मास्टर परिपत्र - अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएँ - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएँ
भारिबैं/2015-16/60 01 जुलाई 2015 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक महोदय, मास्टर परिपत्र - अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएँ कृपया आप 1 जुलाई 2014 का मास्टर परिपत्र ग्राआऋवि.जीएसएसडी.बीसी.सं.01/09.09.01/2014-15 देखें जिसमें बैंकों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को ऋण सुविधाएं देने के संबंध में जारी दिशानिर्देश / अनुदेश / निदेश दिये गए हैं। इस मास्टर परिपत्र में 30 जून 2015 तक जारी अनुदेशों को शामिल करते हुए उपयुक्त रूप से अद्यतन किया गया है और इसे वेबसाइट https://www.rbi.org.in पर भी डाला गया है। मास्टर परिपत्र की प्रतिलिपि इसके साथ संलग्न है। भवदीया (माधवी शर्मा) मास्टर परिपत्र – अनुसूचित जाति (अजा) तथा अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएं अनुक्रमणिका 1. अजा/अजजा को ऋण उपलब्ध कराना 1.1 अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के कल्याण पर विशेष जोर दिया गया है। अजा/अजजा को अग्रिम प्रदान करने में वृध्दि के लिए बैंकों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए: आयोजना प्रक्रिया क) ब्लाक स्तर पर आयोजना प्रक्रिया में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को कुछ अधिक महत्व दिया जाए। तदनुसार ऋण आयोजना में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के पक्ष में अधिक महत्व दिया जाए तथा ऐसी विश्वसनीय विशेष योजनाएँ बनाई जाएँ जिससे इन समुदायों के सदस्य तालमेल बिठा सकें ताकि इन योजनाओं में उनकी भागीदारी तथा स्वरोजगार हेतु उन्हें अधिक ऋण उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सके। बैंकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन समुदायों के ऋण प्रस्तावों पर अत्यधिक सहानुभूतिपूर्वक और सूझबूझ से विचार करें । ख) अग्रणी बैंक योजना के अन्तर्गत गठित जिला स्तरीय परामर्शदात्री समितियों को बैंकों और विकास एजेंसियों के बीच समन्वय का प्रधान तंत्र बने रहना चाहिए। ग) अग्रणी बैंकों द्वारा तैयार की गई जिला ऋण योजनाएँ विस्तृत होनी चाहिए ताकि उनसे रोजगार और विकास योजनाओं की ऋण के साथ सहलग्नता स्पष्ट हो सके। घ) बैंकों को स्वरोजगार सृजन के लिए विभिन्न जिलों में गठित जिला उद्योग केन्द्रों से निकट संपर्क स्थापित करना चाहिए। ड.) बैंकों को अपनी ऋण प्रक्रिया और नीतियों की आवधिक समीक्षा करनी चाहिए जिनसे यह देखा जा सके कि ऋण समय पर स्वीकृत किए गए तथा पर्याप्त मात्रा में होने के साथ-साथ उत्पादन उन्मुख हैं तथा साथ ही इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तरोत्तर आय सृजित होती है। च) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को ऋण आयोजना में अधिक महत्व दिया जाए। इन समुदायों के ऋण प्रस्तावों पर सहानुभूतिपूर्वक तथा अविलम्ब विचार किया जाना चाहिए। छ) ऋण देने के गहन कार्यक्रमों के अन्तर्गत गाँवों को "अभिस्वीकृत" करते समय इन समुदायों की अधिक संख्या वाले गाँवों को विशेष रूप से चयनित किया जाना चाहिए; वैकल्पिक रूप से गाँवों में इन समुदायों की बहुलता वाली बस्तियों को अभिस्वीकृत करने पर भी विचार किया जा सकता है। ज) इन समुदायों के सदस्यों सहित कमजोर वर्गों के लिए उपयुक्त विश्वसनीय योजनाएँ आरम्भ करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। बैंकों की भूमिका झ) बैंक स्टाफ को गरीब उधारकर्ताओं की मदद फार्म भरने तथा अन्य औपचारिकताएँ पूरी करने में करनी चाहिए ताकि वे आवेदनपत्र प्राप्त करने की तारीख से नियत अवधि में ऋण सुविधा प्राप्त कर सकें। ञ) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति उधारकर्ताओं को ऋण सुविधाओं के लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उनमें बैंक द्वारा बनाई गई विभिन्न योजनाओं के प्रति जागरुकता उत्पन्न करनी चाहिए। चूंकि पात्र उधारकर्ताओं में से अधिकांश अशिक्षित व्यक्ति होंगे, अतः ब्रोशरों और अन्य साहित्य, इत्यादि के माध्यम से किया गया प्रचार बहुत उपयोगी नहीं होगा। यह वांछनीय होगा कि बैंक का "फील्ड स्टाफ" ऐसे उधारकर्ताओं से सम्पर्क करके योजनाओं की विशेषताओं के साथ-साथ उनसे मिलने वाले लाभों के बारे में बताएँ। बैंकों को चाहिए कि वे केवल अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति हिताधिकारियों के लिए बैठकें थोड़े-थोड़े अन्तराल में आयोजित करें ताकि वे उनकी ऋण आवश्यकताओं को समझ सकें और उन्हें ऋण योजना में सम्मिलित कर सकें। ट) बैंकों को आवेदन रजिस्टर / जमा रजिस्टर, अपेक्षित रूप में शिकायत रजिस्टर रखना चाहिए तथा संबंधित दस्तावेजों और पास बुक का अनुरक्षण हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त स्थानीय भाषाओं में भी करना चाहिए। ठ) भारतीय रिज़र्व बैंक / नाबार्ड द्वारा जारी किए गए परिपत्रों को संबंधित स्टाफ के बीच परिचालित किया जाए। ड) बैंकों को सरकार द्वारा प्रायोजित गरीबी उन्मूलन योजनाओं / स्वरोजगार कार्यक्रमों के अन्तर्गत ऋण आवेदनपत्रों पर विचार करते समय अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ताओं से जमाराशि की मांग नहीं करनी चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऋण घटक जारी करते समय, बैंक-देय राशि की पूरी चुकौती होने तक, सब्सिडी राशि को रोक कर नहीं रखा जाता है। प्रारंभिक सब्सिडी न देने से कम वित्तपोषण होगा जिससे आस्ति सृजन / आय सृजन में बाधा आएगी। ढ) जनजातीय कार्य मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में क्रमश: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम की स्थापना की गई है। बैंक अपनी शाखाओं / नियंत्रक कार्यालयों को सूचित करें कि वे अपेक्षित लक्ष्य प्राप्ति के लिए संस्था को सभी आवश्यक संस्थागत सहायता प्रदान करें। ण) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के राज्य द्वारा प्रायोजित संगठनों को सामग्री की खरीद और आपूर्ति के विशिष्ट प्रयोजन के लिए तथा / अथवा हिताधिकारियों यथा कारीगरों, इन संगठनों के ग्राम और कुटीर उद्योगों के सामान के विपणन को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र अग्रिम के रूप में माना जाए; बशर्ते संबंधित अग्रिम पूर्णतया इन संगठनों के हिताधिकारियों के लिए सामग्री की खरीद तथा आपूर्ति तथा / अथवा उनकी सामग्री के विपणन हेतु दिया गया हो। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति विकास निगमों की भूमिका त) भारत सरकार ने सभी राज्य सरकारों को सूचित किया है कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति विकास निगम विश्वसनीय योजनाओं / प्रस्तावों पर बैंक वित्त के लिए विचार कर सकते हैं। ऋणों के लिए संपार्श्विक प्रतिभूति तथा / अथवा तृतीय पक्ष गारंटी के संबंध में बैंकों को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार के संबंध में जारी दिशानिर्देश लागू होंगे। आवेदनपत्र को अस्वीकृत करना थ) यदि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के संबंध में आवेदनपत्रों को अस्वीकृत किया जाता है तो यह शाखा स्तर की बजाय अगले उच्चतर स्तर पर किया जाना चाहिए। साथ ही, आवेदन अस्वीकृत करने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं केन्द्र द्वारा प्रायोजित कई प्रमुख योजनाएँ हैं जिनके अन्तर्गत बैंकों द्वारा ऋण प्रदान किया जाता है तथा सरकारी अभिकरणों (एजेंसियों) के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त की जाती है। इन योजनाओं के अन्तर्गत ऋण उपलब्ध कराने संबंधी निगरानी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाती है। इनमें से प्रत्येक के अन्तर्गत अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों के लिए पर्याप्त आरक्षण / छूट है। केन्द्र द्वारा प्रायोजित प्रमुख योजनाओं के अन्तर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द) ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने वर्तमान स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) को पुनर्संरचित करके 1 अप्रैल 2013 से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) आरंभ किया है। शुरूआत में एनआरएलएम यह सुनिश्चित करेगा कि पहचाने गए प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से कम से कम एक सदस्य संभवत: महिला को समयबद्ध तरीके से स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) नेटवर्क के अंतर्गत लाया जाता है। तदुपरांत, महिलाओं और पुरूषों दोनों को आजीविका मामलों अर्थांत् कृषि संस्थानों, दुग्ध उत्पादकों के को-ऑपरेंटिव, बुनकर संघों आदि से परिचित होने के लिए संगठित किया जाएगा। ये सभी अनुदेश विस्तृत हैं और कोई गरीब वंचित नहीं रहेगा। एनआरएलएम समाज के असुरक्षित वर्गों का पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करेगा ताकि इन लाभार्थियों का 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति का होगा। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन ध) आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एमओएचयूपीए), भारत सरकार ने वर्तमान स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) की पुनर्संरचना करते हुए राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) शुरू किया है जो 24 सितंबर 2013 से लागू हो गया है। एनयूएलएम के अन्तर्गत अल्प नियोजित और बेरोजगार शहरी गरीब को विनिर्माण, सेवा और फुटकर कारोबार से संबंधित ऐसे लघु उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा जिसके लिए काफी स्थानीय मांग है। विशेष रूप से स्थानीय कौशलों और स्थानीय कारीगरी को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय (यूलबी) को उपलब्ध कौशलों, उत्पादों की विक्रेयता, लागत, आर्थिक व्यवहार्यता आदि को ध्यान में रखते हुए ऐसी गतिविधियों / परियोजनाओं का सारांश (कंपेंडियम) बनाना चाहिए। एनयूएलएम के अन्तर्गत अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को स्थानीय जनसंख्या में उनके प्रतिशत के अनुपात में अग्रिम दिए जाने चाहिए। विभेदक ब्याज दर योजना न) विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत बैंक कमज़ोर वर्ग के समुदायों को उत्पादक और लाभकारी कार्यकलापों हेतु 4 प्रतिशत वार्षिक के रियायती ब्याज दर पर रु. 15,000/- तक वित्त प्रदान कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति व्यक्ति भी विभेदक ब्याज दर योजना (डीआरआई) का पर्याप्त लाभ उठाते हैं, बैंकों को सूचित किया गया है कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के पात्र उधारकर्ताओं को स्वीकृत किए जाने वाले अग्रिम कुल डीआरआई अग्रिमों के 2/5 (40 प्रतिशत) से कम न हो। मैला ढ़ोनेवाले स्वच्छकारों के लिए पुनर्वास की योजना प) राष्ट्रीय स्वच्छकार विमुक्ति और पुनर्वास योजना (एनएसएलआरएस) सरकारी क्षेत्र के बैंको द्वारा सभी स्वच्छकारों और उनके आश्रितों को वर्तमान में मैला और गंदगी ढोने के अनुवांशिक और घिनौने काम से मुक्त करने और उन्हें पांच वर्षों की अवधि के भीतर वैकल्पिक एवं प्रतिष्ठित व्यवसाय उपलब्ध कराने एवं उन्हें उसमें लगाने के उद्देश्य से वर्ष 1993 से कार्यान्वित की जा रही थी। भारत सरकार ने उक्त एनएसएलआरएस को निधि प्रदान करना वर्ष 2005-06 से बंद कर दिया है और मैला ढोने वाले स्वच्छकारों के लिए स्वरोजगार योजना (एसआरएमएस) अनुमोदित की है। केंद्र द्वारा प्रायोजित प्रमुख योजनाओं के अंतर्गत फ) विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत जोत का आकार सिंचित भूमि का एक एकड़ और असिंचित भूमि का 2.5 एकड़ से अधिक न हो, का पात्रता मानदंड अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति पर लागू नहीं है। इसके अतिरिक्त योजना के अन्तर्गत आय मानदंड पूरा करनेवाले अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति सदस्य, प्रति हिताधिकारी रु. 20,000/- तक का आवास ऋण भी ले सकते हैं जो योजना के अंतर्गत उपलब्ध रु. 15000/- के वैयक्तिक ऋण के अतिरिक्त होगा (यूनियन बजट 2007-08 की घोषणा के अनुसार) । 2. निगरानी और समीक्षा 2.1 अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति हिताधिकारियों को उपलब्ध कराए गए ऋण पर निगरानी रखने के लिए प्रधान कार्यालय में एक विशेष कक्ष की स्थापना की जाए। भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के अतिरिक्त, कक्ष शाखाओं से संबंधित जानकारी / आंकड़ों का संग्रहण, उनका समेकन और भारतीय रिज़र्व बैंक तथा सरकार को अपेक्षित विवरणियों के प्रस्तुतीकरण के लिए भी उत्तरदायी होगा। 2.2 संयोजक बैंक को (राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग के प्रतिनिधियों को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठकों में आमंत्रित करना चाहिए। साथ ही, संयोजक बैंक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसएफडीसी) तथा राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एससीडीसी) के प्रतिनिधियों को भी बुला सकते हैं। 2.3 बैंकों के प्रधान कार्यालयों द्वारा शाखाओं से प्राप्त विवरणियां और अन्य आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को दिये गये ऋण की आवधिक समीक्षा की जानी चाहिए। 2.4 अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को अधिक ऋण उपलब्ध कराने संबंधी उपायों की तिमाही आधार पर निदेशक बोर्ड द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए। समीक्षा नोट में संबंधित तिमाही के दौरान वास्तविक कार्यनिष्पादन दर्शाने के साथ-साथ यह जानकारी भी होनी चाहिए कि केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के विशेष संदर्भ में कारोबार की संभाव्यता और शाखाओं के उसके नेटवर्क के परिप्रेक्ष्य में इस क्षेत्र में कवरेज बढ़ाने के बारे में बैंक के क्या प्रस्ताव हैं। समीक्षा में अन्य बातों के साथ-साथ प्रधान कार्यालय/नियंत्रक कार्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के क्षेत्र दौरों के समय इन समुदायों को प्रत्यक्षतः अथवा राज्य स्तरीय अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति निगमों के माध्यम से उधार देने में हुई प्रगति पर भी विचार किया जाना चाहिए। ऐसे समीक्षा नोटों की प्रतिलिपि रिज़र्व बैंक को भेजी जानी चाहिए। 3. रिपोर्ट करने संबंधी अपेक्षाएँ यह आवश्यक पाया गया है कि प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्रों और विभेदक ब्याज दर योजना (डीआरआई) के अंतर्गत अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को दिये गये बैंक अग्रिमों के आंकड़े पृथक रूप से हों। तदनुसार, बैंक अर्ध वार्षिक आधार पर मार्च व सितंबर के अंतिम शुक्रवार की स्थिति के अनुसार उनके द्वारा अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को दिये गये ऋण दर्शाने वाला विवरण (अनुबंध I) भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करें। साथ ही, बैंक मार्च के अन्तिम रिपोर्टिंग शुक्रवार की स्थिति के अनुसार डीआरआई योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को दिए गए ऋण को दर्शाने वाला विवरण (अनुबंध II) वार्षिक आधार पर रिज़र्व बैंक को भेजें। ये विवरण संबंधित छमाही / वर्ष के अंत से एक माह के भीतर रिज़र्व बैंक को मिल जाने चाहिए। मार्च / सितंबर के सूचना देने के अन्तिम शुक्रवार की स्थिति के अनुसार अनुसूचित
अनुबंध I (क) मार्च / सितंबर के सूचना देने के अंतिम शुक्रवार की स्थिति के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों
मार्च के सूचना देने के अन्तिम शुक्रवार की स्थिति के अनुसार विभेदक ब्याज दर
अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को ऋण सुविधाएँ
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