भारतीय बैंकों द्वारा विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड जारी करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय बैंकों द्वारा विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड जारी करना
भा.रि.बैंक/2016-17/107 03 नवंबर, 2016 सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया / महोदय, भारतीय बैंकों द्वारा विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड जारी करना सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों (प्रा.व्या.श्रेणी–I) का ध्यान भारत में निश्चित आय (फिक्स्ड इनकम) और मुद्रा बाजार (currency market) के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 25 अगस्त 2016 को रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित उपायों की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, बैंकों को अपनी पूंजीगत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं बुनियादी ढांचे तथा किफायती दरों पर आवास (affordable housing) के वित्तपोषण हेतु विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड जारी करने की अनुमति दी गई है। साथ ही, प्रा.व्या. श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 03 नवंबर 2016 के परिपत्र संख्या DBR.BP.BC.No.28/21.06.001/2016-17 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है। 2. उपर्युक्त घोषणा के अनुक्रम में, रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉन्डो के समुद्रपारीय बाजार को विकसित करने तथा भारतीय बैंकों को अपनी पूंजी बढ़ाने / दीर्घावधि निधियों के संचयन हेतु अतिरिक्त अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, भारत सरकार के परामर्श से, यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय बैंकों को, कॉरपोरेट बॉन्डो में विदेशी निवेश हेतु निर्धारित सीमा (वर्तमान सीमा INR 244323 करोड़ रुपये) में, निम्नलिखित लिखतें (instruments) जारी करने की अनुमति दी जाए:-
3. विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड जारी से संबन्धित विषय पर जारी 29 सितम्बर 2015 ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.17 तथा 13 अप्रैल 2016 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.60 में निहित प्रावधानों के साथ पठित, समय-समय पर यथा संशोधित, बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने एवं उधार देने से संबंधित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.05 के पैराग्राफ 3.3.2 और 3.3.3 के प्रावधान, जो भारतीय बैंकों को विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड के जारीकर्ता के रूप नहीं बल्कि केवल एरेंजर (arranger) एवं हामीदार (underwriter) के रूप में सम्मिलित होनें की अनुमति देते हैं, में तदनुसार संशोधन करते हुए अब भारतीय बैंकों को सीमित उद्देश्य के लिए इस मार्ग के तहत पात्र उधारकर्ता माना जाएगा। उपर्युक्त पैराग्राफ सं. 2 में उल्लिखित भारतीय बैंकों द्वारा रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड के माध्यम से जारी लिखतों (PDI एवं कर्जगत पूंजी लिखतों) तथा दीर्घावधि बॉण्ड ‘बासल-III पूंजी विनियमावली’ के विषय पर जारी 01 जुलाई 2015 मास्टर परिपत्र DBR.No.BP.BC.1/21.06.201/2015-16 के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करेंगे तथा ‘बैंकों द्वारा दीर्घावधि बॉण्ड जारी करना- इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास का वित्तपोषण’ के विषय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी एवं समय-समय पर यथा संशोधित 15 जुलाई 2014 के परिपत्र DBOD.BP.BC.No.25/08.12.014/2014-15 के प्रावधानों के अनुपालन में होने चाहिए। इसके अतिरिक्त, इस तरह के निर्गमों के लिए भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय विदेशी शाखाओं / सहायक कंपनियों को हामीदारी (underwriting) देने की अनुमति नहीं होगी। 4. 29 सितम्बर 2015 तथा 13 अप्रैल 2016 के उक्त परिपत्रों के अन्य सभी प्रावधान अपरिवर्तित बने रहेंगे । 5. रुपये में मूल्यवर्गीकृत बॉण्ड जारी करने से संबंधित सभी परिवर्तन / संशोधित निर्देश इस परिपत्र के जारी करने की तारीख से लागू होंगे। 6. उपर्युक्त परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश सं.05 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय (शेखर भटनागर) |