मास्टर परिपत्र - भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट
भारिबैं/2014-15/39 1 जुलाई 2014 (i) सचिव, वित्त मंत्रालय महोदय, मास्टर परिपत्र - भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने विभिन्न विषयों परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी किया है। उसे अब 30 जून 2014 तक अद्यतन कर दिया गया है। यह नोट किया जाए कि परिशिष्ट में दी गई अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट सभी अनुदेश, जहाँ तक वे इस विषय से संबंधित हैं, इस मास्टर परिपत्र में समेकित एवं अद्यतन कर दिये गये हैं। मास्टर परिपत्र बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। संशोधित मास्टर परिपत्र की एक प्रति संलग्न है। भवदीय, (के के वोहरा)
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III- बी या उसके किसी भाग से कुछ कंपनियों/संस्थाओं(इंटिटीज़) को छूट देने के लिए समय-समय पर अधिसूचनाएं जारी की हैं। जहाँ मास्टर परिपत्र प्रयोगकर्ताओं को समेकित परिपत्र के लाभ देने के लिए तैयार किया गया है, वहीं परिचालन के प्रयोजनार्थ वे संबंधित अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट अनुदेशों/निदेशों को देखने का कष्ट करें। मास्टर परिपत्र अनुबंध में अंकित अधिसूचनाओं पर आधारित है। 2 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III- बी के प्रावधानों से छूट (i)1 आवास वित्त संस्थाएं रिज़र्व बैंक ने उस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी के प्रावधानों से छूट दी है जो राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 2(डी) की परिभाषा के अनुसार एक आवास वित्त संस्था है। (ii) मर्चेंट बैंकिंग कंपनी2 मर्चेंट बैंकिंग कंपनी को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-IA (पंजीकरण और निवल स्वाधिकृत निधि संबंधी अपेक्षा), धारा 45-IB (चल परिसंपत्तियॉं रखना), धारा 45-IC (प्रारक्षित निधि का निर्माण), 3 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 और 4 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के प्रावधानों से छूट दी गई है बशर्ते वह निम्नलिखित शर्तों का अनुपालन/ को पूरा करती हो: ए) वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पास भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 की धारा 12 के अंतर्गत मर्चेंट बैंकर के रूप में पंजीकृत हो और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मर्चेंट बैंकर (नियमावली), 1992 तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मर्चेंट बैंकर (विनियमावली), 1992 के अनुसार मर्चेंट बैंकर का काम कर रही हो; सी) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-I(c) में यथावर्णित कोई अन्य वित्तीय कार्य न करती हो; और डी) 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)-98 के पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां न तो स्वीकार करती हो और न रखती हो। (iii) माइक्रो फाइनेंस कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45-IA, 45-IB तथा 45-IC किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगीं ; जोकि ए) माइक्रो फायनांस 5 कारोबार में लगी हो और किसी गरीब व्यक्ति को अपनी आय बढ़ाने और अपना जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए कारोबारी उद्यम हेतु ₹50,000/- एवं आवासीय इकाई की लागत को पूरा करने के लिए ₹1,25,000/- से अधिक का ऋण उपलब्ध न करा रही हो; और बी) कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त हो; और सी) 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)-98 के पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां न स्वीकार करती हो। (iv) परस्पर लाभ कंपनियाँ (MBC) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45-IA, 45-IB तथा 45-IC किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगीं जोकि 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC. 118/DG(SPT)/98 में अंतर्विष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैराग्राफ 2(1)(ixa) में परिभाषित एक परस्पर लाभ कंपनी (MBC)है। परस्पर लाभ कंपनी (MBC) का अर्थ ऐसी कंपनी से है जिसे कंपनी अधिनियम, 1956(1956 का 1) की धारा 620A के अतर्गत अधिसूचित नहीं किया गया है और जो गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कार्य ए) 9 जनवरी 1997 को कर रही हे; और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45- IB व धारा 45- IC, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैरा 4 से 7 और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैराग्राफ 13A को छोड़कर जो कंपनी के पते, निदशकों, लेखापरीक्षकों, आदि में परिवर्तन से संबंधित जानकारी रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने से संबंधित है,किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगे जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 I(f) में सरकारी कंपनियों 6 के रूप में परिभाषित किया गया है व जैसाकि कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 में परिभाषित है। एक सरकारी कंपनी वह कंपनी है जिसकी प्रदत्त पूंजी के 51% से अन्यून केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार या सरकारों या अंशत: केंद्र सरकार द्वारा और अंशत: एक या अधिक राज्य सरकार/रों के पास है, और जिसमें वह कंपनी भी शामिल है जो किसी सरकारी कंपनी की अनुषंगी कंपनी हैं जैसाकि इस संबंध में परिभाषित है। (vi) 7 वेंचर कैपिटल फंड कंपनियां भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45- IA और 45- IC, 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC. 118/DG(SPT)/98, 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC. 119/DG(SPT)/98 उस गेर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगी जो एक वेंचर कैपिटल फंड कंपनी है व जिसने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992(1992 का 15) की धारा 12 के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किया है तथा जो 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC. 118/DG(SPT)/98 के पैरा 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां नहीं स्वीकार कर रही है और उनकी गैर धारक है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45- IA, 45 -IB , 45- IC, 45 -MB तथा 45- MC के प्रावधान और 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC. 118/DG(SPT)/98 में अंतर्विष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के प्रावधान किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनीं पर लागू नहीं होंगे जिनके पास 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. DFC. 118/DG(SPT)/98 के पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता की जमाराशियाँ नहीं हैं या जो उन्हें स्वीकार नहीं करती हैं; और ए) उसके पास बीमा अधिनियम, 1938 (1938 का IV) की धारा 3 के अंतर्गत जारी वैध पंजीकरण प्रमाण पत्र है और वह बीमा करोबार 8 कर रही है ; बी) प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 4 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त स्टाक एक्स्चेंज है; और सी) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992(1992 का 15) की धारा 12 के अंतर्गत स्टाक ब्रोकर या सब ब्रोकर का कारोबार वैध पंजीकरण प्रमाण पत्र लेकर कर रहा/रही है। (ए) 9 निधि कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धाराएं 45- IA, 45- IB व 45- IC निम्नलिखित स्वरूप की किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लागू नहीं होगी:- जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 620A के अंतर्गत अधिसूचित हो और जिसे निधि कंपनी के नाम से जाना जाता हो; और 10 ["गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के प्रावधान किसी परस्पर लाभ वित्त कंपनी या परस्पर लाभ कंपनी पर लागू नहीं होंगे, बशर्ते परस्पर लाभ कंपनी का आवेदनपत्र भारत सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के प्रावधानों के अंतर्गत अस्वीकार न किया गया हो।" ] चिट फंड अधिनियम, 1982(1982 का 40 नं.) की धारा 2 के खंड(b) में यथा परिभाषित चिट का कारोबार कर रही हो। (सी) प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्संरचना कंपनियाँ (SC/RC) 11 वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्संरचना तथा प्रतिभूति ब्याज(हित) प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 3 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्संरचना कंपनी। (डी) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी 12 बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-झ(च)(iii) के अंतर्गत, केंद्र सरकार की पूर्वानुमति से, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में यथा अधिसूचित एवं एक कंपनी जो इस संबंध में बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के रूप में पंजीकरण योजना के अंतर्गत बैंक के पास पंजीकृत है। ई) कोर निवेश कंपनियां 13 (i) अधिनियम 45-I क का प्रावधान, कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 में संदर्भित कोर निवेश कंपनी वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होती जो कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 के खण्ड (ज) के उप पैराग्राफ (1) के पैराग्राफ 3 में परिभाषित प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी नहीं है.; (ii) अधिनियम 45-I क (1)(ख) का प्रावधान, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी वाली कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 में परिभाषित प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी पर लागू नहीं होती, बशर्ते यह उक्त निदेश में निहित पूंजी आवश्यकताओं तथा लाभ अनुपात का अनुपालन करती है. 14 (iii) यह निदेश कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 (जिन्हें बाद में कोर निवेश कंपनी (CICs) निदेश कहा गया है) में संदर्भित कोर निवेश कंपनी वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगी, जो कोर निवेश कंपनी निदेश के खण्ड (ज) के उप पैराग्राफ (1) के पैराग्राफ 3 में परिभाषित प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी नहीं है.. (iv) इन निदेश के पैराग्राफ 15,16 तथा 18 के प्रावधान कोर निवेश कंपनी निदेश में पारिभाषित प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी पर लागू नहीं होंगे बशर्ते कोर निवेश कंपनी वार्षिक लेखापरीक्षा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करती है तथा कोर निवेश कंपनी निदेश में निहित पूंजी आवश्यकताओं तथा लाभ अनुपात के आवश्यकताओं का अनुपालन करती है. ". (एफ) 15 गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय lll बी के प्रावधानों गैर बैंकिंग संस्थाओं पर लागू नहीं होंगे जो भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का 51) के तहत प्रीपेड भुगतन लिखत जारी करने के लिए तथा भुगतान प्रणाली का कार्य करने के लिए प्राधिकृत हैं। यह छूट केवल गैर बैंकिंग संस्थाओं द्वारा प्रीपेड भुगतान लिखत जारी कर राशि प्राप्त करने तक सीमित और प्रतिबंधित होगा।
1अधिसूचना सं.डीएफसी(सीओसी) सं. 112/ईडी(एसजी)/97 सपठित 18 जून 1997 का परिपत्र सं. डीएफसी(सीओसी) 4438/02.04/96-97 |