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अपने ग्राहक को जानि‍ए (केवाईसी) मानदंड/धन शोधन नि‍वारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वि‍त्तपोषण का प्रति‍रोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के उत्‍तरदायित्‍व

भारिबैं/2012-13/331
ग्राआऋवि.केका.आरआरबी.आरसीबी.एएमएल.सं.6097/07.51.018/2012-13

13 दिसंबर 2012

अध्यक्ष / कार्यपालक अधिकारी
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) /
राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदय,

अपने ग्राहक को जानि‍ए (केवाईसी) मानदंड/धन शोधन नि‍वारण (एएमएल) मानक/ आतंकवाद के वि‍त्तपोषण का प्रति‍रोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के उत्‍तरदायित्‍व

कृपया अपने ग्राहक को जानि‍ए (केवाईसी) मानदंड/धन शोधन नि‍वारण (एएमएल) मानक पर  दिनांक 18 फरवरी 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. सं. आरआरबी. बीसी.81/ 03.05.33(ई)/ 2004-05 तथा ग्राआऋवि.एएमएल.बीसी.सं. 80/07.40.00/2004-05 और इस विषय पर समय समय पर जारी हमारे परिपत्र देखें। केवाईसी दिशानिर्देश वित्‍तीय प्रणाली की धनशोधन/आतंकवाद के वित्‍तपोषण के खतरे और धोखाधडियों से सुरक्षा करने के लिए बनाए गए थे। तथापि, भारतीय रिज़र्व बैंक के ध्‍यान में यह बात लायी गयी है कि इस संबंध में बनाए गए कुछ प्रावधानों के कारण या बैंकों द्वारा उनके कार्यान्‍वयन के कारण आम जनता को परिहार्य असुविधाएं हुई हैं तथा वित्‍त्‍ीय समावेशन के प्रयासों में भी बाधा आयी है।

2. इस संबंध में, हम आपका ध्‍यान 30 अक्‍तूबर 2012 को घोषित मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा के पैरा 101 (उद्धरण संलग्‍न) की ओर आकृष्‍ट करना चाहते हैं जिसमें यह प्रस्‍ताव किया गया है कि धनशोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों/नियमों तथा अंतरर्राष्‍ट्रीय मानकों की सीमा के भीतर मौजूदा केवाईसी मानदंडों की समीक्षा की जाएगी। तदनुसार, मौजूदा प्रावधानों में निम्‍नलिखित संशोधन करने का निर्णय लिया गया हैः

(i) नए खातों का खोला जाना – पहचान एवं पते का प्रमाण – ऊपर उल्लिखित परिपत्रों के अनुबंध-II में ऐसे सभी दस्‍तावेजों/सूचनाओं की प्रकृति एवं प्रकार की सांकेतिक सूची दी गई है जिन्‍हें ग्राहकों की पहचान का आधार बनाया जा सकता है। उक्‍त परिपत्रों के पैरा 3 में स्‍पष्‍ट रूप से कहा गया है कि यह सूची केवल सांकेतिक है, न कि परिपूर्ण। व्‍यक्तियों के खातों के लिए अनुबंध II में पहचान एवं पते के सत्‍यापन के लिए सांकेतिक दस्‍तावेजों के भिन्‍न–भिन्‍न सेट सूची में दिए गए हैं।

इसके परिणामस्‍वरूप पहचान एवं पते के सत्‍यापन के लिए पहचान के प्रमाण से संबंधित दस्‍तावेज (पासपोर्ट, चालक लाइसेंस इत्‍यादि) में संबंधित व्‍यक्ति का पता भी अंकित रहने पर भी बैंक भिन्‍न-भिन्‍न दस्‍तावेजों की मांग कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में, ग्राहक बहुधा पहचान एवं पते दोनों के लिए कागजात के अलग-अलग दो सेट प्रस्‍तुत करने की अपेक्षा को लेकर शिकायत करते हैं।

नए खाते खोलने के लिए केवाईसी अपेक्षाओं का पालन करने में संभावित ग्राहकों का भार कम करने हेतु अब यह निर्णय लिया गया है किः

क) यदि पहचान के प्रमाण के रूप में संभावित ग्राहक द्वारा प्रस्‍तुत किए गए दस्‍तावेज में वही पता है जो ग्राहक ने खाता खोलने के फार्म में घोषित कर रखा है तो उस दस्‍तावेज को पहचान एवं पता दोनों के वैध प्रमाण के रूप में स्‍वीकार किया जाए।

ख) यदि पहचान के प्रमाण के रूप में प्रस्‍तुत किए गए दस्‍तावेज में दिया गया पता खाता खोलने के फार्म में उल्‍लेख किए गए पते से भिन्‍न है, तो पते का अलग से प्रमाण प्राप्‍त किया जाना चाहिए। इस उद्देश्‍य के लिए, उपर्युक्त परिपत्रों  के अनुबंध II में सूचीबद्ध सांकेतिक दस्‍तावेजों के अतिरिक्‍त, राज्‍य सरकार या उसके समकक्ष पंजीकरण प्राधिकरण के पास विधिवत पंजीकृत किराया करार जिसमें ग्राहक का पता दर्शाया गया हो,को भी पते के प्रमाण के रूप में स्‍वीकार किया जाए।

(ii) खाते खोलने के लिए परिचय अनिवार्य नहीं – धनशोधन निवारण अधिनियम/ नियमावली में निर्धारित पहचान का सत्‍यापन करने की दस्‍तावेज आधारित प्रणाली लागू करने से पहले, नए खाते खोलने के लिए बैंक के किसी मौजूदा ग्राहक द्वारा परिचय प्रस्‍तुत करना अनिवार्य माना जाता था। कई बैंकों में, खाते खोलने के लिए परिचय प्राप्‍त करना अब भी 'ग्राहक स्‍वीकार करने की नीति' का अनिवार्य हिस्‍सा है भले ही हमारे अनुदेशों के अंतर्गत अपेक्षित पहचान एवं पते के दस्‍तावेज उपलब्‍ध कराए जा रहे हों। इससे खाता खोलने में भावी ग्राहकों के समक्ष समस्‍या उत्‍पन्‍न हो जाती है क्‍योंकि उनके लिए किसी मौजूदा ग्राहक से परिचय प्राप्‍त करना दुरूह होता है।

चूंकि पीएमएल अधिनियम एवं नियमावली तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा केवाईसी अनुदेशों के अंतर्गत खाते खोलने के लिए परिचय आवश्‍यक नहीं है, फिर भी, बैंकों को ग्राहकों का खाता खोलने के लिए परिचय का आग्रह नहीं करना चाहिए।

(iii) केवाईसी उद्देश्‍यों के लिए ‘आधार’ पत्र को स्‍वीकार करना – भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित किया है कि खाते खोलने के लिए बैंक यूआईडीएआई द्वारा जारी आधार पत्र पहचान के प्रमाण के रूप में तो स्‍वीकार कर रहे हैं लेकिन पते के प्रमाण के रूप में स्‍वीकार नहीं कर रहे हैं। जैसा कि उपर्युक्‍त पैरा 2(i) में निर्दिष्‍ट किया गया है, यदि खाताधारक द्वारा दिया जाने वाला पता वही है जो आधार पत्र में है, तो इसे पहचान और पता दोनों के प्रमाण के रूप में स्‍वीकार किया जाए।

(iv) राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के जॉब कार्ड को सामान्‍य खातों के लिए स्‍वीकार करना – दिनांक 02 अगस्त 2011 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. केका. आरआरबी. एएमएल. बीसी.सं.15/ 03.05.33(ई)/2011-12 तथा दिनांक 26 अप्रैल 2011 के परिपत्र ग्राआऋवि. केका. आरसीबी. एएमएल. बीसी.सं.63/ 07.40.00/2010-11 के पैरा B.5 के अनुसार, केवल नरेगा जॉब कार्ड के आधार पर खोले गए खाते ‘छोटे खातों’ पर लागू सीमाओं के अधीन हैं। इससे ग्राहकों को असुविधा हुई है, जो कि अधिकांशतः ग्रामीण इलाकों से हैं।

ऊपर उद्धृत किए गए अनुदेशों को संशोधित करते हुए, बैंकों को सूचित किया जाता है कि अब वे नरेगा जॉब कार्ड को ‘छोटे खातों’ पर लागू सीमाओं के बिना ही ‘आधिकारिक वैध दस्‍तावेज’ के रूप में स्‍वीकार करें।

(v) परिचय के साथ खाते - किसी मौजूदा खाताधारक द्वारा परिचय दिए जाने या बैंक को संतुष्‍ट करने वाले पहचान या पते के अन्‍य प्रमाण के साथ कुल क्रेडिट तथा बकाया जमा शेषों पर प्रतिबंधों के साथ खाते खोलने के प्रावधान ऐसे लोगों की सहायता करने के लिए बनाए गए थे जो खाते खोलने के लिए ‘आधिकारिक वैध दस्‍तावेज’ प्रस्‍तुत कर पाने में समर्थ नहीं थे। धनशोधन निवारण नियमावली में ‘छोटे खातों’ के लिए किए गए प्रावधानों को शामिल किए जाने के मद्देनजर दिनांक 23 अगस्‍त 2005 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. सं. आरआरबी. बीसी. 33/ 03.05.33(ई)/ 2005-06 तथा ग्राआऋवि. आरएफ. एएमएल. बीसी.सं.32/ 07.40.00/ 2005-06 में यथानिर्धारित 'परिचय के साथ खाते खोलने के मौजूदा अनुदेश हटा लिए गए हैं।

हमारे ध्‍यान में यह बात लायी गयी है कि बृहत्‍तर वित्‍तीय समावेशन के लिए बैंक ‘छोटे खातों’ के खोले जाने को प्रोत्‍साहित नहीं कर रहे हैं। अतः बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे सभी इच्‍छुक व्‍यक्तियों के लिए ‘छोटे खाते’ खोलें। यह दोहराया जाता है कि ‘छोटे खातों’ के लिए लागू सभी सीमाओं का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

3. उपर्युक्त अनुदेशों को ध्यान में रखते हुए बैंकों को ‘अपने ग्राहक को जानिए’ नीति की समीक्षा करनी चाहिए तथा उसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

भवदीय,

(सी.डी. श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक
अनु: यथोक्त


मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा - उद्धरण

केवाईसी अनुदेशों की समीक्षा

101. रिज़र्व बैंक को केवाईसी मानदंडों से संबंधित शिकायतें प्राप्त हुई हैं जो पहचान/पते के दस्तावेजी प्रूफ़, बैंक खाता खोलने के लिए परिचय की आवश्यकता, और केवाईसी दस्तावेजों की समीक्षा की अवधि जैसे विषयों से जुड़े हैं । इन बातों को देखते हुए, प्रस्ताव है कि:

  • धन शोधन निवारण अधिनियम/नियमों (पीएमएल अधिनियम/नियम) और अंतरराष्ट्रीय मानकों के दायरे में वर्तमान के केवाईसी मानदंडों की समीक्षा की जाए ताकि उनको सरल बनाया जा सके।

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