भौतिक रूप और अन्य विशेषताओं का वर्णन, परख केंद्र द्वारा एक्सआरएफ के परिणामों को अभिलिखित करने, अग्नि-परख करने के लिए स्वर्ण को पिघलाने के लिए ग्राहक की स्वीकृति, अंतिम जमा करने के लिए ग्राहक की सहमति तथा अन्य कोई दस्तावेज, जिन पर बैंकों द्वारा विचार किया जाएगा, सहित जीएमएस के संबंध में उचित मानक प्रलेखन डिजाइन करने के लिए सहमति दी है। जमाकर्ता को दस्तावेजों का पूरा सेट पहले से उपलब्ध कराया जाना चाहिए, और उसमें प्रभारों की अनुसूची सहित योजना की सभी नियमों और शर्तों को शामिल किया जाना चाहिए। प्रलेखीकरण को आईबीए की वेबसाइट पर रखा जाना चाहिए और सीपीटीसी में भौतिक रूप में भी उपलब्ध होना चाहिए। 19 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । |
भारिबैंक/2015-16/211 22 अक्तूबर 2015 स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 की धारा 35क के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा "स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस)" के संबंध में दिनांक 15 सितंबर 2015 को कार्यालय ज्ञापन एफ.सं.20/6/2015-एफटी के द्वारा जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसरण में भारतीय रिज़र्व बैंक इससे आश्वस्त होने पर कि यह लोक हित में है, एतद् द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर) यह निदेश जारी करता है। अध्याय – I 1.1 उद्देश्य जीएमएस, जो विद्यमान 'स्वर्ण जमा योजना (जीडीएस)' तथा 'स्वर्ण धातु ऋण योजना' (जीएमएल) को संशोधित करता है, का उद्देश्य देश की पारिवारिक इकाइयों तथा संस्थाओं द्वारा धारित स्वर्ण को गतिमान बनाना तथा उसके उत्पादक प्रयोजनों के लिए प्रयोग को सुगम बनाना है तथा दीर्घावधि में देश की स्वर्ण के आयात पर निर्भरता को कम करना है। 1.2 संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
1.3 परिभाषाएं इस निदेश में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, निम्नलिखित शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है:
अध्याय II 2.1 मूल विशेषताएं 2.1.1 सामान्य i. यह योजना मौजूदा स्वर्ण जमा योजना, 1999 का स्थान लेगी। तथापि, मौजूदा अनुदेशों के अनुसार यदि जमाकर्ताओं द्वारा अवधि-पूर्व आहरण नहीं किया गया, तो स्वर्ण जमा योजना के अंतर्गत बकाया जमाओं को परिपक्वता तक बने रहने की अनुमति दी जाएगी। ii. सभी प्राधिकृत बैंक योजना का कार्यान्वयन करने के लिए पात्र होंगे। iii. एसटीबीडी का मूलधन और ब्याज स्वर्ण में अंकित किया जाएगा। एमएलटीजीडी के मामले में, मूलधन को स्वर्ण में अंकित किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के मूल्य के संदर्भ में भारतीय रुपये में की जाएगी1। iv. जमा करने के लिए पात्र व्यक्ति – निवासी भारतीय (व्यक्ति, हिंदू अविभक्त परिवार (एचयूएफ), स्वामित्व और भागीदारी फर्में2, म्युचुअल फंड/ सेबी (म्युचुअल फंड) विनियमन और कंपनियां के अंतर्गत पंजीकृत एक्सचेंज ट्रेडेड फर्मों सहित न्यास) योजना के अंतर्गत जमा कर सकते हैं। योजना के अधीन दो या अधिक पात्र जमाकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से जमा करने की भी अनुमति है तथा ऐसे मामलों में जमाओं को ऐसे जमाकर्ताओं के नाम से खोले गए संयुक्त जमा खाते में जमा किया जाएगा। बैंक जमा खातों में संयुक्त परिचालन के संबंध में नामांकन सहित मौजूदा नियम इन स्वर्ण जमाओं पर भी लागू होंगे। v. योजना के अंतर्गत सभी जमाएं सीपीटीसी में की जाएंगी। बशर्ते3, बैंक अपने विवेकानुसार प्राधिकृत शाखाओं में स्वर्ण की जमाएं स्वीकार कर सकते हैं, विशेषत: अपेक्षाकृत बड़े जमाकर्ताओं से। बशर्ते यह भी कि बैंक अपने विवेकानुसार जमाकर्ताओं को सीधे ऐसी शोधशालाओं में स्वर्ण जमा करने की अनुमति भी दे सकते हैं, जिनके पास अंतिम परख करने तथा जमाकर्ता को 995 परिशुद्धता वाले मानक स्वर्ण की जमा रसीद जारी करने की सुविधाएं हैं4। vi. योजना के अंतर्गत जमाओं पर ब्याज का उपचय जमाकृत स्वर्ण के परिष्कार के बाद व्यापार योग्य स्वर्ण में रूपांतरित होने की तारीख से अथवा सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, में स्वर्ण की प्राप्ति के बाद 30 दिन, जो भी पहले हो, से प्रारंभ होगा। vii. सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, के द्वारा स्वर्ण की प्राप्ति की तारीख से शुरू होकर उस तारीख तक, जब जमा पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, सीपीटीसी या बैंक की प्राधिकृत शाखा में स्वीकार किए गए स्वर्ण को प्राधिकृत बैंक द्वारा सुरक्षित अभिरक्षा के लिए धारित मद माना जाएगा। viii. जिस दिन योजना के अधीन जमाकृत स्वर्ण पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, प्राधिकृत बैंक उस दिन स्वर्ण/यूएसडी दर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लंदन एएम निर्धारण को क्रॉस करके घोषित रुपया-यूएस डॉलर संदर्भ दर पर स्वर्ण देयताओं और आस्तियों को भारतीय रुपये में रूपांतरित करेंगे। उपर्युक्त मूल्य में स्वर्ण के आयात के लिए लागू सीमाशुल्क को जोड़ कर स्वर्ण के अंतिम मूल्य को हासिल किया जाएगा। बाद की किसी भी मूल्यांकन तारीख को स्वर्ण के मूल्यांकन के लिए तथा योजना के अंतर्गत स्वर्ण के भारतीय रुपये में रूपांतरण के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाएगा। ix. जैसे ही योजना को लागू करने की नीति को प्राधिकृत बैंकों के निदेशक मंडल का अनुमोदन प्राप्त होता है, वे योजना में भाग लेने संबंधी अपना निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करेंगे। वे अपनी सभी शाखाओं द्वारा योजना के अंतर्गत स्वर्ण जुटाने संबंधी रिपोर्ट भी समेकित रूप में मासिक आधार पर अनुबंध -2 में दिए गए प्रोफार्मा में आरबीआई को रिपोर्ट करेंगे5। x. जीएमएस पर कर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार होगा6। xi. स्वर्ण की मात्रा ग्राम के तीन दशमलव अंकों तक व्यक्त की जाएगी7। 2.1.2 जमाओं को स्वीकार करना i. किसी भी एक समय में न्यूनतम जमा 30 ग्राम कच्चा स्वर्ण (टिकिया (bars), सिक्के, नगों और अन्य धातुओं को छोड़ कर गहने) होगा। योजना के अंतर्गत जमा के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है। ii. योजना के अंतर्गत जमाकृत सभी स्वर्ण, चाहे सीपीटीसी में जमा किया हो या प्राधिकृत शाखाओं में, की परख सीपीटीसी में ही की जाएगी: बशर्ते, प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं में सीधे स्वीकार किया गया मानक अच्छी सुपुर्दगी स्वर्ण को सीपीटीसी में अग्नि-परख न करने के लिए स्वतंत्र हैं। 2.2 जमाओं के प्रकार निम्नलिखित के अनुसार दो भिन्न स्वर्ण जमा योजनाएं होंगी : 2.2.1 अल्पावधि बैंक जमा (एसटीबीडी) i. ऊपर पैरा 2.1.1 के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. अल्पावधि जमाओं को बैंक की तुलनपत्र पर देयता माना जाएगा। ये जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए (पुनर्निर्धारण (रॉल ऑवर) सुविधा के साथ) की जाएंगी। खंडित अवधि (उदा. 1 वर्ष 3 महीने; 2 वर्ष 4 महीने 5 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी/360* एआरआई की दर से शेष दिनों के ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर iii. आरबीआई के प्रयोज्य अनुदेशों के अनुसार जमाखाते में राशि जमा करने की तारीख से जमाओं पर सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाएं लागू होंगी। तथापि, नकद आरक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) तथा सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के अनुसार बैंकों द्वारा उनकी बहियों में धारित स्वर्ण का स्टॉक एएसएलआर अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए पात्र आस्ति होगा। iv. प्राधिकृत बैंक, उनके द्वारा निर्धारित न्यूनतम अवरुद्धता अवधि और दण्ड, यदि कोई हो, की शर्त पर अपने विवेकानुसार पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं। v. प्राधिकृत बैंक इन जमाओं पर ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। जमा खातों में ब्याज संबंधित नियत तारीखों पर जमा किया जाएगा तथा वह जमा के नियमों के अनुसार आवधिक रूप से अथवा परिपक्वता पर आहरणीय होगा। vi. परिपक्वता पर मूलधन और ब्याज का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार मोचन के समय प्रचलित स्वर्ण की कीमत के आधार पर जमा स्वर्ण और उपचित ब्याज के बराबर भारतीय रुपये अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। इस संबंध में विकल्प जमाकर्ता द्वारा स्वर्ण जमा करते समय लिखित में दिया जाएगा, तथा वह अप्रतिसंहरणीय होगा। बशर्ते कि कोई भी अवधि-पूर्व मोचन प्राधिकृत बैंक के विवेकानुसार स्वर्ण या उसके बराबर भारतीय रुपये में किया जाएगा। 2.2.2 मध्यम और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) i. ऊपर पैरा 2.1 के दिशानिर्देशों के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे। ii. इस श्रेणी के अंतर्गत जमाएं केंद्र सरकार की ओर से प्राधिकृत बैंक द्वारा स्वीकार की जाएंगी। सीपीटीसी द्वारा जारी रसीदों तथा प्राधिकृत बैंक द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्र में इसकी स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। iii. प्राधिकृत बैंकों के तुलन-पत्र में यह जमा प्रतिबिंबित नहीं होगा। यह केंद्र सरकार की देयता होगी और प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार की ओर से यह स्वर्ण जमा तब तक धारण करेंगे जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित व्यक्ति को इसका अंतरण नहीं किया जाता। iv. मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) की अन्य विशेषताएं निम्नानुसार होंगीः9 (a) परिपक्वता 10मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) 5-7 वर्ष तक किया जा सकता है तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) 12-15 वर्ष के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। खंडित अवधि (उदा. 5 वर्ष 7 महीने; 13 वर्ष 4 महीने 15 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। (b) ब्याज दर • ऐसे जमाओं पर ब्याज दर समय समय पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की गई वर्तमान ब्याज दरें निम्नानुसार हैं: (i) मध्यम अवधि जमा पर – 2.25% प्रतिवर्ष • खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी / 360 * एआरआई की दर से शेष दिनों की ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी" जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर (c) ब्याज भुगतान की आवधिकता इन जमाओं पर ब्याज भुगतान की आवधिकता वार्षिक है और हर वर्ष 31 मार्च को भुगतान किया जाएगा। जमाकर्ता के पास वार्षिक रूप से सामान्य ब्याज या परिपक्वता के समय संचयी ब्याज, ऐसे मामले में वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धित किया जाएगा, का भुगतान प्राप्त करने का विकल्प होगा। इस विकल्प का उपयोग जमा के समय किया जाएगा। (d) न्यूनतम अवरुद्धता (लॉक इन) अवधि मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) को 3 वर्ष के बाद तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) को 5 वर्ष के बाद किसी भी समय आहरण की अनुमति है। (e) अवधिपूर्व आहरण पर ब्याज अवरुद्धता अवधि के पश्चात् अवधि-पूर्व आहरण पर जमाकर्ता को अदा की जाने वाली राशि की गणना नीचे (अ) और (आ) में दर्शाए गए अनुसार की जाएगी: (अ) आहरण के दिन स्वर्ण जमा का वास्तविक बाजार मूल्य। (आ) जमा के समय स्वर्ण के मूल्य पर देय ब्याज निम्नानुसार है।11
v. एमएलटीजीडी के मामले में, परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार या तो मोचन के समय भारतीय रुपये में जमा स्वर्ण के बराबर राशि में अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी का अवधिपूर्व मोचन केवल भारतीय रुपये में होगा।12 जहां जमा का मोचन स्वर्ण में किया जाएगा; वहां जमाकर्ता से आनुमानिक मोचन राशि पर भारतीय रुपये में 0.2% की दर से प्रशासनिक प्रभार वसूला जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर उपचित ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के भारतीय रुपये में मूल्य के संदर्भ में की जाएगी तथा उसका भुगतान केवल नकद में किया जाएगा।13 vi. सरकार द्वारा अधिसूचित एजेंसियों द्वारा एमएलटीजीडी के अंतर्गत प्राप्त स्वर्ण की नीलामी की जाएगी तथा बिक्री आगम को भारतीय रिज़र्व बैंक में धारित सरकार के खाते में जमा किया जाएगा। vii. भारतीय रिज़र्व बैंक प्राधिकृत बैंकों के नाम पर स्वर्ण में अंकित स्वर्ण जमा खाते रखेगा, जो कि बदले में अलग-अलग जमाकर्ताओं के उप-खाते धारण करेंगे। viii. नीलामी के ब्योरे और लेखांकन प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाएंगे। ix. 14केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 05 नवंबर 2016 से अगली सूचना तक15 प्राधिकृत बैंकों को एमएलटीजीडी के लिए 1.5% की एक समान दर पर हैंडलिंग प्रभार (स्वर्ण की शुद्धता की जांच करने, परिष्करण, परिवहन, भंडारण तथा अन्य संबंधित लागतों सहित) तथा योजना के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये में राशि के 1% कमीशन का भुगतान किया जाए। स्पष्टीकरण: बैंकों को अदा किए जाने वाले प्रभारों और कमीशन की गणना के लिए जमा के समय प्रचलित कीमत के आधार पर जमा किए गए स्वर्ण के बराबर रुपये की गणना की जाएगी। 2.3 स्वर्ण जमा खाते खोलना ग्राहक पहचान के संबंध में स्वर्ण जमा खाते खोलना उन्हीं नियमों के अधीन होगा, जो अन्य किसी भी जमा खाते के संबंध में लागू हैं। ऐसे जमाकर्ता, जिनका प्राधिकृत बैंक में अन्य कोई खाता नहीं है, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित केवाईसी मानदंडों को पूरा करने के बाद, सीपीटीसी में स्वर्ण सुपुर्द करने से पहले किसी समय प्राधिकृत बैंक में शून्य शेष के साथ स्वर्ण जमा खाता खोलेंगे। प्राधिकृत बैंक इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि जमाकर्ता जमा प्रमाणपत्र जारी करने की रसीद प्रस्तुत करता है या नहीं, सीपीटीसी में स्वर्ण प्राप्त होने से 30 दिन के बाद एसटीबीडी या एमएलटीजीडी, जैसा भी मामला हो, में 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण की राशि जमा करेंगे, जैसाकि सीपीटीसी से प्राप्त सूचना में सूचित किया गया हो। 2.4 संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र (सीपीटीसी)
2.5 परिशोधनकार (रिफाइनर) को स्वर्ण का अंतरण करना
2.6 प्राधिकृत बैंक, रिफाइनर और सीपीटीसी के बीच त्रिपक्षीय करार
2.7 जीएमएस के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण का उपयोग करना 2.7.1 एसटीबीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण एसटीबीडी के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के उपयोग की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना प्राधिकृत बैंक
2.7.2 एमटीएलटीजीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण
2.8 जोखिम प्रबंधन
2.9 सीपीटीसी और परिशोधनशालाओं पर निगरानी
अध्याय III 3.1.1 सामान्य
3.1.2 लगाया जानेवाला ब्याज प्राधिकृत बैंक जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए लगाई जाने वाली ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। 3.1.3 परिपक्वता अवधि जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए परिपक्वता अवधि विद्यमान जीएमएल योजना के ही समान होगी। अनुबंध 1 I. एक्सआरएफ जांच करने से पहले ग्राहक को लगाया जाने वाले शुल्क की सूचना दी जाएगी। II. स्वर्ण की शुद्धता के सत्यापन के प्रत्येक चरण पर और जमा के लिए परिचालनों और प्रक्रियाओं के लिए निम्नानुसार बीआईएस प्रमाणित शिष्टाचार (protocol) होगा:
1 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया। संशोधन से पूर्व, उसे “योजना के अंतर्गत जमा का मूलधन और ब्याज स्वर्ण में अंकित किया जाएगा” पढ़ा जाता था। 2 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया है। 3 “तथापि” शब्द को बदला गया है। 4 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया है। 5 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “रिपोर्टिंग- सभी प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमएस पर मासिक रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में आरबीआई को प्रस्तुत करनी होगी”पढ़ा जाता था। 6 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 7 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 8 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 द्वारा संशोधि किया गया। संशोधन से पूर्व इसे “जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए की जाएंगी (एक वर्ष के गुणज में) तथा इसे उनकी तुलन-पत्र की देयता माना जाएगा” पढ़ा जाता था। 9 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 10 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है।संशोधन से पूर्व उसे “जमा 5-7 वर्ष की मध्यम अवधि अथवा 12-15 वर्ष की दीर्घावधि के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार द्वारा यथानिर्धारित अवरुद्धता अवधि तथा दण्ड, यदि कोई हो, के अधीन पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं पढ़ा जाता था 11
12 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 13 दिनांक 31 मार्च 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.89/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है।संशोधन से पूर्व उसे” अर्जित ब्याज सहित जमा का मोचन केवल स्वर्ण के मूल्य के समतुल्य भारतीय रुपये में होगा और संचित ब्याज मोचन के समय स्वर्ण के मौजूदा मूल्य के अनुसार होगा”पढ़ा जाता था। 14 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । 15 दिनांक 7 जून 2018 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.109/23.67.001/2017-18 के माध्यम से शामिल किया गया । 16 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से संशोधित किया गया है। संशोधन से पूर्व उसे “केंद्र सरकार योजना के अंतर्गत बीआईएस प्रमाणित सीपीटीसी की सूची को अधिसूचित करेगी तथा इसे भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के माध्यम से बैंकों को सूचित किया जाएगा “पढ़ा जाता था। 17 भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने परख केंद्रों को कच्चा स्वर्ण सुपुर्द करने के लिए आवेदन फॉर्म, स्वर्ण के भौतिक रूप और अन्य विशेषताओं का वर्णन, परख केंद्र द्वारा एक्सआरएफ के परिणामों को अभिलिखित करने, अग्नि-परख करने के लिए स्वर्ण को पिघलाने के लिए ग्राहक की स्वीकृति, अंतिम जमा करने के लिए ग्राहक की सहमति तथा अन्य कोई दस्तावेज, जिन पर बैंकों द्वारा विचार किया जाएगा, सहित जीएमएस के संबंध में उचित मानक प्रलेखन डिजाइन करने के लिए सहमति दी है। जमाकर्ता को दस्तावेजों का पूरा सेट पहले से उपलब्ध कराया जाना चाहिए, और उसमें प्रभारों की अनुसूची सहित योजना की सभी नियमों और शर्तों को शामिल किया जाना चाहिए। प्रलेखीकरण को आईबीए की वेबसाइट पर रखा जाना चाहिए और सीपीटीसी में भौतिक रूप में भी उपलब्ध होना चाहिए। 18 दिनांक 21 जनवरी 2016 के परिपत्र बैंविवि.आईबीडी.बीसी.74/23.67.001/2015-16 के माध्यम से शामिल किया गया । |
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