लाभांश समकरण निधि (डीईएफ) के उपाय पर दिशानिर्देश - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) - आरबीआई - Reserve Bank of India
लाभांश समकरण निधि (डीईएफ) के उपाय पर दिशानिर्देश - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)
आरबीआई/2024-25/57 30 जुलाई 2024 महोदय/ महोदया, लाभांश समकरण निधि (डीईएफ) के उपाय पर दिशानिर्देश - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) कृपया “पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)” पर दिनांक 01 अप्रैल 2024 का मास्टर परिपत्र विवि.सीएपी.आरईसी.5/09.18.201/2024-25, “एक्सपोज़र मानदंड और सांविधिक/अन्य प्रतिबंध - यूसीबी” पर दिनांक 16 जनवरी 2024 का मास्टर परिपत्र विवि.सीआरई. आरईसी. 71/07.10.002/2023-24 और दिनांक 05 जुलाई 2012 का “यूसीबी द्वारा लाभांश की घोषणा” पर परिपत्र यूबीडी.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं. 4/12.05.001/2012-13 देखें। 2. यह देखा गया है कि कुछ शहरी सहकारी बैंकों ने लाभ के विनियोजन से लाभांश समकरण निधि (डीईएफ) का सृजित है, जिसका उद्देश्य भविष्य के वर्षों में लाभांश का भुगतान करने के लिए इस शेष राशि का उपयोग करना है, जब लाभ पर्याप्त न हो अथवा बैंक ने निवल हानि दर्ज की है। तथापि, दिनांक 05 जुलाई 2012 को जारी “यूसीबी द्वारा लाभांश की घोषणा” संबंधी मौजूदा दिशानिर्देश के अनुसार पूर्व संचित लाभ अथवा आरक्षित निधि से लाभांश भुगतान पर रोक लगाई जाती है तथा यह अधिदेश दिया जाता है कि बैंकों द्वारा लाभांश का भुगतान केवल चालू वर्ष के निवल लाभ से ही किया जा सकता है, जिसके लिए सभी सांविधिक एवं अन्य प्रावधान करने होंगे तथा संचित हानि का पूर्ण समायोजन करना होगा। यह भी पाया गया है कि शहरी सहकारी बैंक डीईएफ में शेष राशि को टियर-II पूंजी का हिस्सा मानते रहे हैं। 3. विनियामक पूंजी प्रयोजनों के लिए इन शेषों का बेहतर ढंग से निपटान के लिए, एक बारगी उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों को डीईएफ में शेषों को सामान्य आरक्षितों /निर्बंध आरक्षितों में अंतरण करने की अनुमति दी जाए। सामान्य आरक्षितों / निर्बंध आरक्षितों में जमा शेष, हमारे उपर्युक्त मास्टर परिपत्र के अनुसार टियर-I पूंजी के पात्र होंगे। 4. दिनांक 30 अगस्त, 2021 के भारतीय रिज़र्व बैंक के (वित्तीय विवरणों – प्रस्तुतीकरण और प्रकटीकरण) निदेश, 2021 के अनुसार तुलन पत्र में 'खातों पर नोट्स' में ऐसे अंतरणों का उपयुक्त प्रकटीकरण किया जाए। 5. शहरी सहकारी बैंकों को राज्य/केन्द्रीय सहकारी अधिनियमों एवं उपनियमों तथा अन्य लागू कानूनों, विधियों और विनियमनों के प्रावधानों का अनुपालन करना होगा। प्रयोज्यता 6. यह परिपत्र सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों पर लागू है। यह अनुदेश तुरंत प्रभाव से लागू है। भवदीया, (उषा जानकीरामन |