मास्टर परिपत्र - अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं
भारिबैं/2015-16/64 1 जुलाई 2015 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक महोदय, मास्टर परिपत्र - अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं कृपया आप 1 जुलाई 2014 का हमारा 1 दिसंबर 2014 तक अद्यतन किया गया, मास्टर परिपत्र ग्राआऋवि.जीएसएसडी.बीसी.सं.43/09.10.01/2014-15, देंखें जिसमें अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाओं के संबंध में बैंकों को जारी अनुदेश / दिशानिर्देश / निर्देश संकलित किए गए हैं। इस मास्टर परिपत्र में 30 जून 2015 तक जारी अनुदेशों को समाविष्ट करते हुए यथोचित रूप से अद्यतन किया गया है और रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (http://www.rbi.org.in) पर भी डाला गया है। भवदीया (माधवी शर्मा) अनुलग्नक : यथोक्त 1. अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार पर रिज़र्व बैंक के वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार देशी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों और 20 तथा उससे अधिक शाखाओंवाले विदेशी बैंकों द्वारा प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए पिछले वर्ष के 31 मार्च को विद्यमान समायोजित निवल बैंक क्रेडिट (एएनबीसी) अथवा तुलनपत्र से इतर एक्सपोजरों (ओबीई) की ऋण समकक्ष राशि इनमें से जो भी अधिक हो, के 40 प्रतिशत का लक्ष्य अधिदेशात्मक कर दिया गया है। कमजोर वर्गों, जिनमें अन्यों के साथ साथ अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति शामिल हैं को उधार देने के लिए इसके भीतर ही, पिछले वर्ष 31 मार्च को विद्यमान एएनबीसी अथवा ओबीई की ऋण समकक्ष राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, के 10 प्रतिशत का लक्ष्य अधिदेशात्मक कर दिया गया है। भारत सरकार ने इस बारे में सावधानी बरतने का उल्लेख किया है कि अल्पसंख्यक समुदायों को सरकार प्रायोजित विभिन्न विशेष योजनाओं द्वारा मिलने वाले लाभ सही और पर्याप्त मात्रा में प्रदान किये जाते हैं। सभी वाणिज्य बैंकों को सूचित किया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि अल्पसंख्यक समुदायों को बैंक ऋण आसानी से उपलब्ध होता है। 2. अल्पसंख्यक समुदायों की परिभाषा 2.1 निम्नलिखित समुदायों को भारत सरकार, कल्याण मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के रुप में अधिसूचित किया गया है: (क) सिख 3. विशेष कक्ष की स्थापना और पूर्णतया उसके लिए नामित अधिकारी 3.1 प्रत्येक बैंक में एक विशेष कक्ष की स्थापना की जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण आसानी से उपलब्ध होता रहे और इस कक्ष का मुख्य अधिकारी उप महाप्रबंधक / सहायक महाप्रबंधक या कोई अन्य समश्रेणी का होगा, जो ‘नोडल अधिकारी’ के रूप में कार्य करेगा। 3.2 प्रत्येक अल्पसंख्यक बहुल जिले के अग्रणी बैंक में एक अधिकारी होगा जो पूर्णतया अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराने से संबंधित समस्याओं की ही जांच करेगा। बैंक ऋण के विविध कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार अल्पसंख्यक समुदायों के बीच करना और उनके लाभ हेतु शाखा प्रबंधकों के सहयोग से उपयुक्त योजनाएं बनाना उसका उत्तरदायित्व होगा। 3.3 भारत सरकार ने उन राज्यों / संघशासित क्षेत्रों को छोड़कर जहां अल्पसंख्यक मेजोरिटी में है (जम्मू और कश्मीर, पंजाब, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप) उन 121 अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिलों की सूची भेजी है जहां अल्पसंख्यकों की आबादी कम से कम 25 प्रतिशत है। तदनुसार, सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से अपेक्षित है कि वे इन 121 जिलों के अल्पसंख्यकों को ऋण उपलब्धता की विशेष रूप से निगरानी करें और उसके द्वारा यह सुनिश्चित करें कि अल्पसंख्यक समुदाय को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के संपूर्ण लक्ष्य के अंदर ऋण का उचित और बराबर का हिस्सा प्राप्त होता है (अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिलों की अद्यतन सूची अनुबंध II में दी गई है)। 3.4 नामित अधिकारी संबंधित जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय की ऋण सहायता से संबंधित पहलुओं पर ही ध्यान देगा और वह जिले स्तर पर स्थापित अग्रणी बैंक से संबद्ध होगा। इस प्रकार, वह अग्रणी बैंक अधिकारी से आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेगा। अग्रणी बैंक अधिकारी काफी वरिष्ठ स्तर का अधिकारी होगा जिसे अन्य क्रेडिट संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों के साथ प्रभावी रूप से संपर्क करने का पर्याप्त अनुभव होगा। वह जिले के अन्य बैंकों के शाखा प्रबंधकों के घनिष्ठ सहयोग के साथ काम भी करता रहा होगा। नामित अधिकारी अल्प संख्यक समुदायों के सदस्यों के लिए यथोचित योजनाएं तैयार करने में उनके मार्गदर्शन के लिए बैठकें आयोजित करने की भी व्यवस्था करेगा। संबंधित बैंक के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि नामित अधिकारी को सौंपी गई भूमिका कारगर रूप से सफल होती है। 3.5 जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) और राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों (एसएलबीसी) के समन्वयक बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यक समुदायों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाये जाते हैं और इस संबंध में की गयी प्रगति की उनकी बैठकों में नियमित रुप से समीक्षा की जाती है। 3.6 जिला स्तरीय पुनरीक्षण समिति / राज्य स्तरीय पुनरीक्षण बैठकें / राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के समन्वयक बैंक राज्य अल्पसंख्यक आयोगों / बोर्डों या राज्य अल्पसंख्यक वित्तीय निगमों के अध्यक्ष / प्रबंध निदेशकों को या उनके प्रतिनिधियों को राज्य स्तरीय पुनरीक्षण समिति (डीएलआरसी), राज्य स्तरीय पुनरीक्षण बैठक (एसएलआरएम) और राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठकों में भाग लेने हेतु आमंत्रित कर सकते हैं। 3.7 (i) मुख्य कार्यालय के विशेष कक्ष के प्रभारी अधिकारी और (ii) चयनित जिलों में केवल अल्पसंख्यक समुदायों की समस्याओं के संबंध में कार्रवाई करने वाले अग्रणी बैंकों द्वारा नियुक्त अधिकारियों के नाम, पदनाम और पते अल्पसंख्यकों के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग को बैंकों द्वारा निम्नलिखित पते पर प्रस्तुत किये जाएं और आवधिक रुप से अद्यतन किये जाएं: सचिव संबंधित पत्राचार की प्रतिलिपि वित्तीय समावेशन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को भी प्रस्तुत की जाए। 3.8 अल्पसंख्यक समुदाय संकेंद्रित वाले चयनित जिलों में अग्रणी बैंक जागरुकता उत्पन्न करने, हिताधिकारियों की पहचान करने, अर्थक्षम योजनाएँ तैयार करने, विपणन और विनिर्माण सुविधाएँ उपलब्ध कराने यथा निविष्टियों की आपूर्ति / विपणन वसूली आदि सहित अतिरिक्त कार्यों में राज्य अल्पसंख्यक आयोग / वित्त निगम को सम्मिलित कर सकते हैं। 3.9 अग्रणी बैंक चयनित जिलों में नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधकों / गैर सरकारी संगठनों / स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग लेकर सहायता समूहों के माध्यम से गरीबों तक पहुंच सकते हैं। अल्पसंख्यक जाति बहुल जिलों के अग्रणी बैंकों को, यह सुनिश्चित करने के लिए कि अल्पसंख्यक जातियों की, विशेष रूप से उनकी, जो गरीब और अशिक्षित हैं, उत्पादक कार्यकलाप करने के लिए बैंक ऋणों तक पहुँच हो, उनसे प्रत्याशित सायास भूमिका अदा करनी होगी। 4. विभेदक ब्याज दर योजना के अन्तर्गत अग्रिम अजा / अजजा विकास निगमों को जिन शर्तों पर ऋण प्रदान किए जाते हैं, बैंक उन्हीं शर्तों पर विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत राज्य अल्पसंख्यक वित्त / विकास निगम को ऋण प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते निगमों के हिताधिकारी पात्रता संबंधी मानदंडों तथा योजना के अन्तर्गत निर्धारित शर्तें पूरी करते हों। बैंक ऋण आवेदन को समय पर स्वीकृत और वितरित करने के लिए यथोचित रुप से रजिस्टर रखने को सुनिश्चित करें। 5. निगरानी 5.1 अजा / अजजा विकास निगमों को जिन शर्तों पर ऋण प्रदान किए जाते हैं, बैंक उन्हीं शर्तों पर विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत राज्य अल्पसंख्यक वित्त / विकास निगम को ऋण प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते निगमों के हिताधिकारी पात्रता संबंधी मानदंडों तथा योजना के अन्तर्गत निर्धारित शर्तें पूरी करते हों। बैंक ऋण आवेदन को समय पर स्वीकृत और वितरित करने के लिए यथोचित रुप से रजिस्टर रखने को सुनिश्चित करें। विवरण (अनुबंध I में दिया गया) प्रत्येक छमाही की समाप्ति से एक माह के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक में पहुँच जाना चाहिए। 5.2 भागीदारी फर्म के मामले में, यदि भागीदारों में से अधिकांश विशिष्ट समुदायों से संबंधित हैं तो, ऐसी भागीदारी फर्मों को दिए गए अग्रिम को अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों में गिना जाना चाहिए तथा उसे तदनुसार निर्धारित विवरण में सम्मिलित किया जाना चाहिए। किसी कम्पनी का कानूनी रुप से पृथक अस्तिव होने के कारण उसे दिए गए अग्रिमों को निर्धारित अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रुप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। 5.3 चयनित जिलों में जिला परामर्शदात्री समितियों के संयोजक बैंकों को अपने अग्रणी उत्तरदायित्व के अन्तर्गत संबंधित तिमाही की समाप्ति के एक माह के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को जिले के लिए निर्धारित फार्मेट में (अनुबंध III में) बैंकों द्वारा निर्दिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों को स्वीकृत प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के उनके द्वारा संकलित आँकड़े प्रस्तुत करने चाहिए। 5.4 अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराने के संबंध में हुई प्रगति की नियमित रुप से समीक्षा जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) तथा राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों (एसएलबीसी) में होनी चाहिए। 5.5 चयनित जिलों में अग्रणी बैंकों को संबंधित जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) तथा राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों (एसएलबीसी) की कार्यसूची का सार और बैठकों का कार्यवृत्त केंद्रीय वित्त मंत्रालय और कल्याण मंत्रालय को उनके प्रयोग के लिए तिमाही आधार पर प्रस्तुत करना चाहिए। 6. प्रशिक्षण 6.1 यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक स्टाफ और अन्य अधिकारी अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को उचित प्रकार से समझते हैं, पदाधिकारियों और अन्य स्टाफ सदस्यों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए बैंकों को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में, प्रारंभिक पाठ्यक्रम, ग्रामीण उधार पर कार्यक्रम, प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्रों को अग्रिम, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम इत्यादि से संबंधित सत्रों को सम्मिलित करना चाहिए। 6.2 चयनित ज़िलों में कार्यरत अग्रणी बैंकों को उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए ताकि इन क्षेत्रों के अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य बैंकों द्वारा वित्तपोषित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ प्राप्त कर सकें। इन जिलों की जनता के बड़े भाग द्वारा किए जा रहे बड़े व्यवसाय अथवा गतिविधि के आधार पर राज्य सरकारों, उद्योग विभाग, जिला उद्योग केन्द्र, लघु उद्योग विकास बैंक, राज्य तकनीकी परामर्शदाता संगठन, खादी और ग्रामोद्योग आयोग तथा अन्य संगठनों, जो ऐसे प्रशिक्षण और ओरियंटेशन देने के लिए पूर्णतया सक्षम हैं, के सहयोग से इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। कार्यक्रम की अवधि, कार्यक्रम की विषयवस्तु और संकाय सदस्यों का चयन इत्यादि से संबंधित निर्णय प्रत्येक अग्रणी बैंक द्वारा जिले में जनता की तात्कालिक स्थितियों, वर्तमान कौशल और आवश्यकता के साथ-साथ योग्यता को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए। 6.3 चयनित जिलों में अग्रणी बैंकों द्वारा इन जिलों में पदापित स्टाफ को विभिन्न ऋण योजनाओं के अन्तर्गत अल्पसंख्यक समुदायों को सहायता प्रदान करने के लिए समुचित प्रशिक्षण के माध्यम से प्रबोधित और प्रोत्साहित करना चाहिए। 6.4 अग्रणी बैंक नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधकों की सहायता से स्वयं सहायता समूहों को व्यष्टि ऋण / उधार देने के संबंध में बैंक के पदाधिकारियों के लिए सुग्राहीकरण कार्यशालाओं का आयोजन करें। 7. प्रचार 7.1 सरकार के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार अल्पसंख्यक समुदायों की बहुलता वाले स्थानों तथा विशेष रुप से अनुबंध II में सूचीबध्द जिलों में होना चाहिए जहाँ अल्पसंख्यक समुदाय बड़ी मात्रा में हैं। 7.2 चयनित जिलों में अग्रणी बैंकों को अल्पसंख्यक समुदायों के बीच बैंकों से ऋण सुविधाएँ प्राप्त करने के उचित उपायों का प्रचार-प्रसार करना चाहिए; यथा i) प्रिंट मीडिया अर्थात स्थानीय भाषाओं में पेंप्लेटों का वितरण, समाचार पत्रों में विज्ञापन / लेख इत्यादि ii) टी.वी.चैनल – दूरदर्शन / स्थानीय चैनल iii) इन समुदायों द्वारा धार्मिक / त्यौहारों के अवसरों पर आयोजित मेलों में सहभागी होना/स्टॉल लगाना। 8. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) 8.1 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) की स्थापना अल्पसंख्यक समुदायों के पिछड़े वर्गों के बीच आर्थिक और विकासात्मक गतिविधियों के विकास हेतु सितम्बर 1994 में की गई। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम एक शीर्ष संस्था के रुप में कार्य करता है तथा संबंधित राज्य / संघ शासित सरकारों के राज्य अल्पसंख्यक वित्त निगम के माध्यम से हिताधिकारियों को राशि उपलब्ध कराता है। 8.2 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम अन्य के साथ-साथ मार्जिन मनी योजना परिचालित कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत परियोजना लागत के 60 प्रतिशत तक बैंक वित्तपोषण किया जाएगा। परियोजना लागत की शेष राशि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम, राज्य चैनेलाइज़िंग एजेंसी और हिताधिकारी द्वारा क्रमशः 25 प्रतिशत, 10 प्रतिशत, और 5 प्रतिशत के अनुपात में वहन की जाएगी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम द्वारा आरंभ की गई मार्जिन मनी योजना का कार्यान्वयन बैंकों द्वारा किया जाएगा। बैंक वित्त प्रदान करते समय बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम के संबंध में समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों को ध्यान में रखना होगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि ऋण की राशि से सृजित आस्तियाँ बैंक के पास बंधक / गिरवी रखी जाएंगी। बैंकों द्वारा की गई वसूली में से पहले बैंक को देय राशि की वसूली की जाएगी। 9. अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधान मंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम भारत सरकार ने अल्प संख्यकों के कल्याण के लिए "प्रधान मंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम" को संशोधित किया है। उक्त कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को दिए जाने वाले उधार का यथोचित प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों को देने का लक्ष्य रखा जाए और यह भी कि भारत सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के विभिन्न लाभ, सुविधाओं से वंचित लोगों तक पहुंचते हैं जिनमें अल्प संख्यक समुदायों के सुविधाहीन वर्ग भी शामिल हों। यह नया कार्यक्रम केन्द्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों / विभागों द्वारा राज्य सरकारों / संघ शासित क्षेत्रों के जरिए कार्यान्वित किया जाना है और यह अल्प संख्यक सकेंद्रित जिलों में विकास परियोजनाओं के विशिष्ट अनुपात की स्थिति दर्शाता है। तदनुसार, सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से यह सुनिश्चित करना अपेक्षित है कि वे प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार देने के समस्त लक्ष्यों के भीतर कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत के उपलक्ष्य के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों को भी ऋण का उचित हिस्सा प्राप्त होता है। अग्रणी बैंकों को सूचित किया गया है कि वे जिला ऋण योजना तैयार करते समय इस आवश्यकता को ध्यान में रखें। अनुबंध IV अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराना मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
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