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परियोजना और सेवा निर्यातों में उदारीकरण

आरबीआइ/2006-07/227
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.26

जनवरी 08, 2007

सेवा में
सभी श्रेणी I के प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

परियोजना और सेवा निर्यातों में उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान मई 3, 2000 समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 23/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2000 के विनियम 18 और अक्तूबर 28, 2003 के परिपत्र ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.32 द्वारा जारी परियोजना और सेवा निर्यातों के संबंध में अनुदशों का ज्ञापन, अक्तूबर 2003 की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. प्रक्रिया को और सरल बनाने तथा परियोजना निर्यातकों और सेवा निर्यातकों को उनके समुद्रपारीय लेनदेनों में और अधिक लोचकता प्रदान करने की दृष्टि से परियोजना और सेवा निर्यातों के संबंध में अनुदशों का ज्ञापन के पैराग्राफ आ.10 (i) (च), ई.1(i), ई.3 और ई.4 (iv) पैराग्राफों द्वारा निर्धारित मार्गदर्शी सिद्धांतों को नीचे दिए गए अनुसार आशोधित किया गया है।

(i) मशीनरी की अंतर-परियोजना स्थानांतरण

वर्तमान में, विदेश में टर्नकी/ विनिर्माण ठेकों का कार्य करनेवालेनिर्यातकों से अपेक्षा है कि वे ठेके की समाप्ति पर विदेश में खरीदे गए उपकरण, मशीनरी, वाहन, आदि का निपटान करें और/ अथवा उसे भारत भेजने की व्यवस्था करें। यदि मशीनरी आदि अन्य समुद्रपारीय परियोजना में उपयोग की जानी है, तो उस परियोजना से जिसे उपकरण/ मशीनरी स्थानांतरित किया गया है, बाज़ार मूल्य (बही मूल्य से कम नहीं)  की वसूली की जानी चाहिए।

पुनः विचार करने पर स्थानांतरी परियोजना से मशीनरी, आदि का बाज़ार मूल्य (बही मूल्य टस कम नहीं) की वसूली के संबंध में शर्तों को तत्काल प्रभाव से हटा लिया गया है। इसके अलावा, निर्यातक किसी देश में उनेक द्वारा प्राप्त किसी अन्य ठेके को करने के लिए मशीनरी/ उपकरण का उपयोग कर सकते हैं बशर्ते प्रायोजक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ एक्ज़िम बैंक/ कार्यकारी दल आश्वस्त हो। मशीनरी/ उपकरण के स्थानांतरण के रिपोर्टिंग की अपेक्षा अब तक की तरह जारी रहेगी तथा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ एक्ज़िम बैंक/ कार्यकारी दल इसकी निगरानी करेंगे।

(ii) निधियों का अंतर परियोजना स्थानांतरण

वर्तमान में परियोजना और सेवा निर्यातों के संबंध में अनुदशों का ज्ञापन में उल्लेख किए गए अनुसार परियोजना/ सेवा निर्यातकों को प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ एक्ज़िम बैंक/ कार्यकारी दल द्वारा यथानिर्धारित शर्तों के अधीन उसी देश में निष्पादित किए जानेवाले एक से अधिक परियोजनाओं के लिए एक एकल विदेशी मुद्रा खाता रख सकते हैं। इसके अलावा नकदी आवक घाटे को पूरा करने के लिए निधियों के अस्थायी अंतर-परियोजना अंतरण सुविधा उपलब्ध है बशर्ते परियोजना की निगरानी करनेवाले निर्यातक के बैंकर से अनुमोदन प्राप्त हो और उधार देनेवाली परियोजना को निधियों का पुनः अंतरण यथाशीघ्र हो।

अब यह निर्णय लिया गया है कि अब से प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ एक्ज़िम बैंक/ कार्यकारी दल निर्यातकों को किसी एक मुद्रा अथवा देश में निधियों के अंतरण परियोजना अंतरण के उनके विकल्प की मुद्रा/ मुद्राओं में एक अथवा एक से अधिक विदेशी मुद्रा खाता खोलने, रखने और परिचालन करने की अनुमति दे। निधियों के अंतर-परियोजना अंतरण को प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ एक्ज़िम बैंक/ कार्यकारी दल निगरानी करेंगे।

3. अस्थायी नकदी अधिशेष का विनियोजन

वर्तमान में परियोजना/ सेवा निर्यातकों से अपेक्षा है कि वे अस्थायी नकदी अधिशेष के विदेशों में विनियोजन के लिए रिज़र्व बैंक से संपर्क करें। अब यह निर्णय लिया गया है कि अब से परियोजना/ सेवा निर्यातक भारत से बाहर अर्जित अपने अस्थायी नकदी अधिशेष निम्नलिखित लिखतों/ प्रॉडक्ट्स में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक/ एक्ज़िम बैंक/ कार्यकारी दल की निगरानी के अधीन विनियोजित करें।

(क) विदेश में अल्पावधि पेपरों में निवेश जिसमें वे खजाना बिल और अन्य मौद्रिक लिखतें शामिल हैं जिनकी परिपक्वता अथवा शेष परिपक्वता अवधि एक वर्ष अथवा उससे कम की है और जिनकी रेटिंग स्टैंडर्ड एण्ड पुअर द्वारा A-1/AAA अथवा मूडीज़ द्वारा P-1/Aaa अथवा फिट्च आइबीसीए द्वारा F1/AAA इत्यादि हो।

(ख) भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों की ाारत से बाहर शाखाओं/ सहयोगी संस्थाओं के पास जमा राशि।

4. प्राधिकृत व्यापारी - श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(एम. सेबेस्टियन)
मुख्य महाप्रबंधक

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