बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाये रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाये रखना
आरबीआइ /2010-11/516 09 मई 2011 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 - सांविधिक चलनिधि कृपया उपर्युक्त विषय पर 08 सितंबर 2009 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 41/12.02.001/2009-10 जिसके साथ 08 सितंबर 2009 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 40/12.02.001/2009-10 अग्रेषित की गई थी तथा 27 जुलाई 2010 का परिपत्र बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 29/12.02.001/2010-11 जिसके साथ 27 जुलाई 2010 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 28/12.02.001/2010-11 अग्रेषित की गई थी, देखें । 2. 03 मई 2011 को घोषित भारतीय रिज़र्व बैंक के वार्षिक नीति वक्तव्य 2011-12 के अनुसार अनुसूचित वाणिज्य बैंक 07 मई 2011 से प्रारंभ होने वाले पखवाड़े से सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) योजना के अंतर्गत अपनी निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के एक प्रतिशत तक एक दिन के लिए ले सकते हैं । इस संबंध में परिचालन अनुदेश 09 मई 2011 के परिपत्र एफएमडी. सं. 59/01.18.001/2010-11 में निहित हैं । 3. हमने अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा सांविधिक चलनिधि अनुपात की गणना करने के प्रयोजन से आस्तियाँ बनाए रखने पर 08 सितंबर 2009 की मौजूदा अधिसूचना संदर्भ बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 40/12.02.001/2009-2010 (जिसमें 27 जुलाई 2010 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 28/12.02.001/2010-11 के द्वारा आंशिक संशोधन किया गया था) के अधिक्रमण में 09 मई 2011 की नई अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 91/12.02.001/2010-11 जारी की है । उपर्युक्त नई अधिसूचना की प्रतिलिपि संलग्न है । भवदीय (पी. आर. रवि मोहन) संदर्भ : बैंपविवि. सं.आरईटी. बीसी. 91 /12.02.001/2010-11 9 मई 2011 अधिसूचना बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 24 की उप धारा (2क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा 8 सितंबर 2009 की अधिसूचना संदर्भ बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 40/12.02.001/2009-10 तथा 27 जुलाई 2010 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 28/12.02.001/2010-11 में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा यह निर्दिष्ट करता है कि प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्य बैंक भारत में नीचे दिये गये विवरण के अनुसार आस्तियां रखना जारी रखेगा जिनका मूल्य भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट की गयी मूल्यांकन विधि के अनुसार किसी भी दिन कारोबार की समाप्ति पर दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को भारत में कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के 24 प्रतिशत से कम नहीं होगा जैसा कि 16 दिसंबर 2010 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 66/12.02.001/2010-11 द्वारा निर्धारित किया गया है : (क) नकदी, अथवा (ख) स्वर्ण जिसका मूल्य चालू बाज़ार मूल्य से अधिक कीमत पर नहीं होगा, अथवा (ग) निम्नलिखित लिखतों में निवेश जिन्हें "सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) प्रतिभूतियाँ" कहा जाएगा :
बशर्ते उपर्युक्त प्रतिभूतियां (मार्जिन सहित), यदि रिज़र्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत अर्जित की गई हों, तो उन्हें इस प्रयोजन के लिए पात्र आस्ति के रूप में नहीं माना जाएगा । स्पष्टीकरण : उपर्युक्त प्रयोजन के लिए `बाज़ार उधार कार्यक्रम' का अर्थ भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जनता से लिए जाने वाले देशी रुपया ऋण हैं, जिनका प्रबंध भारतीय रिज़र्व बैंक नीलामी के माध्यम से अथवा इस संबंध में जारी अधिसूचना में निर्दिष्ट किसी अन्य विधि से ऐसी विपणनयोग्य प्रतिभूतियों को जारी करके करता है, जो सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 तथा उसके अंतर्गत बने विनियमों से नियंत्रित होती हैं। 2. उपर्युक्त प्रतिशत अंश की गणना में भारग्रस्त सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) प्रतिभूतियों को शामिल नहीं किया जाएगा । बशर्ते, उपर्युक्त आस्तियों के प्रतिशत अंश की गणना करने के लिए निम्नलिखित मदें शामिल की जाएंगी, जैसे -
3. उपर्युक्त प्रयोजन के लिए राशि की गणना हेतु निम्नलिखित को भारत में रखी गयी नकदी के रूप में माना जाएगा :
(आर. गांधी) |