बैंकों द्वारा चालू खाता खोला जाना पर परिपत्र के कार्यान्वयन से संबंधित दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा चालू खाता खोला जाना पर परिपत्र के कार्यान्वयन से संबंधित दिशानिर्देश
भारिबैं/2021-22/77 04 अगस्त 2021 सेवा में सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया/ महोदय, बैंकों द्वारा चालू खाता खोला जाना पर कृपया बैंकों द्वारा चालू खाता खोला जाना- अनुशासन की आवश्यकता पर 6 अगस्त 2020 का परिपत्र डीओआर.सं.बीपी.बीसी/7/21.04.048/2020-21, दिनांक 2 नवंबर 2020 का डीओआर.सं.बीपी.बीसी.27/21.04.048/2020-21 और दिनांक 14 दिसंबर 2020 का डीओआर.सं.बीपी.बीसी.30/21.04.048/2020-21 देखें। 2. उधारकर्ताओं के बीच ऋण अनुशासन लागू करने के साथ-साथ उधारदाताओं द्वारा बेहतर निगरानी की सुविधा के लिए उक्त परिपत्रों के माध्यम से निदेश जारी किए गए थे; और इस उद्देश्य के लिए, चालू खाते और सीसी/ओडी सुविधाओं को खोलने और संचालित करने पर एक श्रेणीबद्ध दृष्टिकोण निर्धारित किया गया था। उधारकर्ताओं की वास्तविक व्यावसायिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बैंकों को इन निदेशों को गैर-विघटनकारी तरीके से लागू करना आवश्यक था। 3. यह दोहराया जाता है कि: क. उन उधारकर्ताओं के मामले में जिन्होंने किसी बैंक से सीसी/ओडी सुविधा का लाभ नहीं उठाया है, किसी भी बैंक द्वारा चालू खाते खोलने पर कोई प्रतिबंध नहीं है यदि ऐसे उधारकर्ताओं के लिए बैंकिंग प्रणाली का एक्सपोजर ₹5 करोड़ से कम है। ख. ऐसे उधारकर्ताओं के मामले में जिन्होंने किसी बैंक से सीसी/ओडी सुविधा का लाभ नहीं उठाया है और बैंकिंग प्रणाली का एक्सपोजर ₹5 करोड़ या उससे अधिक है लेकिन ₹50 करोड़ से कम है, ऐसे उधारकर्ताओं को उधारदाता बैंकों को चालू खाता खोलने से कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि गैर-उधारदाता बैंक भी केवल संग्रह उद्देश्यों के लिए ऐसे उधारकर्ताओं के लिए चालू खाते खोल सकते हैं। ग. यह प्रतिबंध उधारकर्ताओं पर लागू होता है यदि वे सीसी/ओडी सुविधा का लाभ उठाते हैं क्योंकि सभी परिचालन जो एक चालू खाते से किए जा सकते हैं, एक सीसी/ओडी खाते से भी किए जा सकते हैं चूँकि सीबीएस वातावरण में बैंक एक शाखा-एक-ग्राहक मॉडल के विपरीत एक-बैंक-एक-ग्राहक मॉडल का पालन करते हैं। 4. इस बीच हमें बैंकों से परिपत्र को अक्षरश: अनुपालन करते हुए आ रहे परिचालन संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए कुछ और समय देने के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं। अत: अनुदेशों को गैर-विघटनकारी तरीके से लागू करना सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि: क) परिपत्र के प्रावधानों को लागू करने के लिए बैंकों को दिनांक 31 अक्तूबर 2021 तक का समय दिया जाएगा। इस विस्तारित समय सीमा का उपयोग बैंकों द्वारा परिपत्र के दायरे में अपने उधारकर्ताओं के साथ जुड़कर पारस्परिक रूप से संतोषजनक समाधान पर पहुंचने के लिए किया जाएगा। ऐसे मामलें जिन्हें बैंक स्वयं हल करने में असमर्थ हैं, उन्हें उचित मार्गदर्शन के लिए भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के पास भेजा जाएगा। अवशिष्ट मामलें, यदि कोई हों, जिन पर विनियामकीय विचार की आवश्यकता होती है, उन्हें आईबीए द्वारा रिज़र्व बैंक को 30 सितंबर 2021 तक जांच के लिए फ़्लैग किया जाएगा। ख) दिनांक 14 दिसंबर 2020 के परिपत्र डीओआर.सं.बीपी.बीसी.30/21.04.048/2020-21 के पैरा 1(vii) के अनुसार, व्हाइट लेबल एटीएम परिचालकों और उनके एजेंटों के खातों को दिनांक 6 अगस्त 2020 के चालू खाता परिपत्र के प्रावधानों से छूट दी गई है। चूंकि मार्गस्थ नकदी (सीआईटी) कंपनियां/ नकदी पुनःपूर्ति एजेंसियां (सीआरए) अनिवार्य रूप से एक समान गतिविधि करती हैं, छूट इन संस्थाओं पर भी लागू होगी। ग) परिपत्र के गैर-विघटनकारी कार्यान्वयन की निगरानी के लिए और कार्यान्वयन प्रक्रिया के दौरान ग्राहकों को अनुचित असुविधा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए बैंक प्रधान कार्यालय और क्षेत्रीय/आंचलिक कार्यालय दोनों स्तरों पर एक निगरानी तंत्र स्थापित करेंगे। घ) जैसा कि दिनांक 14 दिसंबर 2020 के परिपत्र डीओआर.सं.बीपी.बीसी.30/21.04.048/2020-21 के अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न संख्या 6 में इंगित किया गया है, बैंकों को उन उधारकर्ताओं के लिए चालू खाते खोलने की अनुमति नहीं है, जिन्होंने कृषि/व्यक्तिगत ओवरड्राफ्ट (ओडी) या जमा पर ओडी सुविधा का लाभ उठाया है। 5. बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि परिपत्र की विषय-वस्तु का अनुपालन उनके उधारकर्ताओं को अनुचित असुविधा पहुंचाए बिना अक्षरशः हों। उक्त परिपत्रों में निहित अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे। भवदीय, (मनोरंजन मिश्रा) |